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डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं - Doctor Hamen Kahan Kuvwari Rahane Dete Hain

डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं
डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं

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Read:- मैं हैरी 25 साल का हूँ। मैं अन्तर्वासना 6 साल से पढ़ रहा हूँ लेकिन कभी कहानी नहीं भेजी, इससे पहले मेरा सेक्स के बारे में ज्ञान कम था।

यह कहानी मेरी तब शुरू हुई थी, जब मैं पढ़ने के लिए जयपुर गया।

वहाँ पर मैंने एक कमरा किराए पर ले लिया। मैं सुबह-सुबह घूमने जाता था। वहाँ पर कई लड़कियाँ भी आती थी। मैं शुरू में किसी पर भी ध्यान नहीं देता था। लेकिन 5-10 दिनों बाद मैंने देखा कि वहाँ पर तीन लड़कियों का ग्रुप आता था।

वह मेरी तरफ बार-बार देखती है। एक बार  उसमें से एक ने कमेंट किया, “हम सब तुम को रोज देखते हैं, पर तुम कभी नहीं देखते।”
मैंने कहा- तुम में ऐसा क्या है, जो मैं तुम्हें देखूँ। सब की सब एक जैसी हो।
वो बोली- कभी अकेले में मिलना।
मैंने कहा- अभी चलो।
वो भी बोली- हाँ चलो।

मैं उनके साथ डरते-डरते चला गया, रास्ते में उनसे बात चल रही थी, वो सब अकेली रहती थीं, यहाँ पर नर्सिंग कर रही थीं। मैं उनके कमरे पर चला गया, वहाँ पर उन्होंने चाय बनाई।
मैंने चाय पी और कहा- अब मैं चलता हूँ।
उन्होंने अपने नम्बर दिए। मैं वापस घर आ गया।

दूसरे दिन उनके से एक लड़की जिसका नाम संजना था, वो नाईट सूट में ही गार्डन में आ गई थी। मैंने उसे पहली बार उसे कामुक नजर से देखा।
उसके स्तनों का साइज 28 का होगा, कूल्हे 34 के, कमर पतली थी। गले में लम्बी चेन लटक रही थी। बड़े-बड़े कुण्डल कानों में पहन रखे थे।

मैंने कहा- यह क्या पहन कर आई हो आज..!
तो बोली- मैं उनसे अलग हूँ, तुम्हें यह दिखाने आई हूँ।
उससे मेरी दोस्ती हो गई। अब हमारी रोज-रोज रात को बात होती थी। कभी-कभी सुबह 5 बजे तक बात करते थे।
एक दिन वो बोली- बात ही करोगे या कुछ और..!
मैं बोला- मैं तो आपकी ‘हाँ’ का ही इंतजार कर रहा हूँ क्योंकि दोस्ती तो दोस्ती होती है। तुम मुझे गलत ना समझ लो।
वो बोली- हमें कौन सी शादी करनी है।
मैंने कहा- ठीक है।
दीपावली की छुट्टी थीं। उसकी सहेलियाँ पहले ही घर पर चली गईं, पर वो नहीं गई कि दो दिन बाद जाऊँगी।
वो दिन जिंदगी का सबसे हसीन दिन था।

पहले हम होटल में खाना खाने गए और वापस रात को 10 बजे आ गए। वो बाथरूम में जाकर कयामत बन कर आ गई। मैं उसे देखता ही रह गया। उसने गहरे लाल रंग की नाईटी पहन रखी थी। जिसमें से उसी रंग की ब्रा और पैंटी दिख रही थी, उसके बड़े-बड़े दूध बाहर आ रहे थे।

अब हम दोनों बिस्तर पर आ गए। हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में समा जाने के लिए तैयार थे। हम दोनों ने एक-दूसरे को कस कर बांहों में समेट लिया।
दस मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे हम, एक-दूसरे के होंठों को चूस-चूस कर लाल कर दिया, उसकी लिपिस्टिक उसके गालों पर आ गई। मुझे लग रहा था कि उसके लाल-लाल टमाटर जैसे होंठों को चूसता रहूँ।

मैंने उसकी नाईटी उतार दी। उसके बोबों को प्यार से दबाने लगा और होंठ चूसता रहा, वो ‘ओ.. आ…ईस्स… आह.. आह…’ करने लगी।
अब मेरे हाथ उसकी पैंटी के अन्दर चल रहे थे, वो बार-बार आई लव यू…. आई लव यू…. बोलती जा रही थी।

मैंने उसके चूत में दो उंगली चला दी, धीरे-धीरे वो बहुत गर्म हो चुकी थी, अपने हाथ-पांव जोर-जोर से बिस्तर पर पटक रही थी।
कहने लगी- आज ही मार डालोगे क्या..! अब जल्दी से अपना डाल दो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..!

