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पहली बार चूत चुदाई की बेताबी- 1 - Pehli Bar Chut Chudai Ki Betabi - 1

पहली बार चूत चुदाई की बेताबी- 1
पहली बार चूत चुदाई की बेताबी- 1

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Read:- अन्तर्वासना Xxx कहानी पढ़कर मेरे मन में मामी को चोदने के ख्याल आने लगे। हिम्मत करके मैंने मामी के चूचे दबा दिये और ननिहाल में कांड कर दिया।

दोस्तो, मेरा नाम असीम है। मैं इंदौर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 35 साल है।
मुझे बहुत पहले से अश्लील साहित्य पढ़ने का शौक है।
आज बहुत दिनों के बाद मेरी हिम्मत हुई कि मैं भी अपने कुछ अनुभव आप लोगों के साथ शेयर करूं।

मैंने अन्तर्वासना पर न जाने कितनी ही कामुक कहानियां पढ़ी हैं।
दोस्तो, पोर्न फिल्म देखने का अपना मजा है और सेक्स स्टोरी पढ़ने का अपना मजा है।

आप तो जानते ही हैं कि अन्तर्वासना इस क्षेत्र में सबसे पुरानी और अव्वल साइट है। अन्तर्वासना Xxx कहानी पढ़कर मुठ मारे बिना नहीं रहा जाता है।

अब मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा।
यह मेरी पहली कहानी है और उम्मीद करता हूं कि आपको ये पसंद आएगी।
यदि कहीं पर कुछ सुधार चाहते हैं तो बेझिझक आप कमेंट्स में लिख दें।
तो दोस्तो, शुरू करता हूं मेरी पहली कहानी।

ये तब की बात है जब मैं 24 साल का था। अश्लील कहानियां पढ़-पढ़कर, पोर्न देख-देखकर मेरा दिमाग़ दिन रात सिर्फ़ चुदाई के ख्यालों से भरा रहता था।
अब परेशानी ये थी कि आज तक किसी लड़की से बात करने की हिम्मत नहीं हुई थी मेरी … लड़की की चुदाई की बात तो बहुत ही दूर थी।

फिर एक दिन एक कहानी पढ़ी जिसके लेखक का नाम तो मैं भूल गया हूं मगर जिसमें उसने लिखा था कि कैसे उसने उसकी मामी की चूत का चबूतरा बना दिया।

इत्तेफ़ाक़ से उस दिन मैं अपनी नानी के घर ही रुका हुआ था।
उनका घर हमारे घर से ज्यादा दूर भी नहीं है। उनका घर दो मंज़िल का था।
नीचे नाना-नानी और बड़े मामा-मामी रहते थे और ऊपर वाली मंजिल में मंझले मामा-मामी रहते थे।

अब जो हमारी मंझली मामी थी वो कॉलेज में बहुत चर्चित थी। मुझे लगा शायद उन्हीं चीजों के लिए वो मशहूर थी जो लड़कों को चाहिए होती है।
चूंकि कहानी पढ़ने की वजह से मैं काफी गर्म हो गया था इसलिए मामी की चूत चोदने के ख्य़ाल आना तो लाज़मी था।

मैंने कभी उनसे ज्यादा बात नहीं की थी। पर मैंने सोचा कि चलो आज किस्मत आज़मायी जाए।
मैं उनके पास चला गया।

मुझे पता था कि मामा उस वक्त घर में नहीं थे। ऊपर जाकर देखा तो वो सफ़ाई कर रही थीं।

मुझे देख कर पूछने लगीं कि आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया?
उनके माथे से बहता पसीना उनके गले से नीचे तक जा रहा था।
मैं बस वही देख रहा था। उनकी बात पर ध्यान भी नहीं दिया मैंने।

उन्होंने फिर से पूछा- ओ रंगीले, आज इधर कैसे?
मैंने हड़बड़ाहट में कह दिया- टीवी देखने आया हूं।
वो मुस्कराकर बोली- जा बेडरूम में देख ले, वहां है।

मैं अंदर गया और जाकर टीवी चालू की और एक बेकार सी फ़िल्म देखने लगा।
थोड़ी देर में वह बेडरूम में झाड़ू लेकर आ गई।

झाड़ू लगाते वक़्त वो झुकी हुई थी। उनकी वक्ष रेखा उनके कुर्ते का गला बड़ा होने के कारण अंदर तक दिख रही थी।

मैंने अपने जीवन में अब तक की सारी हिम्मत जमा की और कुछ कहे बग़ैर उनके बड़े बड़े मम्में दबा दिए।
वो एकदम से चिल्लाई- आह्ह!!

