Stories Uploading Time

7:00 am, 7:30 am, 8:00 am, 8:30 am, 9:00 am, 7:00 pm, 7:30 pm, 8:00 pm, 8:30 pm, 9:00 pm Daily 10 Stories Upload

सहेली की चूत और गांड मेरे पति और मेरे यार ने चोदी -1 - Saheli Ki Chut Aur Gaand Mere Pati Aur Yaar Ne Chodi- Part 1

सहेली की चूत और गांड मेरे पति और मेरे यार ने चोदी -1
सहेली की चूत और गांड मेरे पति और मेरे यार ने चोदी -1

Support Us Link:- Click Here

For Audio: - Click Here

Audio: - 

Read: - आज मैं ऐसी कहानी लिखने जा रहा हूँ जो मेरी एक पाठिका ने मुझे सुनाई थी.. जब वो मुझसे चुदने आई थी।

उसकी ये कहानी उसी के शब्दों में आज मैं आपके सामने रखूँगा।


शब्द रचना मेरी है.. किन्तु भावनाएं उसकी है।

दोस्तो.. मेरा नाम निशा है। मैं अन्तर्वासना की बहुत पुरानी पाठक हूँ.. लेखक भी हूँ। किन्तु एक दिन मुझे एक लेखक की कहानी बहुत भा गई.. उस लेखक ने जैसे सेक्स के अंतरंग दृश्यों को खोलकर रख दिया था।
मैंने उसे मैसेज किया.. उसका उसने उत्तर दिया।

उसका नाम अभिजीत था। धीरे-धीरे हमारी बातें होने लगीं। सेक्स के बारे में एक्सपेरिमेंट करने का उस लेखक को जैसे चस्का था। उसकी बीबी नीलम उसका इस लेखन में साथ देती थी। उसकी भाषा उत्तेजित करने वाली, किन्तु बहुत शालीन थी। सेक्स के अंतरंग पलों में जब नर-नारी उत्तेजित हो जाते हैं तो किस भाषा का प्रयोग करते हैं.. ये उसने बड़े बखूबी दर्शाया था।

मेरी जाती जिंदगी के कुछ अनुभवों को जिनको मैं खुद बयान नहीं कर सकती थी.. उसने अपनी कहानी में पिरोकर मेरे ही अनुभवों को अपने शब्दों में ढाला। लोगों को वो बड़ा ही पसंद आएगा.. ऐसा मुझको लगता है।

मैं आगरा की रहने वाली 26 साल की एक मस्तमौला औरत हूँ। सेक्स मेरी जिन्दगी का अहम पहलू है। मेरे पति एक मल्टीनेशनल कम्पनी में असिस्टेंट जनरल मैनेजर हैं। सेक्स के बारे में उनके विचार कुछ फ्री किस्म के हैं। तो हम दोनों में कुछ भी छुपा नहीं था। चोदने के मामले में वो जितने बड़े चुदक्कड़ थे.. मैं उतनी ही बड़ी चुदाऊ थी। मेरा बदन कुछ स्लिम था.. लेकिन भरपूर खाते-पीते घर की थी। जहाँ चाहिए वहाँ शरीर की गोलाई भरपूर थी। मेरे स्तनों की साइज 34 थी.. कमर 30 और पुठ्ठे छत्तीस के थे।

मैं और मेरे पति जब बाहर बाजार में जाते थे.. तो बाजू से जाने वाला मर्द मुझे एक बार तो मुड़कर जरूर देखता था। ये वाकया है पिछले साल का.. जब मैं और मेरे पति एक मॉल में कुछ खरीदने के लिए गए थे। वहाँ मुझ पर एक मर्द रीझ गया, बेचारा आधे घंटा मुझे देख देखकर अपनी पैंट पर हाथ फेर रहा था, मेरा तो ध्यान ही नहीं था.. लेकिन मेरे पति बड़े गौर से उस आदमी को देख रहे थे।

उन्होंने मेरी चिकोटी काटी और कहा- वो देखो.. साला कैसे अपने लौड़े को पैंट पर से ही मसल रहा है। साली तू तो जान लेकर रहेगी एकाध की..

