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चचेरी दीदी की दमदार चुत चुदाई का मजा- 2 - Chacheri Didi Ki Damdar Chut Chudai Ka Maja - 2

चचेरी दीदी की दमदार चुत चुदाई का मजा- 2
चचेरी दीदी की दमदार चुत चुदाई का मजा- 2

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Read: - हॉट सिस फक स्टोरी मेरी चचेरी बहन की चुदाई उसी की ससुराल में की है. जीजू विदेश गये हुए थे. मैं दीदी की मदद के लिए उनके घर में रहता था.

हैलो फ्रेंड्स, मैं अक्की एक बार फिर से अपनी दीदी की दमदार चूत चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.

चचेरी दीदी को मूतते देखा तो

अब तक आपने पढ़ा था कि मैं दीदी की चूत में अपना मोटा लंड पेले हुए उनकी ताबड़तोड़ चूत चुदाई कर रहा था. दीदी भी मेरे लंड से चुद कर काफी मस्त हो गई थीं.

अब आगे हॉट सिस फक स्टोरी:

हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे और फच्च फच्च थपथप थपथप फच्च फच्च की मादक आवाज हम दोनों की उत्तेजना को बढ़ाने में सहायक हो रही थी.

उसी समय दीदी की आवाज एकदम से थरथराने लगी और वो अपने बदन को ऐंठाने लगीं.
मैं समझ गया कि दीदी की चूत का काम तमाम होने ही वाला है.

मैंने अपने धक्के एकदम से तेज कर दिए और दीदी ने अपनी चूत का पानी फैंक दिया.

दीदी की चूत के गर्म पानी से मेरे लंड ने भी हार मान ली और अब मेरा शरीर भी अकड़ने लगा.
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और उनकी चूत में मेरे लंड का पानी निकल गया.

मैं झड़ कर उनके ऊपर ऐसे ही लेट गया.

कोई आधा घंटा बाद शायद आवाज और झटकों की वजह से या भूख लगने के कारण उनकी बेटी जग गई थी और रोने लगी.
मैं जल्दी जल्दी उठा और अपने रूम में चला गया.

अगली सुबह मैं करीब 9 बजे सोकर उठा और फ्रेश हुआ. हम दोनों ने एक साथ नाश्ता किया.

वह बिल्कुल नॉर्मल दिख रही थीं. बस उनके चेहरे पर अलग ही खुशी झलक रही थी.

हम दोनों में से किसी ने रात के बारे में जिक्र नहीं किया.

मैं भी बेफिक्र होकर मैच खेलने चला गया और दीदी मार्केट चली गईं.

पूरा दिन इसी तरह बीत गया लेकिन मैं बहुत खुश था.

रात में खाने के बाद करीब 9 बजे दीदी बाथरूम में नहाने चली गईं.
मैं छत पर घूम रहा था.

उस दिन काफी गर्मी पड़ रही थी, हल्की बारिश की वजह से उमस भी थी और लाईट भी नहीं थी.
हमारा छत पर ही सोने का प्लान था.

वह नहाने के बाद ऊपर आईं, काफी खुश लग रही थीं.
दीदी मेरे पास आकर खड़ी हो गईं.

उनके शरीर से मस्त सी खुशबू आ रही थी.
मैं धीरे धीरे मदहोश हो रहा था, लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं.

उनकी बेटी जगी हुई थी. मेरे मोबाइल में गेम खेल रही थी.

हम दोनों दीवार के पास कोने में खड़े थे.

मैंने पूछा- इतनी रात में क्यों नहाई हो?
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- बाल साफ करने थे.

मैंने बोलो- गंदे ही कब थे?
उन्होंने फिर से मुस्कुरा कर कहा- मेरे भोले भाई, नीचे के बाल साफ़ करने थे काफी बड़े हो गए थे.

इतना कह कर शर्माती हुई दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
फिर उन्होंने कहा- देखो भाई, ये सब बातें हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए, किसी को हॉट सिस फक स्टोरी का पता चला तो बदनामी हो जाएगी. मेरे पति के बाद तुम ही हो जिसके साथ यह सब हुआ. आज तक किसी गैर के पास नहीं गई हूँ. तुमने नहीं किया होता, तो यह सब नहीं हुआ होता.

यह सुनकर मैं थोड़ा मायूस हो गया.
फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- लेकिन मुझे अच्छा लगा.

मैं उनसे नजरें मिलाते हुए बोला- कुछ कमी रह गई हो, तो माफ कर देना क्योंकि यह मेरा फर्स्ट टाइम था, सब जल्दी जल्दी के चक्कर में हुआ. वैसे भी आप मान भी नहीं रही थीं और आपका छेद भी बहुत टाइट भी था.
दीदी मुस्काने लगीं.