मैं समझ सकता था कि इस तरह के अचानक हमले के लिए शायद कोई भी लड़की या औरत तैयार नहीं हो सकती थी।
मगर मैं सेक्स करने की आग में जल रहा था; मैंने किसी बात की परवाह नहीं की।

मैं फिर से मामी के मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा। मैंने जीवन में पहली बार किसी महिला के बूब्स दबाए थे।
बूब्स इतने नर्म और गदरीले होते हैं मुझे ये उस दिन पहली बार पता चला था।

मगर मेरा ये कामुक अहसास ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया क्योंकि मामी ने मुझे झाड़ू से मारना शुरू कर दिया।
वो गाली देते हुए मुझे पीटने लगी- भड़वे, हरामी! अपनी मामी पर ही हाथ डाल रहा है, मैं तेरी हड्डियां तोड़ डालूंगी!

एक बहुत ज़ोर का झाड़ू का वार मेरे सिर पर पड़ा तो मैं वहां से मौका देख कर भाग लिया।
उन्होंने मुझे झाड़ू फेंककर मारने की भी कोशिश की मगर मैं किसी तरह से बचते हुए भाग निकला।

अब मेरी गांड फटी हुई थी और मैं नानी के घर में नहीं रुक सकता था।
मैं उसी दिन वहां से चला आया।

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दूसरे दिन मुझे पता था कि हंगामा होने वाला है।

मां को नानी का फोन आया जिसमें उन्होंने मां को फौरन बुलाया था।
इससे मैं समझ गया कि बात अब हाथ से निकल गयी है।

वो मुझसे पूछने लगी- क्या किया तूने?
मैंने बहाना बना दिया- कुछ भी नहीं किया मैंने तो। बस वहां दिल नहीं लग रहा था इसलिए वापस आ गया।

मैं समझ गया था कि अब मेरा वारंट निकलने वाला है।
मम्मी ने कहा- चल मुझे छोड़कर आ वहां!
मैंने कह दिया- मुझे मेरे दोस्त के पास जाना है, तुम्हें बस स्टॉप तक छोड़ देता हूं।

वो तैयार हो गई और फ़िर मेरे दिमाग़ में घर छोड़कर भागने का ख्याल दौड़ने लगा।
उन्हें बस स्टॉप पर छोड़ कर दोस्तों से मैंने कुछ रुपए उधार लिए और फिर फरार हो गया।

किसी दूसरे शहर में 3-4 दिन गुजारने के बाद मैंने सोचा कि मामला ठंडा हो गया होगा।

फिर भी दिल की तसल्ली के लिए इंटरनेट पर अपने शहर का न्यूज़ पेपर ढूंढकर पढ़ने लगा कि कुछ खबर आए मेरे बारे में।

आखिरकार 8-10 दिन बाद ख़बर आई।
उसमें मां और पिताजी की अपील थी कि घर आ जाओ, कोई कुछ भी सवाल नहीं करेगा।

मैं वापस घर आ गया। मैं भी यही चाहता था कि वो लोग मेरे घर पर जाने पर मेरी धुलाई न करें।

2-3 हफ़्ते गुजरने के बाद मैंने सोचा कि पता तो चले कि मेरे पीछे आख़िर हुआ क्या?

