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सामूहिक चुदाई का आनन्द-7 - Samuhik Chudai Ka Aanand - 7

सामूहिक चुदाई का आनन्द-7
सामूहिक चुदाई का आनन्द-7

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अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बातों को सुन कर पंकज हंस पड़ा और बोला- विभा, मैं तो तुम्हें एक चुदक्कड़ औरत समझ रहा था लेकिन तुम तो गाण्डू भी हो। चलो अब मैं तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ।


इतना कहकर पंकज ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में एक झटके से ठूँस दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा।
मैं भी अपनी कमर को झटके के साथ आगे-पीछे करके पंकज का लण्ड अपने गाण्ड में मज़े से पिलवाने लगी।
थोड़ी देर में पंकज मेरी गाण्ड के अन्दर झड़ गया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकाल कर बाथरूम में चला गया। मैं भी बिस्तर के चादर से अपनी गाण्ड को पौंछ कर रसोई में चली गई।
अब आगे :
रसोई में मैंने खाना बनाया और जब बाहर निकली तो देखा कि पंकज नहाने के बाद नंगा ही जाकर बिस्तर पर सो गया है और उसका सोया हुआ लण्ड दोनों पैरों के बीच सुस्त पड़ा हुआ है।
एक बार तो मैं पंकज का लण्ड देख कर मचल गई लेकिन मैंने अपने आप को रोक लिया क्योंकि कल रात से पंकज बहुत ज़्यादा मेहनत कर चुका है और मेरी चूत और गाण्ड भी चुदते-चुदते चसक रही थी।
मैं पंकज को छोड़ कर अपने कमरे गई और थोड़ी देर में नहा धोकर रसोई में जाकर अपने और पंकज के लिए खाना लगाया और तब जाकर मैंने पंकज को जगाया।
पंकज उठ कर खाना खाने के बाद फिर मुझे बिस्तर पर ले कर मुझसे लिपट कर सो गया और मैं भी पंकज की बाँहों में सो गई।
रात में एक बार मैं पेशाब करने के लिए उठी तो देखा कि पंकज मेरे बगल में नंगा लेटा हुआ है और उसका एक हाथ मेरी चूची पर है।
मैंने धीरे से पंकज का हाथ अपनी चूची पर से हटाया और नंगी ही बाथरूम चली गई। बाथरूम से जब आई तो देखा कि पंकज की आँख भी खुली हुई है और वो अपने हाथों से अपना लण्ड मसल रहा है।
जैसे ही मैं पंकज के बगल फिर से लेटी तो पंकज ने मुझे फिर से अपने बाँहों में जकड़ लिया और हम लोग एक बार फिर से ज़ोरदार चुदाई कर के सो गए।
सुबह ज़न्नत का फ़ोन आया कि पंकज और मैं लंच पर उसके घर नरेन और ज़न्नत से मिलें।
मैं और पंकज मेरे घर गए, वहाँ पर ज़न्नत ने बड़ा अच्छा खाना बना कर रखा हुआ था। हम सबने पहले थोड़ी ड्रिंक्स ली और फिर आराम से खाना खाया। खाने के बाद सब मेरे ड्राइंग रूम में आए और अपने-अपने कपड़े निकाल दिए, मैं पंकज की गोद में और ज़न्नत नरेन की गोद में बैठ गई।
नरेन और पंकज फिर हम दोनों के नंगे शरीर से खेलने लगे।
हम सब के हाथों में अपनी अपनी ड्रिंक्स थी। तब पंकज ने नरेन से पूछा- नरेन, तुम्हें ज़न्नत के साथ अकेले कैसा लगा?
नरेन ने कहा- ज़न्नत को अकेले चोदने तो मज़ा आ गया पंकज, पर जानते हो कि कल जिस चीज़ ने मुझे सबसे ज़्यादा उत्तेजित किया वो था अपनी आँखों के सामने विभा को तुम से चुदवाते हुए देखना। वाकयी तुम्हारे लंबे लण्ड को विभा की चूत में बार-बार अन्दर-बाहर जाते हुए देख कर मज़ा आ गया।
पंकज बोला- मुझे भी कल रात विभा को अकेले चोदने में बड़ा मज़ा आया, पर नरेन, सच कहो तो मुझे भी तुम को अपने सामने ज़न्नत को चोदते देख कर और साथ-साथ विभा को तुम्हारे और ज़न्नत के सामने उसी बिस्तर पर चोद कर जो मज़ा आया वह मैं बता नहीं सकता।
बाद में नरेन ने बताया कि उसने भी ज़न्नत को घर ले जा कर रात भर उसको पूरा मज़ा दिया। ज़न्नत को अपने घर ले जाने के बाद नरेन नंगे होकर बिस्तर पर लेट गया।

