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खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 4 - Khubsurat Jism Se Maujan Hi Maujan - 4

खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 4
खूबसूरत जिस्म से मौजाँ ही मौजाँ- 4

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Read: - Xxx चीटिंग वाइफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि जब लड़की को चुदाई का पूरा सुख ना मिला तो उसने अपने पुराने दोस्त से कैसे सेक्स का पूरा मजा लिया.

कहानी के पिछले भाग

जवान बहू ने अपने यार को बुलाया

में आपने पढ़ा कि नपुंसक पति और अधेड़ ससुर की चुदाई से असंतुष्ट बहू ने अपने गाँव से अपने पुराने यार को अपने पास बुला लिया था.
रात को उसका यार उसके कमरे में आने वाला था.

अब आगे Xxx चीटिंग वाइफ सेक्स कहानी:

रवि तुरंत बाज़ार गया और कटिंग शेव करवाकर बाज़ार से डिओ और एक नयी टी शर्ट और ट्राउसर लेकर आ गया।
उसे अब एक एक पल काटना भारी पड़ रहा था।

रात को खाने के बाद हवेली के सारे नौकर चले गए।
दरबान ने गेट बंद कर लिया, सारी लाइट ऑफ हो गयी।

तभी रवि के मोबाइल पर मालविका का फोन आया कि आधा घंटे में आ जाना।

आधा घंटे बाद रवि ने ऑफिस को अंदर से बंद किया और दबे पाँव अंदर वाला दरवाज़ा जो हवेली में जाता था, खोला तो सामने मालविका खड़ी थी।
मालविका ने उसे अंदर कर के दरवाजे पर अंदर से ताला लगाया और रवि को अपने रूम में ले गयी।

कमरे में पहुँचकर उसने रवि को अपने से चिपटा लिया।

रवि अभी संकोच कर रहा था; उसे नहीं मालूम था कि मालविका अब उसकी प्रेयसी है या मालकिन।

मालविका ने उसका शक दूर कर दिया।
वो हँसती हुई बोली- तुम्हें मैंने यहाँ ड्राइवरी करने को नहीं बुलाया, वो तो एक बहाना है; इतनी तनख्वाह और ये सुख सुविधा उसे सिर्फ इसलिए मिली हैं कि वो मालविका की जिस्मानी जरूरत पूरी करे।
मालविका ने कहा कि रवि को उसके साथ सब कुछ करना है, पर बस एक गुलाम की तरह।

रवि से मालविका ने कहा कि अब तक उसने जो भी पॉर्न मूवी में देखा है वो सब उसे मालविका के साथ करना है। सेक्स के नए नए ढंग सीखने हैं।

मालविका ने कहा- चलो शुरुआत करते हैं. पहले तुम मुझे नहलाओ खूब अच्छे से और हाँ अब तुम लिहाज छोड़कर मुझे मजे दो बस!

रवि भी समझ चुका था कि जितने मजे वो देगा, उतने मजे वो मालविका से लेगा भी तो!
मालविका जैसी खूबसूरत और इतनी रईस लड़की की चुदाई तो वो सपने में भी नहीं सोच सकता था।
क्या किस्मत है उसकी, चुदाई तो चुदाई साथ में पैसे भी।

वो मुस्कुरा कर मालविका के आगे सिर झुकाकर बोला- ओके मेमसाब चलिये बाथरूम में!

बाथरूम में घुसते ही उसने बड़ी नज़ाकत से मालविका के सारे कपड़े उतारे और खुद भी नंगा हो गया।
मालविका उसकी साफ सफाई देख के खुश हुई।

रवि का लंड खूब मोटा और लंबा था।
मालविका अपने को नहीं रोक पायी और नीचे बैठ कर उसने रवि का लंड अपने मुंह में ले लिया और लोलीपॉप की तरह लपर-लपर चूसने लगी।
रवि उसके बालों में हाथ फेरता रहा।

उसका लंड खूब तन रहा था। मालविका उसे पूरा निचोड़ देना चाह रही थी।

जल्दी ही रवि की बेचैनी बढ़ गयी, मालविका समझ गयी कि यदि उसने उसे नहीं छोड़ा तो वो झड़ जाएगा।
मालविका विजयी मुस्कान लेकर खड़ी हुई।

रवि ने उसके मम्मे सहलाये तो मालविका बोली- इतनी आराम से क्यों कर रहे हो, ये टूट नहीं जाएँगे। अब डरो मत और टूट पड़ो एक आशिक की तरह।
बस ये सुनते ही रवि को जोश आ गया और उसने दबोच लिए दोनों कबूतर और लगा उन्हें चूमने चाटने।

