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फ़ुद्दी मरवाई सुबह सवेरे-3 - Fuddi Marwayi Subah Savere - 3

फ़ुद्दी मरवाई सुबह सवेरे-3
फ़ुद्दी मरवाई सुबह सवेरे-3
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ससुर जी ने मुझे नंगी पकड़ लिया

पापा जी का लण्ड ऐसा ही था !!
और वो उसे बेदर्दी से मसल रहे थे, रगड़ रहे थे और बीच बीच में उस पर चांटे भी मार रहे थे।

यह नज़ारा देख मैं खुद फिर से उत्तेजित हो गई और मेरी हालत खराब हो गई।
मुझे उन्हें देखना बहुत अच्छा लग रहा था और एक बहुत ही अजीब सा ख्याल मन में आया कि मैं जाऊँ और भाग कर पकड़ लूँ उस लण्ड को !

मेरे हाथ अपनी चूत पर चले गए और मैं उनका हस्तमैथुन तब तक देखती रही जब तक वो झड़ नहीं गए।
उस रात मैं अच्छे से सो नहीं पाई।

अगली सुबह नीलेश के जाने के बाद मैं नहाने गई और स्नान के बाद कपड़े पहनने ही वाली थी कि बाहर से पापा जी के मोबाइल की घण्टी की आवाज आई।
मैं घबरा गई और अचानक बाहर से किसी के भागने की आहट आई।
मैंने दरवाजे की दरार से झांक कर देखा तो मुझे पापा जी अपना फौलादी लण्ड पकड़ कर भागते हुए नज़र आये।

अब मेरा तो बुरा हाल !!
मैंने जल्दी से पैंटी-ब्रा पहनी।
लेकिन, न जाने वो दिन कैसा शुरु हुआ था मैं अपना गाउन लाना भूल गई।
अब !?!

मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा और बाथरूम से बाहर आई।
लेकिन अचानक वो हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

पापा जी ने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया, मैं चिल्लाई और उनसे छूट कर भागी और इस भागदौड़ में मेरा तौलिया भी गिर गया, अब मैं सिर्फ पैंटी और ब्रा में ही रह गई थी।

मैं अपने कमरे में आ गई लेकिन अब मैं नंगी कमरे से बाहर में कहाँ जाती, कोने में दुबक के बैठ गई अपने हाथों से अपने अर्धनग्न शरीर को छुपाते हुए, और गिड़गिडाने लगी- पापा जी, प्लीज़ नहीं… प्लीज़ नहीं…

लेकिन मुझे कल बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई, रात को मुझे चुदते हुए, और अभी हाल ही में मुझे नंगी नहाते देखते हुए वो उत्तेजना के मारे पागल हो रहे थे, कंपकंपा रहे थे।
उन्होंने पास आकर मुझे कंधे से पकड़ कर उठा लिया।

उनकी पकड़ बहुत मज़बूत थी।
मैं ज़ोर से रोने लगी, गिड़गिड़ाने लगी- पापा जी, प्लीज़ नहीं… प्लीज़ नहीं… मैं आपकी बहू हूँ, आपकी बेटी जैसी, प्लीज़ पापा जी, मुझे छोड़ दो !

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लेकिन उन पर कोई असर होता नहीं दिख रहा था, वो मेरे आँसुओं को चाटते हुए बोले- आज तू मेरी जान है, कल से जब से तुझे नंगी देखा है मैंने, पागल कर दिया है मुझे तेरे चिकने बदन ने, आज कोई पापा-वापा नहीं मैं तेरा, बस तू मेरी औरत है और मैं तेरा मर्द !

और यह कहते हुए ज़ोर से झटका देकर मेरी ब्रा के हुक तोड़ दिए, एक झटके के साथ मेरे दोनों उन्नत और भारी वक्ष स्थल पापा जी के सीने से टकराये।

मैंने अपनी हथेलियों से उन्हें छुपाने की कोशिश की लेकिन जैसा कि मैंने बताया था कि वो बहुत, लम्बे चौड़े बलशाली इंसान हैं और ताक़त भी बहुत है, मैं तो उनके आगोश में एक गुड़िया की तरह लग रही थी।

मेरा विरोध बेकार गया, उन्होंने एक हाथ से मुझे कमर से पकड़ के मेरे ही बेड पर डाल दिया, पटक ही दिया और फिर मेरे दोनों हाथों को अपने एक ही हाथ से पकड़ कर मेरे सर के ऊपर कर दिए, और मेरे ऊपर लेट कर दूसरे हाथ से मेरा एक उभार को मसलने लगे और दूसरे उभार के गुलाबी निप्पल को मुँह में भर लिया।

मेरे स्तन नंगे थे और उनके पन्जे में क़ैद थे।
मैं डर रही थी फिर भी उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि मैंने भी कल रात उन्हें हस्तमैथुन करते समय उत्तेजना महसूस की थी और स्तन सहलाना कोई पापा जी से सीखे, उंगलियों की नोक से उन्होंने स्तन की तलहटी छुना शुरू की और हौले हौले शिखर पर जहाँ निप्पल हैं वहाँ तक पहुँचे, पाँचों उंगलियों से कड़ी और सख्त निप्पल पकड़ ली और मसली। ऐसे पाँच सात बार किया दोनों स्तनों के साथ !

अब पन्जा फैला कर स्तन पर रख दिया और उंगलियाँ फैला कर पूरा स्तन पन्जे में दबोच लिया।
मेरे स्तन में दर्द होने लगा लेकिन मीठा मीठा लग रहा था।
अंत में उन्होंने एक के बाद एक निप्पल उंगलियों की चीपटी में लिया और खींचा-मसला।

इन दौरान वो मुझे चेहरे पर चूमे भी जा रहे थे, चुम्बन तो चालू था ही !
अब उन्होंने एक बार फिर मेरे स्तन से अपने मुंह को भर लिया, उनके थूक से मेरे निप्पल गीले हो गये थे।
निप्पल से करंट जो निकला वो मेरी योनि तक जा पहुँचा।

वैसे ही मेरे निप्पल संवेदनशील हैं, कभी कभी तो ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर पाते !
वो अब मेरे ऊपर इस तरह से बिछ कर लेट गए कि उनके कड़क और बड़े लण्ड का दवाब मेरी मासूम सी और नाज़ुक सी चूत पर पड़ने लगा और वो गीली होने लगी।

पापा जी शायद सेक्स के माहिर खिलाड़ी थे क्योंकि अब वो मेरे दोनों उत्तेजनादायक जगहों पर यानि की स्तन और चूत को एक साथ रगड़ रहे थे, बीच बीच में मेरी बाहों के नीचे कांख वाले हिस्से पर भी जीभ फिरा रहे थे।

और आखिर अब मैं भी तो एक नारी ही हूँ, वो भी खुले विचारों वाली और सेक्स की भूखी !
मेरा विरोध अब ख़त्म हो चला था, चूत के पानी ने मेरी आँखों का पानी सुखा दिया था।

फिर उन्होंने मेरी पेंटी हाथ डाल कर उसे खींचने का प्रयास किया जो में कूल्हों में फंसी हुई थी।
मुझे लगा कि वो फट ही जायेगी इसलिए मैंने अपने कूल्हे ऊँचे करके उनका काम आसान कर दिया।
अब मैं पूर्ण निर्वस्त्र हो नग्नावस्था में आ गई थी।

अब मेरे साथ जो होने वाला था, उसके बारे में सोच सोच कर ही मेरे शरीर में झुरझुरी सी आने लगी।
इसे आप लोग कहानी अगले और अंतिम भाग में पढ़िए।


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