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जवान जिस्म का भोग -2 - Jwan Jism Ka Bhog- - 2

जवान जिस्म का भोग -2
जवान जिस्म का भोग -2

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Read:- Previous Part: - जवान जिस्म का भोग -1

फ़िरोज़- हाय जीनत, आज कई दिनों बाद मौका मिला है तेरी चूत को दिन में चोदने का !
जीनत- क्या बोलते हो, रोज़ ही तो मेरी कच्छी उतार के इसका मज़ा लूटते रहते हो रात-रात भर!


फ़िरोज़- जीनत तेरी चूत ही है ऐसी कि हर वक़्त मन करता है इसको चोद दूँ, सच बोलूँ तो यह आज भी किसी 18 साल की कुँवारी चूत जैसे ही टाइट और चिकनी है।

जीनत- तो आज किसका नाम लेकर मेरी चूत मारने का इरादा है?
शबनम बाहर खड़ी सोचती है कि यह नाम लेकर चूत मारने का मतलब क्या है, वो फिर आगे सुनना चाहती है और वहीं रुक जाती है।
फ़िरोज़- वो शबनम…
जीनत- क्या शबनम, अपनी बहन की चूत?

फ़िरोज़- पूरा सुन ना साली वो शबनम की नई सहेली है ना नाज़िमा, 18 साल की गोरी चिकनी और मस्त माल…
जीनत- हाए रे, उस पे दिल आया मेरे मर्द का? आ जा मेरी चूत को आज नाज़िमा मान के प्यार कर, आओ अपनी नाज़िमा के होंठ चूम लो मेरे राजा…
फ़िरोज़- आओ जीनत, आज मैं अपनी नाज़िमा के नर्म होंठों को चूम लूँ! मेरी जान देख नाज़िमा साली रंडी कुतिया, तेरे यार का लौड़ाS तन चुका है इसे प्यार कर मेरी चिकनी नाज़िमा !

जीनत अपनी चूत पे हाथ फिराते हुए- आओ भाई आओ, अपनी नाज़िमा को सहलाओ, इसके होंठ चूस लो, देखो इसके मुँह में पानी आ गया मेरे भाईजान, इसकी चीखें निकाल दो, आओ मेरे कामुक भाईजान, आओ नाज़िमा की 18 साल की मस्त, ताज़ी, मादक और कच्ची जवानी को चूस लो, अपने दाँतों से उधेड़ दो नाज़िमा को, अपने मूसल लौड़े का प्यार दो।

फ़िरोज़ झुक कर- आहा नाज़िमा बड़ी मीठी है तू, अगर मेरे पास होती तो तुझे असली में नंगी करके तेरी भाभी के सामने चोदता! नाज़िमा तेरे नर्म उरोज दबोच के चीख निकाल देता, तेरी नर्म चूत में लौड़ा डाल के तेरी नथ उतार देता! साली बड़ी तमन्ना है तेरे जिस्म का भोग करने की!

इतना कह कर फ़िरोज़ ने जीनत की चूत पर मुँह लगाया और उसे नाज़िमा की चिकनी मादक मस्त अनचुदी चूत मान के लपर-लपर चूसने लगा।
इधर शबनम का बुरा हाल हो चुका था, एक तो भाई-भाभी की चुदाई और दूसरा भाई का नाज़िमा के बारे में क्रश सोच कर। उसकी चूत ने पानी छोड़ने की तैयारी कर ली, उससे रहा नहीं गया, शबनम ने अपनी ऊँगली अपनी स्कर्ट में डाल के पेंटी एक साइड की और चूत रानी को ऊँगली का मस्त सहलाना करना शुरू किया।

उधर फ़िरोज़ मस्त जीनत की चूत को नाज़िमा की नर्म बुर का ख़याल करके चूस रहा था।
शबनम ने सोचा वो भाभी से एक ना एक दिन पूछेगी ज़रूर कि इस खेल का राज़ क्या है। भाई उसे और नाज़िमा को क्यों चोदना चाहते हैं?

फिलहाल तो उसने उनको डिस्टर्ब ना करने का फ़ैसला किया, उसे सिर्फ़ अपने भाई भाभी की आवाज़ें सुनाई दे रही थी, वो कुछ देख नहीं पा रही थी, उसका मन तो कर रहा था कि वो देखे उसकी भाभी नाज़िमा बन के कैसी लगती हैं और उसके भाई नाज़िमा को चोद के कैसा सुकून पा रहे हैं।

फ़िरोज़- नाज़िमा, आहा बड़ी रसीली है तू… आजा मेरा लौड़ा चूम, आ जा नाज़िमा!
जीनत- हाँ मेरे भाईजान, मैं आपके लौड़े को चूस कर आपको प्यार करूँगी।
फ़िरोज़- साली नाज़िमा तुझे मस्त चोदूँगा आज…

