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बुआ की देवरानी ने सौंपा अपना यौवन - Bua Ki Devrani Ne Saupa Apna Yauvan

बुआ की देवरानी ने सौंपा अपना यौवन
बुआ की देवरानी ने सौंपा अपना यौवन

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Read: - देसी गरम चूत की कहानी में मेरी बुआ की जवान देवरानी की चुदाई लिखी है मैंने! मैं बुआ के घर गया था, वहीं मैंने उनकी देवरानी को सेट कर लिया था.

दोस्तो, इस साइट पर यह मेरी पहली कहानी है।

अब तक केवल मैंने यहां पर कहानियां पढ़कर सेक्स का आनंद उठाया है लेकिन पहली बार अपनी आपबीती लिखने प्रयास कर रहा हूं।

सबसे पहले मैं खुद के बारे में जानकारी दे दूं।

मेरा नाम विकास ठाकुर है। मैं उत्तर प्रदेश के एक बेहद प्रसिद्ध शहर गाज़ियाबाद के एक गांव का रहने वाला हूं।
दिखने में मेरा रंग सांवला है। मेरी उम्र अब 38 वर्ष है लेकिन फिर भी महिलाएं मुझ पर मोहित हो जाती हैं।
मेरे लन्ड का साइज सामान्य लगभग छ इंच या इससे कुछ कम होगा।

यह देसी गरम चूत की कहानी उन दिनों की है जब मेरी उम्र महज तेईस वर्ष की थी और मेरी शादी को केवल दस दिन ही शेष रह गए थे।
मुझसे मेरे पापा ने शादी में शामिल होने के लिए बुआ को लेकर आने को बोला।

मैं अगले ही दिन बुआ को लेने चला गया।
जब मैं बुआ की ससुराल पहुंचा तो सभी ने मेरी आवभगत की।

इसी बीच वहां पर करीब चौबीस साल की एक बेहद सुंदर महिला पहुंची।
जिसका शक्ल सूरत बिल्कुल आज की कैटरीना कैफ से मिलती थी।
और फिगर लगभग सही से अंदाजा लगाना मुझे नहीं आता लेकिन करीब 32-30-28 का होगा।

ऐसा हुस्न देखकर बुड्ढे का लन्ड भी उफान मारने लगे।
मेरा भी यही हाल था।

मैंने बुआ से पूछा- ये कौन है?
मुझे बुआ ने बताया कि यह उनकी सबसे छोटी देवरानी है जिसकी शादी चार महीने पहले ही हुई है।

मैं उसकी शादी में नहीं जा सका था।
एक बात बता दूं कि मैं उस समय बीएससी के अंतिम वर्ष में था औऱ बुआ की ससुराल में अधिकतर लोग अनपढ़ थे। एक दो व्यक्ति ही हाइस्कूल पास थे।
जबकि बुआ की वह खूबसूरत देवरानी जिसका नाम यहां रीना रख लेता हूं, वह पढ़ी लिखी थी।

उसने एक बच्चा भेजकर मुझे अपने घर चाय के लिए बुलाया।
मैं पहुंचा तो उसे बुआ कहकर संबिधित किया।
उसने अच्छी तरह से आवभगत की।

उसके चेहरे पर कुछ उदासी थी।
मैंने पूछा तो वो बात को टाल गई।

बात बात में मैंने उससे बोला- तुम इतनी प्यारी और खूबसूरत हो बुआ … कि यह घर आपके लायक नहीं है।
साथ ही मैंने कहा- मुझे जो लगा, वो बोल दिया. बुरा मत मानना।

इस पर वह बोली- बात तो तेरी सही है लेकिन सब किस्मत है।
कुछ ही देर में उससे मेरी थोड़ी दोस्ती हो गई।

बात बात में उसकी पढ़ाई लिखाई पसंद ना पसंद के बारे में जानकारी ली।
उसने भी पूछा।
मैंने सब बताया।

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साथ ही उसने मुझसे पूछा- तेरी होने वाली पत्नी कैसी है?
मैंने बताया- सुंदर है लेकिन तुमसे कम है।

इस पर वह हल्की सी शर्मा कर बोली- ऐसा क्या है मुझमें?
मैं बोला- तुम्हारे रूप के आगे वो फीकी है!

