अंगूर का मजा किशमिश में-3 |
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करीब 30 मिनट के इस खेल के साथ विजय 10-12 जोरदार धक्कों के साथ शांत हो गया और उसके ऊपर ही हाँफता रहा, फ़िर अलग
हुआ।
जब उससे अलग हुआ तो उसकी योनि से विजय का वीर्य बह निकला, जिसे बाद में उसने साफ़ किया और पजामा पहन लिया। अब हम
वापस आने लगे।
अब हम अपने रास्ते पर थे, दोपहर हो चुकी थी, कुछ ही समय में मैं उनसे खुल कर बातें करने लगी।
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें हम दोनों की कामक्रिया देख कर कुछ नहीं हुआ?
तब मैंने उनको बताया- शायद ही कोई होगा जिसको कुछ नहीं होगा, पर मैं खुद पर काबू कर लेती हूँ।
तब विजय ने कहा- सारिका, तुम्हारा नंगा जिस्म देखने को मैं बेताब हूँ!
मैंने कहा- जल्द ही हम मौका निकाल लेंगे।
तब मेरी सहेली ने कहा- आज रात को सब हो जाएगा, तुम लोगों के लिए मैंने पूरा इन्तजाम कर दिया है।
विजय ने कहा- सारिका अगर तुम कुछ दिखा दो तो मजा आ जाएगा।
मैंने कहा- सब्र करो.. रात को सब दिखा दूँगी।
इस पर मेरी सहेली ने कहा- दिखा दो ना.. यहाँ कोई नहीं है, अभी कम से कम चूत ही दिखा दो।
मैंने चूत शब्द सुन कर उसकी तरफ़ देखा और कहा- क्या कहती हो!
तो उसने कहा- इसमें शर्माना क्या! हम बच्चे नहीं है और जब कर सकते हैं तो कहने में क्या बुराई है!
विजय भी जिद करने लगा तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर हम एक पेड़ के पीछे चले गए। पहले तो मुझे शर्म आ रही थी, पर विजय के जोर देने पर मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और पैन्टी
नीचे सरका दी। वो मेरी योनि को गौर से देखने लगा। मुझे शर्म आ रही थी, पर फ़िर भी मैं वैसे ही दिखाती रही।
उसने मुझसे कहा- काफी बाल हैं.. क्या तुम साफ़ नहीं करती?
मैंने शर्माते हुए कहा- करती हूँ.. पर कुछ दिनों से ध्यान नहीं दे रही, अब कर लूँगी!
तब उसने कहा- जरूरत नहीं… बाल बहुत सुन्दर लग रहे, मुझे बालों वाली चूत अच्छी लगती है। मेरे ख्याल से चूत में बाल होने से
लगता है कि कोई जवान औरत है।
मैं उसे देख कर मुस्कुराई।
उसने मेरे पास आकर मेरी योनि को छुआ और बालों को सहलाया और कहा- कितनी मुलायम और फूली हुई है!
तब मेरी सहेली भी वहाँ आ गई और कहा- कितना समय लगा रहे हो! चलो घर में सब इन्तजार कर रहे होंगे!
विजय ने दो मिनट रुकने को कहा और मुझे मेरे पैर फ़ैलाने को कहा और वो नीचे झुक कर मेरी योनि को हाथों से फ़ैला कर देखने लगा
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और तारीफ़ करने लगा।
उसने कहा- मैं इसे चखना चाहूँगा!
और अपना मुँह लगा दिया।
मैं सहम गई और कहा- यह क्या कर रहे हो?
उसने अपनी जुबान अन्दर घुसा दी, फ़िर मुझसे कहा- कितनी गर्म, मुलायम और नमकीन है!
मेरी सहेली ने तब कहा- अब रात भर तुम चूसते रहना.. फ़िलहाल चलो, देर हो रही है।
तब विजय ने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- मैं तुम्हारा यह खूबसूरत जिस्म चखने के लिए बेताब हूँ!
मैंने उसे मुस्कुराते हुए जवाब दिया- ठीक है.. आज रात जो मर्जी कर लेना!
फ़िर हम जाने के लिए तैयार हुए।
मैंने कहा- रुको, मैं जरा पेशाब कर लूँ!
इस पर विजय ने कहा- खड़े हो कर करो, मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारी पेशाब की धार कैसी निकलती है?
मैंने कुछ संकोच किया तो मेरी सहेली ने बताया- विजय को ये सब बातें बहुत उत्तेजक लगती हैं।
तो मैंने वैसे ही पेशाब करना शुरु कर दिया।
अचानक उसने हाथ आगे किया और मेरे पेशाब को हाथ में लेकर सूंघने लगा और बोल पड़ा- कितनी मादक खुशबू है इसकी!