उसके लिए मैंने बड़े भाई से पूछा तो उन्होंने बताया- नाना-नानी के वहां से मां ने हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया है। उन्हें यकीन नहीं था कि तूने ऐसा किया है इसलिए उनसे लड़कर आ गई थी माँ। जब तुझे घर पर नहीं देखा तो वो समझ गई कि तूने सच में वैसा ही किया होगा।

मैं- वैसा? वैसा कैसा किया होगा?
भाई बोला- साले कमीने, हाथ डालने के लिए भी तुझे मामी ही मिली थी? वो कॉलेज में 3 लड़कों को इसी वजह से निकलवा चुकी है।

अब धीरे धीरे मुझे समझ आ गया कि क्या गलती की थी मैंने!
लगभग पूरे ननिहाल में मैं बदनाम हो चुका था और मेरे साथ मेरी मामी भी, जिनकी कोई गलती नहीं थी।

लोगों को भी ऐसी बातों में मज़ा ज़्यादा आता है। चटखारे लेकर सुनाते हैं और उस पर फिर मिर्च-मसाला अलग।

फिर कुछ दिनों के बाद मेरे फोन पर एक नये नंबर से मिसकॉल आयी।

मैंने पहले तो इग्नोर किया लेकिन जब 2-3 बार हुआ तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी।

मैंने पता करने की कोशिश की कि नंबर किसका है। वो नंबर मां के मोबाइल में लिखा तो पता चला कि मेरे नाना के बड़े भाई के बड़े बेटे की लड़की का नंबर था।

उसका नाम रंजीता था। उम्र उसकी 20 साल थी। अब क्योंकि मैं दूध का जला था, इसलिए कोई भी विचार मन में लाने से पहले थोड़ी जानकारी जमा की।

उसे देखा हुआ था मैंने और जानता तो पहले से था।
मन में वासना जो पहले कहीं छुपी थी और सारे लफड़ों की वजह से शांत हो गई थी, फ़िर से हिलौरें मारने लगी।

मगर अबकी बार परेशानी ये थी कि नानी के घर जा नहीं सकता था और मां ने मेरी वजह से रिश्ता तोड़ रखा था।
ये सब मैं अभी से सोचने लगा था।

फिर सोचा कि एक बार बात तो करके देखूं!

सारी हिम्मत इकट्ठा करके मैंने फोन लगाया।
उसने उठाया नहीं तो मैं समझ गया।

20-25 मिनट बाद ‘हाय’ वाला मैसेज आया।
अब मैं चैट की बात बताकर आपका टाइम खराब नहीं करूंगा।
सीधे काम की बात पर चलते हैं।

मेरी बदनामी ने मेरे लिए चूत का इंतज़ाम कर दिया था, वो भी एक कुंवारी चूत।
मगर समस्या अब नानी के साथ सम्बन्ध सुधारने की थी।

थोड़ा सा रूआंसा मुंह लेकर मैं मां के पास गया और फिर पहले उनसे माफ़ी मांगी।
थोड़ा रोने धोने की नौटंकी भी की।
वो भी मेरे साथ रोने लगीं।

फ़िर मैंने कहा कि मैं सबसे माफ़ी मांगने के लिए तैयार हूं।

2-3 दिन मम्मी को पापा को भी समझाने में लग गये।

आखिर में मेरे घर में सबने माफी मांगने की बात स्वीकार कर ली।
फिर एक दिन मैं नानी के घर गया; मामा और मामी से माफी मांगी।

मैंने कहा- जवानी में गलती हो गयी, बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ।

मेरी नौटंकी पर विश्वास करने के बाद उन्होंने मेरी गलती को माफ तो कर दिया मगर साथ ही एक शर्त भी रख दी।
उन्होंने कहा- मुझे छोड़कर बाकी सब लोग पहले की तरह नानी के घर आ-जा सकते हैं।

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शुरू में तो लगा कि यहां मेरा दांव फेल हुआ, मगर हुआ ठीक उसका उल्टा।
अब रंजीता और मेरी बात होती रही।
उसके बूब्स के नाप से लेकर उसके आधार कार्ड का नंबर तक मुझे याद हो चुका था।

एक दिन मेरी मां और बड़े भाई तथा भाभी सब नानी के घर दावत के लिए गए।
मैं घर पर अकेला रहने वाला था।
मैंने और रंजीता ने प्लान बना लिया।

