Stories Uploading Time

7:00 am, 7:30 am, 8:00 am, 8:30 am, 9:00 am, 7:00 pm, 7:30 pm, 8:00 pm, 8:30 pm, 9:00 pm Daily 10 Stories Upload

सामूहिक चुदाई का आनन्द-4 - Samuhik Chudai Ka Aanand - 4

सामूहिक चुदाई का आनन्द-4
सामूहिक चुदाई का आनन्द-4

Support Us Link:- Click Here

For Audio: - Click Here

Read:- Previous Part: - सामूहिक चुदाई का आनन्द-3

अब तक आपने पढ़ा कि झड़ते समय पंकज ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में घुसेड़ कर अपना पूरा का पूरा माल मेरी चूत की गहराई में छोड़ दिया। उधर नरेन भी ज़न्नत को अपने चिपका कर ज़न्नत की चूत अपने लंड के पानी से भर दिया। झड़ते वक़्त मैं और ज़न्नत ने अपने हाथों से पंकज और नरेन को अपने से सटा लिया था और जैसे ही चूत के अन्दर लंड का फुव्वारा छूटा.. चूत ने भी अपनी अपना रस छोड़ दिया।


अब आगे :
अपनी इस पहली अदला-बदली चुदाई के बाद हम सब बहुत थक गए और थोड़ी देर तक अपनी जगह पर लेट कर और बैठ करके सुस्ताने लगे।
पंकज अपना लंड मेरी चूत से बिना निकाले मेरे ऊपर ही पड़ा रहा और अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेलता रहा और कभी-कभी मेरी होंठों पर चुम्मा दे रहा था, मैं भी पंकज को चुम्मा दे रही थी।
उधर नरेन भी ज़न्नत की चूत से अपना लंड बिना निकाले उसकी चूचियों को चूस रहा था।
थोड़ी देर के बाद जब सांस थोड़ी सी ठीक हुई तब हम लोग बिना कपड़े पहने नंगे ही ड्राइंग-रूम में आए, कमरे में आकर पंकज ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरी चूचियों से खेलने लगा।
उधर नरेन ने ज़न्नत को पीछे से पकड़ा और अपना झड़ा हुआ लंड उसके नंगे चूतड़ों से रगड़ने लगा।
मैं और ज़न्नत दोनों पंकज और नरेन की नंगी गोद में बैठ कर अपने अपने हाथों को पीछे करके उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
तभी पंकज ने ज़न्नत से एक गिलास पानी माँगा, ज़न्नत नंगी ही रसोई की तरफ चल दी और नरेन भी उसके पीछे-पीछे चल दिया।
पंकज एक सोफे पर बैठ गया और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे नंगे चूतड़ उसके लम्बे लंड से छू रहे थे। नरेन और ज़न्नत रसोई से ड्रिंक्स और खाने का सामान लेकर वापस आए।
नरेन ने भी ज़न्नत को अपनी गोद में अपने लंड पर बिठा लिया और उसके चूतड़ों से खेलने लगा। इस तरह से दोनों लोग एक-दूसरे की पत्नियों के नंगे बदन से जी भर के खेलने लगे।
अचानक नरेन ने पंकज से पूछा- पंकज, बताओ तुमको विभा कैसी लगी, खास कर उसकी चूत तुम्हें पसंद आई या नहीं?
पंकज ने उत्तर दिया- क्या बात करते हो नरेन..! विभा को चोदने में तो मज़ा आ गया… अपने चूतड़ उठा-उठा कर… क्या चुदवाती है..! और सबसे मज़ा विभा की चूची मसलने में है, क्या मस्त चूची है विभा की…! कब से मैं ऐसी मस्त बड़ी-बड़ी चूचियों वाली औरत को चोदने के चक्कर में था, पर तुम बताओ कि तुम्हें ज़न्नत को चोदने में कैसा मज़ा आया?
नरेन बोला- यार पंकज, मुझे भी ज़न्नत की कसी हुई चूत चोदने में बड़ा मज़ा आया… मेरा लंड ज़न्नत की चूत में फँस-फँस कर घुस रहा था। ज़न्नत जब अपनी टांग उठा कर अपनी चूत में मेरा लंड पिलवा रही थी तब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी बहुत दिनों से एक छोटी-छोटी चूचियों और बड़े-बड़े चूतड़ों वाली औरत को चोदने के सपने देख रहा था। चाहो तो विभा से पूछ लो।
मैंने कहा- हाँ नरेन को तो बस ज़न्नत जैसी बीवी चाहिए थी। नरेन अपनी औरत को उल्टा लिटा करके पीछे से चूत में चोदना पसंद करता है और साथ ही साथ उसके भारी-भारी चूतड़ों से खेलना पसंद करता है।
यह सुन कर ज़न्नत बोली- अच्छा तो नरेन को मेरे जैसी और पंकज को विभा जैसी बीवी चाहिए थी, फिर हम क्यों ना एक-दूसरे से जीवन भर के लिए पति और पत्नी को बदल लें? वैसे मुझे भी नरेन के लंड की चुदाई बहुत अच्छी लगी। चूत चुदवाते वक़्त लग रहा था कि मेरी चूत पूरी की पूरी भर गई है।