यह मेरे लिए अजीब था, पर उसे सब कुछ करने दिया।
सुधा ने मुझसे कहा- आज रात तुम सेक्स के बारे में और भी बहुत कुछ जान जाओगी।
फ़िर यही सब बातें करते हुए हम घर चले आए और खाना खा कर वे लोग अपने घर चले गए, अब रात का इन्तजार था।
रात हम सब खाना खाकर सोने चले गए अपने कमरे में।
करीब 10 बजे मेरी सहेली ने मुझे फ़ोन करके छ्त पर बुलाया, क्योंकि उसका और मेरा घर साथ में है। हम आसानी से एक-दूसरे की
छत पर आ-जा सकते हैं।
मैंने पूरी तैयारी कर ली थी, मैंने जानबूझ कर नाईट-ड्रेस पहना था ताकि अगर कोई परेशानी हुई तो जल्दी से पहन कर निकल सकूँ।
मैं छत पर गई, तो वो लोग पहले से वहीं थे और मेरा इंतजार कर रहे थे।
मेरे आते ही उन लोगों ने कहा- यहीं छत पर सब कुछ होगा।
पर मुझे अपने इज्जत आबरू का ख्याल था, मैंने साफ कह दिया- नहीं!
तब विजय ने कहा- खुले में सेक्स का मजा अलग होता है।
पर मैंने साफ मना कर दिया।
तब मेरी सहेली ने मुझसे कहा- तब सामने वाले गोदाम में चलो, वहाँ कोई परेशानी नहीं है।
वो जगह मुझे ठीक लगी, इसलिए हम वहाँ चले गए। अन्दर हल्का उजाला था, पर सब कुछ साफ दिख रहा था।
हम कुछ देर बातें करने लगे।
करीब 10.30 बज गए थे, तो मेरी सहेली ने कहा- तुम दोनों अब मजे करो, मैं सोने जाती हूँ।
और वो चली गई।
जाते-जाते उसने ऐसा कहा कि मेरे होश उड़ गए।
उसने कहा- सारिका अच्छे से चुदवाना, विजय मास्टर है चोदने में!
मैंने शर्म के मारे सर झुका लिया।
उसके जाते ही विजय ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास आ गया।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए कहा- दिन भर तुम्हारी याद में बैचैन रहा हूँ!
और उसने मुझे पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर कर मुझे चूम लिया।
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मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई, पर मैंने कोई विरोध नहीं किया।
अब उसने मुझसे कहा- तुम फ्रेंच किस जानती हो?
मैंने कहा- हाँ!
तो उसने कहा- कभी किया है?
मैं अनजान बनती हुई बोली- नहीं.. कभी नहीं किया.. बस फिल्मों में देखा है।
उसने कहा- फिर आज करो मेरे साथ।
उसने मुझे बताया- हम दोनों पहले एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुम्बन करेंगे फिर जुबान को!
अब उसने मेरी कमर को पकड़ा और मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और पकड़ लिया।
फिर उसने अपना मुँह मेरे मुँह से लगा दिया और मेरे होंठों को चूसने लगा, कुछ देर बाद मैंने भी चूसना शुरू कर दिया।
मैंने महसूस किया कि विजय अपनी कमर को मेरी कमर से दबा रहा है और अपने लिंग को मेरी योनि से रगड़ रहा है।
उसका कठोर लिंग मुझे कपड़ों के ऊपर से ही महसूस हो रहा था।
हम दोनों अब गर्म होते जा रहे थे, अब हमने एक-दूसरे की जुबान को चूसना शुरू कर दिया था, साथ ही वो अपना लिंग मेरी योनि में
रगड़ रहा था।
अब मेरे अन्दर की चिंगारी और तेज़ होने लगी थी, मैं भी अपनी कमर को हरकत में लाकर उसकी मदद करने लगी।
उसकी लम्बाई काफी थी इसलिए उसे झुकना पड़ रहा था।
अब उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मेरी जाँघों को फ़ैलाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी मदद करते हुए अपनी टाँगें
फैला दीं, इससे वो आसानी से अपना लिंग मेरी योनि में रगड़ने लगा।
काफी देर के ‘फ्रेंच-किस’ के बाद वो अब मेरे गालों, गले, सीने को चूमते और चूसते हुए नीचे मेरी योनि के पास आ गया। उसने मेरी
नाईट-ड्रेस को ऊपर किया और मेरी पैन्टी को नीचे सरका दिया। फिर एक प्यारा सा चुम्बन धर दिया।
मैं सर से लेकर पांव तक सिहर गई।
वो नीचे बैठ गया और मुझे खड़े रहने को कहा और मेरी टाँगों को फैला दिया। अब उसने मेरी योनि को प्यार करना शुरू कर दिया।
पहले तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा फिर एक ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा।
अब उसने अपना मुँह लगा कर चाटना शुरू कर दिया।
यह मेरे लिए एक अलग सा अनुभव था क्योंकि उसकी जुबान कुछ अलग तरह से ही खिलवाड़ कर रही थी।
मेरे पाँव काँपने लगे, मुझसे अब खड़े रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि में दबाना शुरू कर दिया।
मेरी योनि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके थूक और मेरी योनि का रस मिल कर मेरी जाँघों से बहने लगा था।
कहानी जारी रहेगी।
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