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चूत के दम पर नौकरी-3 - Chut Ke Dam Par Naukri - 3

चूत के दम पर नौकरी-3
चूत के दम पर नौकरी-3

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दोस्तो, मैं आपकी प्यारी चुदक्कड़ जूही अपनी चूत की दास्तान लेकर प्रस्तुत हुई है।

थोड़ी देर बाद वो फिर से चुदाई के मूड आ गए, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर करने लगे। अब मुझे अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था।

फिर बॉस ने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई और बॉस को कस के पकड़ लिया। तक़रीबन 15 मिनट हम एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहे। फिर चुदाई का वो खेल शुरू हुआ कि दो दिन हमने न जाने कितनी बार चुदाई की, हम खुद भी नहीं जानते पर जितना जानते हैं उतना जरूर बताएँगे।

थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझसे पूछा- तुम्हें देर तो नहीं हो रही?

मैं अकबका गई।

उन्होंने कहा- तुम चाहो तो आज यहीं रुक सकती हो और कल सुबह मेरे साथ चलना, मैं तुम्हें जॉइनिंग लेटर दे दूँगा।

मैंने जैसे ही जॉइनिंग लेटर की बाद सुनी फिर काहे की देरी- अब तो मेरी चिंता खत्म हो गई, मैंने फट से कहा- जी नहीं, मैं रुक जाऊँगी आपसे साथ, वैसे मुझे भी आपके साथ चुदाई में मज़ा आने लगा है।

ये लफ़्ज़ सुन कर तो जैसे बॉस का लंड चुदाई के लिए फड़फड़ाने लगा और तन के खड़ा हो गया था।

मैंने बॉस से कहा- जो लोग धीरे धीरे सम्भोग का मज़ा लेते हैं, चरम सीमा पर जाकर चूत और लंड का मिलन करते हैं, मुझे ऐसे लोग बहुत पसंद है और आप बिल्कुल वैसे ही हैं।

मेरा इरादा साफ़ था, मुझे मज़ा करना था और बॉस को मज़ा देना था। मुझे अब यह भरोसा तो हो चुका था कि जॉब मिल गई, अब मेरी इच्छा यह थी लो कैसे बॉस को अपने बदन के मायाजाल पूरा फंसा लूँ जिससे कंपनी में मेरे सारे काम आसानी से हो जाएँ।

बॉस ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरी गांड गाण्ड को सहलाते हुए मेरी पीठ चाटने लगा।

वातावरण बहुत गर्म हो चुका था, बॉस कभी गर्दन तो कभी पीठ को चाटना और चूमने लगते।

फिर बॉस ने मुझे झपट कर नीचे लिटाया और अपना मुँह रख लिया मेरी चूत पर, बॉस मेरी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रख कर काफी देर तक चूत चाटता रहा और मैं सिसकारती रही- आअह ह्हह… आआह ह्ह… ऊऊह ह्ह…

मेरे मुँह से बहुत ही कामुक सी आवाज़ आने लगी- …आह !!!!! सर थोड़ा धीरे से !!

उन्होंने अपना लंड पकड़ा और एक झटके में मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुसा दिया।

लण्ड अन्दर तक डालने के बाद वो 2 मिनट रुका और अपने होंठों को मेरे होंठों से मिलकर चूसने लगा।

मैंने भी मजे लेते लेते हुए अपने कूल्हे नीचे से हिलाने शुरू कर दिए।

वो समझ गए कि मुझे मज़ा आने लगा है तो उन्होंने मेरी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रख कर अपना लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

वो एक तरफ लगातार उसकी चूत में अपना लण्ड पेल रहा था, पूरा बाहर निकालता और एक झटके से उसकी चूत के अन्दर तक घुसा देता, मेरे मुँह से ‘सीईई…ईईई!! ओह आअह आआह्ह्ही…ईई !!’ जैसी आवाज़ आती।

फिर उन्होंने अपना लण्ड जो चूत पर लगा कर जोर से झटका मारा और पूरा अन्दर डाल दिया।
मैंने अपनी गांड दबाकर नीचे से उछलना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद बॉस झड़ झड़ गए लगभग 15 मिनट तक मेरे ऊपर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद बॉस ने अपना हाफ निकर पहना और रसोई से खाना लेकर आए।

मैं बाथरूम गई और अपनी चूत को पानी और हाथ धोकर खाने के लिए आ गई।

मैं जाकर बॉस के पास बैठ गई और कहा- आप ही खिला दो।

बॉस कभी खुद खाते तो कभी मुझे खिलाते।

खाना खत्म हुआ और बॉस फिर से मेरे पास आकर बैठ गये।

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अब चुदाई तो काफी हो चुकी थी पर मुझे मज़ा नहीं आया क्यूंकि मेरी लंड की प्यास पूरी बुझी नहीं थी।

मैंने बॉस को बिस्तर पे लिटा दिया और 69 की पोजीशन में उनके ऊपर चढ़ के लेट गई और अब मज़े करने की बारी मेरी है।

बॉस जहाँ एक तरफ चूत चाटने में व्यस्त थे, वहीं मैं भी दोनों हाथों से पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से बॉस के तने हुए लंड को पकड़ कर हिला रही थी।

