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डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-2 - Dere Wale Baba Ji Aur Santan Sukh ki Lalsa - 2

डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-2
डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-2

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जसवंत नीचे से आरती की गाँड उठाके पकड़के उसे चोदने लगा। आरती भी जसवंत को जकड़ के उससे चुदवाते हुए बोली, “जसवंत और चोद मुझे, मज़ा आ रहा है तेरे राजपुताना लौड़े से… ले चोद ले पूजा की माँ को और हम दोनों की हवस ठंडी कर… बोल जसवंत कैसी है तेरी स्टूडेंट पूजा की माँ की चूत… पसंद आयी तुझे राजा?” जसवंत अब मस्ती से आरती की चूत को चोदने और उसकी क्लिट को लंड से रगड़ने लगा और उसकी गोटियाँ आरती की गाँड से टकराने लगीं।

आरती के मम्मे मसलते हुए वो बोला, “आरती साली… हवस बुझानी है तो दिल और गाँड खोल के चुदवा राँड…। तेरी जैसी गरम औरत को आज पहली बार चोद रह हूँ। बहनचोद बड़ी लाजवाब चूत है तेरी आरती। मुझे मेरी स्टूडेंट पूजा की माँ बहुत पसंद आयी इसलिए आज से तू पूजा कि माँ भी है और मेरी मेरी रंडी भी… समझी? बहन की चूत साली… आरती… तुझे अपनी रखैल बनाके रखूँगा।”

आरती चुदाई से मदहोश होके अपनी चूत उठा-उठा के चुदवाने लगी। उसके ज़ोरों से हिलते मम्मे जसवंत बेरहमी से मसल रहा थ। जसवंत की झाँटों में हाथ घुमाते हुए आरती कहने लगी, “ऊफ्फ्फ जसवंत मैं तेरी रंडी बनने को तैयार हूँ पर मैं तेरी रंडी कैसे बनूँगी? मैं तो एक शादी शुदा औरत हूँ। तू मुझे रंडी कैसे बनायेगा? और समझो कि अगर मैं तेरी रंडी बनी भी तो तेरी राँड बन के मैं क्या करूँगी?” जसवंत अब लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए आरती को चोदते हुए बोला, “बहनचोद साली… शादी शुदा हुई तो क्या हुआ, तू मेरी रखैल है। आज के बाद मैं जब चाहूँगा तुझे चोदूँगा। तुझे चाहिए तो मैं पैसे भी दूँगा और तेरे हिजड़े पति ने घर से निकाल दिया तो तुझे और तेरी बेटी को मैं सहारा दूँगा। तू हमेशा मेरी दासी बनके रहेगी और मेरा लंड तेरे नंगे बदन का मालिक होगा… यह याद रख।”

आरती जसवंत के मुँह से इतनी गंदी बात सुनके और भी मस्ती से चुदवाने लगी। उसे अच्छा लगा जब जसवंत ने उसे रखैल बनाने की बात की तो। वो जसवंत को चूमते हुए बोली, “हाँ जसवंत मैं तेरे राजपुताना लौड़े की रंडी हूँ, अब तू जब चाहे मुझे बुला और मै आके तेरे इस लंड की दासी बनके तुझसे चुदवाउँगी। रही बात मेरे पति की तो उसे मेरी इन हरकतों के बारे में कुछ पता नहीं… इसलिए तू उसके बारे में कोई चिंता मत कर। और ज़ोर से चोद मुझे… मेरे जसवंत राजा… पर एक बात याद रखना… मैं बहुत चुदास औरत हूँ और सिर्फ एक लंड के सहारे नहीं रह सकती… मैं तेरी रंडी बनूँगी पर जिससे भी चाहूँगी चुदवाउँगी।”

अब दोनों जिस्म घमसान चुदाई कर रहे थे। आरती की गरम चूत को जसवंत अपने कड़क लंड से बड़ी बेरहमी से चोदते हुए उसके निप्पल चूसके मम्मे मसल रहा था। आरती जसवंत को कसके पकड़ के चूत चुदवा रही थी। जसवंत भी जोश में उसे चोद रह था। जसवंत का लंड आरती की चूत में पूरी गहरायी तक जाके टकरा रहा था। जब जसवंत को एहसास हुआ कि वो झड़ने वाला है तो वो आरती को और कसके पकड़के चोदते हुए बोला, “आआहहह बहन चोदददद… राँडडड… यह ले सालीईईईई… राजपुताना लंड का पानीईईई। कसम से क्याआआआ… चूऊऊऊ…त है तेरीईईई…।” और आरती की चूत में जसवंत का लंड रंडी की तरह चोदते हुए झड़ने लगा। उधर आरती भी झड़ना शुरू हो गयी। कसके जसवंत को बाहों में भरके झड़ते-झड़ते वो वो चिल्लाई, “आआआआहहहह उउउफ्फ्फ्फ मज़ाआआआ आआआ….याआआआ राजाआआआ और घुसाआआ तेराआआ लंड।” जसवंत भी पूरी तरह लंड आरती की चूत में घुसाके झड़ गया और आरती की चूत जसवंत के लंड के पानी से भर गयी। वो दोनों हाँफ़ते- हाँफ़ते एक दूसरे के आगोश में लेट गये।

