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चुत और गांड की ओपनिंग एक साथ- 1 - Chut Aur Gand Ki Opening Ek Sath - 1

चुत और गांड की ओपनिंग एक साथ- 1
चुत और गांड की ओपनिंग एक साथ- 1

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Read:- मेरी चूत की गर्मी मेरे जवान होते ही मुझे परेशान करने लगी थी. मैं अपनी कुंवारी बुर के लिए लंड खोजने लगी थी लेकिन अपने शहर में डर भी लगता था.

दोस्तो, मेरा नाम सुनीता है और मैं एक हाउस वाइफ हूँ.
आप लोगों को हमारे बिंदास ग्रुप के बारे में जानकारी के लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित सेक्स कहानियों को रेगुलर पढ़ना होगा, तभी आपको इसकी जानकारी मिलेगी.

मैं ये मानती हूँ कि आप सभी को सब पता होगा, इसलिए अब इस विषय में ज्यादा कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है. बस इतना कहना ठीक है कि मैं भी इस ग्रुप की एक सदस्या हूँ.

आप लोगों को मैं अपने बारे में बताना चाहूंगी.

मेरी उम्र 31 साल की है और मेरे पति की उम्र 48 साल है.
आप लोग सोच रहे होंगे कि हम दोनों की उम्र में इतना ज्यादा फर्क क्यों है, तो मैं आपको बता दूं कि मैं अपने पति की दूसरी पत्नी हूँ. मेरी शादी को 9 साल हो गए और मेरा एक बेटा है 6 साल का. मेरे पति की पहली पत्नी से भी एक बेटी है जो अभी 20 साल की है.

हम सभी में बहुत प्यार है. मुझे आज तक कभी भी ऐसा नहीं लगा कि मैं उनकी दूसरी पत्नी हूँ. मैं भी अपनी जिम्मेदारियों को समझती हूँ और उसे पूरा भी करती हूं.

जब मेरी शादी हुई तो मैं 22 साल की थी और मेरे पति 39 साल के थे.

वैसे तो मैं शादी से पहले ही मेरी चूत की गर्मी के कारण चुद गई थी और इस बात को मैंने अपने पति को भी बता दिया था कि मेरा शादी से पहले एक दोस्त था, जिसने मेरी चुत की सील खोली थी.

पति महोदय भी पहली बार चोदते समय इस बात को समझ गए थे कि मैं पहले ही चुदाई का मजा ले चुकी हूँ. क्योंकि मेरी चुत से खून नहीं निकला था और न ही मुझे दर्द ज्यादा हुआ था. मगर मेरी इस बात का उन्होंने कभी बुरा नहीं माना.

मैंने उनसे कहा था कि मेरा एक दोस्त था जिसने मेरे साथ सेक्स किया था. मगर असल में मैंने 4 लोगों के साथ कई बार चुदाई का मजा लिया था और अपनी मेरी चूत की गर्मी से उनका बिस्तर गर्म किया था.
मगर ये मेरा एक राज बना रहा.

हम ग्रुप की सभी सहेलियों ने सोचा था कि सबसे पहले अपनी पहली चुदाई की कहानी अन्तर्वासना पर भेजेंगे और फिर धीरे धीरे सभी कहानियों को अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने के लिए भेजेंगे.

इस तरह आज मैं भी अपनी पहली चुदाई की कहानी आप सभी को सुनाने जा रही हूँ.

ये सेक्स कहानी तब की है, जब मेरी चूत और गांड की सील टूटी थी.

मैं अपने ग्रुप में ही नहीं बल्कि पूरे कॉलेज में सबसे ज्यादा गोरी लड़की थी. शुरू से ही मैं देखने में काफी हॉट और आकर्षक सेक्सी जिस्म की लौंडिया थी.

जब मैं सड़क पर अपनी गांड मटका कर निकलती थी तो लोग पलट कर मुझे न देखें, ऐसा कभी नहीं हुआ.
बल्कि जिस दिन लोग मुझे कम देखते थे, उस दिन मुझे लगने लगता था कि आज मेरी ड्रेस कुछ कम हॉट है, या इधर के लोग कुछ ज्यादा ही साधू किस्म के हैं.

इस समय मेरा फिगर 36-34-38 का है और अभी भी मेरा ये फिगर किसी भी नई लड़की को फेल कर सकता है.

मैं शुरू से ही इतनी गोरी हूँ कि मेरा रंग दूध में केशर मिला सा हल्का सिंदूरी सा नजर आता है.