मालविका ने भी अपने हाथों से आपने मांसल मम्मे रवि के मुंह में घुसा दिये।
अब रवि ने दोनों हाथों से उन्हें थाम कर खूब ज़ोर ज़ोर से चूमना शुरू किया, अब उसका डर खत्म हो गया था।

उसका लंड मालविका के हाथों में मचल रहा था।
मालविका की चूत तो पानी छोड़ चुकी थी। मालविका ने अब रवि के बाल पकड़कर उसे नीचे बैठा दिया अपनी चूत चटवाने के लिए और अपने आशिक के लिए टांगें चौड़ा दीं।

रवि ने उसकी रेशम सी चिकनी चूत की फाँकों में अपनी जीभ घुसा दी।
मालविका ने हाथ बढ़ाकर शावर खोल दिया।
पानी की तेज बौछार ने आग बजाए बुझाने के और बढ़ा दी।

मालविका ने रवि को खड़ा किया और चिपट गयी उससे रवि ने भी उसे कस कर भींच लिया।
दोनों के होंठ मिल गए।

मालविका ने शावर जेल की शीशी अपने मम्मों पर उड़ेल ली तो झाग और चिकनाहट से दोनों के बदन आपस में फिसलने लगे।
रवि ने मालविका के मम्मे खूब मसले।

तभी मालविका को पेशाब लगा तो उसने रवि को नीचे बैठा लिया और उसके कंधे पर एक टांग रख कर उसकी छाती पर अपने पेशाब की मोटी धार छोड़ दी।

रवि को खराब तो लगा पर उसे तो सब कुछ वो करना था जो मालविका चाहे।
उसने मुसकुराते हुए उस धार से अपनी छाती मली।

तब मालविका बोली कि सभी बड़े आदमी ऐसे ही करते हैं। तुम्हें भी जब आए तब तुम मेरे मम्मों पर कर सकते हो।

दोनों से अब चुदास बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
मलविका ने हैंड शावर से अपनी चूत पर धार मारी।
उसे शावर का तेज़ पानी किसी और लंड के अंदर घुसने जैसा एहसास दे रहा था।

रवि ने मालविका को नीचे लिटाया और हैंड शावर का आगे का हिस्सा निकाल दिया।
अब शावर से मोटी धार निकल रही थी।

मालविका ने टांगें चौड़ी की और अपनी चूत पूरी खोल दी।
रवि ने ऊपर से पानी की मोटी धार मारी।

जल्दी ही मालविका कसमसाने लगी, उसने अपने दोनों हाथों से चूट की फाँकों को और फैला दिया और नीचे से अपनी चूत को और ऊपर उठा लिया।
उसे जन्नत के मज़े आ रहे थे।

अब रवि ने पानी बंद किया, मालविका को खड़ा किया और तौलिये से उसका और अपना बदन पौंछा।
मालविका को उसने गोदी में उठा लिया। मालविका उसकी गर्दन में बाहें डाल अपनी टांगें उसकी कमर पर लपेटकर झूल गयी।

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रवि का टनटनाता हुआ लंड नीचे से उसकी चूत के मुहाने पर दस्तक दे रहा था।
वो चाह रहा था कि मालविका की चूत में एक बार अपना लंड घुसा दे!
पर मालविका बोली- चलो बेड पर चलो।

रवि उसे लेकर झुलाता हुआ बेड पर ले आया और आहिस्ता से उसे नीचे लिटा दिया।
मालविका ने अपनी टांगें छुड़ा दीं और उंगली के इशारे से रवि को नजदीक बुलाया।

रवि उसका इशारा समझ गया।
उसने अपनी जीभ मालविका की मक्खन मलाई जैसी चूत में कर दी और लगा उसकी ज़ोर शोर से मालिश करने।

मालविका के मम्में उसके हाथों के कब्जे में थे और वो अब थोड़ा बेरहम हो चला था।

रवि ने अपनी पहले एक फिर दो फिर तीन उँगलियाँ मालविका की चूत में घुसा दीं और लगा अंदर-बाहर करने!
मालविका अब कसमसा कर तड़फ रही थी।

उसने अपने हाथों से रवि के बाल खूब ज़ोर से खींचे और उसे अपने ऊपर खींच लिया।

रवि कुछ इस तरह से मालविका के ऊपर आ गया कि उसके होंठ मालविका के होंठ से भिड़ गए और उसका लंड मालविका की चूत के गृहप्रवेश के लिए दस्तक देने लगा।

उसने अपना कोई वज़न मालविका के ऊपर नहीं डाला था पर उसकी चौड़ी भरी छाती मालविका के मम्मों को दबा रही थी।
मालविका ने मछली की तरह तड़पते रवि के लंड को पकड़ना चाहा पर रवि बार बार ऊपर नीचे हो रहा था तो उसकी पकड़ में नहीं आता।

मालविका अब सिसकार उठी- रवि, अब मत तड़पाओ, अब आ जाओ अंदर!

