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मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 4 - Mummy Ka Chacha Se Punarvivah Aur Garmagarm Sex - 4

मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 4
मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 4

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Read: - भाभी वाइफ सेक्स कहानी मेरे चाचा की भाभी यानि मेरी मम्मी के साथ सुहागरात सेक्स की है. मैंने सारी चुदाई लाइव वीडियो की तरह अपनी आँखों से देखी

मैं रिशांत जांगड़ा एक बार फिर से आपको अपनी मम्मी की कामवासना से भरी हुई सेक्स कहानी का रस पिलाने के लिए हाजिर हूँ.
पिछले भाग

चाचा ने मम्मी की चूत चाटी

में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मम्मी चाचा के लंड को चूसने लगी थीं.

अब आगे भाभी वाइफ सेक्स कहानी:

मम्मी- आउउम्म्म … आउउम्म … आउउम्म … आउउउम्म … आउउउम्म … आउउउम्म!

चाचा अपनी आंखें बंद करके मम्मी के होंठों का स्पर्श अपने लंड पर महसूस कर रहे थे- आह … आह … आह … आह्ह्ह रेखा मेरी जान … आह … आह्ह्ह … अह्ह … इसे पूरा अन्दर ले लो.

मम्मी पूरे लंड को चाटते, चूसते हुए सुपारे के चारों तरफ बनी लाइन पर अपनी जीभ फिराने लगीं. लंड के छेद को भी अपनी जीभ से चाटने और सहलाने लगीं.

चाचा- ओह्ह्ह … रेखा … रेखा मेरी जान … ओह्ह्ह … आआह्ह … बहुत अच्छा लग रहा है.

मम्मी चाचा के लंड को चाटती रहीं और चाचा का लंड और लंबा मोटा हो गया.

उनका लंड पहले से भी इतना ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था कि मम्मी के मुँह में नहीं आ रहा था.
मम्मी का मुँह लंड के रस से सना हुआ और चिपचिपा हो गया था.

फिर चाचा मम्मी के मुँह से लंड निकालकर, उन्हें थोड़ा नीचे खिसकाकर उनके ऊपर आ गए. अपनी उंगलियों पर थूक लगाकर मम्मी की चुत में घुमाने लगे.

इसके बाद चाचा अपना लंबा, मोटा और सख्त लंड मम्मी की चुत की तरफ ले गए.

इनका मोटा मूसल सा लंड देख कर मैं बस यही सोच रहा था कि चाचा का इतना मोटा लंड मम्मी कैसे अपनी चुत के अन्दर ले पाएंगी क्योंकि चाचा का लंड ब्लू फिल्म के काले हब्शियों की तरह ही था.

मम्मी- देखो नरेश, आराम से डालना.
चाचा- हां मेरी जान, बिल्कुल आराम से ही डालूंगा.

मम्मी- क्या निरोध (कंडोम) नहीं लगाओगे?
चाचा- मेरी जानेमन जब तक खाल से खाल न मिले, संभोग करने का मजा ही नहीं आता.

चाचा की ये बात सुनकर मुझे बहुत ही मजा आ गया और मम्मी ने भी शर्म के मारे अपनी मुंडी नीचे कर ली.
फिर चाचा धीरे धीरे अपना लंड मम्मी की चुत में सरकाने लगे.

मम्मी- ऊउह्ह … थोड़ा आराम से.
चाचा- हां जान, आराम से.

और चाचा ने मम्मी के गालों को सहलाते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड मम्मी की चुत में सरका दिया.

मम्मी- आआइइइ … मेरी मैया आ … फट गई आंह मर गई.

मेरी मम्मी के मुँह ये सुनकर आप अंदाज लगा सकते हैं कि चाचा का लंड कितना मोटा होगा कि मम्मी को इतने दर्द के साथ चिल्लाना पड़ा.

मम्मी के चिल्लाते ही चाचा रुक गए और उन्होंने अपने होंठ मम्मी के होंठों पर रख दिए.

अब उन्होंने जल्दी जल्दी चार पांच तगड़े झटके मार दिए और रुक गए.

कुछ देर बाद चाचा अपने होंठों को मम्मी के होंठों से धीरे धीरे हटाते हुए उनसे कहने लगे- अब ठीक है?
मां- उन्ह …

चाचा- क्या हुआ?
मम्मी- मुझे दर्द हो रहा है.

चाचा- अरे इतने सालों बाद किया है, थोड़ा बहुत तो होगा ही.
मम्मी- तुम अभी इसे निकाल लो.