मेरा बदन इतना कोमल है कि जरा सा दबाने से लाल पड़ जाता है.
कोमलता को मैं आपको समझाने के लिए बता दूं कि अगर कोई मुझे हचक कर चोदता है तो मेरी हालत खराब हो जाती है और मेरा पूरा बदन लाल पड़ जाता है.
अगर कोई मेरी बांह ही जोर से पकड़ कर दबा दे तो उसके हाथ के निशान मेरी बांह में पड़ जाते हैं.

मैं उस समय नई नई जवान हुई थी और जवानी की आग ने मुझे बेहद झुलसा दिया था.
मेरी चुत में चींटियां रेंगने लगी थीं, जिस वजह से जल्द ही मैंने अपना कुंवारापन गंवा दिया था.

एक बार चुदाई हुई तो चुत को लंड की आदत पड़ गई और उसके बाद से चुदाई का वो सिलसिला शुरू हुआ, जो आज मेरी शादी के बाद भी जारी है.

आज भी पति के अलावा मेरे दो गैर मर्दों के साथ अवैध संबंध हैं.

खैर … पहली चुदाई की कहानी की बात करूं तो ये बात तब की है, जब मैं केवल 19 साल की थी.

स्कूल से अपना इंटरमीडिएट पास करने के बाद मैंने कॉलेज में दाखिला लिया था.
कॉलेज में जल्द ही मेरी दोस्ती अपने ग्रुप की सहेलियों से हो गई.

फिर देखते ही देखते कॉलेज में 6 महीने कब निकल गए, कुछ पता ही नहीं चला.

हमारे ग्रुप में रूबी ही एक ऐसी लड़की थी, जो कि कॉलेज में आने से पहले ही चुदाई का मजा ले चुकी थी.
बाकी हम चार लड़कियां अभी चुदाई से दूर ही थीं.

मगर जवानी की उम्र ऐसी थी कि चूत की गर्मी हम लोगों में कूट कूट कर भरी हुई थी.

ये गर्मी उंगली से निकालने की बहुत चेष्टा की जाती थी, मगर चुत लंड से ही शांत होती है, इस बात से सभी सहमत होंगे.

मुझे भी चुदाई का बहुत मन करता था मगर कॉलेज में किसी भी लड़के से मैं दूर ही रहती थी.

मेरे मोहल्ले में ऐसे कई लड़के थे, जो मुझे देख कर लार टपकाते थे.
जब भी मैं गली से गुजरती थी तो लोगों की निगाहें मेरे गोरे और सेक्सी बदन पर टिक जाती थीं.
मेरे उम्र के लड़कों के साथ साथ कई अंकल भी मेरी खूबसूरती को निहारते रहते थे.

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हालांकि मैं उस वक्त नई नई जवान हुई थी … मगर मेरा जिस्म भरा हुआ था और काफी आकर्षक था.
मेरे बड़े बड़े दूध और उभरी हुई गांड पर सभी की निगाहें बरबस ही ठहर जाती थीं. उस पर मेरा इतना गोरा होना, सभी का लंड खड़ा करने के लिए काफी था.

मर्दों की कामुक नजरों को देख कर मेरा मन भी डोलने लगता था. मगर बार बार मैं ये सोचने लगती कि मोहल्ले में ऐसा कुछ करना मेरे लिए अच्छा नहीं होगा.
यही सोच कर मैंने कभी भी किसी लड़के को भाव नहीं दिया.

मगर मैं अपनी उबलती हुई जवानी को रोक नहीं पा रही थी.

रात में सोते समय अक्सर बस लंड का ख्याल आता. चुत गीली हो जाती और लंड की कामना में मेरा रोम रोम खड़ा हो जाता.

मैंने कई बार मर्दों के लंड उस समय देखे थे जिस समय वो दीवार से लग कर पेशाब करते थे.
उनका बड़ा सा लंड पेशाब की धार छोड़ते समय मुझे इतना मोहक लगता था कि बस लगता था कि उसी समय लंड पकड़ कर चूस लूं, अपनी चुत में घुसवा लूं.

रातों को लंड की याद करते समय भी बस वही सब याद आ जाता और लंड की सोच कर मैं अपनी मुनिया मतलब चूत को मसलती रहती थी.

चुदाई की गर्मी मुझ पर भरी पड़ रही थी मगर मेरी पहली चुदाई कौन करेगा इसका मुझे कुछ भी पता नहीं था.