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मैं- लेकिन मैंने तो सुना था कि जिनका बच्चा हो जाता है, उनका छेद इतना टाइट नहीं रहता और उनको दर्द भी कम होता है? लेकिन आपका इतना टाइट कैसे था … और आप काफी आवाजें भी कर रही थीं?
नेहा दीदी मुस्कुराती हुई- मेरा छेद इसलिए टाइट है, क्योंकि मेरी बेटी आपरेशन से हुई है. और आवाजें इसलिए कर रही थी कि तुम्हारा वो भी बहुत बड़ा है, इतना बड़ा तो तुम्हारे जीजू का भी नहीं है.

मैंने दीदी की शर्म खत्म करने के लिहाज से पूछा- मेरा वो क्या बड़ा है?
दीदी शर्माती हुई धीरे से बोली- लंड … मुझे लगा था कि तुम्हारा छोटा सा होगा लेकिन इतना बड़ा … बाप रे … मैं तो मर ही गई थी. लेकिन मजा बहुत आ रहा था.

मैं- लेकिन मैं अब भी आपसे नाराज हूँ.
नेहा दीदी- क्यूं?

मैं- आपने अपनी चूत मुझे देखने भी नहीं दी.
नेहा दीदी- अब देख लो ना … मैंने मना नहीं किया है.

इतना कह कर दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मुस्कुराने लगीं.
मैं साड़ी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाए जा रहा था.

अभी भी उनकी बेटी और घर के बाकी लोग जागे हुए थे, मैं इसलिए कुछ कर नहीं रहा था, थोड़ा डर रहा था.

वे समझ गईं और बोलीं- किसी को कुछ नहीं पता चलेगा. वैसे भी दीवार काफी ऊंची है, तुम नीचे बैठ जाओ. मम्मी पापा नीचे हैं. नीचे तक आवाज नहीं जाती है.

मैं नीचे बैठ गया.
उन्होंने अपनी साड़ी को ऊपर कर दिया.
चांदनी रात थी, मुझे सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था.

उनकी टांगें काफी खूबसूरत थीं, उन्होंने पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी. उनकी ये पैंटी इतनी पतली थी कि उनकी चूत की दरार मुझे साफ़ दिखाई दे रही थी. मन तो कर रहा था कि काट कर खा जाऊं.

मैंने उनकी पैंटी नीचे की तरफ खींचा, आह … अन्दर का क्या मस्त नजारा था. किसी जन्नत से कम नहीं था.
इतनी गोरी चिकनी चूत पहली बार देख रहा था, कोई भी पहली बार देखता, तो पागल हो ही जाता.

मुझसे रहा नहीं गया मैंने झट से अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया और चूसने लगा.
एकदम ठंडा नमकीन जैसा, मुझे तो बहुत ही मजा आ रहा था. जी तो कर रहा था, बस चूसता ही जाऊं.

वह मस्ती में एक हाथ से अपने चूचे को दबा रही थीं और एक हाथ में मेरे सर को सहला रही थीं.

करीब 5 मिनट तक ऐसे ही उनकी चूत चाटता रहा.
फिर उन्होंने मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मेरे होंठों को काटने लगीं.
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था.

फिर 3-4 मिनट किस के बाद वह नीचे बैठ गईं और मेरे पैंट को नीचे कर दिया.

मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मुँह में डाल लिया और रंडी की तरह लंड चूसने लगीं.

मानो मैं तो जन्नत में था, मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे. वह जोर जोर से लंड चूसे जा रही थीं.

अब ‘फच … फच सर्रे … सर्रे …’ की आवाजें आ रही थीं.

कुछ ही समय में मैं झड़ने वाला था, मैंने उनको अपनी तरफ ऊपर खींचा.
उन्होंने पूछा- क्या हुआ?

मैंने बोला- मैं झड़ने वाला हूं.
नेहा दीदी- कोई नहीं, मेरे मुँह में ही झड़ जाओ. मैं भी तो देखूं मेरे भाई का रस कैसा है?

वो फिर से लंड चूसने लगीं. इस बार कुछ जल्दी जल्दी चूस रही थीं.
मैं एक मिनट बाद ही उनके मुँह में ही झड़ गया.

उन्होंने लंड का पूरा रस पी लिया और अपनी जीभ से चाट कर मेरा लंड को भी साफ कर दिया.
अब मेरा लंड शांत हो गया था.

वे खड़ी होकर मुझसे लिपट गईं और फिर से किस करना शुरू कर दिया.
मैं धीरे धीरे उनके चूचों को दबाता कभी कभी उनकी गांड को दबाता.

अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.
उन्होंने मेरा लंड हाथ में लिया और बोलीं- इतनी जल्दी यह फिर से खड़ा हो गया?

मैंने बोला- दीदी, यह अब आपकी चूत को चोदना चाहता है.
नेहा दीदी- इतनी जल्दी … नहीं अभी पूरी रात बाकी है. अच्छे से मजे लेकर करेंगे.

फिर मैंने उनकी साड़ी और ब्लाउज को खोल कर वहीं फैंक दिया. पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत को रगड़ने लगा.
अब तक उनकी बेटी सो चुकी थी.

