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जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-3 - Jija Ki Najar Sali Ki Kunvari Bur Par-3

जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-3
जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-3

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Read:- जीजा साली सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरी कुंवारी बुर की चुदाई के बाद जीजा की नजर साली की गांड पर थी. होटल के कमरे में मेरे जीजा ने कैसे मेरी गांड मारी? मजा लें.

दोस्तो जीजा साली सेक्स स्टोरी का अगला भाग लेकर मैं मुस्कान आपके सामने फिर से हाजिर हूँ।
मेरी अच्छी सहेली आरोही की इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग

जीजा की नजर साली की कुंवारी बुर पर-2

में अभी तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार मेरे और जीजा के बीच जिस्मानी रिश्ते की शुरुआत हुई।

मेरी बुर की पहली चुदाई तो हो चुकी थी।
जीजा मुझे कमरे में अकेली छोड़ कर बाहर कहीं गए हुए थे।

कमरे में अकेली मैं बस यही सोच में पड़ी थी कि दोपहर में तो मेरी चुदाई हो चुकी है। क्या रात में भी ये सब होगा? या फिर जीजा का मन भर गया है।
मगर मुझे इसके आगे का कुछ भी अंदाजा नहीं हो रहा था।

रात करीब 10 बजे जीजा कमरे में वापस लौट आए।
कमरे का दरवाजा बंद करने के बाद वो सीधा मेरे पास आये।

जैसे ही वो मेरे पास आये मुझे कुछ अजीब सी महक आई, मैं तुरंत समझ गई कि जीजा ने शराब पी रखी है।
मैंने कुछ भी नहीं कहा क्योंकि ये मेरे लिए नई बात नहीं थी। वो हमेशा ही शराब पिया करते थे।

जीजा ने मेरी आँखों में देखते हुए मेरे हाथों को अपने हाथ में ले लिया और बोले- तुम तैयार हो न?
मैंने कहा- जीजा आपने अब कर तो लिया जो करना था आपको, अब कितना करोगे?
“अभी तो शुरुआत हुई है … अभी तो पूरी रात बाकी है। अभी तो तुमको पूरा मजा देना है।”
ऐसा कहते हुए जीजा मेरे हाथों को चूमने लगे।

उस वक्त मैंने बिना बाजू का गाउन पहन रखा था।

जीजा मेरे हाथों को चूमते हुए वो मेरी गोरी बांहों को चूमने लगे।
मैं चुपचाप बिस्तर पर बैठी रही, बांहों को चूमते हुए वो मेरे गालों को चूमने लगे।

अब मेरा जिस्म भी गर्म होने लगा, मैं आँखें बंद किये मैं बस उस पल का मजा ले रही थी। वैसे भी पहली बार चुदाई करवाकर मुझे भी और ज्यादा चुदाई का मन हो रहा था।
वो उम्र ही ऐसी थी कि अच्छे बुरे का ख्याल ही नहीं था। मेरे जिस्म की आग मेरे बदन को जला रही थी.

मुझे चूमते हुए जीजा ने मेरा गाउन उतार फेंका. मैं अब ब्रा और चड्डी में जीजा से लिपटी हुई थी, उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए थे और चड्डी के अंदर से जीजा का लंड मेरी नाभि में धंसा जा रहा था।

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मेरे होंठों को मलाई की तरह चूमते हुए जीजा ने मेरी ब्रा और फिर मेरी चड्डी भी उतार दिए।

कुछ ही देर में हम दोनों जीजा साली बिल्कुल नंगे बिस्तर पर आलिंगन कर रहे थे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे बिस्तर से बाहर खीच लिया और फर्श पर लाकर मुझसे लिपट गए। उनका मोटा लंड मेरी बुर को सहला रहा था और जीजा मेरे दूध को चूमते हुए अपनी एक उंगली मेरी गांड के छेद पर रगड़ रहे थे।
जीजा बार बार वो छेद को चौड़ा कर रहे थे और उंगली को अंदर डालने की कोशिश कर रहे थे।

मगर साली की गांड का छेद बिल्कुल सूखा था तो उंगली अंदर जा नहीं रही थी।

उस वक़्त तक मेरी बुर पानी से लबालब हो गई थी. जीजा ने मेरी बुर के पानी को अपनी उंगली पर लगाया औऱ फिर गांड की छेद में लगा कर छेद को गीला किया और अपनी एक उंगली अपनी साली की गांड के छेद में डाल दी।

मुझे काफी जलन सी हो रही थी। मैं जीजा से लिपटी हुई थी और जीजा मेरी गांड में उंगली करते हुए मेरे निप्पलों को बारी बारी से चूस रहे थे।

