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भाई की औलाद पैदा की - Bhai Ki Aulad Paida Ki

भाई की औलाद पैदा की
भाई की औलाद पैदा की

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Read:- मेरा नाम सरोज है, मैं आपको अपनी आपबीती बताने जा रही हूँ, मैं 25 साल की एक शादी-शुदा औरत हूँ।

मेरी शादी 18 साल की उम्र में हो चुकी थी। वैसे तो सब कुछ ठीक ही चल रहा है, पर आज से 5 साल पहले मेरे साथ जो कुछ हुआ उसे मैं कभी भी भूल नहीं पा रही हूँ और ना ही भूल पाऊँगी।
आप सोच रहे होंगे कि क्या हुआ होगा।
यह बात तब की है जब मैं गर्मी के दिनों में अपने मायके गई थी। मेरे मायके में मेरा भाई मेरी भाभी और मेरे पिताजी रहते हैं।
जब मैं वहाँ पर पहुँची, तब रात के 9 बज चुके थे। सभी लोग खाना खा चुके थे और सोने की तैयारी कर रहे थे।
मेरी भाभी ने मुझे अपनी साड़ी दी और बोली- तुम नहा-धोकर खाना खा लो और मेरे कमरे में आ जाओ, तुम्हारे भाई अपने दोस्त के साथ शादी में गए हैं। वो आज रात को नहीं आ पायेंगे क्योंकि वो अपनी बाईक नहीं ले गए हैं।
मैं अपनी भाभी के साथ सो गई, तभी लाईट चली गई।
मेरी भाभी बोली- सरोज छत पर चलते हैं।
पर मुझे नींद आ रही थी तो मैं नहीं गई और वहीं सो गई। जब मैं गहरी नींद में थी, तभी चौंक कर मेरी आँख खुल गई, मुझे लगा कि कोई मेरी बुर में उंगली घुसा रहा है।
घुप्प अँधेरे में मुझे कुछ दिख नहीं रहा था, तभी कोई बोला- रानी उठो ना..!
मेरा दिल ‘धक्क’ से रह गया।

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ये मेरे भैया थे और बारात से लौट आए थे और दारु के नशे में मुझे भाभी समझ रहे थे और मेरी साड़ी हटा कर मेरी बुर में वैसलीन लगा रहे थे।
मेरा चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया, पर मैं कुछ नहीं बोल पाई क्योंकि अब तक वो मेरी साड़ी खींच कर मुझे नंगी कर चुके थे।
मैंने भी अपनी साड़ी खींच कर अपना चेहरा ढांप लिया ताकि लाईट आ जाए तो वो मेरा चेहरा ना देख पाएँ।
तभी उन्होंने अपना लंड मेरी बुर के मुँह पर रख दिया और मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।
साथ ही अपना लंड को मेरी बुर पर रगड़ भी रहे थे।
कुछ ही देर में मेरी बुर में भी पानी आ गया। अब उनका लंड भी थोड़ा अन्दर की तरफ सरक रहा था। तभी उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और पूरी ताकत के साथ जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी बुर में ‘गच्चाक’ से पेल दिया।
उनका लंड जैसे मेरे गले तक में घुस गया था क्योंकि मारे दर्द के मेरा मुँह खुल गया था, पर मैं चीख भी नहीं पाई थी।
दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठ गया था।
उनका लंड मेरे लिए बहुत ही तगड़ा था। अब भी वो मेरी चूची को प़ी रहे थे, कुछ देर के बाद मेरा दर्द कम हुआ तो मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया।
इतनी बुरी हालत तो मेरी सुहागरात को भी ना हुई थी।
अब मेरे भईया ने मेरी कमर को पकड़ा और मुझे चोदने लगे। उनका लंड मेरी बुर को बुरी तरह से रगड़ रहा था क्योंकि मेरी बुर का छेद उनके लंड के हिसाब से काफी संकरा था।
उनकी हर चोट पर मैं मन ही मन ‘वाह.. वाह’ कर रही थी।
तभी मेरी बुर ने पानी छोड़ना चालू कर दिया।
मेरे भाई ने अब मेरी टांगे पकड़ीं और मेरे सीने से सटा दिया और जोर-जोर से मुझे चोदने लगा। अब तो मारे आनन्द के मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थीं।
पूरा कमरा ‘चप्प.. चप्प.. हच्च.. हच्च’ की आवाज से गूंज रहा था, मैं भी ‘आह.. आह.. उफ.. उफ..’ कर रही थी।
तभी मैं झड़ने लगी ‘आ..हह..ई..इ..उफ..ओ..’ की आवाज के साथ मैं झड़ गई।
मेरी बुर की चुदने के कारण ‘हच्चाक.. गच्चाक.. फ्च्चा.. फच्च..’ की आवाज इतनी थी कि मेरी आवाज उसमें छुप गई।
तभी मेरे भाई के भी लंड ने भी पानी छोड़ दिया।
फिर उन्होंने अँधेरे में ही अपने तौलिया को लपेटा और बाहर चले गए। मेरी बुर का भोसड़ा बन गया था। उनके वीर्य से मेरी बुर लबालब भर गई थी, पर मेरी बुर सूज कर इतनी फूल चुकी थी कि कुछ भी बाहर नहीं आ पा रहा था।
मैंने भी बुर में रुमाल डाला ताकि भाभी की साड़ी खराब ना होने पाए नहीं तो उन्हें पता चल जाता।
फिर मैं साड़ी पहन कर छत पर जाकर सो गई। सुबह किसी को कुछ पता नहीं चला।
3-4 दिनों तक मेरी बुर में मीठा-मीठा दर्द होता रहा। इसके 9 महीने बाद मेरा बेटा पैदा हुआ जो कि मेरे भाई की औलाद है।

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