वो कहते हैं कि जिस बात की शिद्दत से कामना करो … तो वो चीज जल्द ही हासिल हो जाती है. मेरी चुदाई का समय भी जल्दी ही आ गया और मैंने भी चुदाई की शुरुआत कर ली.

जब चुदाई का शुरू हुआ सिलसिला शुरू हुआ तो ऐसा शुरू हुआ कि आज भी मेरी चुत लंड के लिए फड़कती रहती है.

मेरी चुत ने कभी एक लंड से बंधना पसंद नहीं किया. अलग अलग तरह के लौड़े मेरी चूत में आते जाते रहे.
अलग अलग तरह के मर्द मेरे ऊपर चढ़ते रहे और मेरे बदन को मसलते रहे.

मगर वो कौन सा खुशनसीब लंड था जो मेरी तड़पती हुई जवानी को पहली बार चोद गया था.
उसको बताती हूँ.

ये बात 2002 की गर्मियों की थी. शादियों का सीजन चल रहा था. परिवार और रिश्तेदारी में बहुत सी शादियां हो रही थीं.

ऐसी ही एक शादी हुई, जहां मैं और मेरी मम्मी सम्मलित होने के लिए गई हुई थीं. वहां हमें तीन दिन रुकना था.

हम अपने शहर से बाहर गए थे, मगर उस शहर में जहां गए थे, वहां से शादी वाली जगह ज्यादा दूर नहीं थी.

वहां बहुत सी लड़कियां और लड़के आए हुए थे. उनमें से कुछ लड़के तो मेरी तरफ बुरी तरह से आकर्षित हो चुके थे.
मगर मुझे उन लौंडों में वो बात नजर नहीं आई और मैंने उन्हें कोई भी भाव नहीं दिया.

मैं चाहती तो थी कि इधर अनजान जगह में किसी से दोस्ती हो जाए और मेरी चूत की गर्मी का हल हो जाए.
मगर मेरे दिल में कोई भी ऐसा नहीं आ सका जो मेरी ख्वाहिश पूरी कर सके.
मुझे मेरी सहेलियों की बात भी याद थी कि जो भी करना है, बहुत ही गुप्त तरीके से करना है.

मैं एक दिन तो बस यूँ ही सब लौंडों को परखती रही कि कोई मिल जाए, जो मेरा काम उठा दे.

फिर दूसरे दिन वहां शादी होनी थी, तो मैं अपने कामों में व्यस्त हो गई.

शाम होते ही सभी लोग पार्टी में जाने के लिए तैयार हो गए.
मैं भी तैयार हो गई. मैंने एक हल्के गुलाबी रंग की फ्रॉक पहन ली. इसमें मेरा गोरा बदन दमक रहा था.

पूरी पार्टी में मुझसे गोरी और आकर्षक लड़की और कोई नहीं थी. वहां मौजूद सारे लड़कों की निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थीं.
फ्रॉक के नीचे से दिख रही मेरी गोरी और खूबसूरत टांगों पर सभी की निगाहें जा रही थीं क्योंकि मेरी फ्रॉक मेरे घुटनों तक ही आ रही थी.

लड़कों के साथ साथ वहां मौजूद अंकल लोगों की भी गंदी निगाहें मुझ पर ही जा रही थीं. ये सब मैं भी समझ रही थी लेकिन मैं अपने में ही मस्त थी.

काफी देर तक पार्टी में रहने के बाद मुझे एक लड़का दिखा … शायद वो बाराती था. उसके साथ और भी लड़के थे और उन सबकी निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थीं.

वो लड़का मुझे भी काफी अच्छा लगा और मैं भी उसे गौर से देखने लगी.

पार्टी से निकलने के बाद मैं वहां गई, जहां पर शादी हो रही थी.
वो लड़के वहां भी मेरे पीछे पीछे पहुंच गए.

मैंने उस लड़के को देख लिया था और उधर आकर मैं भी बार बार उसकी तरफ देख लेती थी.
उसकी निगाह भी मुझ पर पड़ गई थी और वो मेरी तरफ देखते हुए धीरे धीरे मुस्कुराने लगा था.

मैं भी उसकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुरा कर देने लगी थी.
बस फिर क्या था. पूरी शादी के दौरान हम दोनों एक दूसरे को देख देख कर मजा लेते रहे.

