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मौसी को चोदकर उसके साथ घर बसा लिया - Mausi Ko Chodkar Uske Sath Ghar Basa Liya

मौसी को चोदकर उसके साथ घर बसा लिया
मौसी को चोदकर उसके साथ घर बसा लिया

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Read:- देसी मौसी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी मौसी का पति उसको बहुत मारता था. एक दिन वो मुझसे मेरे पास आने के लिए कहने लगी. मैंने उसकी मदद कैसे की?

कैसे हो प्यारे दोस्तो? मुझे उम्मीद है कि आप लोग सब मजे कर रहे होगे.
आपके इसी मजे को बढ़ाने के लिए आज मैं आपके लिए अपनी एक सेक्स स्टोरी लेकर आया हूं.
यह देसी मौसी सेक्स कहानी मेरी रियल लाइफ स्टोरी है.

मेरा नाम सौरभ है और मैं यूपी के एक छोटे से शहर के एक छोटे गांव का रहने वाला हूं.
बात आज से तीन साल पहले की है. उस वक्त मैं अपनी बी.एस.सी. की पढ़ाई पूरी करके मुंबई आ गया था.

मैंने आईआईटी मुंबई में एम.एस.सी. में एडमिशन ले लिया था.
एडमिशन हो गया था और कुछ दिन के बाद फिर कॉलेज भी शुरू हो गया.

अब एक महीने के बाद मेरा मन यहां मुंबई में भी लगने लगा था.

फिर एक दिन मेरे पास मेरी मौसी डिम्पी का फोन आया- हैलो सौरभ, कैसे हो?
मैं- ठीक हूं मौसी.
मौसी- तुम तो वहां जाकर मुझे भूल ही गए?

मैं- नहीं मौसी, आपसे तो मैं बहुत प्यार करता हूं. आपको कैसे भूल सकता हूं मैं!
डिम्पी थोड़ी सी उदास हो गई क्योंकि उसकी आवाज से मुझे पता लगने लगा.

उससे मैंने पूछा- कुछ बात हुई है क्या मौसी?
वो बोली- हां, तभी तो तुझे याद कर रही थी. तुझसे ही तो शेयर करती हूं मैं अपने दिल की बात. आज तेरे मौसा ने फिर मुझे मारा है.

ये कहते हुए वो रोने लगी.
मैंने उसको किसी तरह से शांत किया.
काफी देर के बाद वो शांत हुई.

दोस्तो, आपके मन में मौसी के बारे में कुछ सवाल आ रहे होंगे कि हम दोनों में इतना अच्छा रिश्ता कैसे है, तो मैं आपको बता दूं कि हम दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता बन गया था और वो एक साल से चल रहा था.

अब आप पहले मेरी मौसी के बारे में जान लें, उसके बाद मैं आगे की कहानी आपको बताऊंगा.

डिम्पी मौसी एक 32 साल की शादीशुदा औरत है. उसके 2 बच्चे हैं. एक 9 साल का बेटा और एक 6 साल की बेटी.

वो मेरे नाना के छोटे भाई की बेटी यानि कि मेरी मौसी है लेकिन सगी नहीं है.

पिछले 1 साल से हमारा शारीरिक संबंध चल रहा था।
मैंने बहुत बार मौसी को चोदा था.

वो देखने में पतली और गोरी है. कुल मिलाकर ज्यादा हूर की परी तो नहीं लेकिन सेक्सी बदन की मालकिन है और उसको चोदने के लिए कोई भी तैयार हो जाये.

अब कहानी को आगे बढ़ाते हैं!

डिम्पी फोन पर सिसकते हुए बोली- सौरभ, तुम मुझे भी कुछ दिनों के लिए मुंबई ले जाओ, मैं यहां नहीं रहना चाहती.
मैं बोला- ठीक है, मैं कुछ इंतजाम करता हूं. उसके बाद आप चली आना.
इतना कहकर मैंने फ़ोन रख दिया।

डिम्पी एक बहुत ही सीधी सादी औरत थी. मगर उसका पति यानि मेरा मौसा अजय बहुत शराब पीता था और डिम्पी की देखभाल भी ठीक से नहीं कर सकता था।

अब मैं डिम्पी को मुंबई लाने के बारे में सोचने लगा।
सच्ची बताऊं तो मुझे उससे प्यार हो गया था। मैं उसकी चूत का दीवाना हो गया था।

उसकी चूत में एक नशा सा था. अब मुम्बई में किसी औरत को लाने के लिए आप भी सोच सकते हो कि उसे घर भी चाहिए और उसके खर्चे का हिसाब भी फिर अलग रह जाता है.
ऊपर से उसके दो दो बच्चे भी थे.

मैं आप लोगों को बता दूं कि मेरे पिता की मृत्यु हो चुकी है और मेरी मां एक टीचर है. वो गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाती है. मेरे पास जितने पैसे थे वो तो मैंने एडमिशन और एक बिजनेस में लगा दिये.