उसने मुझे प्यार से डांटते हुए कहा- बुआ से ऐसी बात नहीं करते।
इससे मैं भी डर गया।

फिर बुआ बोली- डर मत, मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगी।
बस मेरी हिम्मत बढ़ गई।

लेकिन मैं उस समय वहां से चला आया।
परन्तु रात भर मेरा मन नहीं लगा। मैं उसकी याद में ही मुट्ठी मारता रहा।
ना जाने कब मेरी आँख लग गई।

सुबह को उठा तो घूमता फिरता हुआ रीना के घर जा पहुंचा।
वह मुझे देखकर बहुत खुश हुई।

मैंने उसके पति के बारे में पूछा कि फूफा जी कहाँ है।
उसने बताया कि वे खेत पर गए हैं। तीन घण्टे बाद लौटे आएंगे। मुझे उनके लिए खाना बनाना है।
यह कहकर वह आटा लेने कमरे में चली गई।

मैं भी सामान्य रूप से उसके पीछे ही कमरे में चला गया।
मुझे देखकर उसने हंसते हुए कहा- अंदर क्यों आ गया? कोई देख लेगा तो क्या बोलेगा?

उसके इतना कहते ही मैं समझ गया कि आग उधर भी लगी है।
बस फिर क्या था … मैंने हिम्मत करके उसे पीछे से पकड़ लिया।
साथ ही ‘कोई नहीं देखेगा’ कहते हुए उसकी चूचियाँ दबा दी।

तुरंत उसके गुलाब से नाजुक होंठों पर एक गहरा चुम्बन कर लिया।
वह नाटकीय ढंग से विरोध कर रही थी। वह मुझे धक्का देकर बाहर आ गई।

लेकिन रीना के चेहरे पर मुस्कान थी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ी रही।
इसके बाद वह मुझे अकेली नहीं मिली।

मैंने अपनी बुआ से कहा कि रीना बुआ को भी मेरी शादी में ले चलो।
उन्होंने अपनी सास व रीना के पति से बात की।
वे एक दो बार कहने पर ही मान गए।

अगले दिन मैं अपनी बुआ व रीना के साथ बस में सवार होकर अपने घर के लिए चल दिया।
रास्ते में मैंने बुआ से नजर बचाकर रीना के साथ मस्ती की, उसकी चूची दबाई, कान की लौ भी चूमी।
जिससे वह उत्तेजित हो गई लेकिन बुआ के डर से चुप रही।

शाम के समय हम घर आ गए।

घर वाले बुआ व उनकी देवरानी रीना के आने से खुश थे। घर में शादी का माहौल था।

मैं दूल्हा था तो मुझे कोई काम नहीं था।
साथ ही रीना भी मेरे आसपास ही रहती।

हम दोनों को मौका नहीं मिल पा रहा था कि हम कुछ सेक्सी कर सकें।

एक दिन मैं रीना को लेकर अपने घेर में गया जहां पर हमारे पशु यानि दो गाय रहती थीं।

यहां पर मेरे बाबा यानि दादा जी के सोने के लिए एक चारपाई थी।

बस मौका देखकर मैंने रीना को दबोच लिया।
मैंने सबसे पहले कैटरीना कैफ की प्रतिमूर्ति रीना के थरथराते लबों पर अपने होंठ रख दिये जिससे रीना भी जलने लगी। उसने भी मुझे बांहों में कस लिया।

इसी बीच मैंने रीना के कमीज के अंदर हाथ डाल दिया।
पहली बार उसके नर्म कबूतरों को नँगा छूने के अहसास से मैं पागल हो गया।
मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी की चूचियों को नंगा महसूस किया था।

मैं इतना पागल हो चुका था कि उसकी चूची को मुंह में लेकर तेज तेज चूसने लगा।

उसकी जवान चूची पर जब मेरी गर्म जुबान लगी तो वह भी अपना होश खो बैठी।
उसने अपना हाथ मेरे लोअर में घुसा दिया।
वह मेरे खड़े लन्ड का हाथ से ही जायजा लेने लगी।

