Stories Uploading Time

7:00 am, 7:30 am, 8:00 am, 8:30 am, 9:00 am, 7:00 pm, 7:30 pm, 8:00 pm, 8:30 pm, 9:00 pm Daily 10 Stories Upload

मेरी सगी बहन और मुंहबोली बहन -1 - Meri Sagi Bahan Aur Munhboli Bahan- Part 1

मेरी सगी बहन और मुंहबोली बहन -1
मेरी सगी बहन और मुंहबोली बहन -1

Support Us Link:- Click Here

For Audio: - Click Here

Audio: - 

Read: - मेरा नाम राहुल है मैं एक अविवहित लड़का हूँ मेरी उम्र 24 साल है। मेरा रंग गोरा है और कसा हुआ बदन है। मैं एक निजी कम्पनी में काम करता हूँ। मैं भंडारा शहर का रहने वाला हूँ.. तथा अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

आज मैं जो कहानी आपसे साझा करने जा रहा हूँ.. वो एकदम सच्ची घटना है इसकी सत्यता को आप खुद ही तय करना।
बात उन दिनों की है.. जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी। उस वक़्त मेरी उम्र 21 साल की थी। मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ नागपुर में एक किराये के मकान में रहता था। मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे। माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे।

मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है। इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे। हम दोनों अपनी सारी बातें एक-दूसरे से कर लेते थे.. चाहे वो किसी भी विषय में हो।
मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था। पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था.. इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे।

हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे.. एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था। दूसरे हिस्से में एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार से मिल-जुल कर रहते थे।

मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं। मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजाजी कहता था। उनके बच्चे मुझे ‘मामा.. मामा..’ कहते थे।

सब कुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था। अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। हम लोग तो काफी घबरा गए थे.. पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्भाल लिया।
हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे।

डॉक्टर ने पापा को चैक किया और कहा- उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है।
हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे।
जीजाजी ने हम लोगों को सम्भाला और कहा- चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.. सब ठीक हो जाएगा।
उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सबको घर जाने के लिए कहा।

AUDIO SEX STORIES HINDI


पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे.. पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और अनीता दीदी मान गए।
अनीता मेरी मुँहबोली बहन का नाम था।
हम तीनों लोग घर वापस आ गए, रात जैसे-तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया।

वहाँ सब कुछ ठीक था, मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला।
उन लोगों ने बताया कि पापा की शुगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा.. उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जाएगी। बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी।

मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा- अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आएं।
माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया।
जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए।

जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं। हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था.. देखभाल करने वाले घर के किसी सदस्य के लिए।

माँ ने मुझसे घर जाने को कहा, मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया।
मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लगा।
तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई। मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्तराम टाइप की किताबों को पढ़ने का बहुत शौक है।

मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीद लीं और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा।
घर पहुँचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी अनीता दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी।

मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया, सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी, मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा।
बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया।
हम दोनों भाई-बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर.. और उसे मेरी इस आदत के बारे में पता था.. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया।

जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है। उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई। मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया। मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई।
रात के करीब 11 बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो।

मैं उठा और हाथ-मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया.. वहाँ अनीता दीदी भी बैठी थीं। असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था। मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया। हम इधर-उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे।

हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे.. मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू थीं।
काफी देर बातचीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे।

मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया.. क्योंकि मुझे अचानक अपनी किताबों की याद आई।
मुझे वहाँ पर बस एक ही किताब मिली.. जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था। सामने ही अनीता दीदी बैठी थीं.. इसलिए अपनी बहन से कुछ पूछ भी नहीं सकता था।
खैर.. मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा।

थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी।
मैंने उसे आवाज़ लगाई- नेहा.. मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं.. एक तो मुझे मिल गई.. लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं?
‘मेरे पास हैं.. पढ़कर लौटा दूंगी.. मेरे भैया!’
और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी।

मैंने कहा- लेकिन तुम्हें दो-दो किताबों की क्या जरूरत है? एक रख लो और दूसरी लौटा दो.. मुझे पढ़नी है।
उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा- आज नहीं कल दोनों ले लेना।

AUDIO SEX STORIES HINDI


मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया।

रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुँचा। जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हँसने की आवाज़ सुनाई दी।
मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी। नेहा का कमरा हॉल के पास ही है। मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं।

जैसे ही मैंने अपने कान लगाए, मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी, गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थीं।
वो दोनों कुछ बातें कर रही थीं।

मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए।
अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थीं- हाय नेहा.. ये कहाँ से मिली तुझे.? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले.. जब हमारी नई-नई शादी हुई थी।
‘अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं?’

‘हाँ.. मुझे तो बहुत मज़ा आता है। लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है.. और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ.. इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती.. और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं..’
‘कोई बात नहीं दीदी.. जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना.. मैं आपको दे दूंगी।’

‘लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से?’
‘अब छोड़ो भी न दीदी.. तुम बस आम खाओ.. पेड़ मत गिनो।’
‘पर मुझे बता तो सही..’

‘लगता है तुम नहीं मानोगी..’
‘मैं कितनी जिद्दी हूँ.. तुझे पता है न.. चल जल्दी से बता..’
‘तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी..’
‘अरे बाबा.. मुझ पर भरोसा रखो.. मैं किसी को भी नहीं बताऊँगी।’

‘ये किताबें सोनू लेकर आता है।’
‘हे भगवान..’ अनीता दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई।
‘क्या तू सच कह रही है..? सोनू लेकर आता है?’

नेहा उनकी शकल देख रही थी- तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी?
अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा- यार.. मैं तो सोनू को बिलकुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है।

‘इसमें कौन सी बुराई है दीदी.. आखिर वो भी मर्द है.. उसका भी मन करता होगा न..’
‘हाँ यह तो सही बात है..’
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा- लेकिन एक बात बता.. ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है.. फिर तुम लोग क्या करते हो..? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो??

दोस्तो.. अब मैं यह कहानी यहीं रोक रहा हूँ। मुझे पता है आपको बहुत गुस्सा आएगा.. कुछ खड़े लण्ड खड़े ही रह जायेंगे और कुछ गीली चूत गीली ही रह जाएंगी।

पर यकीन मानिए.. अभी तो इस कहानी की बस शुरुआत हुई है, अगर मुझे आप लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैं इस कहानी को आगे भी लिखूँगा और सबके सामने लेकर आऊँगा।
कहानी जारी है।


Next Part: - मेरी सगी बहन और मुंहबोली बहन -2

Post a Comment

Previous Post Next Post