अतिरिक्त कमाई के लिए मैं सूखे मेवों का बिजनेस कर रहा था. मैं अपने भविष्य के लिए कुछ बचत करने की सोच रहा था. इसलिए मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं बचे थे और मैं एक दो बीएचके वाले फ्लैट में रह रहा था, वो भी किराये पर।

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डिम्पी के लिए मैंने और सोचा.
फिर मैंने हाथ पैर मारे और मुझे एक कोचिंग संस्थान में पार्ट टाइम जॉब मिल गयी और अब कमाई इतनी थी कि डिम्पी का खर्चा इससे निकल सकता था.

इस सब में 20-25 दिन लग गये और जब सब कुछ निश्चित हो गया तो फिर मैंने डिम्पी को फोन किया और उससे कहा कि मैंने उसके लिये सारा इंतजाम कर लिया है.

ये सुनकर वो काफी खुश हो गयी.
वो कहने लगी कि वो घर से भाग आयेगी.

ये सुनकर मैं एक बार तो घबरा गया लेकिन मैं भी उससे प्यार करता था. हमारे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.

फिर हमने एक प्लान बनाया कि वो तीन दिन बाद शॉपिंग करने शहर आयेगी और मैं भी उसी दिन पहुंच जाऊंगा. फिर हम दोनों वहां से मुंबई आ जायेंगे.

इस तरह से हमने ये सब किया और मैं तय दिन पर वहां पहुंच गया.
डिम्पी भी आ गयी.

उसने रेड कलर की साड़ी पहनी हुई थी जो काफी हद तक पारदर्शी थी. उसका गोरा पेट और झीने से ब्लाउज में उसकी काली ब्रा साफ पता लग रही थी.
देखने में जैसे कोई रंडी लग रही थी मगर हाई क्लास … होंठों पर पूरी गहरी लाल लिपस्टिक लगाई हुई थी उसने.

मेरा मन तो कर रहा था कि उसको वहीं किसी कोने में दबोच लूं और पकड़ कर चोद दूं.
मगर ऐसा कुछ वहां पर हो नहीं सकता था क्योंकि उसके दोनों बच्चे भी साथ थे.

वो भी मेरी आंखों में देख रही थी और उसको हवस साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.

उसका बेटा सोनू काफी बड़ा हो चुका था. वो सब समझने लगा था.
मैंने कई बार डिम्पी की चुदाई उसके घर में ही की थी और सोनू इस बात को जानता था इसलिए कोई परेशानी वाली बात नहीं थी.

फिर मैं डिम्पी और बच्चों को चाट खिलाने ले गया. वहीं पीछे एक टॉयलेट था। मैंने बच्चो को वहीं चाट खाने को बोला और मैं डिम्पी को लेकर टॉयलेट में घुस गया.

अंदर जाते ही मैंने सीधे उसका साया उठाया और उसकी पैंटी उतरवाकर अपना 8 इंच का लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और ज़ोर से धक्के देने लगा.
उसके मुंह से चीख निकल ही रही थी कि मैंने उसके मुंह में रुमाल ठूंस दिया.

मेरे ऊपर तो जैसे चोदने का भूत सवार हो गया था. मैं उसको कस कर चोद देना चाहता था और उसकी चूत में अपने लौड़े के गहरे धक्के लगा रहा था. मेरे हर धक्के के साथ उसके चूतड़ जोर से दीवार से टकरा जाते थे.

बहुत दिनों के बाद मौसी की चूत मिली थी और वो भी ऐसे माहौल में.
पब्लिक प्लेस में चुदाई छुपकर करने का भी अपना ही एक रोमांच होता है; ये मैंने उस दिन जाना था.

दस मिनट की अन्धाधुन्ध चुदाई के बाद मैंने अपना माल छोड़ा. तब तक तो वो दो बार झड़ चुकी थी।

फिर हम दोनों ने अपने कपड़े सही किये और बच्चों के पास आ गये.
तब तक बच्चों ने भी चाट खत्म कर लिया था.

मैंने बिल पे किया और वहां से बाहर निकला.

फिर मैंने एक स्कार्पियो गाड़ी बुक की और वहाँ से उसे दूसरे शहर लाया ताकि कोई अगर डिम्पी को खोजे भी तो कोई प्रॉब्लम न हो।

जब हम पहुंचे तब तक शाम के 7 बज चुके थे. एक घंटे बाद हमारी ट्रेन थी। मैंने सेकेण्ड क्लास एसी की सीट बुक की थी. चारों सीट एक ही केबिन में मिल गयी थी.

हम ट्रेन में चढ़े और फिर गाड़ी चल दी. हम हल्की फुल्की बातें करने लगे. मैं और डिम्पी एक ही सीट पर चिपक कर बैठे थे और मेरा हाथ डिम्पी की गांड को सहला रहा था और बच्चे दूसरी सीट पर बैठे थे.