चाचा- मेरी जान, अब तो तुम्हारे साथ ही करना है. ऐसी आदत तो डालनी ही पड़ेगी तुमको.
मम्मी- ठीक है, पर तुम आराम से करो ना!

चाचा- हां जानेमन, ठीक है.
फ़िर चाचा धीरे धीरे अपना लंड मम्मी की चुत में अन्दर बाहर करने लगे.

देखते ही देखते चाचा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. अब वो बहुत जोर से लंड और बाहर करने लगे और मम्मी बुरी तरह से बिलबिलाने लगीं.

वो बहुत तेज तेज सिसकारियां ले रही थीं और चाचा मम्मी से संभोग करते हुए उनके गाल, माथा, गला, होंठ यहां तक कि उनकी जीभ को भी चाट चूस रहे थे.
मम्मी सिर्फ आंह आह कर रही थीं.

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चाचा- हाय रेखा … आह … आह … मुझे तुम्हारे महकते मदमस्त बदन से खेलने में बहुत आनन्द आ रहा है … आह तुम्हारी चुत की रगड़ मेरे लंड पर एक अलग ही स्पर्श दे रही है … ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं स्वर्ग में हूं.

चाचा मम्मी में इतना डूब गए थे कि उनकी चुत में चाचा का लंड मस्ती से खुद ही आगे पीछे हो रहा था.

कुछ देर बाद चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैला दिया.

उनके घुटनों के सहारे पैर मोड़ दिए और अपने लंड को मम्मी चुत में अन्दर बाहर करने लगे.

अब लंड चुत में आने जाने से पट पट .. की आवाजें गूंजने लगीं.

मम्मी- आह्ह्ह नरेश मुझे दर्द हो रहा है.
चाचा बिना कुछ बोले झटके मारते रहे.
मम्मी- अह्ह …

चाचा झटके मारते हुए मम्मी की चुत चोदते रहे और पट पट की आवाज आती रही.

मम्मी की चिकनी और चिपचिपाहट भरी चुत देखकर मेरे लंड में भी तनाव आ गया था, उनकी चिपचिपी चुत पर चाचा लंड के हमलों से रस और भी ज्यादा दिखने लगा था.

कुछ देर बाद चाचा ने फिर से आसन बदला, वो फिर से मम्मी के ऊपर आ गए और मम्मी की चुत में अपना लंड पेल कर अन्दर बाहर करने लगे.

अब मम्मी को भी आनन्द आने लगा था देखते ही देखते वो अपनी गांड उठाने लगी थीं.

मम्मी- ओह्ह्ह नरेश … ओह्ह्ह … आआ ह्ह्ह्ह … बहुत अच्छा लग रहा.

चाचा बिना रुके लंड को और ज्यादा तेज रफ्तार से भीतर बाहर करने लगे थे.

मम्मी- आह नरेश 6 साल से मैं इस सुख के लिए तरस रही थी और रात भर करवटें बदलती रहती थी.

चाचा अपने लंड को मस्ती से चुत में अन्दर बाहर करते हुए मम्मी के एक दूध को चूस रहे थे.

मम्मी- आह बहुत साल बाद तुमने मुझे ये हसीन रात दी है.

चाचा मम्मी की गर्दन चूमते, तो कभी निप्पल को अपनी उंगली या अंगूठे से मींजते हुए लंड को अन्दर बाहर करने का मजा ले रहे थे.

चाचा- मजा लो रानी.
मम्मी- तुम नहीं जानते एक विधवा औरत के लिए एक रात काटना कितना मुश्किल हो जाता है. इतने सालों से मैंने बिरहा भरी रातें ही काटी हैं.

मम्मी के मुँह से ये बात सुनकर मैं हैरान रह गया कि इस उम्र में भी मम्मी में कितनी आग भरी हुई है. उनका कितना मन करता होगा, वो कितनी प्यासी रही होंगी और इस आग को वो 6 सालों से अकेले ही बुझा रही थीं.

जबकि मैं तो ये सोचता था कि जिस औरत का बेटा 22 साल हट्टा-कट्टा, लंबा चौड़ा दाढ़ी वाला हो और शादी के लायक पूरा जवान हो रहा हो रहा हो, उस और का कहां संभोग करने का मन करता होगा?

पर आज मैं ये समझ चुका था कि शारीरिक सुख भी बहुत जरूरी है, इसकी कोई उम्र नहीं होती है.

