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जेठजी संग मस्ती भरी सुहागरात- 2 - Jethji Sang Masti Bhari Suhagrat - 2

जेठजी संग मस्ती भरी सुहागरात- 2
जेठजी संग मस्ती भरी सुहागरात- 2

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Read:- जेठ बहू की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं सेक्स के लिए अपने जेठ से सेट हो गयी. एक दिन हमें चुदाई का मौक़ा मिला तो जेठ जी ने मुझे दुल्हन बनने को कहा.

यारो … मैं प्रिया अपनी सेक्स कहानी में आपको अपने जेठ जी के साथ चुदाई की कहानी में सुना रही थी.
जेठ बहू की चुदाई कहानी के पहले भाग

मैं सेक्स के लिए अपने जेठ से सेट हो गयी

में आपने पढ़ा कि कि जेठ जी मुझे गेस्टरूम में जाकर सुहागरात के लिए तैयार होने की कह कर अन्दर चले गए थे.

अब आगे जेठ बहू की चुदाई कहानी:

गेस्टरूम में जाकर मैं दरवाजा लॉक करके तैयार होने लगी. पहले मैं अच्छे से नहा कर आई और फिर अपने शादी का लाल रंग का लहंगा निकाला, मैचिंग का बैकलेस लाल ब्लाउज़ लिया और अपने सारे गहने निकाल कर तैयार होने लगी.

मैंने सारे कपड़े पहने, अपने सारे गहने पहने और अपने खुले बालों को संवार कर हल्का सा मेकअप किया, होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई. माथे पर सुहाग की बिंदिया भी लगायी.

पूरी तरह से दुल्हन जैसी सजने के बाद मैंने अपने आपको शीशे में देखा तो वाकयी मैं किसी हूर से कम नहीं लग रही थी.

जब मैं तैयार हो गई, तो मैंने अपने जेठ जी को फोन किया.
इस पर वो बोले- मैं छत पर हूँ, तुम बेडरूम में जाकर मेरा इंतजार करो. मैं दस मिनट से आता हूँ.

मैं गेस्टरूम से निकल कर बेडरूम की तरफ चल दी.

मैंने जैसे ही बेडरूम का दरवाजा खोला तो रूम को देखकर मैं दंग रह गई क्योंकि रूम पूरी तरह से फूलों से सजा था.
बेड को तो सुहागरात की सेज की तरह सजाया हुआ था.

तभी मुझे फोन आया- कैसा लगा?
मैं बोली- मैं नहीं जानती थी कि आप इतने रोमांटिक हो … चलिये अब जल्दी आ जाइए.

मैं बेड पर जाकर इस तरह बैठी कि जैसे कोई नई नवेली दुल्हन बैठी हो. मैंने अपनी चुनरी से घूंघट ले लिया.

जेठ जी कमरे में आए, उन्होंने मुझे दुल्हन सा बैठा देखा तो मेरे पास बेड पर आ गए.

उन्होंने कहा- मैंने कभी सोचा ही ना था कि पहली बार में मैं इस तरह तुम्हारे साथ मिलूंगा.

मैं एकदम शांत थी. उन्होंने मेरा घूंघट उठाया, तो मैं शर्मा गई और अपने चेहरे को झुका कर छिपा लिया.
इस पर वह बोले- मैं इस चेहरे को देखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं.

जेठ जी ने मेरे हाथों को मेरे चेहरे से अलग कर दिया.
मैं एक कातिलाना मुस्कान से उनकी ओर देख रही थी.

उन्होंने मेरे हाथों को दोनों हाथों को एक साथ लेकर चूमा और कहा- आज मैं वाकयी बहुत खुशनसीब हूं कि आज तुम मेरे साथ हो. मैंने कभी जिसके बारे में सोचा तक ना था, वो मेरी अंकशायिनी बन रही है.

ये कह कर जेठ जी आगे बढ़े और उन्होंने मेरे होंठों पर हल्का सा चूम लिया.
मैं शर्मा गई और मैंने अपने आपको उनके हवाले कर दिया.

उन्होंने मेरी चुनरी को मेरे सर से नीचे गिरा दिया और मेरे बालों को हाथ लगाते हुए बोले कि इस रूप में आज तक मैंने तुम्हें अपने इतने करीब नहीं देखा.

मैंने उनके हाथों को बालों से अलग किया.
उन्होंने अपने हाथों को मेरे पैरों की उंगलियों पर रख दिए और सहलाने लगे.
मैं बस शर्मा रही थी.

वो मेरे गोद में सर रखकर लेट गए और हम दोनों बात करने लगे. बीच बीच में वो मेरे चेहरे को, तो कभी बालों को, तो कभी मेरे मम्मों पर हाथ फेर देते और मैं अदा के साथ उनके सामने शर्मा जाती.

फिर वो उठे और बोले- मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं.
उन्होंने मुझे भी बेड से नीचे उतरने के लिए कहा.