फिर जैसे ही बॉस का लंड चरम सीमा पर पहुंचने वाला था, मैंने लंड को हिलाना रोक दिया ताकि वीर्य का पतन न हो और लंड तना रहे।

थोड़ी देर बार मैंने लंड को फिर से हिलाना शुरू किया पर इस बार लंड को मुँह में लेने लगी और साथ ही साथ बॉस के लंड से टोपे को अपनी जीभ से सहलाने लगी और धीरे धीरे मैंने गति और बढ़ा दी।

और जैसे ही उनका वीर्य पतन होने वाला था मैंने लंड को मुँह से निकाल कर चेहरे पर मलने लगी और कुछ ही सेकंड में मेरा चेहरा वीर्य में लिपटा हुआ था।

कुछ देर बाद मैंने वह रखे टिश्यू पेपर से वीर्य को साफ़ किया, फिर लंड के सुपारे को चूमने और चूसने का लुत्फ़ उठाने लगी।
फिर आकर बॉस के बगल में लेट गई।

मैंने बॉस से पूछा- आप मेरी गाण्ड नहीं मारेंगे?

बॉस आश्चर्य चकित होकर बोले- तुम्हें गांड मरवाना पसंद है?

मैंने खिलखिलाते हुए हाँ में जवाब दिया और पूछा- क्यों आपको नहीं पसंद?

तो बॉस बोले- यार, पसंद तो बहुत है पर मेरी साली बीवी को यह सब नहीं पसंद इसलिए अरसा बीत गया।
मैंने कहा- अगर आपको नहीं करना तो कोई बात नहीं।

बॉस झट से बोले- अरे क्यों नहीं? नेकी और पूछ पूछ… मैं तो पूरी गांड मार सकता हूँ, सालों से इसका इंतज़ार था। पूरी कसर तुम पर ही निकालूंगा।
मैं भी बॉस की तरफ गांड घुमा कर लेट गई और चुदाई का न्योता देने लगी।

बॉस ने भी फुर्ती दिखाई।

कुछ देर के बाद मैं मैं घोड़ी बन गई और बॉस ने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए धीरे से मेरे कान में कहा- अब मैं तेरी गाण्ड मारने वाला हूँ।

बॉस ने अपने हाथों में क्रीम लगा ली और मेरी गांड के छेद को दोनों उँगलियों से खींचकर दूसरे हाथ की एक उंगली अंदर डालने लगे। मुझे हल्‍की हल्‍की गुदगुदी होने लगी।

वो बार बार उंगली अंदर बाहर कर रहे थे जिस कारण कुछ क्रीम भी अन्‍दर तक चली गई।

धीरे धीर मुझे उंगली का अन्दर तक अहसास हुआ पर तब तक उनकी उंगली इतनी चिकनी हो गई थी कि गांड के अंदर आराम से सरकने लगी।
दर्द तो हो रहा था, हल्का सा पर चिकनाहट का भी कुछ कुछ असर था, मजा आने लगा था।

धीरे धीरे एक से दो उँगलियाँ मेरी गांड के मज़े लेने लगे थे।

तभी अचानक मुझे अपने गांड में लंड का एहसास हुआ, वो मेरे पीछे आये और अपना लंड मेरी गांड पर रखकर अन्‍दर सरकाने का प्रयास करने लगे।

लंड का टोप धीरे धीरे अन्‍दर जाने लगा, एक इंच से भी कुछ ज्‍यादा ही शायद उनका लंड मेरी गांड के अंदर चला गया था, मुझे कुछ दर्द का अहसास होने लगा, मैं दर्द से कराहने लगी- आआअ… ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… उउहह… उह्ह… ह्य्यईईए आहहह… उन्‍होंने अचानक ज़ोर का दबाव दिया तो इस बार जोर का झटका जोर से लगा, मुँह से दर्द की आहटें आने लगी- आआअह्ह ह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह ह आहहहहह…

उधर बॉस अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ के स्पंज की तरह दबाये जा रहे थे।

धीरे धीरे बॉस मेरी कमर को पकड़ कर लंड और अंदर घुसाने लगे और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे।

बॉस ने स्पीड बढ़ा दी और फिर अंत में अपना वीर्य मेरी गांड में समर्पित कर वहीं हम दोनों औंधे लेट गए।

उस रत हमने दो बार फिर से चुदाई की और बॉस को मैंने पूरी तरह से अपनी चूत के बस में कर लिया था।

हम थक कर वही लेट गये और हमारी आँख लग गई।

सुबह उठकर हम नहाए और फिर ऑफिस आ गए।

ऑफिस में बॉस ने राजेश को भी बुलाया था।

बॉस ने मुझे ऑफर लेटर दिया और जॉइनिंग लेटर सोमवार को ईमेल करने की बात कही।

फिर राजेश ने मुझे हॉस्टल छोड़ दिया। सोमवार को मुझे बॉस का ईमेल आया जिसमें फ्राइडे को जॉइनिंग डेट थी और पोस्ट थी बॉस की पर्सनल सेक्रेटरी।
बॉस का भी इशारा साफ़ था और मेरा भी काम हो गया !

बॉस के साथ रहूँगी तो काम की टेंशन भी नहीं होगी।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना !

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