AUDIO SEX STORIES HINDI


नरेन तब झुक कर ज़न्नत के होंठों को चूमते हुआ बोला- ज़न्नत, थैंक्स फॉर दि कॉंप्लिमेंट्स… वैसे सारी उम्र का तो मैं नहीं जानता, पर मैं विभा को ज़न्नत से बदलने के लिए हमेशा तैयार हूँ। मुझे ज़न्नत की चूत में लंड पेलना बहुत अच्छा लगा।
यह सुन कर पंकज बोला- यार नरेन, क्या बात है। तूने तो मेरे मन की बात कह डाली। तुम भी जब चाहो ज़न्नत के साथ मज़ा ले सकते हो, उसकी चूत चाट सकते हो, उसकी चूत चोद सकते हो, चाहो तो तुम ज़न्नत की गान्ड में अपना लंड भी घुसेड़ सकते हो। नरेन, कल शनिवार है और अगर तुम चाहो तो विभा को मेरे पास ही कल तक रहने दो और तुम विभा की जगह ज़न्नत को अपने साथ घर ले जाओ।
नरेन ने उत्तर दिया- पंकज, इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है। मैं विभा को तुम्हारे पास छोड़ जाता हूँ और तुम ज़न्नत को कल शाम को आकर ले जाना, लेकिन पहले हम लोगों को ज़न्नत और विभा से भी पूछ लेना चाहिए कि उनकी क्या राय है। क्या वो अपने पति की गैर मौजूदगी में किसी और के लंड अपने चूत में पिलवाना चाहेंगी या नहीं?
नरेन की बात सुन कर ज़न्नत सबसे पहले बोली- विभा की बात तो मैं जानती नहीं, लेकिन मुझे जब नंगी करके पंकज के सामने एक बार नरेन चोद चुका है तो मुझे अब कोई फरक नहीं पड़ता कि नरेन दोबारा मुझे पंकज की गैर मौजूदगी में चोदता या पंकज के सामने चोदता। मुझे तो इस समय बस नरेन की चुदाई की खुमारी चढ़ी हुई है और मैं फिर से नरेन के लंड अपने चूत में पिलवाना चाहती हूँ।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
ज़न्नत की बातों को सुन कर मैं भी तब पंकज के लंड को अपने हाथों से मरोड़ते हुए बोली- हाय मेरी छिनाल ज़न्नत रानी, तू एक बार नरेन का लंड खाकर ही उस पर फिदा हो गई? कोई बात नहीं, जा मैं आज और कल तक के लिए तुझे नरेन का लंड में दिया… जा तू अपनी चूत मेरे प्यारे नरेन के लंड से चुदवा या अपनी गान्ड मरवा… मैं आज रात तेरे पति के लण्ड से अपना काम चला लूँगी। वैसे ज़न्नत मेरी जान, तेरा ठोकू खूब दम से ठोकता है अपना लंड। मुझे तो मज़ा आ गया और तुम लोगों के जाने के बाद मैं तो पंकज से फिर अपनी चूत में उसका लंड ठुकवाऊँगी।
ज़न्नत और मेरी बातों को सुन कर पंकज और नरेन बहुत खुश हो गए और हम लोगों को ढेर सारी चुम्मियाँ दीं और चूचियाँ मसलीं।