अच्छा ही हुआ कि मम्मी ने चाचा से शादी कर ली. अब वो भरपूर शारीरिक सुख ले सकेंगी और चाचा उनके शरीर की प्यास बुझा सकेंगे.

अगर उनकी चाचा के साथ शादी न हुई होती तो वो कभी भी संतुष्ट नहीं हो पातीं.

चाचा मम्मी के निप्पल को अपने दांतों से काटने और चूमने के साथ ही अपने लंड को चुत में अन्दर बाहर कर रहे थे.

मेरी मम्मी चाचा की बांहों को सहलाती हुई मस्त आवाज निकाल रही थीं.

‘आह उम्मम्म … नरेश … बहुत अच्छा लग रहा है. आह प्लीज मुझे रगड़ दो आह.’
चाचा- मैं भी तुम्हारे कमसिन, कामुक और मदमस्त बदन के लिए कब से तरस रहा था जानेमन … आज मैं तुम्हारा पति बनकर तुम्हारे साथ संभोग कर रहा हूं. तुम नहीं जानती कि तुम्हारा ये मदमस्त बदन मुझे कितना आनन्द दे रहा है … रेखा … मेरी जान … मेरी गुलबदन … कितनी अच्छी हो तुम … आह रेखा.

मम्मी- तुम्हारे सख्त लंड की रगड़ मुझे बहुत आनन्द दे रही है.
इस बीच दोनों धीरे-धीरे चुदाई करते हुए अपनी दबी हुई भावनाएं एक दूसरे को बता रहे थे.

मम्मी शायद अब अपने चरम पर आ गा थीं- आह … अब बस करो नरेश … आह
चाचा- रेखा आआआ … मेरीइ … जानेमन … तुम्हारी चुत का गीलापन मेरे लौड़े को बहुत मजा दे रहा है.

ये कह कर चाचा मम्मी के होंठों को बुरी तरह से चूसने चबाने लगे.

चाचा- आय हाय … कितना मीठा रस भरा है इनमें … मेरी जान … मन करता है तुमको खा जाऊं.

फिर चाचा मम्मी के एक दूध को अपने मुँह में भरकर जोर से अपने दांतों से काटने लगे.
मम्मी- आई मर गई. काटो मत नरेश … लगती है.
चाचा- नहीं … म्मम्म … नहीं … आह आज पहली बार मिली हो … इतनी आसानी से नहीं छोडूंगा तुमको. आज तुम्हारी पूरी रात काली करूंगा … अह्ह्अ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

चाचा पर मानो मम्मी के बदन से खेलने का जुनून सवार था. अब वो अपना लंड निकालकर मम्मी के पैरों के तलवे चूमने लगे.
तलवे चूमते हुए फिर नीचे से ऊपर आते चले गए.

मम्मी का पेट चूमने के बाद वो मम्मी के दूध और निप्पल को चूसने लगे.
फिर गले और गाल चूसते हुए उनके मुँह में अन्दर अपनी जीभ चलाने लगे.
चाचा के ऐसा करने पर मम्मी मस्त होने लगीं. उनकी उम्म आह की आवाज निकलने लगी.

फिर चाचा ने मम्मी का हाथ ऊपर उठा कर अपना मुँह मम्मी की बगल (अंडरआर्म्स) में लगा दिया और चाटने लगे.
वो अपनी जीभ से सहलाकर चूमने लगे. मम्मी हल्के हल्के मुस्कुराती हुई अपना एक हाथ आगे लाकर चाचा के बालों में उंगलियां घुमाने लगीं.

फिर कुछ देर बाद चाचा ने दोबारा अपना मोटा काला लंबा लंड मम्मी की चुत में पेल दिया और अन्दर बाहर करने लगे.

मम्मी के दोनों हाथ चाचा के सर पर जम गए और अपनी उंगलियों से चाचा के लंड से चुदने का मजा लेने लगीं.

अब चाचा जोर जोर से झटके मारने लगे जिससे फिर से पट पट की आवाज आने लगी.

दोस्तो, ये दृश्य इतना अच्छा था कि मुझसे एक पल के लिए भी अपनी नजरें नहीं हट पा रही थीं.

मम्मी की चुदाई में चाचा पूरी तरह से मशगूल हो गए थे, पूरा पलंग हिलने लगा था.

चाचा की जकड़न से मम्मी के हाथों की चूड़ियां भी खनखनाने लगी थीं.

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तब चाचा ने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी थी, जिससे मम्मी के दूध भी जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगे थे.
वो दोनों पसीने से बुरी तरह से लथपथ हो गए थे.

