Stories Uploading Time

7:00 am, 7:30 am, 8:00 am, 8:30 am, 9:00 am, 7:00 pm, 7:30 pm, 8:00 pm, 8:30 pm, 9:00 pm Daily 10 Stories Upload

खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 2 - Khubsurat Jism Se Maujan Hi Maujan - 2

खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 2
खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 2

Support Us Link:- Click Here

For Audio: - Click Here

Audio: - 

Read: - हॉट वाइफ Xxx कहानी में पढ़ें कि कैसे एक ससुर ने नपुंसक बेटे के कारण अपनी पुत्रवधू के सामने एक अभद्र प्रस्ताव रखा. तो बहू ने ससुर को क्या जवाब दिया?

कहानी के पहले भाग

कुंवारी दुल्हन की सुहागरात मनाने की लालसा

में आपने पढ़ा कि बेहद खूबसूरत पढ़ी लिखी लड़की की शादी उसकी सुन्दरता के बल पर एक बहुत अमीर परिवार में हो गयी.
लेकिन उसका पति नपुंसक निकला. लड़की के ससुर को भी अपने बेटे की कमी का भान था.

ठाकुर साहब ने अपनी पुत्रवधू के समक्ष एक बेहद घटिया और घिनौना प्रस्ताव मालविका के सामने रखा कि अगर वो चाहे तो बिस्तर का हर सुख वो उसे दे सकते हैं।
मालविका ने यह सुनते ही एक जोरदार तमाचा उनके मुंह पर मारा और बोली- वेश्या समझा है क्या मुझे?

ठाकुर साहब अपने कमरे में जाने को खड़े हुए और बोले- अगर मेरी बात ठीक लगे तो मुझे बुला लेना। इस सेज़ की सजावट और तुम्हारे अरमान आज ही पूरे होंगे।

मालविका कटे पेड़ की तरह बेड पर गिर गई और फूट फूट कर रोने लगी।
थक गयी वो रोते रोते!
नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।

अब आगे हॉट वाइफ Xxx कहानी:

फिर उसने सोचा कि जब जिंदगी ने धोखा दे ही दिया है तो उसे सबसे अच्छा रास्ता चुनना है।
एक मन किया कि वो सब कुछ छोड़ कर चली जाये पर उसे क्या मिलेगा, एक मजबूर बाप जो उसे जिंदगी भर नहीं संभाल पाएगा।

और फिर ऐसी स्थिति में उसकी दोबारा शादी भी कैसे होगी। उसकी निगोड़ी चूत का और उसके सपनों का क्या होगा।

उसने अपनी चूत आज तक इसीलिए किसी को नहीं दी की शादी के बाद पति को दूँगी और फिर रोज़ दूँगी।
सही मानों में शादी तय होने के बाद वो बहुत चुदासी हो गयी थी।
उसे हर सामी सिर्फ चुदाई के ही ख्याल आते थे।

अगर वो बिना ठाकुर की बात मान कर विजय के साथ यहाँ रहती है तो उसकी स्थिति नौकरों जैसी होगी, किसी का साथ नहीं, कोई चुदाई नहीं।
पर अगर वो ठाकुर की बात मान लेती है तो उसे चुदाई भी मिलेगी और ऐशोआराम भी।
फिर ठाकुर के बाद तो सब कुछ उसी का होगा।

अब ठाकुर के जिस्म से एक मजबूत मर्द की खुशबू आती उसे महसूस हुई।
उसे लगा कि सुहागरात के सारे अरमान ठाकुर धर्मपाल पूरे कर देगा।
ठीक है जब कुदरत को यही मंजूर है।

वो धीमे से ठाकुर साहब के कमरे की ओर गयी।

ठाकुर साहब बाहर बरामदे में बैठे थे।
उसे देखते ही बोले- मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।

AUDIO SEX STORIES HINDI


मालविका ने उनसे कहा कि उसे उनकी शर्त मंजूर है, पर उसकी भी तीन शर्त हैं; पहली कि आज के बाद विजय उसे नहीं छुएगा और अलग कमरे में सोएगा; और दूसरी कि ठाकुर साहब विजय की माँ की कसम खाकर कहें कि उनकी बातों में कोई चाल या धोखा नहीं है। तीसरी कि उसे अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने दी जाएगी, उस पर कोई रोक टोक नहीं होगी।

उनसे मालविका ने स्पष्ट कह दिया कि उसके एक-दो अलग नौकर-नौकरानियाँ और ड्राइवर होंगे जो हवेली में ही रहेंगे.
मालविका ने उनसे नर्म पर दृढ़ स्वर में कहा- अगर आप ठाकुर हैं तो वो भी ठकुरानी है, अब कोई और धोखा वो बर्दाश्त न कर पाएगी।

ठाकुर साहब मुस्कुराए और बोले- तुम निश्चिंत रहो, तुम मेरे खानदान की इज्ज़त बचा रही हो, तुम्हारी जिंदगी में हमारी कोई रोक टोक और धोखा नहीं होगा।
मालविका ने कहा- ठीक है, आज से आप मेरे पति हुए, कमरे में आइये और अपना धर्म निभाइए।
धर्मपाल बोले- तुम चलो मैं तैयार होकर आता हूँ।