रवि ने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रोका और एक झटके से पेल दिया अंदर!
उसका एक अनोखा सपना साकार हो रहा था।

जिस लड़की की चूत मारने को एक से एक रईसजादे लाइन में खड़े होते थे … आज वही उसे अपनी चूत घर बुला कर पैर चौड़ा कर दे रही है।

रवि की धकापेल शुरू हो गयी; साथ शुरू हुई मालविका की कामवासना से भरी आवाजें- उह … आह … आउच … मज़ा आ गया! और ज़ोर से मेरी जान … आज मेरी चूत को फाड़ ही दो. और दम लगाओ मेरे राज़ा।

उसके हर आमंत्रण पर रवि और दम लगा कर पेलता।
वो हाँफ गया.

मगर कमाल की चुदास भरी हुई थी मालविका में; उसे तो अभी कभी न खत्म होने वाली चुदाई चाहिए थी।
रवि को मालविका ने नीचे किया और उसकी ओर कमर कर के उसके लंड पर बैठ गयी।

मालविका उकड़ू बैठी, अपने दोनों हाथ अपने घुटनों पर रखे हुए थी और अब उछल उछल कर चुदाई कर रही थी। मालविका के बाल बिखरे हुए दे, मुंह से लार निकली पड रही थी, उसकी आँखों में वासना का नशा था.

वो फिर सीधी होकर बैठी और रवि की छाती पर नाखूनों के गहरे निशान बनाते हुए फिर घुड़सवारी करने लगी।

भरपूर चुदाई के एक दौर के बाद मालविका और रवि दोनों का एक साथ हो गया।
मालविका एक कटे पेड़ की तरह रवि के ऊपर से हटी और बराबर में लुढ़क गयी।

रवि के लंड से निकाला वीर्य रवि के पेट और उसकी चूत से लिपटा बह रहा था।

थोड़ी देर बाद मालविका को होश आया और उसने रवि से कहा- तुम कपड़े पहनो और जाओ। और हाँ ध्यान रहे कि किसी को यह बात बताने का सपनों में भी नहीं आए तुम्हारे!
रवि चला गया।

मालविका ने लॉक लगाए और नंगी ही बेड पर सो गयी।

अब तो हर दूसरे तीसरे दिन मालविका रवि को बुलाती और दोनों जम कर रंगरेलियाँ मनाते।

ठाकुर साहब के वापिस आने पर मालविका ने उन्हें कोई बहुत ज्यादा भाव नहीं दिया तो कुछ दिन देखने के बाद ठाकुर साहब को ही बेशर्म होकर कहना पड़ा- आज रात हमारी खाली नहीं जानी चाहिए।

लेकिन मालविका आज रात के लिए रवि को नौत चुकी थी, वो चाह तो रही थी कि ठाकुर को आज की मना कर दे, पर वो नहीं चाहती थी कि ठाकुर को उस पर शक हो।
तो उसने बड़ी नज़ाकत से कहा- मन तो मेरा भी बहुत है, आज आप खाना जल्दी खा लीजिएगा ताकि में 9 बजे तक आपकी बांहों में आ जाऊं।

बस इतना सुन कर ठाकुर साहब खुश!
ठाकुर साहब ने आज खाना जल्दी खा लिया और शहर के मेडिकल स्टोर से खरीदी सेक्स पावर बढ़ाने वाली गोली दूध से ली और बैठ गए बेड पर रंगीन ख्वाब देखते।

उधर मालविका शाम से ही उनकी बेचैनी देख रही थी तो उसने आज सभी नौकरों को समय से पहले ही भेज दिया और अपने रूम से नहाकर, एक नयी छोटी ड्रेस और ऊपर से गाउन पहन कर दबे पाँव ठाकुर साहब के कमरे में आ गयी।

ठाकुर ने उसे दबोच लिया और चिपटा लिया।
मालविका को भी आज बूढ़े घोड़े में दम नजर आया।

ठाकुर का कमरा महक रहा था और शरीर में सुबह की मालिश की चमक थी।

मालविका ने गाउन उतार दिया और लगी ठाकुर के लंड से खेलने!
ठाकुर ने भी अपने और उसके कपड़े उतारने में देर न लगाई। ठाकुर पिल गया उसके मम्मे और चूत की मुंह से चुदाई में।
आज तो उसने कुछ ज्यादा ही जंगली तरीके से मालविका के मम्मे मसले।