फिर चाचा मम्मी से बोले- बहुत आनन्द आ रहा है मेरी जान.
मम्मी- मम्मम्म … आह आ …

चाचा- रेखा, तुम्हारी चुत मुझे बहुत मजा दे रही है.
मम्मी- उम्मएम … उफ्फ फ्फ्फ …

चाचा- आआआह … आआह …
मम्मी- नरेश, तुम्हारे मोटे लम्बे लंड का लुत्फ बहुत ही आनन्ददायक है … आह

चाचा- ओह्ह्म्म … ओह्ह्ह … मेरीइइ … जान्न … ओह्ह … रेखा … मेरी इइइई … गुलबदन …

शायद अब चाचा अपनी चरम सीमा पर आ गए थे. वो बहुत तेज तेज सांसें लेते हुए अपने दोनों हाथों से मम्मी को अपनी बांहों में जकड़ते हुए धक्के मारने लगे थे.

‘ओहोउ … ऊऊओऊ … मैं गया जान.’
‘आह मैं भी आ गई नरेश आह.’

ये कहते हुए चाचा ने अपना लंड खाली करना शुरू कर दिया था और बहुत सारा वीर्य मम्मी की चुत में छोड़ने लगे थे.
मम्मी भी ‘ह्ह्ह … हम्म्म्म …’ करती हुई निढाल हो गईं.

वो दोनों एक दूसरे से चिपक कर अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे.

कुछ देर बाद चाचा ने अपना लंड मम्मी की चुत से बाहर निकाल लिया.
वो मम्मी को एक तरफ करके उनकी दूसरे तरफ लुढ़क गए.

दोस्तो, इस तरह से चाचा ने मेरी मम्मी को काफी देर तक चोदा था.

मम्मी की चुत से चाचा के काले मोटे लंड से निकला हुआ वीर्य इतना सफेद और गाढ़ा था कि मानो वीर्य नहीं कोई क्रीम हो, एकदम फेवीकोल जैसा पदार्थ बह रहा था.

मेरी मम्मी इस चुदाई से बहुत खुश थीं- नरेश, जो सुख तुमने आज मुझे दिया है, वो मुझे इससे पहले कभी नहीं मिला, तुम्हारे लंड से निकलती हुई तुम्हारे वीर्य की पिचकारियां इतनी तेज और मोटी थीं कि मैंने समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरी चुत में किस चीज की धार लग रही है. मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं.

चाचा- जान, मैं भी तुम्हारे बदन के लिए सालों से तरस रहा था. वाकयी बहुत कमसिन या गदराया बदन है तुम्हारा. पर मैं तुम्हारे अन्दर अपना वीर्य और नहीं छोड़ूँगा क्योंकि तुम्हारा इस उम्र में मां बनना अच्छा नहीं लगेगा.

मम्मी हंस कर बोलीं- तुम इसकी फ़िक्र मत करो, मैंने अनमोल के जन्म के बाद ही ऑपरेशन करवाकर अपना गर्भशाय (बच्चेदानी) निकलवा लिया था. अब मैं कभी मां नहीं बन सकती हूँ.
चाचा मुस्कुराते हुए मम्मी को देखने लगे- ये तुमने अच्छा किया मेरी जान, अब मैं संभोग करते हुए हर बार तुम्हारे अन्दर ही वीर्य छोड़ा करूंगा. इससे हम दोनों को ही परम आनन्द मिलेगा.

मम्मी- हां हां, बिल्कुल.
ये बात करने के कुछ समय बाद दोनों एक दूसरे में लिपटकर फिर से संभोग का आनन्द लेने लगे.

दोस्तो उन दोनों ने रात भर सम्भोग किया और एक दूसरे के शरीर की प्यास बुझायी.

मम्मी अनगिनत बार स्खलित हुईं.
चाचा ने भी मम्मी की चुत में अपना भरपूर वीर्य निकाला.

उस रात चाचा ने 5 बार मम्मी के साथ संभोग किया था. मम्मी की गुलाबी चुत को अपनी जीभ से कई बार चाटा भी था.
मम्मी ने भी इन 6 सालों के बाद भरपूर आनन्द उठाया था.

दो बार तो मैंने भी चाचा के लंड से माल निकलते हुए देखा.

उस दिन मैं भी रात भर नहीं सोया. मैंने पहली बार दो जिस्मों को संभोग का भरपूर आनन्द लेते हुए देखा था.

दोस्तो ये मेरी मम्मी की मेरे चाचा से पुनर्विवाह की दास्तान आपके सामने पेश है.

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