जसवंत और आरती नंगे ही अपनी कमर सोफे पे टिकाये कारपेट पे बैठ गये। आरती को अच्छी तरह से चोदने के बाद और उसकी चूत अपने लंड-रस से भरने के बाद जसवंत ने अपना लंड और आरती की चूत साफ की। अब आरती को सिर्फ सैंडल पहने हुए नंगे बैठने में थोड़ी शरम आ रही थी और वो अपने कपड़े पहनना चाहती थी पर जसवंत ने उसे एक कतरा भी और पहनने नहीं दिया। फिर आरती भी बेशरम हो गयी और जसवंत अपना सिर आरती कि नंगी जाँघों पे रख के लेट गया। जसवंत उसके निप्पलों पे चुटकी काटते हुए हुए खेलने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा। आरती भी जसवंत के लंड को पकड़ के सहलाने लगी… इसी लंड से उसकी थोड़ी देर पहले शाही चुदाई हुई थी। दोनों ही भूल गये थे कि यह कमरा कॉलेज के प्रिंसिपल का ऑफिस है। इतनी शाम तक स्टूडेंट्स तो चले गये थे पर कर्मचारी विभाग के लोग अभी भी कॉलेज में हो सकते थे। लेकिन प्रिंसिपल होने की वजह से जसवंत को इस बात का डर नहीं था कि कोई उसकी अनुमति के बगैर उसके ऑफिस में आ सकता है।

आरती प्यार से जसवंत के बालों में हाथ घुमाते हुए दूसरे हाथ से जसवंत का लंड सहला रही थी और जसवंत अब मुड़ के आरती की चूत हल्के से किस करते हुए उसके निप्पल से खेल रहा था। आरती को जसवंत का चूत पे किस करना अच्छा लग रह था। एक हाथ से उसका लंड सहलाते और दूसरे हाथ से उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए आरती प्यार से बोली, “जसवंत डार्लिंग अब तो तू मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालेगा ना? देख तूने उसको पनिश नहीं करने की जो प्यारी सज़ा मुझे दी वो मैंने खुशी-खुशी स्वीकार की, अब मेरी बेटी को प्लीज़ पनिश मत करना।” जसवंत आरती की टाँगें फ़ैला के उसकी चूत को किस करते हुए बोला, “मेरी प्यारी रंडी चूत… अब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा पर अभी तेरी सज़ा पूरी नहीं हुई। अभी तेरी गाँड भी मारनी है… तब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा… समझी?”

जसवंत अब उसकी चूत जीभ से चाटने लगा। चूत को चाटते हुए जसवंत आरती की चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा और उसकी चूत का पानी चाटके जब उसने आरती की चूत के दाने को हल्के से चबाया तो आरती उछलते हुए उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ ज…स….वंत यह क्या कर रहे हो? मेरी चूत का दाना ऐसे मत काटो नहीं तो मैं फिर से गरम हो जाऊँगी।” जसवंत उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती चूत… मैं भी यही चाहता हूँ कि तू फिर गरम हो ताकि अब तेरी यह मटकती गाँड मार सकूँ। तेरी बहन की चूत साली… क्या मस्त गाँड है तेरी, ऐसा लगता है लंड हमेशा तेरी गाँड में ही डालके रखूँ।”

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जसवंत फिर आरती की चूत हाथों से फ़ैला के चाटने लगा और आरती उसका लंड मसलने लगी। जसवंत का हाथ अपने मम्मों पे रखते हुए आरती बेशरम होके बोली, “ठीक है, मेरी बेटी कि सज़ा माफ करवाने के लिए मैं तुझसे गाँड मरवाने को तैयार हूँ। जसवंत अगर तूने मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकाला तो मैं तुझे और एक चीज़ दूँगी, लेकिन पहले मुझे यह बता कि मेरी बेटी किससे चुदाती है?”