ठाकुर की उँगलियाँ मोटी थीं तो जब वो उसके मम्मे चूसता तो थूक लगा कर उँगलियाँ उसकी चूत में घुसा देता।
बस इसी खेल की मालविका कायल थी। ठाकुर की उँगलियाँ उसे किसी लंड जैसा मजा देतीं।

ठाकुर ने जो दवाई ली थी, निश्चित रूप से उसका असर था ठाकुर के लंड के कड़ेपन पर! ठाकुर ने ऐसा सुना था कि इन दवाइयों में अफीम मिली होती है जिससे सेक्स ताकत बढ़ जाती है।
उन्होंने एक मेडिकल स्टोर से ये दवाई ली, जिसके अनुसार इसमें स्वर्ण भस्म, शिलाजीत और न जाने क्या क्या मिला हुआ था।
अच्छी ख़ासी कीमत देकर वो दवाई लाये दे जो उन्हें सेक्स से पहले लेनी थी।

आज चुदाई में ठाकुर लंबी दौड़ का घोडा बना हुआ था।
मालविका भी हैरान थी कि आज क्या हुआ है ठाकुर को कि उसका खाली ही नहीं हो रहा।

ठाकुर की चुदाई में गजब तेजी थी आज … मालविका को थका दिया था उन्होंने!

आज मालविका कुतिया बन कर भी चुदी, टांगें उठा कर भी चुदी और ऊपर चढ़ कर भी मालविका खूब उछली पर ठाकुर के लंद का तनाव बरकरार रहा।

आखिर में मालविका ने उनके लंड पर खूब सारा थूक लगा कर उसे ज़ोर ज़ोर से हाथ से हिलाया और बहुत मेहनत करने के बाद उसका लावा फूटा मालविका के चेहरे और मम्मों पर।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद आज ठाकुर ने उसको स्पष्ट बोल दिया था कि इस महीने उसे गर्भवती होना ही है।
मालविका जानती थी कि अब ये मामला और टल नहीं सकता.
तो उसने भी अब अगले हफ्ते से कोई दवाई न लेने का मन बना लिया था कि जब भगवान चाहे तब वो गर्भवती हो जाये।

ठाकुर ने उससे यह भी खुशामद की कि एक बार विजय को और मौका दे दे, हो सकता है कि चल रहे इलाज़ से पिछले छह महीने में कोई फायदा हो गया हो।

मालविका ने मना भी किया तो ठाकुर पीछे पड़ गए और उसे कानूनी बात समझाई कि बहुत ही अच्छा हो जाये अगर वो विजय के वीर्य से ही गर्भवती हो जाये।

मालविका जब भी नहीं मानी तो ठाकुर कुछ सख्त होकर बोले कि अगर उन्हें वारिस नहीं मिला तो वो सारी संपत्ति अपने बाद किसी ट्रस्ट को दे जाएँगे, फिर टापती रहना।

खैर मालविका मान गयी कि अगले माहवारी के बाद वो विजय से करवाने का प्रयास करेगी।

ठाकुर के कमरे से आते आते 11 बज गए।
उधर रवि इंतज़ार में था।

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मालविका आज थक गयी थी पर चुदाई का नशा कुछ ऐसा चढ़ा था उस पर कि उसने रवि को बुला लिया।

उसके आने तक मालविका एक बार दोबारा गर्म पानी से नहाई और कॉफी पीकर फ्रेश हुई।
रवि आया तो मालविका गाउन में ही थी.

उसने आते ही रवि से कहा कि आज उसे सिर्फ उसकी मालिश करनी है, वो भी पूरा नंगा होकर।
कह कर मालविका ने अपना गाउन उतार दिया और बेड पर एक बड़ा तौलिया डाल कर उल्टी होकर लेट गयी।

पास की मेज पर मालिश का तेल रखा था।

रवि ने अपने कपड़े उतारे और फिर हाथों पर तेल लगाकर मालविका की कमर से टांगों तक की मालिश शुरू की।

धीरे धीरे उसने मालविका की टांगें चौड़ाईं और चूत की दरार को भी मलना शुरू किया।
मालविका कसमसाई और पलट गयी, बोली- लो अब ठीक से लगा लो!

रवि का लंड तन्ना रहा था। उसने तेल के कटोरे से काफी तेल मालविका के मम्मों और अपने छाती और लंड पे डाला और लगा मालविका के ऊपर तैरने।

अबकी मालविका ने उसे भींच लिया अपने से!
इस भींचाभांची में रवि का लंड सरक लिया मालविका की चूत में!