पति के इस उद्गार पर मेरा ध्यान उस आदमी की तरफ गया। लगभग पैंतालीस साल से ऊपर की उम्र का वो आदमी मुझे जिस भूखी नजरों से देख रहा था.. उस नजर को मैं बहुत अच्छे तरह से पहचानती थी। साफ़ दिख रहा था कि अगर उसे मौका मिले.. तो वो मेरा बदन मसल-मसल कर पूरा जूस निकाल ले।
मुझे हल्की सी हँसी आई।

मेरे पति ने कहा- साले को मौका मिले तो तुझे निचोड़ कर पी ही जाए..
मेरे होंठों पर हल्की सी हँसी उभर आई।

‘क्यों जानू.. तुम्हें क्या लगता है.. क्या इसे लिया जा सकता है?’
मेरे पति ने हँस कर मुझसे पूछा।

मैं थोड़ी भन्नाई- क्या मैं तुम्हें बाजारू लगती हूँ?
‘अरे तुम तो बुरा मान गई डार्लिंग.. क्या है कि आज कोई नया एक्स्पिरिमेंट करके देखते हैं।’
‘मतलब.. कैसे?’
‘अरे तुम ऐसे बताओ कि तुम इस पर मर मिटी हो.. फिर उसको लाइन देना शुरू करो.. देखें तो क्या करता है ये?’
‘हे भगवान.. एक दिन किसी अनजान मर्द से तुम मुझे श्योर चुदवाओगे..’ मैंने कहा।

‘तो अभी क्या कुंवारी हो तुम? आज तक स्वेपिंग में कितनों का तो ले चुकी हो..’
‘और तुम क्या दूध के धुले हो? सामने की औरत ने थोड़ा ध्यान दिया कि तुम्हारे पैन्ट में हलचल मच जाती है।’
‘हा हा हा..’

‘याद है उस दिन मेरी सहेली सौम्या को देखकर तुम कैसे चुलबुला रहे थे.. जैसे अभी उसको पटक कर चढ़ जाओगे उसके ऊपर.. थोड़ा तो सब्र करो हब्बी जी..’
‘तेरी वो सहेली सौम्या थी ही साली इतनी सेक्सी.. उसके थन तो जैसे ब्लाउज फाड़कर बाहर आ रहे थे। मेरी तरफ देखकर अपनी साड़ी के बीच में ऐसे हाथ फिरा रही थी कि वहीं पटक कर चोद देने का मन हो रहा था।’

AUDIO SEX STORIES HINDI


‘इसीलिए कल उसने मुझसे पूछा था कि तेरा पति घर कब आता है..’
‘क्या.. ऐसा पूछ रही थी वो?’
‘हाँ.. बाबा हाँ..’
‘तो तुमने क्या जबाब दिया?’
‘मैंने कहा कि उसका कोई टाइम फिक्स नहीं होता है।’

इतना कहकर मैं मॉल के मेनगेट की तरफ मुड़ी।
मेरे पति ने मेरे साथ चलते हुए पूछा- क्या हुआ क्यों नाराज हो?

मैंने पति की तरफ थोड़ा गुस्से से देखकर कहा- तुम्हारा घोड़ा कहीं भी खड़ा हो जाता है.. इसमें सब्र नाम की चीज है कि नहीं? सौम्या जैसे तुम्हारे नीचे सोने को ही तैयार है?’

‘यार बहुत दिन हुए कोई नई चीज मिली ही नहीं.. आकांशा छुट्टी पर है।’

आकांक्षा मेरे पति की पीए कम काम-सहयोगिनी थी। जब भी मैं बाहर होती.. तो वो मेरे पति के साथ ही सोती। कई बार तो हमने थ्री-सम किया था। पक्की चुदक्कड़ है और साली निम्फ़ो भी थी वो.. वो मुझसे कहती कि तुम इस सान्ड को घर पर सम्भालो.. मैं इसे घर के बाहर संभालती हूँ। मेरे पति जैसे नामी चुदक्कड़ की मांग सिर्फ हम दोनों से पूरी होगी.. ऐसा भी नहीं था। लगे हाथ किसी दूसरे औरत की चूत पर भी हाथ मार देते थे वो..’

मेरा हबी पक्का चुदक्कड़ था.. ये पता था मुझे.. लेकिन मेरी दोस्त इस चुदक्कड़ पर मर मिटेगी.. ये मेरे लिए अचरज की बात थी।

शाम को सौम्या का फोन आया। उसने फिर पूछा- क्या तुम्हारा पति घर पर है?
मैं थोड़ी झल्लाई आवाज में बोली- आ जा साली.. तेरे को चोदने के लंड को तैयार ही कर रखा है उसने..
उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा- अबे झल्लाती क्यों है? हम दोनों मिलकर कचूमर निकालेंगे न उसका.. रुक मैं आती हूँ।

उसकी चुदने की ख्वाइश देखकर मैं मन ही मन मुस्कुराई।

‘ये तो साली आज बिन बारात बजेगी..’ मैंने दुष्यंत को फोन करके शाम को छह बजे घर पर बुलाया।

दुष्यंत मेरा दोस्त था, कई बार मुझे चोद चुका था, उसका हथियार जैसे किसी गधे के हथियार से कम नहीं था, उसके लंड की मार जब मैंने पहली बार झेली थी.. तो सारी रात मेरी फ़ुद्दी जैसे पॉवरोटी के पॉव की तरह सूज गई थी, मेरे दोनों छेद जैसे फट गए थे, क्रीम लगाकर मैंने उन दोनों छेदों की सिकाई की थी।
किसी मूसल लंड का साइज ऐसा भी होता है.. ये मुझे उसी दिन मालूम पड़ा था।
हे भगवान.. क्या हलब्बी लौड़ा था उसका..

