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अंगूर का मजा किशमिश में-6 - Angur Ka Maja Kishamish Mein - 6

अंगूर का मजा किशमिश में-6
अंगूर का मजा किशमिश में-6

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हम काफी देर यूँ ही बातें करते रहे। वो मेरी और मेरे जिस्म की तारीफ़ करता रहा। अब उसने बातें करते हुए फिर से मेरी योनि को सहलाना शुरू कर दिया।


मैंने उससे कहा- अभी मन नहीं भरा क्या !
उसने जवाब दिया- अगर पास में तुम्हारी तरह कोई जवान औरत हो तो भला किसी मर्द का मन भरेगा !
और उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
मैंने भी अपनी प्रतिक्रिया दिखाई और उसका लिंग पकड़ कर हिलाने लगी साथ ही उसे चूमने और चूसने लगी।
उसने मुझसे कहा- सारिका, हम इन 5 दिनों में हर तरह से सेक्स करेंगे और किसी रोज तुम्हारी सहेली को साथ रख कर तीनों मिल कर करेंगे !
मुझे उसकी बातें रोचक लग रही थीं और मैं फिर से गर्म होने लगी थी। उसका लिंग भी अब कड़ा हो गया था।
पर उसने मुझसे कहा चूसने को, मैंने चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद उसने मुझे अपने ऊपर बुलाया और मेरी कमर उसकी तरफ करके मुझे चूसने को कहा।
तभी मैंने देखा कि मैं इधर उसका लिंग चूस रही थी, उधर वो मेरी योनि में उंगली डाल रहा है और फिर चूस रहा है।
काफी देर के बाद उसने मुझसे कहा- अब तुम खड़ी हो जाओ और दीवार के पास रखी बोरियों के ऊपर एक टांग रख कर खड़ी हो जाओ !
मैंने कहा- क्या करने वाले हो?
उसने कहा- बस तुम खड़ी हो जाओ, तुम्हें और भी मजा आने वाला है !
मैं वहाँ गई, एक टांग उठा कर बोरियों के ऊपर रख दिया, तो मेरी योनि खुल कर सामने आ गई। अब वो मेरे पास अपने लिंग को हाथ से हिलाते हुए आया और लिंग पर थूक लगाया फिर कुछ मेरी योनि पर भी कुछ थूक मला।
अब उसने खड़े होकर लिंग मेरी योनि में घुसाने लगा और मुझसे कहा कि मैं उसे पकड़ लूँ !
मैंने वैसा ही किया।
उसने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धक्के लगा कर चोदना शुरू कर दिया। इस बार धक्के पहले जैसे ही थे, पर वो मुझे काफी दम लगा कर चोद रहा था।
कुछ ही देर में मेरी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
अब उसने मुझसे कहा- अपना पैर नीचे कर लो, पर दोनों टाँगों को फैलाये रखना !
मैंने वैसा ही किया, उसका लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर ही था।
फिर उसने कहा- अब तुम भी मेरे साथ धक्के मारो !
मैंने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिए, कसम से कितना मजा आ रहा था। वो मुझे चोदने के साथ मेरी स्तनों को दबाता कभी चूसता तो कभी काट लेता।
हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था। वो मुझे उकसा रहा था, बार-बार कह रहा था ‘हाँ.. और जोर से.. और जोर से !’
कुछ देर में तो मेरा पानी ही निकल गया और मेरा जिस्म ढीला पड़ गया, पर वो मुझे अपनी पूरी ताकत से चोद रहा था।