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मैंने भी उसकी इलास्टिक वाली लेगी में हाथ घुसाकर टटोला।
उसने पैंटी नहीं पहनी थी, हाथ सीधा उसकी चूत से जा लगा जिससे वह गनगना गई।

उसने भी मेरे लन्ड को हाथ से तेज तेज दबाना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी लेगी उतारने की कोशिश की तो उसने भी पूरा सहयोग किया।

लेगी उतरते ही उसकी एकदम सफेद व कसी हुई जांघें दिखाई दीं।
साथ ही एक बारीक सी धारी दिखाई दी जिसे दुनिया चूत के नाम से जानती है।

तब तक मैंने भी केवल फ़ोटो में ही चूत देखी थी, साक्षात फुद्दी मैं पहली बार ही देख रहा था।
उसकी चूत पर सुनहरे रंग के हल्के बाल थे जो कि शादी के बाद एक दो बार ही शेव किये गए लग रहे थे।

मैंने देसी चूत में उंगली घुसाई तो वह सिसकार उठी।

धीरे से नीचे होकर मैंने उसकी गरम चूत पर एक बार किस किया जिससे वह आपा खो बैठी और मेरे सिर के बालों को नोचने लगी।

उसकी चूत शादी के बाद भी बहुत टाइट थी। उसने बताया कि उसके पति ने चूत कभी नहीं चाटी।
वह मेरे लन्ड को देखकर बोली- तेरा तो बहुत सख्त है। ये लन्ड है या पत्थर?

रीना मेरे लन्ड को चूत की ओर खींचते हुए मुझे यहां वहां चूमे जा रही थी।
मैंने भी अब ज्यादा देर ना करते हुए उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा, साथ ही लन्ड को उसकी चूत पर ऊपर नीचे रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वह तेज तेज आह भरने लगी।

वह साथ ही लन्ड को पकड़कर चूत के अंदर करने की कोशिश करने लगी।
मैंने भी अब खुद को अपने जीवन के सबसे पहले सेक्स के लिए तैयार करते हुए लन्ड को चूत में दबा दिया।

चूत बहुत गीली थी इसलिए लन्ड अंदर जाने लगा।
रीना भी आंखें बंद करके इस पल का मजा लेने लगी।
जैसे ही लन्ड जड़ तक अंदर गया रीना ने मजे में आह भरनी शुरू कर दी।

मैं लन्ड को ऐसे ही घुसाए रहा तो रीना ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी।
मैंने सही समय जानकर धक्के लगाने शुरू कर दिए।

रीना पूरा मजा ले रही थी। वह आह आह करते हुए चूत को कभी सिकोड़ती कभी खोलती हुई मजे ले रही थी।

अब उसकी आंखें बंद थीं और हर धक्के की लय में लय मिला रही थी।

करीब पंद्रह मिनट में ही रीना टूट गई।
अचानक उसके मुंह से निकला- मैं तो गई।

यह कहकर रीना ने मुझे बहुत तेज दबा लिया जिससे मेरी सांस घुटने लगी।
लेकिन उसे कोई चिंता नहीं थी।

मैं भी उसके आनंद के दौरान सेक्स से सराबोर उसके चेहरे को देखने लगा।

जब वह शान्त हुई तो मुझे अपनी ओर देखता हुआ पाकर शर्मा गई।
उसने बहुत प्यारी सी स्माइल देकर मुंह को दूसरी तरफ कर लिया।

अब मैंने अपने लन्ड को पिस्टन की तरह तेज गति से रीना की चूत में सरपट दौड़ा दिया।

करीब बीस मिनट तक मैं रीना को चोदता रहा।
इस बीच रीना दो बार और झड़ी। जिससे वह बहुत खुश व संतुष्ट नजर आई।

सेक्स का तूफान थम गया।
रीना ने अपनी चूत साफ की। साथ ही लेगी पहनकर मेरे लन्ड को भी साफ किया।

इसके बाद हम घर आ गए।

अगली बार घर की रसोई में चुदाई की, कमोड पर बैठे हुए लन्ड चूसाने की कहानी लेकर आऊंगा।

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