हम दोनों जल्दी से बिस्तर पर गए और एक दूसरे पर टूट पड़े.
उन्होंने जल्दी जल्दी अपनी पैंटी निकाली और हम दोनों 69 की पोजीशन में आकर एक दूसरे को चाटने लगे.

अभी भी हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े नहीं निकाले थे.

मैंने पूरे कपड़े निकालने के लिए बोला लेकिन उन्होंने मना कर दिया और बोलीं- कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
दस मिनट ऐसे ही चलता रहा.

कुछ देर बाद मैंने नेहा दीदी की गांड के नीचे तकिया लगाया, अपने लंड को नेहा दीदी की चूत में घुसा दिया और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
नेहा दीदी- आहह हह ऊईई आहह सीईई आह मजा आ गया.

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उनकी सिसकारियां तेज़ होने लगीं.
मैं जोर जोर से नेहा दीदी को चोद रहा था.

“आहह भाई चोद मुझे … और चोद आहह आहह फ़ाड़ दे … आहह हहह चोद मुझे … ले ले मेरी आहह.”

अब मैंने उनकी दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया और लंड को चूत की गहराई तक पेलने लगा.
हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे.

नेहा दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया और लंड फच्च फच्च फच्च करके अन्दर बाहर होने लगा.

मैंने लंड निकाल लिया और उनकी चूचियों को मसलने लगा.
वो बोली- भाई चोद मुझे … और चोद … आज मेरी प्यास मिटा दे.

मैंने लंड को उनके मुँह में डाल दिया और तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
फिर मैंने उन्हें बिस्तर पर घोड़ी बनाया और पीछे से दीदी की चूत में लंड घुसा दिया.

मैं तेज़ तेज़ झटके मारने लगा.
वो सिसकारियां भरने लगीं- आहह हह मेरे राजा … और तेज़ तेज़ … आहह … आहह … चोद चोद चोद मुझे … मार ले मेरी … आहह.

नेहा दीदी अपनी गांड को पीछे करके लंड लेने लगीं.
अब मैंने नेहा दीदी को पलट दिया और उनकी चूत में लंड घुसा कर गपागप गपागप अन्दर बाहर करने लगा.

थोड़ी देर बाद उनका और मेरा पानी निकल गया और दोनों चिपक कर लेट गए.

बीस मिनट बाद नेहा दीदी फिर से मेरे लौड़े से खेलने लगीं.

मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा और चूसने लगा.
इससे मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
उन्होंने देर ना करते हुए लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और लंड को मस्त कर दिया.

मैंने उनकी चूत को चाट कर गीला कर दिया और उनकी टांगों को अपने कंधे पर रख कर लंड को अन्दर घुसा दिया.

‘आहह हहह ऊईईई मर गई भाई धीरे ऊईई.’
उनकी चीख कुछ ही झटकों में सिसकारियों में बदल गई.
उन्हें भी मज़ा आने लगा.
गपागप गपागप चुदाई चलने लगी.

वो बोलीं- भाई तेरी जीजू मुझे ऐसे कभी नहीं चोदा. आज जीभर के चोद दे. आहह ऊईईई आ हहह.
चुदाई की आवाज पूरे छत पर गूंजने लगी थी.

कुछ देर बाद मैंने नेहा दीदी को घोड़ी बनाया और उनकी चूत में अपने लंड को घुसा दिया.

“आहह हऊ हह ऊईईई ऊईई मां बचाओ … मर गई … मेरी चूत फट गई … मां बचाओ … भाई निकाल लंड.”
मैं चुप रहा और धीरे धीरे उनकी चूचियों को मसलने लगा, उन्हें चूमने लगा.

थोड़ी देर बाद उनका दर्द कम हुआ तो मैंने लंड को चलाना शुरू कर दिया.
नेहा दीदी ‘आह आहह हहह …’ की आवाज करके लंड लेने लगीं.
दीदी भी अब गांड आगे पीछे करने लगी थीं.

फिर दीदी ने कहा- मुझे ऊपर आना है.
मैंने ओके कहा और दीदी को अपने लंड पर बिठा कर लंड की सवारी करवाने लगा.
ऐसे में दीदी की चूचियां भी चूसने को मिल रही थीं.

दीदी बोलीं- तेरे लंड में बड़ा दम है अक्की. मजा आ गया.
मैंने कहा- मुझे आपकी गांड मारने का दिल करता है दीदी.

दीदी बोलीं- वो भी मार लेना … पर अभी मेरी चूत की आग तो बुझा दे.
मैंने ओके कहा और गांड उठा कर दीदी को चोदना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर में हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए.
दीदी झड़ गई थीं तो थप-थप थप-थप की आवाज आ रही थी.

अब मेरा शरीर भी अकड़ने लगा था. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उनकी चूत में पानी निकल गया.
मैं उन्हें पलटा कर उनके ऊपर लेट गया.

हम दोनों सो गए.

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