डिम्पी को थोड़ा असहज महसूस हो रहा था.
उसने मुझसे कहा- पहले बच्चों को सोने दो, फिर मुझे चोद लेना।

फिर हमने खाना खाया और फिर दोनों बच्चों को नीचे वाली सीट में सुला दिया और हम ऊपर वाली सीट पर सो गए.

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करीब 11 बजे लगभग सभी यात्री सो गए थे. बच्चे भी सो गए थे और सभी लाइटें ऑफ थीं.

मैं चुपके से डिम्पी की सीट पर चढ़ गया.
उसकी भी आँख लग चुकी थी. मैंने उसे किस करना चालू कर दिया.
फिर उसकी नींद खुली और फिर वो भी मुझे किस करने लगी.

बहुत देर तक हम लोगों का रोमांस चलता रहा. हम दोनों एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. चूम रहे थे. अपने प्यार का इजहार कर रहे थे. शब्दों से भी और होंठों से भी.

उसके बाद मैंने उसके ब्लाउज और पेटीकोट को खोल दिया. अब वो सिर्फ ब्रा में थी. दोस्तो, मैंने उसकी पैंटी दिन में ही टॉयलेट में खोल दी थी. उसको उसने अपने कपड़ों में रख लिया था.

अब मैंने उसकी ब्रा को खोला और उसका दूध पीने लगा.
दोस्तो, उसके स्तनों से ऐसा स्वाद आ रहा था जैसे कि उसका दूध निकल रहा था और मैं बच्चे की तरह उसका दूध पीने लगा.

वो मेरे सिर को सहलाने लगी. उस समय मैं स्वर्ग सुख की अनुभूति कर रहा था।

फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा. वो पागल सी हो गई. जैसे ही मेरा मुंह उसकी चूत में गया तो वो मेरे बालों को मस्ती में आकर सहलाने लगी.

उसकी चूत बार बार ऊपर उठकर आ रही थी. मेरी जीभ पूरी की पूरी उसकी चूत में गहराई तक चाट कर आ रही थी. शायद इतनी उत्तेजना को वो संभाल नहीं पा रही थी.

कुछ देर की चूत चटाई के बाद उसने अपनी चूत का जूस मेरे मुंह में छोड़ दिया. फिर मैंने उसकी चूत में लंड रखा और आधा अंदर घुसा दिया. फिर उसको किस करने लगा.

धीरे धीरे मेरी गांड हिलने लगी और लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा.
बहुत ही कामुक अहसास था; अपने सपनों की रानी की मैं ट्रेन में चुदाई कर रहा था.

ट्रेन में चुदाई का ये मेरा पहला अनुभव था. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

धीरे धीरे चोदते हुए पूरा लंड मैंने मौसी की चूत में ठूंस दिया. उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर मैं चोदता रहा.

फिर उसे मज़ा आने लगा और वो मुझे मंद आवाज़ में सिसकारते हुए बोलने लगी- सौरभ … ई लव यू … आह्ह … इस्स … आह्ह … मुझे प्यार करो … आह्ह … ओईई … आह्ह … म्मम … ओह्ह … चोदते रहो जान … चोदते रहो मुझे.

हमारी चुदाई लगभग 1 घंटे चली. फिर मैं उसकी चूत में दो बार झड़कर उसके साथ ही सो गया।
मेरी नींद 3 बजे सुबह खुली और मैं अपनी सीट पर आकर सो गया।

फिर हम मुम्बई दोपहर 2 बजे पहुंच गए।

दोस्तो, डिम्पी को भागने में कोई प्रॉब्लम भी नहीं हुई क्योंकि उसका पति बहुत बड़ा शराबी था.
अपने घरवालों को डिम्पी ने पहले ही समझा दिया था.

चूंकि मौसी अपने ससुराल में दुखी थी और वो भी चाहते थे कि डिम्पी अपने बच्चों के साथ अलग रहने लगे इसलिए डिम्पी का ये कदम उसके मायके वालों को भी स्वीकार था.

मगर उसके मायके वालों यानि कि मेरे छोटे नाना के परिवार को ये नहीं पता था कि मौसी और मेरी चुदाई का कुछ सीन है.
उनके लिए हम दोनों नॉर्मल ही थे. उन्हें लगता था कि डिम्पी मेरे पास सुरक्षित रहेगी.

हम लोग मुंबई आकर रहने लगे. अब मेरे पास जैसे पूरा परिवार हो गया था. मौसी और उसके दो बच्चे आ गये थे घर में। हम सब चारों के चारों बहुत खुश थे.

डिम्पी के बच्चों को भी उसकी मां का मेरे साथ रहने से कोई ऐतराज नहीं था. वो भी इस घर में आकर काफी खुश लग रहे थे.
उसका कारण भी यही था कि उनका बाप घर में रोज उनको शराब पीकर पीटा करता था.
अब वो आजाद थे और खुश थे.

उसके बाद मैंने फ्लैट में आने के बाद किस किस तरह से मौसी की चुदाई की वो सब मैं आपको अपनी आनेवाली कहानियों में बताऊंगा.

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