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फिर उसने ज़न्नत से उसे जी भर के मज़ा देने को कहा। ज़न्नत भी नंगे हो कर बिस्तर पर आई और नरेन के लण्ड अपने हाथ में लेकर चूसने लगी।
फिर नरेन ने ज़न्नत को अपने ऊपर उल्टा लेट कर अपनी चूत को नरेन के मुँह के ऊपर रखने को कहा।
ज़न्नत नरेन के ऊपर उल्टा लेट गई, नरेन ज़न्नत की चूत को और ज़न्नत नरेन के लण्ड को चूसने लगी।

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नरेन की आँखों के सामने ज़न्नत के गोरे-गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे और नरेन को ज़न्नत की चूत और गुलाबी गाण्ड साफ दिखाई दे रही थी।
नरेन ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगा और अपनी जीभ से ज़न्नत की चूत चाटने लगा।
चूत चाटते-चाटते नरेन की ज़बान ज़न्नत की गाण्ड पर चली गई और नरेन ज़न्नत की गुलाबी गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगा। फिर उसके बाद नरेन अपनी जीभ को बारी-बारी से ज़न्नत की चूत और गाण्ड के अन्दर-बाहर करके ज़न्नत की चूत और गाण्ड दोनों को अपनी जीभ से चोदने लगा।
इधर ज़न्नत नरेन का लण्ड बड़े आराम से चूस रही थी और थोड़ी देर में ही नरेन का लण्ड तन्ना कर खड़ा हो गया। ज़न्नत भी नरेन की जीभ से अपनी चूत और गाण्ड दोनों को चुदवा कर अब नरेन के लण्ड से चुदाई करवाने के लिए उत्तेजित हो चुकी थी।
तब ज़न्नत ने नरेन को अपने ऊपर लेकर उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर से चोदने को कहा।
लेकिन नरेन ने कहा- तुम मेरे ऊपर आ जाओ।
तो ज़न्नत नरेन के ऊपर चढ़ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत में डाल कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोदने लगी। थोड़ी देर इस तरह से ज़न्नत ने नरेन को ऊपर से चोदा।
फिर नरेन ने कहा- ज़न्नत, मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत अच्छे लगते हैं और अगर तुम्हें सचमुच मुझे मज़ा देना चाहती हो तो आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर मज़ा लेना चाहता हूँ।
ज़न्नत बोली- नरेन, आज तुम जो चाहो वो मज़ा मेरे साथ ले सकते हो। मैंने पंकज से एक-दो बार गाण्ड मरवाई है पर तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है अन्दर कैसे जाएगा?
नरेन ने कहा- रानी, इसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो… पहले मैं तुम्हारी गाण्ड को अपनी जीभ से चाट कर गीली कर दूँगा, फिर अपना लण्ड उसमें घुसेड़ कर आराम से मैं तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।
ज़न्नत ने कहा- ठीक है..
और वो बिस्तर पर घोड़ी की तरह अपनी गाण्ड ऊपर करके लेट गई, नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड खोल कर अपनी जीभ ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगा कर उसको चाटने लगा।
थोड़ी देर ज़न्नत की गाण्ड को चाट कर नरेन ने उसे खूब गीली कर दिया और फिर ज़न्नत से अपने लण्ड को एक बार और चूस कर गीला करने को कहा। ज़न्नत ने नरेन के लण्ड को थोड़ा चाट कर और अपना थूक लगा कर खूब गीला कर दिया पर नरेन ज़न्नत की गाण्ड मारने से पहले थोड़ी देर उसकी चूत चोदना चाहता था।
नरेन ने अपने लण्ड को ज़न्नत की चूत में लगा कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया। ऐसे थोड़ी देर तक नरेन ने ज़न्नत की चूत को चोदा। चूत में जाने से नरेन का लण्ड और भी गीला हो गया।
फिर नरेन ने अपने लण्ड को पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद पर लगाया और थोड़े ही दबाव से में आधा लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया।
नरेन ने एक धक्का और दिया और बड़े आराम से नरेन का लण्ड ज़न्नत की गाण्ड में पूरा चला गया।
नरेन का लण्ड मोटा ज़रूर था, पर ज़न्नत की गाण्ड भी खूब गीली हो चुकी थी और ज़न्नत को अपनी गाण्ड में नरेन का पूरा लण्ड लेने में कोई परेशानी नहीं हुई।
फिर नरेन ने ज़न्नत के दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करके चोदने लगा।
इस तरह से नरेन ने ज़न्नत की गाण्ड को जी भर के मारा और फिर उसके गोरे-गोरे चूतड़ों पर अपना पानी निकाल दिया।
ज़न्नत पूरी तरह से नरेन की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, नरेन ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ किया और फिर ज़न्नत के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया।
कहानी जारी रहेगी।


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