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भाई ने मेरी गांड का उदघाटन किया-2 - Bhai Ne Meri Gaand Ka UdghaTan kiya-2

भाई ने मेरी गांड का उदघाटन किया-2
भाई ने मेरी गांड का उदघाटन किया-2

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Read: - पोर्न कहानी का पिछला भाग: भाई ने मेरी गांड का उदघाटन किया-1

शाम को 5 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने भाई को भी जगाया।
फिर हम दोनों नंगे ही नहाये, हमने कपड़े पहने और शाम के खाने के लिए बाजार में सब्जी लेने के लिए चल दिए।

शाम को 7 बजे तक हम घर आ गए थे। भाई टीवी देखने लग गया और मैं खाना बनाने रसोई में चली गई।
खाना बनाने के बाद साथ में खाना खाया और उसके बाद मैं और भाई दोनों बेड आ गए थे।

भाई मुझसे कहने लगा- दीदी, अब जल्दी से अपनी मस्त गाण्ड का दीदार करवा दो।
मैंने कहा- डायरेक्ट गाण्ड ही मारोगे क्या.. पहले थोड़ी मस्ती तो कर लो..
उसने कुछ नहीं कहा और मुझे सीधा बिस्तर पर पटक दिया और मेरे होंठ चूसने लगा।

मैं भी मस्ती में आ गई और उसका साथ देने लगी।
कुछ ही देर में हम दोनों चूमते-चूमते एक-दूसरे के कपड़ों को निकालने लगे। अब हम दोनों एकदम नंगे हो गए थे, भाई का लण्ड तो लोहे जैसा सख़्त हो गया।

मैं- अरे भाई, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।
भाई- अरे इसको पता है.. आज तेरी मुलायम गाण्ड का उद्घाटन करने वाला है ये!
मैं- हाँ, लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर यह मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद आखिर में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे? इतनी आसानी से नहीं..

भाई- अरे यार, ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..
मै- नहीं… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. फिर आराम से मारते रहना।

भाई ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया।
उसके बाद हम दोनों चूमा-चाटी में लग गए, दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।
कुछ देर बाद मैंने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी आग!

भाई ने मेरे पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।
मै-आआह्ह्ह्ह आआआआ मर गई आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..
भाई- दीदी, तेरी चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले आह्ह आह्ह आअह्ह!

मैं- आ आह्ह.. आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया.. चोदो मुझे आज इस चूत का भुर्ता बना देना… आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को! हां ऐसे ही ओह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह… हां भाई, आज इस चूत की सारी आग बुझा देना, यह मुझे बहुत परेशान करती है।

भाई स्पीड से झटके देने लगा.. मुझसे ऐसे तगड़े झटके बर्दाश्त नहीं हुए और मैं झड़ने के करीब आ गई।
मैं- आह्ह.. भाई, और तेज और तेज… मेरी चूत आह्ह.. मैं गई.. गई.. आह्ह.. आइ ईय..
मैं कमर हिलाकर झड़ने लगी, उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर भाई का अभी बाकी था.. वो घपाघप लौड़ा पेल रहा था।

मैं- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ्फ़..
भाई ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो मैं तड़प सी गई- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भाई.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..

भाई- आपका तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..
मैं- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?
भाई- डरो नहीं दीदी, तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से चोदूंगा चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..

मैं- ठीक है भाई.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालना, कोई ऑयल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो।
भाई खड़ा हुआ और तेल की बोतल ले आया..
तब तक मैं भी दोनों पैर फैला कर घोड़ी बन गई थी..

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मुझको देख के भाई खुश हो गया- वाह्ह.. मेरी घोड़ी क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद तेरी गांड को खोल दूँगा..
इतना कहकर भाई बिस्तर पर आ गया और मेरी गाण्ड को सहलाने लगा, पीछे से मेरी गांड को चाटने लगा, मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ घुसाने लगा।

मै- उफ्फ.. भाई आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है… ऐसे ही चाटो!
कुछ देर गांड चाटने के बाद भाई ने तेल मेरी गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा।
कुछ तेल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।

भाई उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो मुझे थोड़ा दर्द हुआ.. मगर में दाँत भींच कर चुप रही।
भाई बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और मैं बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।

भाई- अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा तेरी गांड में पेलना है, थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं… तू खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी।
मैं- भाई, प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी बहन हूँ।

भाई ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।
भाई- अरे दीदी डर मत.. जानता हूँ तू मेरी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।
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भाई ने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।
उसने 3 या 4 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो भाई ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया..

अबकी बार लौड़ा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर मेरी गाण्ड में होने लगी- आःह्ह्ह आईईइ.. आह… भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना उई.. माँ… आज नहीं बचूँगी..
भाई- अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दाश्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।
भाई- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..

भाई हाथ से दबाव बनाता गया। टोपा थोड़ा सा और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे मेरा भाई बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर मेरी गाण्ड बहुत टाइट थी, मेरी तो जान निकल रही थी.. मैं बस धीरे-धीरे कराह रही थी ‘आःह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह ह्म्म…’

कुछ देर तक भाई धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर बाहर करता रहा, उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था।
अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।
तभी उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड में से निकाल लिया।

मैं- ऑउच.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?
भाई- अरे नहीं दीदी!
मैं- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो… आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।
भाई- सब्र करो दीदी, आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं!

फिर भाई ने पूरे लौड़े पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद में भी थूका उसके बाद मेरी गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमें लौड़ा डालने लगा, फिर भाई ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।

तभी भाई ने ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में गाड़ दिया और इसी झटके के साथ मैं बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ भाई भी मेरे ऊपर गिर गया।
पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो मेंरे मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही मेने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. मेरी आँखों से आँसू बहने लगे।

भाई को भी यह अहसास हो गया कि मुझे कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना एक आम बात है।
भाई कुछ देर वैसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा..
जब मेरा दर्द कम हुआ तो मैं बोली- आह्ह.. भाई.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर डाल रखा है..

भाई अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़, अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी।
भाई बोलने लगा- जब पूरा लंड ले लिया तब तो मरी नही अब क्या मरेगी?
मैं- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..

भाई अब स्पीड से मेरी गाण्ड मारने लगा, मैं सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर बाहर होने लगा।
अब मुझे भी दर्द कम महसूस हो रहा था, मेरी चूत टपकना शुरू हो गई थी, मैं जोश में आ गई- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है… आह्ह.. आह्ह.. फास्ट..

मुझको अब मज़ा आने लगा था, मैं हाथों पर ज़ोर देकर फिर से घोड़ी बन गई थी और भाई अब मेरे कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था।
कुछ देर बाद भाई ने मेरी गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से मुझको बड़ा सुकून मिला।

फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए और जब तक माँ पापा नही आये, तब तक हमने जी भरकर चुदाई की।


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