जसवंत आरती की चूत चाटके और उसे गरम करके उठ के बैठ गया और आरती के दोनों मम्मे खींचते हुए उसे अपनी गोदी में लिटा के बोला “आ इधर लेट जा राँड। देख साली रंडी… अब सौदा करने लगी। हलकट साली… तू अब और क्या चीज़ देगी मुझे… तेरी बेटी की सज़ा माफ़ करवाने की? रही बात तेरी बेटी की तो मेरी रंडी… थोड़ा और सब्र कर, फिर तुझे सब बताऊँगा।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

आरती बेशरम होके जसवंत की जाँघों पे सिर रख के लेट गयी। फिर जसवंत का लंड थोड़ी देर चूस के वो ज़रा-सी ऊपर होके अपने मम्मों के बीच जसवंत का लंड लेके उसे मसलते हुए बोली, “जसवंत और कितना सब्र करूँ? क्यों तड़पा रहे हो मुझे, प्लीज़ बताओ ना पूजा के बारे में।” जसवंत की खुली टाँगों पे लेट के आरती अपने मम्मे उसके लंड से चुदवाने लगी। जसवंत उसकी गाँड थप-थपाते हुए बोला, “आरती तेरी बेटी को २ लड़के चोदते हैं, साली छिनाल बन गयी है तेरी बेटी। मैंने सुना है कि तेरी लड़की उन लड़कों के साथ बहुत चुदवाती है। तुझे बताऊँ वो लड़के तेरी बेटी के साथ क्या करते हैं?” मम्मों से बाहर आये लंड की टोपी चूमते हुए आरती बोली, “क्या बोलते हो जसवंत? मेरी पूजा को २-२ लड़के चोदते हैं? क्या तू सच बोल रहा है? बता मुझे मेरी बेटी को वो लड़के कैसे चोदते हैं।” आरती बेशरम हो के जसवंत से अपनी बेटी की चुदाई के बारे में बात कर रही थी। जसवंत आरती को खड़ी करके बोला, “अभी बताता हूँ कि पूजा कैसे चुदवाती है उन लोगों से। चल अब ज़रा सामने झुक जा कुत्तिया बनके रंडी… ऐसे झुक जैसे कुत्तिया झुकती है कुत्ते के सामने… ठीक है।”

आरती आगे जाके टेबल पे झुक गयी। जसवंत ने जब पीछे से आरती को अपनी हाई हील के सैंडलों में अपनी गाँड मटकाते हुए चलते देखा तो उसका लंड फुफकारने लगा। आरती ने टेबल पे झुक के अपनी गाँड बाहर उघाड़ दी और उसके मम्मे आगे झूल रहे थे। आरती अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड खोलते हुए बोली, “यह ले जसवंत तेरी आरती कुत्तिया बनके झुकी है तेरे सामने। लेकिन यह बता कि तू मेरी गाँड क्यों मारना चाहता है?” जसवंत ने अपना लंड आरती की खुली गाँड के छेद पे रखा और हाथ आगे बढ़ा के उसके झूलते हुए मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को आरती की गाँड पे दबाते हुए बोला, “वाह, तू बड़ी समझदार है रंडी… बिना बोले कुत्तिया बनके गाँड खोलके खड़ी हो गयी। तेरी गाँड इसलिए मारनी है क्योंकि मेरे राजपुताना लंड को तेरी हाई हील सैंडलों में यह टाईट मटकती गाँड भा गयी और मेरा लंड तेरी गाँड की अकड़ निकालने के लिए तड़प रहा है। तुझे नहीं पता तेरी गाँड कितनी लाजवाब है। तेरी चूत, मम्मे, होंठ, गाँड और पूरा जिस्म, सब लाजवाब है। मैं तो इन हाई हील सैंडलों में तेरी चाल देख के ही मर गया था, सोचा कि अगर हो सके तो तेरी गाँड ज़रूर लूँगा… अब देख तेरी गाँड कैसे मारता हूँ छिनाल।”