मालविका खुश मन से वापिस आयी, बिखरी सेज़ दोबारा सजाई।
उसने दोबारा दुल्हन का शृंगार किया और एक दुल्हन की तरह बेड पर बैठ गयी।

दरवाजे पर दस्तक हुई।
ठाकुर साहब सिर्फ धर्मपाल बन कर गेट पर थे। उनके हाथ में एक थैला था।

रेशमी कुर्ता पाजामे में दमकते चेहरे से वो कमरे में घुसे और पति धर्म निभाते हुए दरवाजा बंद किया।

बेड पर मालविका के नजदीक बैठ कर उन्होंने आहिस्ता से मालविका का घूँघट ऊपर किया।
मालविका नवब्याहता की मानिंद निगाहें झुकाये बैठी रही।

धर्मपाल ने उसकी गर्दन थोड़ी ऊपर करी और उसको साथ लाये थैले से एक हीरों के हार का सेट निकाला और मालविका को मुंह दिखाई में दिया और उसे गले लगा लिया।
मालविका उनसे बेल की तरह लिपट गयी।

धर्मपाल ने उसके होंठों पर प्यार की निशानी अंकित करते हुए उठकर लाइट बंद कर दी, बस एक साइड लैम्प ही कमरे को उजाला दे रहा था।

ठाकुर साहब बेड पर मालविका के नजदीक बैठ गए और उसकी मेहंदी लगी हथेलियों को सहलाने लगे।
मालविका उनसे फिर लिपट गयी।

अब बारी थी कि मिलन में रुकावट कर रहे जेवरों और कपड़ों के उतारने की!
तो जैसा हर लड़की का अरमान होता है, ठाकुर साहब ने बड़े आराम से मालविका के सारे जेवर उतारने में उसकी मदद की और फिर साइड लैम्प से आती रोशनी को बहुर धीमा करके दोनों चिपक गए।

अब मालविका ठाकुर साहब के होंठों से अपने होंठ भिड़ाये असीम सुख की अनुभूति कर रही थी।
ठाकुर साहब का कसरती और अनुभवी जिस्म मालविका की अनछुई जवानी को भोगने के लिए मचल रहा था।

आहिस्ता से ठाकुर साहब ने मालविका के जिस्म बार रह गए नाममात्र के कपड़ों को अलग किया और साथ ही अपने कपड़ों को भी उतार फेंका।
अब मालविका के हाथ में ठाकुर साहब का मूसल जैसा लंड था। अब मालविका को ये यकीन हुआ कि जैसा पॉर्न फिल्मों में उसने देखा है, वैसा लंड वाकई होता है।

उसकी इच्छा के अनुरूप ठाकुर साहब उसके मांसल मम्मों को मसल और चूस रहे थे।
कभी इधर वाला कभी उधर वाला … कभी दोनों एक साथ लेने का प्रयास!

मालविका की सीत्कारें निकाल गईं।
हे भगवान … वो सोच रही थी कि अगर वो इनकी बात नहीं मानती तो उसे इस सुख से वंचित रहना पड़ता।

अब उसने अपने आपको पूर्णतः समर्पित कर दिया सुहागसेज की मौज पर!

दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मालविका को इतना मोटा मूसल मुंह में लेने में दिक्कत ही हो रही थी, पर उसकी चूत को ठाकुर साहब की जीभ ने बेहाल कर दिया था।

ससुर बहू दोनों एक दूसरे को भींच रहे थे।

ठाकुर साहब उठे और मालविका की टांगों को चौड़ा कर अब अपनी जीभ घुसाई उसकी चूत में!
हाँ, अब उनकी जीभ और उंगलियाँ पूरा मज़ा दे रही थीं मालविका को!

मालविका ने अपने हाथों से अपनी चूत की फांक को ज्यादा से ज्यादा चौड़ाने की कोशिश की ताकि ठाकुर साहब की जीभ और गहराई तक पहुंचे।
उसकी चूत ने अब बगावत कर दी।

मालविका का जिस्म वासना की आग में जल रहा था। उसकी चूत जो पिछले एक हफ्ते से हर रात पिया मिलन की आस में भूखी रह जाती, अब अपनी हवस को मिटाना चाहती थी।
उसने खुशामद करते हुए ठाकुर साहब से कहा- अब मत तड़फाइए और अंदर आ जाइए।

AUDIO SEX STORIES HINDI


ठाकुर साहब एक विजेता की तरह खड़े हुए और मालविका से पूछा- बच्चों के लिए तुमने क्या सोचा है?
मालविका बोली- अब आप मेरे पति हैं तो बच्चे के बाप भी आप ही बनेंगे. पर अभी एक साल मैं इस झगड़े में नहीं पड़ना चाहती। पर अभी तो मेरी मुनिया पिया मिलन की प्यासी है। आज आप बिना रुकावट मुझे पूरी औरत बनाइये, गर्भ ठहरने की चिंता न कीजिये, तारीख के हिसाब से मैं सेफ हूँ।

