Stories Uploading Time

7:00 am, 7:30 am, 8:00 am, 8:30 am, 9:00 am, 7:00 pm, 7:30 pm, 8:00 pm, 8:30 pm, 9:00 pm Daily 10 Stories Upload

जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-3 - Janmdin Par Chudi Shikha Rani - 3

जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-3
जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-3

Support Us Link:- Click Here

For Audio: - Click Here

Read:- Previous Part: - जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-2

अब तक मैं भी बेतहाशा उत्तेजित हो चुका था। मैंने तुरंत शिखा रानी की टांगें चौड़ी कीं और उनके बीच में घुटनों पर बैठ के लंड को चूत से लगाने ही वाला था कि शिखा रानी ने रोका- एक पल रुक राजे…ज़रा मैं अपने भोले का स्वाद तो चख लूँ…


उसने तपाक से उठ कर मेरे तन्‍नाये हुए लौड़े के सुपारे को पहले तो चमड़ी पीछे खींच कर नंगा किया और फिर उस पर अपनी गीली जीभ फिराई।
ऊऊऊँ… ऊऊँ… ऊऊऊँ… आवाज़ निकालते हुए शिखा रानी ने लंड को मुख में ले लिया और थोड़ी देर मज़े ले ले कर चूसा।
एक बार गले तक लंड को अंदर लिया और फिर बाहर निकाल कर बोली- राजे… राजे मज़ा आया… अब कर ले संगम !
मैंने शिखा रानी की दोनों पैर अपने कंधों पर टिका लिये और उसकी चूत को निहारा।
गुलाबी गुलाबी सी चूत रस छोड़े जा रही थी, बाहर तक गीली हो गई थी, झांटें बिल्कुल साफ की हुई थीं और चूत के आसपास का सारा बदन एकदम चिकना था।
मैंने लंड को चूत के होठों पर घुमाया, टोपा चूत रस से बिल्कुल भीग गया।
शिखा रानी ने एक सीत्कार भरते हुए मेरी बाहों को ज़ोर से जकड लिया- राजे, क्यों तड़पाता है… राजे प्लीज़ अब देर मत कर…बस घुसा दे मूसल चंद को.. अब नहीं सबर हो रहा।
मैंने लौड़े को उस खूबसूरत सी भीगी भीगी बुर के मुँह पर रखा और आहिस्ता से टोपा घुसाया।
‘माँ….माँ….ये क्या हो रहा है हमें…इतना मज़ा क्यों आ रहा है….हाय हाय हाय हम क्या करें राजे…राजे तू ही बता….आआआह आआआह…’ वो अपना सिर इधर उधर हिला रही थी मस्ती में चूर मतवाली हो गई थी।
मैंने थोड़ा सा लण्ड पीछे लिया और फिर धमाक से पूरा लंड पेल दिया कि सुपारा जाकर शिखा रानी की बच्चेदानी से ठुका।
उसके मुख से एक तेज़ सीत्कार निकली, उसके नाखून मेरी कलाइयों में गड़ गये, वो हाँफने लगी और हाँफते हाँफते बोली- राजे..बस यूं ही पड़े रहो…ज़रा भी धक्का ना लगाना… हम लंड को अपने अंदर महसूस करना चाहते हैं.. इसका तुनका हमें अपनी चूत में चाहिये… बस तुनके मारे जा… हाँ…यूं ही… हाँ… हाँ…हाँ… तू बहुत होशियार है राजे… मैं जो चाहती हूँ समझ लिया तैने… हाँ… हाँ… हाय मैं मर जाऊँ…