मुझे आज फोरसम करके सौम्या की सारी चुदाई की चाहत पूरी करनी थी।
ठीक साढ़े पांच बजे बंगले की डोरबेल बजी। लाल रंग की साड़ी में लाल रंग का लोकट ब्लाउज पहने.. किसी अप्सरा सी चलते हुए सौम्या अन्दर आई।

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, उसके सुनहरे बदन पर लाल रंग की साड़ी खूब फब रही थी।
नाभि के नीचे जैसे तिकोनी जगह किसी भी अंजान को आमंत्रण दे रही थी, लाल ब्लाउज के अन्दर काली ब्रा दोनों स्तनों की बॉर्डर जैसे ले ले.. मुझे ऐसा कह रही थी।
आज तो इसकी चूत को बजना ही है।

इधर मेरे पति सोफे पर बैठकर जॉनीवॉकर ब्लैक लेबल के जाम का घूंट लगा रहे थे।
सौम्या के उस रूप को देखकर मेरे पति के पैंट की जिप जैसे टूटने के कगार पर पहुँच गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सच.. क्या मस्त दिख रही थी सौम्या.. एकदम सेक्सी.. जैसे अभी कपड़े निकाल कर मेरे पति के सामने लेट जाएगी।
मेरे पति और सौम्या बात करने लगे।

ठीक छह बजे फिर डोरबेल ने आवाज दी.. अब दुष्यंत आया था।
मैंने मन में सोचा अब आएगा मजा.. आज दो लौड़े सुमि का जो हाल करेंगे.. वो सिर्फ मैं बैठकर देखूंगी।
चुदाने की बड़ी ललक थी साली को.. आज होगी इसकी गाण्ड फाड़ चुदाई..

धीरे-धीरे माहौल गर्म होने लगा, दोनों मर्द खुलने लगे। मेरे पति ने अपनी शर्ट को निकाल कर सोफे पर फेंक दिया.. उसकी बालों भरी छाती को सौम्या चाहत भरी नजरों से ऐसे देखने लगी जैसे अभी लिपट ही जाएगी।

मैंने उसे उसकाया- थोड़ा रुको तो जानू.. अभी तो पिक्चर शुरू हुई है।
फिर दोषी (दुष्यंत को चुदते वक्त मैं दोषी कहती थी) ने भी अपनी पैंट की जिप खोल दी। उसका गदहे जैसा लंड जैसे ही बाहर आया..
सौम्या की आँखें बाहर आने लगीं ‘हाय.. ये क्या है जानू.. इत्ता बड़ा.. ये सच्ची का है?’
मैंने हँसकर कहा- कपड़े निकाल.. चूत फैलाकर लेट जा.. फिर ये सच्ची-मुच्ची है कि नहीं.. पता चल जाएगा..

इधर मेरे पति ने दुष्यंत से कहा- साले गुड़ की भेली देखते ही मक्खी की तरह भिनभिनाने लगा..
‘यार मुझे तो निशा ने बुलाया था उसका साथ देने के लिए.. अब मुझे क्या पता उसके दिल में क्या है..?’
‘देख बे.. सौम्या की पहले मैं लूंगा। तू निशा पर चढ़ जा.. क्योंकि तेरे लंड से चुदने के बाद सौम्या दो दिन तक किसी दूसरे लंड को हाथ भी नहीं लगाएगी..’

‘ठीक है.. मैं पहले निशा को चोदता हूँ.. फिर तेरे बाद अगर सौम्या कहेगी तो उसकी भी फ़ाड़ूंगा।’
‘यार वो कहेगी क्यों नहीं.. एक्सपीरियंस तो उसे भी बड़े लंड का लेना ही होगा ना?’ मेरे पति ने दोषी से कहा।

ये चूत-लंड का संग्राम बड़ा ही दिलखुश करने वाला होने वाला था।

कहानी जारी है।


Next Part: - मेरी सहेली की चूत और गांड मेरे पति और मेरे यार ने चोदी -2

Post a Comment

Previous Post Next Post