कुछ देर बाद जीजा ने मुझे आईने के सामने खड़े करते हुए मेरे पीछे से मुझसे लपट गए।
आईने में हम दोनों को नंगे देख कर मेरा जिस्म और ज्यादा मचल उठा।

फिर जीजा मेरे नीचे बैठ गए और मेरी बुर को चूसने लगे। मैं आईने में उन्हें अपनी बुर चूसते देख रही थी।

अपनी जीभ को ऊपर नीचे करते हुए मेरे बुर से निकल रहा सारा पानी वो साफ कर रहे थे।

उस वक्त तो ऐसा लग रहा था कि हजारो चींटियां मेरी बुर पर चल रही हो। मेरा हाथ उनके सर को अपनी बुर में दबाता जा रहा था। मैं आँख बंद करके उस पल का मजा ले रही थी।
मेरी कमर अपने आप ही आगे पीछे होने लगी मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी मगर मैं अपने आप को काबू नहीं कर पा रही थी।

कुछ देर बाद जीजा मेरे पेट को चूमते हुए खड़े हुए और अपना एक हाथ मेरी बुर के नीचे से डालते हुए गांड तक ले गए और एक हाथ से मेरी पीठ को पकड़ते हुए मुझे उठा लिए और बिस्तर पर पटक दिए और मेरे ऊपर आ गए।

वो बार बार मुझे अपने लंड को चूसने के लिए बोलते रहे मगर मैंने बाद में करने के लिए कह दिया।

इसके बाद वो एक झटके में मेरी दोनों जांघों को पकड़ कर फैला दिये और अपना लंड मेरी बुर पर टिका कर बोले- अब होगी साली तेरी असली चुदाई मेरी जान! अभी तो पहली बार उतना नहीं किया क्योंकि तुझे तकलीफ न हो पर अब तैयार रहना। तू तो अपनी दीदी से भी ज्यादा मस्त है। तेरी दीदी तो मेरे ऊपर उचक उचक कर चुदाई करवाती है आज तेरी बारी है। आज साली को इतना चोदूँगा की तू भी मेरी दीवानी हो जाएगी।

ऐसा बोलते हुए उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया औऱ एक बार में जोरदार धक्का लगा कर पूरा लंड मेरी बुर में पेल दिया।
मुझे थोड़ा दर्द हुआ मगर मैंने उस दर्द को सह लिया।

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इतने में जीजा ने मुझसे पूछा- कितना तेज चोदू तुझे बता।
“जितना आपका मन हो।”
“सह लेगी तू?”
“हाँ।”
“फट जाएगी तेरी चूत।”
“फट जाने दो।”

और जीजा ने लंड के जबरदस्त धक्के साली की चूत में लगाना शुरू कर दिया। वो बहुत ही मस्त तरीके से मुझे चोद रहे थे इस बार मुझे ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा था बल्कि बहुत ही मजा आ रहा था।
“आह आआ हहह आओह ऊऊ ऊऊईई ईईईई आऊऊऊच्च आहहह मम्मीईईई आईई आआआईई ऊऊऊ ऊऊई ईईईईई माआआ!”

जीजा बिना रुके दनादन मेरी चुदाई किये जा रहे थे। मुझे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा, मैं उनके सीने से लिपट गई मगर जीजा ने चोदना बंद नहीं किया।
करीब 10 मिनट की धुँआधार चुदाई करने के बाद वो मेरे अंदर ही झड़ गए। मेरी पूरी चूत जीजा के वीर्य से भर गई थी।

कुछ देर में वो हट कर मेरे बगल में लेट गए और मैंने बाथरूम जाकर अपनी चूत की साफ की और वापस आकर जैसे ही अपने कपड़े पहनने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे बिस्तर पर वापस खींच लिया और बोले- अभी जल्दी क्या है कपड़े पहनने की … अभी तो रात बाकी है।
“अब कितना करना है आपको? इतना काफी है।”
“अरे नहीं जान … ऐसा मौका बार बार कहाँ मिलता है और वैसे भी तुम नंगी ज्यादा सुंदर लगती हो।”

ऐसा कहते हुए जीजा ने मुझसे लिपट कर मुझे अपने ऊपर कर लिया और दोनों हाथों से मेरे चूतड़ को दबाते हुए बोले- अब यहाँ की बारी है।
मैं बोली- नहीं वहाँ से नहीं … वहाँ कोई करता है क्या।
“क्यों नहीं करते … सब करते हैं. तेरी दीदी तो मजे से अपनी गांड चुदवाती है।”

“उनको करने दो, मुझे माफ़ करो।”
“एक बार तो कर … अगर मजा नहीं आया तो नहीं करूंगा।”
किसी तरह से जीजा ने साली की गांड चोदने के लिए मना ही लिया।