बस अब क्या था … अब तो मालविका भड़क गयी और रवि से बोली- साले हरामी, तू बिल्कुल रुक नहीं सकता? चल अब शुरू हो जा और देख रुकना मत.
कहकर मालविका ने भी अपनी चूत ऊपर उठा दी और रवि को और भींच लिया।

रवि की एक्सप्रेस चुदाई शुरू हो गयी।

मालविका ने उसे नीचे किया और चढ़ गयी रवि के लंड के ऊपर।

कमरे की मद्धिम रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे।

मालविका ने जल्दी ही रवि को निचोड़ दिया, फिर एक मालिकाना हक दिखाते हुए बोली- फटाफट कमरा ठीक कर दो, तेल तौलिया हटा दो। मैं टॉयलेट होकर आती हूँ।
और मालविका गाउन पहन कर वाशरूम होकर आई.

तब तक रवि ने सब कुछ ठीक कर के अपने कपड़े पहन लिए थे।
मालविका ने उसे किस करके गुडनाइट बोला और जाने दिया।

अगले कुछ दिन मालविका के बड़े रंगीन निकले।
ठाकुर भी दवाई की पूरी कीमत वसूल रहा था और रवि भी अब पूरे मन से उसकी चुदाई करता।

अब मालविका सुबह 9-10 बजे तक सोती रहती।

विजय को उसने कमरे की चाभी दे दी थी जिससे वो सुबह जल्दी आकर तैयार हो ले।

अब विजय का व्यवहार भी बहुत मीठा हो गया था और उसके चेहरे पर कुछ आत्मविश्वास सा भी दिखा मालविका को।

माहवारी के बाद मालविका की अग्निपरीक्षा थी, उसने रवि और ठकुर दोनों से ही एक महीना दूर रहना था, पूरा समय सिर्फ विजय को देना था, पता नहीं भगवान कब कृपा कर दें।

उसने विजय से सारी बात कर लीं की अब वो एक महीने उसके पास रात को आएगा, सेक्स करके चला जाएगा। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं।
विजय बहुत खुश था।

असल में ठाकुर ने उसका डॉक्टर बदला था।
अब नयी दवाइयाँ काफी महंगी थीं पर डॉक्टर बहुत आशान्वित था।

पहली रात मालविका ने बहुत साथ नहीं दिया विजय का पर उसे कोई ताने भी नहीं मारे।
पहले दिन तो विजय से हो नहीं पाया।
पर हाँ अगले दिन से रोज़ विजय की परफॉर्मेंस सुधरती गयी और कभी कभी मालविका को भी मज़ा आने लगा।

असल में डॉक्टर की सलाह पर रवि ने एक वाइब्रेटर लिया था, जिसका इस्तेमाल वो फोरप्ले के लिए करता।

उसके ऊपर जाने के बाद मालविका उससे अपनी चूत की अनबुझी गर्मी बुझाती।
पर अब विजय का लंड मालविका की चूत में घुसता भी और खाली भी उसी में होता।

मालविका भगवान से मनाती कि किसी तरह वो एक बार विजय से गर्भवती हो जाये, फिर ज़िंदगी भर वो विजय को छूने नहीं देगी अपने मखमली जिस्म को।

भगवान की लीला देखो … मालविका गर्भवती हो गयी।

पर विजय से या रवि से ये सिर्फ भगवान को ही मालूम!
असल में मालविका को तीन दिन बाद ही लग गया था कि सेक्स विजय के बस का रोग नहीं। कहीं ऐसा न हो कि एक महीना भी निकल जाये, उसकी सेक्सुयल लाइफ की भी वाट लग जाये और बच्चा हो नहीं।

तो मालविका ने दो तीन दिन धुआंधार चुदाई रवि से भी करवा ली.
पर पहले ही रवि को बता दिया कि वो अब गर्भवती हो गयी है तो बस एक दो बार के बाद फिर संभाल कर करना होगा।

अब मालविका की ज़िंदगी की सारी डोर उसके हाथ में थी.
ठाकुर, विजय और रवि यह सोच कर खुश थे कि मालविका के पेट में बच्चा विजय का है।
मालविका यह सोच कर खुश थी कि अब सेक्स उसकी मर्ज़ी से होगा; जब वो चाहेगी, जिससे वो चाहेगी।

बच्चा होने के बाद मालविका फिर से चुदाई की मशीन बन गयी। फिर से उसकी रातें रंगीन होने लगीं।

इस बीच उसने संपत्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा ठाकुर साहब से अपने नाम करवा लिया।
रवि, जैसा उसने सोचा था, वैसा ही उसके आदेश का गुलाम था।

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