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं शिखा रानी की मर्ज़ी के अनुसार लंड को पूरा घुसाये हुए थोड़ी थोड़ी देर में तुनका देता था जिसके जवाब में वो भी चूत को लपलपा देती।
रस से तर चूत जब लपलपाती तो बहुत मज़ा आता था।
शिखा रानी की आँखें आधी मुंदी हुई थीं और उसका प्यारा सा मुँह ज़रा सा खुला था, वो पूरी मस्ती से चूर दिख रही थी।
मैंने शिखा रानी के चूचों को हौले हौले दबाना शुरू किया। चूची दबते ही वो चिहुंक उठी और चूतड़ उठा कर नीचे से धक्का देने लगी। मैंने और ज़ोर से चूचुक निचोड़े, उन प्यारी प्यारी भूरी निप्पलों को उमेठा, शिखा रानी दीवानी सी होकर तेज़ तेज़ कसमसाने लगी- आआह… आह… करने लगी।
मैं चूत में लंड घुसाये चुपचाप शान्त पड़ा हुआ शिखारानी के चूचों से खेले जा रहा था।
मैंने कहा- शिखा रानी… ज़रा अपने पैर मेरे मुँह पर रखो ना जानू.. मैं चाट चाट के अपना प्रेम दर्शाना चाहता हूँ… लाओ ना बिल्लो रानी…
उसने एक पैर मेरे मुँह के बिल्कुल सामने कर दिया और फिर इतरा इतरा के उसे मेरे मुँह पर, होठों पर, गालों पर फिराने लगी।
इतने नर्म नर्म खूबसूरत पैर जब मेरे मुँह पर लगे तो यारो, मैं मज़े से बौरा गया, हुमक हुमक कर मैंने शिखारानी के पैर के तलवे को चाटा और खूब चाटा।
फिर उसने पैर का अंगूठा मुँह में दे दिया जिसे मैं चूसता रहा।
इधर मैं उसके चूचियों को लगतार दबाये जा रहा था, उसके दोनों पैरों के तलवे चाटे, दोनों अंगूठे चूसे, सभी उँगली को चूसा और अपनी जान शिखा रानी को इतना मज़ा दिया कि वो कसमसा कसमसा के रह जाती थी और राजे राजे राजे कहे जाती थी।