मैं उतरने लगी तो जेठ जी ने उतरने में मेरी मदद की.
वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे कमरे में लगे दर्पण के सामने ले गए.

जेठ जी ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और मेरे पीछे खड़े हो गए. पीछे से मेरे हाथों पर हाथ रखकर सहलाने लगे.

मैं बोली- जान … आज की मेरी मुँह दिखाई कहां है?
इस पर वो बोले- कुछ देर में वो भी तुम्हें दे दूंगा, जो कि तुम्हें जीवन भर याद रहेगा. तुम उस उपहार को कभी नहीं भूल पाओगी.
उन्होंने आईने की तरफ देखकर कहा.
मैं भी आईने की तरफ से उन्हें देख रही थी.

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जेठ जी ने कहा- आखिर मैं इस चेहरे को इतना प्यार करता हूं, इसके लिए मैं सारी मर्यादा भूल चुका हूँ. आज इस रूपवती को मैं एक ऐसी गिफ्ट दूंगा जो तुम्हारे साथ जीवन भर रहेगी.

उन्होंने मेरे बालों को छितरा दिया और हाथों से बालों को आगे की ओर करके मेरी गर्दन पर किस करना चालू कर दिया.
मैं तो उनकी उनके इस किस करने के तरीके से एकदम से मचल गई और अपने हाथों को उनके हाथों से अलग करने लगी.
लेकिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा ही मजबूत थी. मैं जेठ जी से खुद को छुटा ही ना पाई.

इस प्रकार हमारी किस से शुरुआत हुई. उन्होंने आगे बढ़ते हुए मेरे बैकलेस ब्लाउज को अपने होंठों से छुआ.
मेरी पीठ एकदम नंगी थी.

जेठ जी ने मेरी नंगी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया. अभी भी वे मेरी पीठ पर किस करना चालू किए हुए थे और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को भी पकड़े हुए थे.

हमारे किस का सिलसिला कुछ समय लेते हुए चल रहा था.
वे और नीचे आ गए. जेठ जी ने अब मेरी कमर पर भी किस करना चालू कर दिया.

मेरी तो चूत में पानी आना चालू हो गया था. मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था और सहा भी नहीं जा रहा था.
तभी वह ऊपर की ओर हुए और उन्होंने मुझे अपनी ओर घुमा लिया.

मेरे बालों को पीछे करते हुए मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.
जेठ जी की इस अदा से मैं उन पर फिदा हो गई.

कुछ समय बाद वह और नीचे आ गए.
ब्लाउज के ऊपर से मेरे मम्मों पर किस किया … तो मैं गनगना उठी.

फिर जेठ जी ने मेरी कमर पर सर रखकर कुछ देर आराम किया और एक-दो किस भी की.

फिर जेठ जी मेरे चेहरे की ओर बढ़े.
उन्होंने मेरे चेहरे पर किस करते हुए मेरे माथे, आंखों और मेरे होंठों पर भी किस किए.

मैं तो बस उनकी ओर देख रही थी कि कितना शांत किस्म का मर्द है ये आदमी … और कोई होता तो अब तक झपट्टा मारकर मेरे जिस्म को नौंचने लगता.

जेठ जी की इसी अदा पर मुझे उन पर प्यार आने लगा था. इतना प्यार तो मेरे पति ने भी मेरी सुहागरात पर नहीं किया था.

अब उन्होंने मेरे सारे गहने वहीं उतारना चालू कर दिए और एक एक गहने को उतार कर उस जगह को किस करते.

फिर जेठ जी मेरे आगे हुए और मुझे अपनी गोदी में उठा कर बेड की ओर ले गए.
जब जेठ जी ने मुझे अपनी गोदी में उठाया तो मैं शर्मा गई.

मैंने अपने दोनों हाथ हवा में कर दिए थे जो हवा में लहरा रहे थे.
हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी रहे थे, आंखों ही आंखों में बातें हो रही थीं.

मुझे लेकर जेठ जी ने मुझे बेड पर डाल दिया. बेड पर गिरते ही मैं घूम गई और मेरी पीठ उनकी ओर करके मैं मुस्कुराने लगी.

मैं उनकी ओर देखने लगी और उन्हें आंखों से इशारा दिया कि आइए आपकी प्रिया आपका इंतजार कर रही है, मना लीजिए सुहागरात अपनी प्यारी प्रिया के साथ, जिसका कि हम दोनों को कब से इंतजार था.

वह तुरंत ऊपर से मेरे पीठ पर आ गए. मेरे बालों को एक साइड करके उन्होंने मेरे बैकलेस ब्लाउज की डोरी को पीछे से खोल दिया.
मैंने अपनी नजर सामने की ओर कर ली.