उसने घर पर सहेली के घर जाने का बहाना बना दिया।

फिर मैं सीधा रंजीता को उसके घर के पास लेने चला गया।

वो पीले रंग की कुर्ती और सफेद सलवार में थी। उसे पता था कि पीला मेरा पसंदीदा रंग है।

उसको बाइक पर बिठाने से पहले मैं उसके मम्में सड़क पर खड़े हुए ही दबाने लगा क्योंकि मेरे और उसके चेहरे पर रुमाल बंधा था इसलिए पहचाने जाने का कोई डर नहीं था।

मज़े की बात ये थी कि वो भी बीच सड़क पर होने के बावजूद मेरा हाथ अपने बूब्स से नहीं हटा रही थी।
थोड़ी देर में जब उसे लगा कि वो अपना कंट्रोल खो देगी तो उसने मुझे रोका।

फिर मैंने उसे गाड़ी पर बिठाया और घर से थोड़ी दूर पहले ही उतार दिया।
उसे मैंने पीछे के दरवाज़े से बिना खटखटाए सीधा अंदर आने को कहा।

घर पर आया तो देखा पापा घर पर ही थे।
मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी। सारे अरमानों पर पानी फिर गया था।

मैंने भी सोच लिया था कि आज इतने दिनों के बाद पहली बार चूत मिलने जा रही है तो मैं आज पीछे नहीं हटने वाला।

उन्होंने मुझे किचन में जाकर खाना खाने के लिए कहा।
घर का पिछला दरवाज़ा किचन के करीब ही खुलता है।

रंजीता चेहरे पर रूमाल बांधे हुए थी इसलिए पहचाने जाने का डर नहीं था।
उसके दरवाज़ा खोलने से पहले ही मैं दरवाजे पर आ गया।
उंगली से मैंने उसे खामोश रहने का इशारा किया उसे और अंदर लेकर सीधे किचन में ले गया।

वहां जाते ही उसने मेरे लन्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
वो पहले से ही तना हुआ था।
उसने धीरे से मेरे कान में कहा- आज तो इसकी लॉटरी लग गयी।

मैंने किसी तरह अपनी हंसी काबू में की और उसका रूमाल हटाया और उसे किस करने के लिए आगे बढा़।

इससे पहले कि उसे किस करता मेरे हाथ पैर कांप रहे थे और उसके भी!
उसकी छाती मेरी छाती से सटी हुई थी।

तभी उसने मेरा लन्ड छोड़कर अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ उसके चेहरे से हटा दिए।

वो आंखें मींचे मेरे सामने खड़ी थी।

फिर उसके दोनों हाथ अपने एक हाथ में लेकर मैंने उसकी ठुड्डी ऊपर करके उसका चेहरा अपनी आंखों के सामने ऊपर किया।

अब उसने धीरे से हिम्मत करके अपनी आंखें खोलीं। फिर मुझे देखकर मुस्कराई।

इस पल में मैं उलझ गया था। मेरी वासना अब कैसे प्यार में बदल गई थी मैं सोच नहीं पा रहा था।
मैं सब कुछ भूलकर बस उसे कसकर सीने से लगाए खड़ा था।
दिल कर रहा था कि बस वक्त हमेशा के लिए यहीं थम जाए।

तभी पापा के पैरों की आहट सुनाई दी।
उसे मैंने फौरन दरवाज़े के पीछे कर दिया।

पापा ने आकर कहा- खाना खाकर फ्रिज में रख देना। मैं दुकान पर जा रहा हूं। वहीं से तेरी नानी के घर चला जाऊंगा। रात का खाना बाहर से लेकर कुछ खा लेना। अपना और घर का ध्यान रखना।
मैंने जवाब में कहा- ठीक है पापा!

जैसे ही वो घर से निकले मैंने जाकर पहले दरवाज़ा अंदर से बन्द किया और वापस उसके पास किचन में आ गया।

अब उसकी शर्म और झिझक थोड़ी कम हुई।
मैं भी अब थोड़ा बेसब्र सा हो रहा था क्योंकि अब घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था।


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