फिर नरेन ज़न्नत को मेरे कपड़े पहना कर अपने साथ ले गया और मुझे पंकज के पास नंगी छोड़ गया। सच बताऊँ तो पंकज और मैं अपने इस पहली अदला-बदली चुदाई के अनुभव से इतने उत्साहित हुए कि नरेन और ज़न्नत के घर से जाते ही फिर से चुदाई में लग गए।
बाद में नरेन ने बताया कि उसने भी घर जाकर सारी रात ज़न्नत को मेरे बिस्तर पर पटक कर खूब चोदा।
नरेन और ज़न्नत के जाते ही पंकज ने सबसे पहले मुझको अपने बाँहों में लेकर के खूब चूमा और मेरी दोनों चूचियों को दबाया, मसला और चूसा फिर मुझे अपनी गोद में नंगी ही उठा लिया और बिस्तर पर ले आया।
बिस्तर पर लाकर पंकज ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे बगल में लेट कर मेरी चूचियों को दबाते हुए बोला- विभा मेरी जान, मैं तुम्हें आज सारी रात जैसा तुम चाहोगी वैसे चोद कर पूरा मज़ा देना चाहता हूँ। बोलो आज रात मेरे साथ तुम अपनी चूत कैसे चुदवाना चाहती हो?
मैंने भी पंकज के मुँह से अपनी एक चूची लगाती हुए बोली- तो फिर मैं जैसे कहूँ वैसे मुझे धीरे-धीरे चोद कर सारी रात मुझे और मेरी चूत को मज़ा दो।
पंकज ने पूछा- तो बताओ मैं क्या करूँ… जो तुम बताओगी वही मैं करूँगा।
मैंने पंकज से अपने ऊपर नंगे लेट कर पहले मेरा सारा नंगा बदन चूमने और चाटने के लिए कहा। पंकज झट से मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी नंगे बदन को सर से पैर तक चूमने लगा। पहले उसने मेरे होंठों को खूब चूमा, फिर मेरी चूचियों को खूब चूसा। उसके बाद मेरे पैर से लेकर मेरी जगहों तक मेरे बदन को खूब चूमा और चाटा। पंकज ने मेरे पेट को, मेरी नाभि को, मेरी चूत के ऊपर के उभरे हुए त्रिकोण को जी भर के चाटते हुए मेरी सब जगहों और मेरे पैरों को खूब चाटा।
मुझे पंकज के इस तरह से चूमना और चाटना बहुत अच्छा लग रहा था और पंकज भी बहुत मन लगा कर के मेरा सारा बदन चूम रहा था और चाट रहा था।
इतनी चुम्मा-चाटी के बाद भी अभी तक पंकज ने मेरी चूत के अन्दर अपनी जीभ नहीं घुसेड़ी थी।
अब मेरी चूत के अन्दर चीटियाँ रेंगना चालू हो गईं।
फिर उसके बाद मैं पेट के बल लेट गई और पंकज से फिर अपने सारे बदन को पीछे से चाटने को कहा। पंकज फिर मेरी गर्दन को, मेरी पीठ को और मेरे पैरों को चाटने लगा। अब मैंने पंकज से मेरे चूतड़ों को चाटने को कहा।
कहानी जारी रहेगी।


Next Part: - सामूहिक चुदाई का आनन्द-5

Post a Comment

Previous Post Next Post