जसवंत ने फिर आरती की कमर पकड़के अपना लंड आरती के गाँड के छेद पे दबाया। आरती कि साँसें तेज़ हो गयीं और वो धड़कते दिल से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा के जसवंत के लंड के अपनी गाँड में घुसने का इंतज़ार करने लगी। क्योंकि जसवंत का लंड बड़ा तगड़ा था और आरती ने इतने बड़े लौड़े से गाँड नहीं मरवायी थी कभी। लेकिन उसे खुशी भी मिल रही थी क्योंकि उसे ऐसा बड़ा लंड मिल रहा था। हाथ पीछे करके वो जसवंत का लंड पकड़के बोली, “ओहहहह जसवंत इतनी अच्छी लगी मेरी गाँड तुझे? मैं इसिलिए तो हाई हील पहनती हूँ… मुझे पता है कि इनसे मेरी चाल सैक्सी हो जाती है और लोगों का ध्यान मेरी मटकती गाँड की तरफ खिंच जाता है… तुझे मेरी गाँड अच्छी लगी और तूने मेरी गाँड मारने की सोची… तो अब देख मैं तुझसे गाँड मरवाने जा रही हूँ और अब बार-बार तुझसे चुदवाके तुझे पूरा मज़ा दूँगी।”

आरती कि बात सुनके जसवंत खुश हुआ और एक हाथ से आरती की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड आरती की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही जसवंत का लंड आरती की गाँड में घुसा तो आरती दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आआआआआआहहहहहहह ज़अ… सवंतऽऽऽ रह…म खाआआ…. मेरीईईई गाँड गयीईईईई….। बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।” आरती यह भी भूल गयी कि वो कॉलेज में है और कोई उसका चिल्लाना सुन सकता है और वही हुआ। आरती का चिल्लाना तब मंगल ने सुना और आ के दरवाजा नॉक करते हुए बोला, “सर, क्या हुआ? वो पूजा की माँ क्यों चिल्ला रही है? कोई तकलीफ है क्या?” मंगल वैसे एक हरामी मर्द था। कॉलेज की कम्सिन लड़कियों को बड़ा छेड़ता था और कई लड़कियों को चोदा भी था उसने। आज आरती को देख के उसका भी लंड खड़ा हुआ था। उसे यह मालूम था कि जसवंत आरती को चोद रहा था, क्योंकि उसे जसवंत का रंगीन मिजाज़ मालूम था। उसने सोचा कि हो सके कि उसे भी मौका मिले आरती को चोदने का।


मंगल की आवज़ सुनके आरती डर गयी लेकिन जसवंत बिंदास था। मंगल ने दरवाज़ा खटखटाया तो जसवंत ने आरती की गाँड से लंड निकला और नंगा ही, कौन आया है देखने चला गया। गाँड से लंड निकल जाने से आरती को कुछ राहत मिली। आरती वैसे ही नंगी टेबल पकड़ के झुक के खड़ी रही। जसवंत ने नंगे ही दरवाज़ा खोल के मंगल को देखते हे उसे अंदर बुला के दरवाज़ा बँद कर दिया। मंगल ने अंदर आके देखा कि जिस औरत को उसने सज-धज के आते देखा था वो औरत अब सिर्फ सफ़ेद रंग के ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी जसवंत साहब की टेबल पे कुत्तिया जैसे झुकी खड़ी है, उसके बाल थोड़े बिखर गये हैं, बिंदी गायब है और सिंदूर भी माँग में थोड़ा फ़ैल गया है। मंगल समझ गया कि जसवंत साहब आरती की गाँड मार रहे थे और उसी दर्द से आरती चिल्ला रही थी।


आरती मंगल को देख के अपना सीना दोनों हाथों से ढकते हुए बोली, “जसवंत यह क्या है, मंगल को अंदर क्यों बुलाया तूने? प्लीज़ उसे बाहर भेजो, मुझे शरम आ रही है। जसवंत प्लीज़, ऐसे मुझे दूसरों के सामने बे- इज़्ज़त मत करो” आरती खड़े हुए बहुत शरमा रही थी बल्कि शरमाने का नाटक कर रही थी। आरती फिर आँख के इशारों से जसवंत से बोली कि मंगल को बाहर भेज दे। जसवंत ने आरती की बात पर ध्यान ना देते हुए आरती को पीछे से पकड़ कर फिर से झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड पे रख के बोला, “मंगल आजा, देख आज यह नई चूत मिली है, मै आरती की गाँड मारता हूँ… तू इसके मम्मे मसल के साली का मुँह चोद अपने लौड़े से। तू क्या समझती है साली… मैं ऐसा मौका जाने दूँगा? तू मेरी रंडी है तो जिससे चाहूँ तुझे चुदवा दूँगा… छिनाल… तु ही अकड़ के बोल रही थी ना कि एक लंड तेरे लिए बहुत नहीं है… तो ले अब दो लंड एक साथ मिल गये तुझे…। चल मंगल इस रंडी की चूचियाँ मसल।”



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