ठाकुर साहब ने एक बार मालविका से होंठ भिड़ा कर उसे जम कर चूमा और कुछ मिंनट को शांत हुई आग को दोबारा भड़काया।

उनका फनफनता लंड मालविका की पानी बहाती मखमली चूत को ऊपर से मसल रहा था।
मालविका ने हल्की सी टांगें चौड़ाई तो ठाकुर साहब का लंड अपनी प्रियतमा से मिलन के लिए अपने आप ही चूत में सरक गया; ऊपर से ठाकुर साहब ने पेल लगाई।

मालविका की तो मानो जान ही निकाल गयी।
वो चीख पड़ी, उसने अपने लंबे नाखून ठकुर साहब की पीठ में गड़ा दिये और उनके बदन को भींच लिया।

अब ठाकुर साहब की रेलमपेल शुरू हो गयी।
दो चार झटकों के बाद मालविका की चूत भी लंड के साथ संगत करने लगी।

अब मालविका सेक्स की लहरों में तेज बहाव के साथ तैरने लगी।
वो चुदाई में ठाकुर साहब का पूरा साथ दे रही थी।
अब कुछ वैसा ही हो रहा था जैसा उसने फिल्मों में देखा था।

उसे ठाकुर साहब ने यहाँ वहाँ हर जगह दांतों से काट लिया था और चुदाई का जो तूफान दोनों के जिस्मों के मिलन से शुरू हुआ था, वो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

ठाकुर साहब अनुभवी थे, वो पोजीशन इसलिए नहीं बदलना चाह रहे थे कि उन्हें मालूम था कि अब तक मालविका की कुंवारी चूत फट चुकी होगी और उनके लंड के बाहर निकालते ही, चूत से खून आना शुरू हो जाएगा।

उन्होंने अपने को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने हाथों से मालविका के मम्मे मसलते हुए स्पीड बढ़ाई।

नीचे से मालविका भी धक्के दे रही थी। उसे दर्द तो हो रहा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था। मालविका चरमोत्कर्ष पर आ चुकी थी। उसे तृप्ति हो चुकी थी। उसकी चूत की मांग अब ठाकुर साहब ने एक ही झटके में अपने गाढ़े वीर्य से भर दी।
ईमानदारी से ठाकुर साहब ने अपना इतने वर्षों से रुका हुआ माल मालविका की चूत में डाला था।

ठाकुर साहब ने मालविका की चूत से अपना खून से सना लंड बाहर निकाला और पास रखा तौलिया मालविका को देकर वाशरूम गए।
मालविका कराही- दर्द बहुत हो रहा है।

ठाकुर साहब ने बाथरूम से गर्म पानी से भीगा तौलिया मालविका को दिया।
थोड़ी देर बाद मालविका ने उठ कर बाथरूम में अपने को साफ किया और नंगी ही बाहर आ गयी।

तब तक ठाकुर साहब अपने कपड़े पहन चुके थे।
मालविका ने उनसे कहा- अभी तो पूरी रात बाकी है, आप क्यों जा रहे हैं?
ठाकुर साहब ने उसे समझाया कि अब वो सो जाये, एक पेनकिलर लेकर। सुबह नौकर आ जाते हैं।
उन्होंने मालविका से कह दिया कि उसके कमरे से लगे कमरे में विजय सोया करेगा।

अगली सुबह मालविका की आँख देर से खुली, बाहर नौकरों कि आवाज़ आ रही थीं।
मालविका फटाफट नहाई और नयी दुल्हन की तरह कपड़े पहन कर बराबर के कमरे के किवाड़ अंदर से खोल दिए।

वहाँ विजय बेड पर बैठा था।
मालविका ने उससे कहा- आपको सब मालूम है न?
विजय बोला कि खानदान की इज्ज़त बचाए रखने के उसके इस एहसान को वो नहीं भूलेगा और उसकी किसी भावना को वो आहत नहीं करेगा। बाहर सबकी निगाहों में वो पति पत्नी रहेंगे, पर विजय कभी मालविका से अंतरंग नहीं होगा।

मालविका को और क्या चाहिये था!
उसने विजय से कहा- आप नहा कर बाहर आ जाइए, पहले मंदिर चलेंगे।

बाहर उत्सव का सा माहौल था।
ठाकुर साहब ने सभी नौकरों को इनाम दिये थे कि आज उनकी बहू ने गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर लिया है।

मालविका के चेहरे पर भी संतुष्टि और खुशी के मिश्रित भाव थे।
रात भर की चुदाई से उसे चलने में तकलीफ थी पर जो संतुष्टि उसे मिली उसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं।

मंदिर में पूजा में उसकी एक ओर ठाकुर साहब खड़े थे तो दूसरी ओर विजय।
पर आरती में मालविका के हाथ ठाकुर साहब के हाथ से ही मिले।


Next Part: - खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 3

Post a Comment

Previous Post Next Post