रात भर शादी का कार्यक्रम चलता रहा औऱ हम दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराते रहे.

ऐसे ही सुबह हो गई और विदाई का समय आ गया.

विदाई के समय बाहर सभी लोग इकट्ठे थे, काफी भीड़-भाड़ थी.
इसी का फायदा उठाकर वो मेरे पास आ गया और हल्के से मेरे हाथों को छूता हुआ उसने मुझे एक कागज थमा दिया.

मैंने भी वो कागज अपनी हथेली में भर लिया.

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विदाई होने के बाद मैंने अकेले में उस कागज को खोला और देखी तो उसमें एक फ़ोन नम्बर लिखा था. मैंने उसे अपने पास रख लिया.

शादी से आने के बाद मैंने उस नम्बर पर फोन लगाया और उस दिन से हम दोनों की बात शुरू हो गई.

उसका नाम राहुल था.

हम लोग अब रात रात भर बातें करने लगे और हम लोगों के बीच हर तरह की बात होने लगी थी.

करीब 5 महीने बाद उसने मुझे मिलने के लिए बोला.
मिलना तो मैं भी चाहती थी क्योंकि मेरी गदरायी जवानी अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
मेरा मन करता था कि कब मेरी सीलबंद चूत में किसी का लंड जाए और वो मेरी जम कर चुदाई कर दे.

हम दोनों कहां पर मिलें, इसका फैसला नहीं हो पा रहा था.
मैं बाहर कहीं भी मिलना नहीं चाहती थी.

फिर मैंने अपनी कालेज की सहेलियों का सहारा लिया और उन्होंने मेरी मदद की.
सब तय हुआ कि हम लोग किसी होटल में मिलेंगे.
मुझे घर से बाहर ले जाने की जिम्मेदारी मेरी सहेलियों की थी.

बस अब हमें सही मौके का इंतजार करना था.

जल्दी ही वो मौका भी हमें मिल गया.

मेरी एक सहेली के घर पर शादी होनी थी और हमने ये फैसला किया कि शादी के बहाने मैं घर से आऊंगी और पूरी रात होटल में राहुल के साथ बिताऊंगी.

ये बात मैंने राहुल को बताई तो वो भी तैयार हो गया.

फिर शादी के दिन मेरी सभी सहेलियों ने मुझे अपने साथ घर से शादी में जाने के बहाने निकाल लिया.
राहुल पहले ही हमारे शहर आ चुका था और उसने एक होटल में रूम भी बुक कर लिया था.

पहले मैं सहेलियों के साथ शादी वाले घर गई और रात आठ बजे राहुल मुझे लेने के लिए आ गया.

मैं राहुल के साथ कार से होटल चली गई.

राहुल के साथ उसका कोई दोस्त भी आया हुआ था … मगर वो दूसरे कमरे में ठहरा हुआ था.
मेरी उससे कोई मुलाकात नहीं हुई थी और न ही मैंने उसे देखा था.

मेरी और राहुल की जान पहचान ज्यादा पुरानी नहीं थी … बस पांच छह माह पुरानी दोस्ती थी.
मुझे राहुल से कोई शादी नहीं करनी थी, बस अपनी वासना को पूरा करना था … जिसके लिए मैं तड़प रही थी.
आज मैं पहली बार चुदाई के लिए उससे मिली थी.

उस दिन मैंने अपने आपको अच्छे से तैयार किया हुआ था. अपने बदन के गुप्तांग के बालों की साफ सफाई की थी.
नई ब्रा और चड्डी और एक सुंदर सी फ्रॉक पहनी हुई थी.
फ्रॉक की लंबाई मेरे घुटनों तक ही थी. मेरी गोरी गोरी चिकनी टांगें बहुत ही सेक्सी लग रही थीं.

ये मेरा पहला मौका था, जब मैं किसी अंजान लड़के के साथ अकेली थी.
मुझे उस वक्त बिलकुल भी डर नहीं लग रहा था क्योंकि घर में सभी जानते थे कि मैं शादी में गई हुई हूँ.

मैं और राहुल जल्द ही होटल के कमरे में पहुंच गए, कमरे में मैं और राहुल ही थे. आज रात भर मैं राहुल के साथ ही रहने वाली थी.
मेरे मन में पहली चुदाई को लेकर एक अलग ही उमंग थी. चुदाई के बारे में इससे पहले मैंने किताब में पढ़ा था या अपनी सहेलियों से ही सुना था.


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