लखनऊ में मस्ती भरी चोदम चुदाई -3 |
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पतियों की अदला बदली
अब तक आप पढ़ चुके हैं कि मेरे पति रवि का तबादला लखऩऊ हुआ तो वहाँ वो राज के साथ रहता है। दोनों एक दूसरे की लंड और गांड से खेलने लगते हैं।
इसकी जानकारी मिलने पर मैं भी राज की पत्नी लीना के पास गई और हम दोनों एक दूसरी की चूत का मजा लेस्बियन सेक्स करके लेती हैं।
अब आगे की कहानी…
दो दिन बाद ही लीना ने मुझे बताया कि वो तीन दिन के लिये लखऩऊ जा रही है। लीना का कहना था कि चूत ठंडी तो हो गई है लेकिन लंड का मजा कुछ अलग ही होता है।
मुझे अब राज की चिंता हो गई, कमरा एक ही था, उसी कमरे में जब राज और लीना का मिलन होगा तो बेचारे रवि का क्या हाल होगा।
मैंने उससे कहा कि अगले हफ्ते हम दोनों एक साथ लखनऊ चलते हैं तो लीना राजी हो गई।
अगले हफ्ते हम दोनों लखनऊ में थे, राज और रवि ने भी दफ्तर से छुट्टी ले रखी थी, दिन भर लखनऊ घूमे और रात के समय जब कमरे पर पहुंचे तो एक कमरे की वजह से दिक्कत होने लगी।
थोड़ी शर्म बाकी थी इसलिये तय हुआ कि मैं और रवि बाहर सोएंगे जबकि लीना और राज कमरे में।
मैं और रवि कमरे के बाहर आ गये और दरवाजे से सट कर लेट गये।
अचानक अंदर से बहुत तेज उठापटक होने लगी, लग रहा था राज और लीना पागलों की तरह चुदाई में जुट गये थे। मैंने रवि को फुसफुसाते हुए बताया कि हम और लीना ने भी एक दूसरे की चूत चाट ली है।
रवि ने हंसते हुए कहा- मुझे अंदाजा था। जब हम अपने लंड को शांत नहीं कर पा रहे थे तो तुम अपनी चूत को कैसे शांत करतीं।
इसके बाद रवि कहने लगा- …यार एक बात है, राज का लंड लंबाई में तो छोटा है लेकिन मोटाई मुझसे ज्यादा है।
रवि को मेरी कमजोरी पता था कि मोटे लंड की बात सुनकर मैं पागल हो जाती थी।
अचानक मेरी दिमाग में एक बात और आई कि कहीं रवि भी तो लीना को चोदने के चक्कर में नहीं है, मैंने उससे पूछा- लीना की चूत चाहिये?
उसने झिझकते हुए कहा- नेकी और पूछ पूछ… यार कुछ चक्कर चला दो।
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अब मेरा दिमाग कंप्यूटर बन गया था, मैंने कहा- ठीक है रवि बेटा, एक बार और तुझ पर ऐहसान कर देते हैं।
मैंने कमरे का दरवाजा खटखटाया, दरवाजा राज ने खोला, वो पसीने से तरबतर था, अंदर लीना ने चादर ओढ़ रखी थी, उसकी ब्रा-पैंटी बिस्तर के नीचे पड़ी थी।
मैंने राज से कहा- बाथरूम जाना है।
चूंकि बाथरूम कमरे के भीतर ही था इसलिये मुझे कमरे में आना ही था।
लेकिन बाथरूम तो एक बहाना था, मैं बाथरूम से बाहर निकली तो कमरे में लीना बैठी हुई थी, उसने गाउन पहन लिया था।
मुझे पता था कि ‘…जिसने की शरम, उसके फूटे करम!
मैंने बेशर्म होकर लीना से कहा- यार, तेरी चूत में जो मजा है, वो रवि के लंड में नहीं आ रहा है।
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अब चौंकने की बारी राज की थी, कहने लगा- रेनू भाभी, यह क्या कह रही हो?
मैंने उतनी ही बेशर्मी से कहा- …मुझसे मत छुपाइये… क्या आपने राज का लंड नहीं पिया… क्या आपने राज की गांड नहीं मारी… और क्या राज ने आपका लंड नहीं पिया। अगर आप लोग कर सकते हैं तो मैं और लीना एक दूसरे की चूत क्यों नहीं पी सकते?
रवि चुपचाप खड़े थे लेकिन राज हकलाते हुए बोला- ..नहीं नहीं, कर सकते हैं ..हम कोई मना थोड़े कर रहे हैं। अरे भई, सब एक ही परिवार के तो हैं।
मैंने कहा- ठीक है, अगर एक परिवार के हैं तो आप और रवि एक दूसरे का लंड पीजिये और मैं और लीना एक दूसरे की चूत पीते हैं। मेरी बात सुनकर राज ने कहा- ठीक है।
लेकिन लीना ने कहा- ..नहीं मुझे पहले लंड चाहिये, इसके बाद ही कोई नया खेल खेला जायेगा।
मैंने कहा- ठीक है, पार्टनर बदल लेते हैं, तेरी बात भी पूरी और मेरी बात भी पूरी।
मेरे जोर देने पर लीना इसके लिये तैयार हो गई।
अब कमरे में हम चारों बिना कपड़ों के खड़े थे, हमारी चूतों से पानी बह रहा था।
रवि के चेहरे की मुस्कान ऐसी थी मानो बच्चे को मुंह मांगी मुराद मिल गई हो।
वहीं मैंने भी गौर किया कि राज का लंड रवि से छोटा था लेकिन मोटा भी था, दोनों के लंड पूरी तरह से तने हुए थे।
मैंने कहा- लेडीज फर्स्ट…
मेरी बात सुनकर राज और रवि मान गये।
मैंने लीना से कहा- हम लोग इनके ऊपर चढ़ेंगे।
हमने दोनों को नीचे लिटाया और मैं राज के ऊपर और लीना रवि के ऊपर चढ़ गई।
उफ़्फ़… भीतर जाता हुआ राज का लंड मुझे पागल बना रहा था।
वहीं लीना भी पागलों की तरह रवि को झटके दे रही थी।
थोड़ी देर तक हमारी आवाजों से कमरा गूंजता रहा और चूतों को शहीद करके हम चारों ही बिस्तर पर सो गये।
समाप्त