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उसने अब मेरी दोनों टाँगों को उठाया और मुझे अपनी गोद में ले उठा लिया।
मैं हैरान हुई कि मेरा इतना वजन होते हुए भी उसने मुझे उठा लिया और मुझे चोदने लगा।
उसने मुझसे कहा- तुमने तो मेरा साथ जल्दी छोड़ दिया !
मैंने कहा- मैं अब भी तुम्हारे साथ हूँ.. तुम जितना देर चाहो चोद सकते हो !
उसने मेरे भारी और मोटे शरीर को काफी देर अपनी गोद में उठा कर मुझे चोदा।
फिर वो मुझे इसी तरह लाकर धीरे से बोरियों के ऊपर लेट गया। मैं उसके ऊपर हो गई और अब मेरा फर्ज बनता था कि उसके लिए कुछ करूँ, तो मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मैं अब दुबारा गर्म होने लगी। उसके सुपारे से अपनी बच्चेदानी को रगड़ने लगी। जब मैं ऐसा करती, तो वो मेरी कमर को पकड़ कर अपनी और खींचता और अपनी कमर उठा देता।
कभी तो जोर का झटका देता, जिससे मेरी चीख निकल जाती और ये शायद उसे और भी उत्तेजित कर रहा था।
तभी उसने मुझसे पूछा- तुम्हें अपनी बच्च्दानी में लंड रगड़ना अच्छा लगता है?
मैंने कहा- हाँ.. बहुत मजा आता है!
उसने कहा- क्या तुम्हें दर्द नहीं होता?
मैंने कहा- होता है, पर मजा इतना आता है कि मैं उस दर्द को भूल जाती हूँ और वैसे भी दर्द में ही असली मजा है !
यह बात सुन कर वो पागल सा हो गया, उसने करवट ली और मेरे ऊपर आ गया।
अब उसने अपना खूंखार रूप ले लिया, उसने मुझे पूरा दम लगा कर चोदना शुरू कर दिया।
मैं अब ‘हाय…हाय’ करने लगी.. और वो मुझे बेरहमी से चोदने लगा और कहने लगा- लो मेरी जान… और लो… मजा आ रहा है ना?
काफी देर मेरे जिस्म को बेरहमी से चूसने, चाटने, काटने, मसलने और चोदने के बाद मैं अब दुबारा झड़ने के लिए तैयार थी।
उधर विजय भी अपना लावा उगलने को बेताब था।
मैंने अपनी कमर उछालना शुरू कर दिया और वो भी जोर के धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसका लिंग मेरी योनि में ‘फच..फच’ की आवाज करता तेज़ी से घुस और निकल रहा था।
तभी मेरे बदन में अकड़न सी हुई और मेरा बदन सख्त हो गया। मैंने उसको अपनी पूरी ताकत से अपनी और खींचा और अपनी कमर उठा दी, जैसे मैं उसका लिंग अपनी योनि की गहराई में उतार लेना चाहती हूँ और फिर मैं झड़ गई।
मेरा बदन अब ढीला हो रहा था, पर मैं अब भी उसे अपनी ताकत से पकड़ी हुई थी। वो अभी भी मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था, उसका लिंग मुझे और ज्यादा गर्म लग रहा था।
तभी उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने मेरे होंठों पर अपना होंठ रख चूसने लगा फिर मेरी जुबान को चूसने लगा और 7-8 धक्कों के साथ वो भी झड़ गया और हाँफता हुआ मेरे ऊपर लेट गया।
इस बार मुझे पहले से कही ज्यादा मजा आया और इस बार उसने एक बार भी अपना लिंग मेरी योनि से बाहर नहीं निकाला जब तक कि वो झड़ न गया।
मैं बहुत थक चुकी थी और मैं अब सोना चाहती थी, पर उसने मुझे रोक लिया।
रात के 2 बज गए थे और मुझमें अब हिम्मत नहीं थी कि और खुद को रोक सकूँ। पर उसने मेरी एक न सुनी और मुझे फिर से दो बार चोदा।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की, चौथी बार तो करीब 4 बज गए थे। वो मुझे काफी देर से चोद रहा था, पर वो झड़ नहीं रहा था।
तभी मेरी सहेली ने फोन किया- सुबह हो चुकी है, मैं आ रही हूँ, तुम्हें अपने कमरे में छोड़ देती हूँ।
पर विजय मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था, बस ‘कुछ देर और.. कुछ देर और..’ कह कर चोदता रहा।
तभी मेरी सहेली मुझे लेने आ गई और हम दोनों उस वक्त भी चुदाई कर रहे थे।
वो हमे देख कर हँसने लगी और कहा- अभी तक तुम दोनों का मन नहीं भरा ! ठीक है कर लो, मैं यही इन्तजार करती हूँ !
मुझे उसके सामने शर्म आ रही थी, पर मैं खुद को आज़ाद भी नहीं कर पा रही थी।
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ़ किया कपड़े पहने और चली गई।
सुधा हँसते हुए बोली- काफी प्यासी लग रही हो, सुबह पता चलेगा रात की मस्ती का !
मैं शर्माते हुए जाने लगी।
अपने कमरे में जाते ही मैं कब सो गई पता ही नहीं चला और सुबह देर तक सोती रही।
कहानी जारी रहेगी।


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