जेठ जी मेरी पूरी पीठ पर हाथ को घुमाते सहलाते हुए नीचे ले गए.
वो मेरी कमर को सहला रहे थे और फिर वो मेरे लहंगे के ऊपर से मेरे से मेरे पैर की ओर आने लगे थे.
जेठ जी मेरे लहंगे को मेरे घुटने तक लाने लगे.

मैंने लहंगे के अन्दर कुछ नहीं पहना था तो मुझे अब शर्म आ रही थी. इसलिए मैं जल्दी से पलट गई और अपनी बांहें फैला दीं.
वो जल्दी से मेरे ऊपर आ गए और उन्होंने सीधे मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.

हम दोनों के बीच स्मूच चालू हो गया.
कब मेरी और उनकी जीभ आपस में मिल गईं, इस बात का पता ही नहीं चला.

हम दोनों कब एक दूसरे के ऊपर नीचे होते रहे, कोई होश ही नहीं था.
इस दौरान हमारा स्मूच बदस्तूर चलता रहा. उनके हाथों से मेरी पीठ, चेहरे और मेरे मम्मों को दबाना चलता ही रहा.

काफी समय बाद हम अलग हुए.
मैंने देखा कि उनके चेहरे पर मेरी लिपस्टिक लगी थी.
मैं मुस्कुरा रही थी.

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जेठ जी ने अब मेरे ब्लाउज को मेरे हाथों से अलग कर दिया.
मैं अपने मम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें छुपा रही थी क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी.

अब वो नीचे आ गए और मेरे लहंगे को नीचे से खींचकर अलग कर दिया.
मैं एक हाथ से अपने मम्मों को ढके थी और एक हाथ से नीचे अपनी चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

जेठ जी बेड से नीचे उतरे और उन्होंने जल्द ही अपने सारे कपड़े भी उतार दिए.

वो मेरे पास आए और मेरे सारे शरीर को फिर से किस करने लगे. वो मुझे पलटाकर भी किस कर रहे थे.
मेरे बाल पूरे बिखर चुके थे.
हम दोनों एक दूसरे के शरीर की गर्मी का अहसास कर रहे थे.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मैंने कहा कि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा … आप डाल दीजिए.
इस पर जेठ जी ने जल्दी से मेरी टांगों को फैलाया और बीच में आ गए.

जेठ जी मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे.
वो मेरे दोनों हाथों को पकड़कर बोले कि अब हमारा पूरा मिलन होने का पल आ गया.

बस इतना कहा और जेठ जी ने एक झटका दे मारा.
उनका आधा लंड मेरे अन्दर चला गया.
मेरे चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान थी.

उन्होंने एक और झटका जोर से मारा, उनका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया.
मैं थोड़ा तिलमिलाई लेकिन इतना उनके झटके को सह गई.

फिर क्या था … उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने उनको भी झटके देना शुरू कर दिए.

उन्होंने मेरे हाथों को छोड़ दिया और मैंने अपने हाथों से उनकी कमर को पकड़ लिया.

जेठ जी के धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी.
मैं अपनी गांड उठाते हुए मजा ले रही थी और कह रही थी- आह और जोर से और जोर से!

सारा कमरा हमारी कामुक आवाजों की वजह से गूंजने लगा था. लंड चूत की टकराहट से फच फच की आवाज बढ़ती जा रही थी.

हमारी चुदाई का कार्यक्रम करीब 20 मिनट तक चला होगा.

जेठ जी बोले- प्रिया मेरा निकलने वाला है.
मैंने कहा तो निकाल दीजिए न … किसने रोका है!

वो मुझे चूमते सटासट चुदाई में लग गए और मेरी चूत में ही अपने लंड के माल को निकाल कर मेरे ऊपर निढाल हो गए.

हमारा पहला राउंड कंप्लीट हो गया था.

करीब 15 मिनट रेस्ट करने के बाद जेठ जी का लंड फिर से तैयार हो गया.

इस बार उन्होंने कहा कि वह आगे से नहीं, मेरी पीछे से लेंगे.

मैंने भी मुस्कुरा कर उन्हें इस बात की अनुमति दे दी.
उन्होंने मुझे पीछे को घुमाया और घोड़ी बनाकर मुझे करीबन 15 मिनट और चोदा.

दूसरा राउंड कंप्लीट करने के बाद हम दोनों सो गए.

बीच में रात को भी उन्होंने मुझे दो बार और चोदा.

सुबह 6:00 बजे जब हमारी नींद खुली, तब वह मेरे मम्मों के ऊपर मुँह डाले सोए हुए थे.

मैं उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के बाद तैयार होने लगी.

मैंने उन्हें भी उठाया और मुझे हल्का प्यार करने के बाद वह मुझे घर छोड़ने के लिए आ गए.

इस तरह हमारी पहली मिलन की रात पूरी हुई जिसमें काफी मजा आया.

जेठ जी ने मेरी कोख में अपना बीज डाल दिया था जो उनका जीवन भर साथ रहने वाला उपहार था.

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