AUDIO SEX STORIES HINDI


साथ साथ वो नीचे से धक्के पर धक्का दिये जा रही थी।
जैसे जैसे उसका मज़ा बढता, उसके धक्के भी तेज़ होते जाते। चूत से रस का बहाव अब धारा बन चुका था, उसके हर धक्के में पिच्च पिच्च की आवाज़ आती।
शिखा रानी चरम सीमा की तरफ बड़ी तेज़ी से बढ़ रही थी और मेरे भी अंडे भारी भारी महसूस होने लगे थे, मैं भी अब ज्यादा देर नहीं रुक पाऊँगा, ऐसा मुझे लगने लगा था।
मैंने कहा- शिखा रानी… शिखा रानी… शिखा रानी… शिखा रानी… शिखा रानी…
वो तड़प कर बोली- हाय राजा.. कह ना क्या कहना चाहता है… इतना तड़पा क्यों रहा है…
मैंने बड़ी ज़ोर से उसके चूचे मसल दिये और निप्पल दबाता हुआ बोला- मज़ा आ रहा है मेरी जान को… थोड़े से धक्के मैं भी लगा दूँ अगर मेरी रानी की इजाज़त हो तो?
शिखा रानी मचल कर बोली- राजे राजे राजे… जैसा तुझे दिल करे वो कर… मैं तो तेरी हूँ… तू राजे चोद… जैसा तू चाहे वैसे ही चोद… खूब ज़ोर ज़ोर से चोद!
मैंने शिखा रानी की चूचियों को पकड़ा और उन पर ही टिक कर धक्के मारने शुरू किये। हर धक्के में चूची कभी नीचे को खिंचती और कभी ऊपर को।
जब मैं अपने चूतड़ गोल गोल घुमाता तो शिखा रानी के चूचे भी दायें या बायें को खिंचते। मैंने चूचों को पूरी ताकत से भींच रखा था और मैं उंगलियाँ चूचुक में गड़ा गड़ा के शिखा रानी को लपक लपक के दनदन दनदन चोदे जा रहा था।
शिखा रानी चुदास की भरपूर मस्ती के नशे में कमर उछाल उछाल के मेरा साथ दे रही थी, वो बार बार ‘सी सी सी सी…’ करती, ‘हाय हाय…’ करके अपनी मम्मी को याद करती, तथा और ज़ोर से चोदने के लिये पुकारती हुई चुदे जा रही थी।
शिखा रानी की चूचियाँ खूब कस के निचुड़ रही थीं, चूत रस पर रस निकाले जा रही थी और शिखा रानी की सीत्कारों की आवाज़ों से होटल का रूम गूंज उठा था।
शिखा रानी भरपूर आनन्द में मतवाली हो कर ज़बरदस्त धक्के मार रही थी। पैर चटवाने का मज़ा, चूचियाँ कस के दबवाने का मज़ा और चूत में मची धकमपेल का मज़ा मिल कर उसकी सुध बुध उड़ा बैठे थे।
अचानक से शिखा रानी ने खुद को उचकाया, मेरी गर्दन पकड़ के झूल गई और अपनी टांगें मेरी कमर में कस के लिपटा के भिंची भिंची सी आवाज़ में बोली- राजे…राजे… मुझे अपनी बाहों में संभाल ले… मेरा दिल बैठा जा रहा है… मुझे लग रहा है कि मैं आकाश से नीचे गिरी चली जा रही हूँ… मेरे तन बदन में बिजली सी दौड़ रही है… थाम ले राजे, मुझे थाम ले… आज तेरी शिखा रानी चल बसेगी… इतने में उसके मुँह से एक गहरी हिचकी निकली, उसने मेरे बाल जकड़ लिये और बड़े ज़ोरों से उसकी टांगें मेरी कमर से चिपक गईं। चूत से गर्म गर्म सी एक बौछार छूटी जिसने चूत को और लौड़े को पूरा भिगो दिया।
मैंने अपनी जान को बाहों में लपेट लिया और उसे चूमता हुआ तगड़े तगड़े धक्के मारने लगा।
वो झड़ चुकी थी और पसीने में लथपथ हो गई थी, गहरी गहरी साँसें भर रही थी।
मैंने पंद्रह बीस ज़बरदस्त धक्के ठोके और फिर मेरे गोलियों में एक विस्फोट जैसा हुआ, बड़े ज़ोर से मैं झड़ा, लावा की मोटी मोटी बूंदें बिल्लो रानी की रिसती हुई बुर में तेज़ी से गिरीं।
गर्म गर्म मलाई चूत में लगते ही चूत एक बार फिर से झड़ी और इस दफा रस की बौछार बहुत तेज़ थी।
मैंने तुरंत शिखा रानी को प्यार से अपने आलिंगन में बांध लिया और तुनके मार मार के पूरा लंड का लावा खाली कर दिया।
हाँफता हुआ मैं शिखा रानी के नाज़ुक से शरीर पर ही लुढ़क गया।
शिखा रानी ने बार बार राजे राजे राजे बोलते हुए मुझे सब तरफ से कस लिया। कमर एक टांग से, मेरे पैर दूसरी टांग से, मेरा बदन अपनी मुलायम सी गोरी बाहों से और मेरा मुँह अपने मुँह से।
शिखा रानी ने मुझे प्यार से एक के बाद एक बहुत सारे चुम्बन पर चुम्बन दिये। उसने मुझे सिर से पैरों तक यूं लिपटा रखा था जैसे कि हम बड़े बरसों के बाद मिले हों और जल्दी ही दुबारा अलग होने वाले हों।
मैंने कहा- शिखा रानी एक बार फिर HAPPY BIRTHDAY’
कहानी जारी रहेगी।


Next Part: - जन्म दिन पर चुदी शिखा रानी-4

Post a Comment

Previous Post Next Post