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जीनत- चोदना मेरे मर्द, मेरी छाती दबोच कर मेरी नथ उतारो, आज पहली बार चुदूंगी, कुँवारी चूत है मेरी… अब मेरी चूत मारो भाईजान…
फ़िरोज़- हाँ नाज़िमा, आ तेरी चूत में अपना टनटनाता लौड़ा पेलूँगा, पहले इस लौड़े को चूस साली कुतिया…
जीनत- हाँ भाई, अपनी बहन की सहेली नाज़िमा के मुँह में पेलो लौड़ा…

फ़िरोज़- आकर इसे हाथों से पकड़ के मूठ मारते हुए अपने मुँह में डाल रंडी की औलाद।
जीनत- अभी करती हूँ भाईजान… हाय आप बहुत मस्त मर्द हो!
फ़िरोज़- कितने मर्दों को झेला है तूने?
जीनत- एक भी नहीं… अनचुदी बुर है नाज़िमा की भाई!
फ़िरोज़- आज तेरी नथ उतार के नाज़िमा, तुझे लड़की से औरत बना दूँगा!

जीनत- बनाओ, मैं तो लण्ड मैं इंतज़ार में हूँ, मैं चुदासी चूत हूँ, आपकी अपनी रंडी बहन की रण्डी सहेली !
फ़िरोज़ ने लौड़े को नाज़िमा के मुँह में पेल दिया और बोला- नाज़िमा, चूस अपनी सहेली के भाई का लण्ड… और गीला करके चूस
जीनत- चूसती हूँ मेरे राजा आआआआहह… बड़ा मस्त गर्म है।

फ़िरोज़- साली, आज तेरी चूत को चूस चूस के चोदूँगा।
जीनत- चूसो मेरी चूत आओ भाई, अपनी नाज़िमा की चूत चाटो…
फ़िरोज़ ने 69 होकर जीनत के चूत को चूसना शुरू किया।

फ़िरोज़- नाज़िमा आओ मेरी जान… अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दो, देख तेरे भाई का लण्ड कितना मस्त हो चला है।
जीनत- हाँ भाईजान, आपका लौड़ा बड़ा मस्त है, भाभी तो इससे चुद के मस्त हो जाती होगी मेरे चोदू भाई !
फ़िरोज़- उस ज़ीनत की छोड़, अपनी चूत की बात कर मेरी कच्ची कली नाज़िमा, तेरी चूत बड़ी चिकनी है।
जीनत- मेरी चूत अभी बुर है भाईजान!
फ़िरोज़-मतलब?

जीनत- अनचुदी हूँ, आप मेरे पहले लौड़े होंगे बताया था ना मैंने !
फ़िरोज़- हाँ आ जा नाज़िमा, नंगी तो तू है ही, नंगी ही आगे बढ़के अपने मर्द भाई के लौड़े की सैर कर!

जीनत- लो भाई, नाज़िमा के नर्म उरोज मसल दो, उसे उसकी जवान चूचियाँ पकड़ कर चोदो, उसकी चुची के निप्पल नोंच के खेलो। फ़िरोज़- साली नाज़िमा, तू बड़ा नर्म-गर्म गोश्त है, तुझे मज़े ले ले के खाऊँगा, तेरे सीने पर उगे अमरुदों से खेलूँगा फिर तेरी मस्त नाभि में लौड़े का सुपारा डालूँगा, जब तू खिलखिलाएगी तेरे होंठ का रस पीऊँगा और तेरी जीभ चुसूंगा, तेरी गोरी चिकनी मक्खन सी बुर मारूँगा !

जीनत- हाए रे लौड़ा बहुत टनटना गया है भाईजान, इससे आज अपनी नाज़िमा की बुर की नथ उतार दो…
फ़िरोज़- आओ नाज़िमा मेरे लौड़े से खेलो!
जीनत लण्ड को मुँह से सहलाते हुए- हाय भाई, कैसा लग रहा है नाज़िमा के साथ?
फ़िरोज़- मस्त लग रहा है… तू एक नंगी अप्सरा है और मैं उसे चोद रहा हूँ और खेल मेरे लौड़े से!

जीनत- देखो, झड़ मत जाना भाई !
फ़िरोज़- तू चिंता मत कर तेरी अनचुदी बुर चोदे बिना नहीं झड़ूँगा, तू मेरा वीर्य पिएगी?
जीनत- हाँ भाईजान, यह तो अमृत है।
फ़िरोज़- हाँ नाज़िमा, मर्दों का वीर्य लड़कियों का अमृत है, उनकी जवानी में ताज़गी भरी रहती है, आ मेरे लौड़े को चूस, झड़ गया तो फिर खड़ा करके चोद दूँगा…

इधर शबनम की चूत पूरी तरह पानी छोड़ चुकी थी वो अपनी भाभी जीनत, जो नाज़िमा बन कर बात कर रही थी, और भाई के बीच की बातें सुन कर हैरत में थी कि उसकी भाभी नाज़िमा का रोल कर रही है और उसका भाई उसकी नई सहेली की चूत के दीवाने थे।
क्या वो उसकी चूत भी… छी…शायद ज़्यादा सोच गई थी।

जीनत- भाईजान, एक बात बोलूँ?
फ़िरोज़- पूछ ना पहले तू मुझे एक बात बता?
जीनत- क्या भाईजान?