मैंने अपने हाथ से उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी। अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने पड़ी हुई थी। गुलाबी चादर में संगमरमर की मूरत लग रही थी। चूत पर एक भी बाल नहीं था, पूरे शरीर को वैक्स करवा रखा था, लाल लाईट में बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैं उसके बोबों को बुरी तरह मसल रहा था, अब उसके बर्दाश्त से बाहर हो चुका था।

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वो बिस्तर पर खड़ी हो गई, मुझे धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया, मेरी टी-शर्ट को इतनी जोर से खींचा कि वो फट गई।
मेरे नाईट पजामे को भी उसने फाड़ दिया, मेरी अण्डरवियर को उसने उतार दिया, मेरा लण्ड हाथ में ले किया।

मैं पलंग पर खड़ा हो गया, वो घुटने के बल बैठ गई और मेरे लिंग को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
कुछ देर में उसने उसे लोहे सा सख्त कर दिया, मुझे लगा कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया।

वो जब जीभ से मेरे लिंग को चाटती तो अजीब सा मजा आ रहा था।
अब हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उसकी चूत में उंगली चला रहा था, जिससे वो झड़ गई। उसने मेरे लिंग को इतनी जोर से दबाया कि मेरी चीख निकल गई।

मैंने अपना लिंग झटके से बाहर निकाल लिया, नहीं तो वो खा ही जाती। मैंने उसके पैरों से लेकर सिर तक चूमने लगा और चूत में उंगली करता रहा, अब वो दूसरी बार झड़ गई।
उसकी फूली हुई चूत जैसे कह रही हो- मुझे चोद दो.. आज मुझे सुहागन बना दो..!

उसका भूरे रंग का दाना दूर से ही चमक रहा था, उसकी चूत के दो द्वारों को खोलते ही लालिमा चमक उठी जैसे बादलों के बीच बिजली चमक रही हो।
वो मेरे लिंग को खींचने लग गई, उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, उसकी मादक सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। ‘हूं…आ…आह..ओआउच…मेरी गई..’ बहुत तेज-तेज बोल रही थी।

उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मेरे लिंग को अपनी चूत में प्रवेश करने लिए टिका दिया।
मैंने धक्का दिया, जैसी ही लिंग उसके अन्दर गया, तो उसकी सांसें बाहर आ गई, अपने पैरों को जोर-जोर से पटकने लगी।
लेकिन मैं रूका नहीं, लगातार धीरे-धीरे धक्के देता रहा, वो अपनी सांसों को संयत करते हुए बोली- तेज-तेज करो।

वो अब मेरे बालों में अपना हाथ घुमाने लगी। मैं उसको प्यार से चोद रहा था।
वो बड़बड़ाने लगी- जोर से करो, ये चूत तुम्हारी है… मैं भी तुम्हारी हूँ, तुम मुझे रोज ऐसे ही प्यार से चोदना, मैं कुतिया बनकर पूरी जिंदगी तेरी बन कर रहूँगी।

अब वो भी अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी, गाड़ी दोनों ओर से चल रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। धीरे-धीरे करने से चुदाई देर तक रह सकते हैं।
वो एक बार और झड़ गई, मैंने लौड़ा बाहर खींच कर उसकी पैंटी से उसकी चूत पोंछ दी क्योंकि गीली चूत को चोदने में मजा नहीं आता।

अब मैंने उसके दोनों पैरों को एक हाथ से ऊपर कर दिया जिससे उसकी चूत ज्यादा ऊपर आ गई। उसके कूल्हे बड़े-बड़े थे, मैं उसका वर्णन नहीं कर सकता, केवल दिल में ही सोच सकता हूँ।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी वो ‘आ… आ…’ करने लगी- जोर से… आ… करो… मुझे.. जिदंगी…भर… का आह मजा..दिया है आ..मैं… आहहह कभी भूल नहीं सकती… आहहह क्या कर रहे हो…आउच…मर गई.. आह… करो.. करो. जोर..से करो…और तेज…आ…आह…मेरे जानू…करो आ…!”

मैं अब फुल स्पीड से चोदने लगा, मेरा लण्ड उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने में लग गया था, ऐसा लग रहा था कि उसकी  चूत में भूंकप आ गया हो।
वो बहने लगी, बहुत तेज गति से पानी बाहर आने लगा जैसे किसी ने अन्दर से नल खोल दिया हो।

वो बोली- आज जिंदगी में पहली बार इतनी तेज झड़ी हूँ कि मेरी पैंटी पूरी गीली हो गई।
मैंने पूछा- तुमने पहले कब किया !
तो वो बोली- हम तो रोज ठुकती हैं, डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं, लेकिन उनके साथ मज़ा नहीं आता वे तो अपना पानी निकाल के हमें दुत्कार देते हैं, हम सहेलियाँ आपस में एक-दूसरे की प्यास बुझाती हैं, मजा लेती हैं, डॉक्टरों से चुदना तो हमारी मज़बूरी है।

अब मुझे भी थकान होने लगी थी, मैं पसीने-पसीने हो गया, साईड में दर्द हो रहा था, मैं पूरे जान लगाकर धक्के देने लगा, दूसरी ओर उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं।
वो बोली- इंसान की तरह चोदो, भूतों की तरह नहीं.. आह….आहहाआ..उ.. धीरे कर यार, मुझे दर्द हो रहा है, अब मत कर..!

और इसी के साथ मैं झड़ गया। मैंने अपना मूसल बाहर निकाल कर आठ-दस पिचकारियाँ छोड़ी जो कभी उसके बोबों पर, चूत पर, आंखों पर पहुँच गईं।
हमने एक-दूसरे को कस कर पकड़ लिया, एक-दूसरे की बांहों में सो गए। दूसरे दिन 1.00 बजे हमारी नींद खुली और दोनों एक-दूसरे को देखकर हँसने और चूमने लगे।

वो बहुत हसीन लग रही थी, उसकी बोबे पूरे लाल थे, होंठों पर काटने के निशान, चूत की लालिमा बाहर तक दिख रही थी।
जैसे ही मैंने उसकी चूत पर उंगली लगाई, वो उछल पड़ी- दर्द हो रहा है.. तुमने इसकी हालत खराब कर दी..!

फिर हम बाथरूम में नहाने चले गए। आगे की कहानी फिर कभी आपको सुनाऊँगा।

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