उस वक्त जीजा का लंड बिल्कुल ढीला पड़ा था. उन्होंने उसे सहलाने के लिए कहा तो मैंने उनके लंड को हाथ में लेकर आगे पीछे करना शुरू कर दिया।

पहली बार किसी लंड को इतने नजदीक से देख रही थी मैं। बहुत ही गौर से उसकी बनावट को देखते हुए मैं उसे हिला रही थी।

धीरे धीरे उनका लंड कड़ा होना शुरू हो गया। और देखते ही देखते अपने पूरे लंबाई तक आ गया।

जीजा ने मुझसे बिना शरमाये उसकी खुशबू लेने को कहा।
मैं भी अपना चेहरा लंड के पास ले जाकर उसकी सुगंध लेने लगी।

भीनी भीनी एक गंदी सी सुगंध आ रही थी उससे मेरे मन में एक अजीब सी सिरहन पैदा होने लगी।
मैं लंड को सहलाते जा रही थी और उसकी खुशबू ले रही थी। मेरी आँखें बंद थी और अचानक से उनका लंड मेरे होंठों से टकरा गया और मैं उसको चूमने लगी।
देखते ही देखते मैंने लंड अपने मुँह में डाल लिया और उसे चूसने लगी।

हाआय दोस्तो … कसम से वो मजा आज भी याद है मुझे!

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कुछ ही देर में उनका लंड किसी लोहे की छड़ की तरह हो चुका था। मैं बार बार उसके सुपारे को अपने दांत से काट भी रही थी।
जीजा के मुंह से भी उस वक्त सिसकारी निकल रही थी।

जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया और पास रखी तेल की शीशी से तेल लेकर मेरी गांड के छेद पर और अपने लंड पर लगाया और मेरे ऊपर आकर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से फैलाया।

जीजा लंड को मेरी गांड के छेद में लगा कर मेरे ऊपर लेट गए और लंड पर धीरे धीरे दबाव बनाने लगे। जीजा का लंड तेल के कारण फिसलता हुआ साली की गांड के छेद में घुसने लगा।
जैसे ही उनका सुपारा छेद में अंदर गया, मेरे मुँह से निकला- ऊऊ ऊऊऊई ईईईई मम्मीईईई आआहह नहीईईई नानाआआ … जीजा नहीईईई आआआईईई।

मगर वो मेरी बातों को नजरअंदाज करते हुए लंड डालते रहे और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया।
मैंने दोनों हाथों से बिस्तर को थाम ली।
और जीजा मेरी गोरी गोरी पीठ पर चूमते हुए लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे।

“आआआईईई आआहहह ऊऊच्च आआईईई मम्मीईईई।” मैं बस ऐसे ही चिल्ला रही थी और वो मेरी गांड चोदते जा रहे थे।
कुछ देर में ही मेरा दर्द खत्म हुआ और मेरी भी सिसकारी निकलने लगी।

अब जीजा ने भी अपनी रफ्तार तेज कर दी और मेरे चूतड़ पर दनादन उनके धक्के पड़ने लगे। मेरी गांड से बहुत ही गंदी सी आवाज फच फच फच निकल रही थी।

काफी देर तक मेरी गांड चोदने के बाद उन्होंने फिर से मेरी बुर चोदना शुरू कर दिया।
इस बार तो उनका पानी निकल ही नहीं रहा था।

वो कभी मुझे खड़े करते कभी मुझे घोड़ी बनाते कभी मैं उनके ऊपर आ जाती।

पता नहीं किस किस तरह से वो मुझे चोद रहे थे। उस वक्त तक मैं 2 बार झड़ चुकी थी।
उस बार जीजा पूरे 20 मिनट तक मुझे चोदते रहे। मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी।

बहुत मुश्किल से उनका पानी निकला और हम दोनों ही थक कर लेट गए।
लेटे लेटे ही दोनों की नींद लग गई।

उसके बाद सुबह 5 बजे हम दोनों ने एक बार फिर चुदाई की।
सुबह तैयार होकर हम लोग परीक्षा केंद्र गए परीक्षा देकर मैं 2 बजे फ्री हो गई।
फिर थोड़ा बहुत घूमने के बाद शाम 6 बजे हम दोनों होटल पहुँच गए।

हमारी ट्रेन अगले दिन 11 बजे थी।
उस रात भी मैं जम कर चुदी और अगले दिन घर वापस आ गए।

मेरी शादी होने से पहले तक जीजा ने ही मेरी जिस्म की आग को शांत किया. जब कभी भी मौका मिलता जीजा मेरी चूत और गांड की चुदाई करते।

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