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फ़िरोज़- नाज़िमा तू मेरी नंगी रंडी है ना?
जीनत- आपके सामने मदरजात नंगी होके चुदने को तैयार हूँ और क्या बोलूँ, हाँ हूँ आपकी पर्सनल रंडी, जब बोलोगे तब चुदूँगी, जिससे बोलोगे उसका लौड़ा ले लूँगी अपनी बुर में।
फ़िरोज़- तू पूछ, क्या पूछ रही थी?
जीनत- भाई क्या आप शबनम को भी पेल चुके हो?

शबनम ने भाई के इस उत्तर को सुनने को कान अड़ा दिए कि क्या फ़िरोज़ शबनम की भी चूत का प्यासा है?
फ़िरोज़- हाँ, मैं उसकी चूत भी मार चुका हूँ।
शबनम का दिमाग़ झनझना गया, तो भाई का उस पर क्रश है, वो उसके भी दीवाने हैं पर भाभी कैसे इसे मानती है यह तो वो पूछ के रहेगी। नाज़िमा तक तो ठीक था पर ‘उसके बारे में भी वही सोच’ इस बारे में भाभी से बात करनी ही होगी।
फ़िरोज़- आओ नाज़िमा, अपनी बुर मेरे लौड़े पे रख दो।

जीनत- लो भाई, चोदो अपनी नाज़िमा को।
फ़िरोज़- आआहह बड़ी गर्म है तेरी नर्म बुर…
जीनत- आआउउह्ह भाई, आपका लौड़ा बड़ा गर्म और मोटा है।
फ़िरोज़- नाज़िमा सब्र कर, पूरा मज़ा आएगा तेरे को मेरी जान, मेरी कामुक कुतिया !
जीनत- बाही, प्लीज़ बाहर निकालो, मेरी बुर दर्द कर रही है, मुझे नहीं चुदना, आप जीनत, शबनम, गुरलीन, माधुरी को चोद के काम चलाओ।

हाए रे ! शबनम ने बाहर खड़े खड़े सोचा उसके भाई उसके नाज़िमा के साथ साथ गुरलीन और माधुरी की भी सवारी कर चुके हैं।
फ़िरोज़- रुक साली कहाँ जाएगी, आज तेरी नथ उतारूँगा जैसे गुरलीन, माधुरी, शबनम की उतारी थी, तेरी भाभी भी अनचुदी मिली थी।
जीनत- भाई, आपकी नाज़िमा की बुर बहुत छोटी है फट जाएगी।
फ़िरोज़- इसी फटने में चुदाई का मज़ा है।
इतना कह के उसने लौड़े का ज़ोर लगाया।

जीनत- आआह… आआईई… आआ… आआह… आह मर गई… बचाओ कोई इस लौड़े से… साले ने बुर चीर दी…शबनम बचा ले मुझे अपने भाई से !
फ़िरोज़- नाज़िमा और चिल्ला, आज तेरी नथ उतरने को मैं अकेला हूँ, कल पूरे मोहल्ले वाले चोदेंगे।
जीनत- क्यों?
फ़िरोज़- यही यहाँ का नियम है, मोहल्ले की हर चुदी चूत को सब मिल बाँट के खाते हैं।

जीनत- तभी मैं कहूँ भाई, कोई दीदी की शादी होती है तो आप सब क्यों खुश होते हो क्योंकि वो आप सबसे चुदती है।
फ़िरोज़- हाँ नाज़िमा, अब अगर मैंने किसी को बोल दिया कि तेरी नथ उतर गई है तो तू मोहल्ले की रानी, रंडी बन जाएगी, बोल, बोल दूं या चुपचाप चुदेगी मुझसे?
जीनत- प्लीज भाई, सिर्फ़ आप चोदो मुझे, अभी इस छोटी उम्र में रंडी नहीं बनना, पहले मेरा पति मुझे चोद ले फिर जिसका मर्ज़ी लौड़ा लूँ कोई ऐतराज़ नहीं…

फ़िरोज़- फिर आ जा, मेरे लौड़े को मस्त कर और अपनी चूत मरवा!
इसके बाद फ़िरोज़ ने जीनत की चूत को नाज़िमा की चूत समझ कर चोदा परंतु हमारी कहानी शबनम के साथ चलती है इसलिए हम वापस लौटते हैं।

कहानी जारी रहेगी।


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