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मेरी चूत में देवर का मोटा लंड घुसा - Meri Chut Mein Devar Ka Mota Land Ghusa

मेरी चूत में देवर का मोटा लंड घुसा
मेरी चूत में देवर का मोटा लंड घुसा

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Read: - देवर भाभी Xxx चुदाई का मजा इस कहानी में लें. मेरे शौहर विदेश गए तो उनका कजिन हमारे घर रहने आया. उससे मेरी दोस्ती हो गयी. इसके बाद चुदाई कैसे हुई?

हाय मेरे प्यारे दोस्तो, मैं नाज़िया पहली बार यहां पर ये सेक्स कहानी लेकर आई हूँ जो मेरी और मेरे सबसे प्यारे देवर फैसल की है.
फैसल को मैं बहुत ज्यादा प्यार करती हूं.

यह देवर भाभी Xxx चुदाई कहानी तब की है जब शादी के बाद मेरे शौहर विदेश गए थे. तब उनका कजिन फैसल कुछ दिनों के लिए हमारे घर रहने आया था.

घर में मैं और मेरे बूढ़े सास ससुर रहते थे. मेरे साथ हंसी मजाक करने वाला कोई नहीं था जिससे मैं घर में बोर होती थी.
फैसल के आने से जैसे मुझे एक सहारा मिल गया था.

मेरे सास ससुर एकदम धार्मिक विचारों के थे और हमेशा खुदा की इबादत में लगे रहते थे, जिसके कारण उन्हें मेरी या मेरे देवर की कोई परवाह नहीं थी.

मैं और मेरा देवर, भाई बहन की तरह रहते थे लेकिन मालिक को कुछ और ही मंज़ूर था.

उन्हीं दिनों मेरे देवर के रिश्ते की बात चल रही थी जो बाद में किसी वजह से टूट गई.

रात को वो मेरे साथ मेरे बिस्तर पर लेटा था.
उसका उदास चेहरा देख कर मुझे उस पर बड़ी दया आ रही थी.

मैंने देखा कि फैसल बहुत ही मायूस हो गया था इसलिए मैंने उसे अपना वक्त देना चाहा, वो बेचारा बहुत शर्मीला किस्म का लड़का था.

मैं उसके करीब होकर उसे समझाने लगी कि एक रिश्ता टूटने से तुम्हें कमजोर नहीं होना चाहिए.

मेरी बात सुनकर उसकी एकदम से रुलाई फूट पड़ी और वो मेरे गले से लग कर रोने लगा.

जैसे ही वो मेरे गले से लगा, मुझे उस पर प्यार आने लगा और मैंने भी उसे अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेर कर उसे सहलाते हुए चुप कराने लगी.

उसका चौड़ा सीना मेरे मम्मों से रगड़ खा रहा था और मुझे उसे अपने सीने से दूर हटाने का दिल नहीं हो रहा था.

जबकि उस बेचारे ने मुझे हाथ भी नहीं लगाया था, बस यूं ही मेरे सीने से लगा सुबकता रहा.

फिर कुछ मिनट तक हम दोनों यूं ही चिपके रहे.
मैंने उसे अपने सीने से लगाए रखा और पता नहीं कब हम दोनों एक दूसरे के बांहों में सो गए.

रात में जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मेरे हाथ में उसका लंड था.
उसका लंड एकदम से कड़क था और काफी बड़ा हो गया था. उसका लंड मेरे शौहर से काफी बड़ा और मोटा था.

मुझे भी इस वक्त लंड ही चाहिए था और फैसल कर मोटा लंड मुझे ललचाने लगा था.

दोस्तो, किसी मर्द का लंड तब तक खड़ा नहीं होता है, जब तक वो किसी कामुक सपने को न देख रहा हो या किसी लड़की के बारे में वो कुछ सेक्स जैसा न सोच रहा हो.

शायद फैसल के दिमाग में कुछ ऐसा ही चल रहा था जिस वजह से उसका लंड एकदम से कड़क हो गया था.

मुझे उसका लंड अपनी चुत में लेने का जी करने लगा लेकिन मैं उसे अभी और आजमाना चाहती थी.
हालांकि मैं जानती थी कि वो अब मेरे जाल में फंस चुका है.
उसे मेरे स्पर्श ने उत्तेजित कर दिया था.

अब मैंने अपनी पैंटी उतारी और उसके लंड पर अपनी चुत लगा कर ऐसे ही अपनी बांहों में लेकर सो गई.

मुझे नींद नहीं आ रही थी, उसका लंड मेरी चुत में गुदगदी मचा रहा था.
लेकिन फिर भी अपने ऊपर नियंत्रण करके सो गई.

सुबह जब वो उठा तो अपना लंड मेरी मेरी चूत में लगा देख कर शर्मा गया और उसने झट से अपना लंड अपनी लुंगी में छिपा लिया.

मैं भी जाग गई थी तो उसने मुझे सॉरी कहा.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या हुआ फैसल? किस बात की सॉरी कह रहे हो?

उसने रात में मेरी बांहों में सोने के लिए माफ़ी मांगी और कहा- भाभी जान, वो मेरा आपकी उससे लड़ गया था.
मैंने ड्रामा किया कि ये क्या वो वो लगा रखा है … क्या लड़ गया था?

उसने उंगली के इशारे से मुझे मेरी नंगी चुत का अहसास दिलाया.
तब मैंने शर्माने का नाटक करते हुए कहा- अरे ये कैसे हुआ?

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वो कुछ नहीं बोला और गुसलखाने में चला गया.
उसके जाते ही मैं मुस्कुरा दी और अपनी नंगी चुत पर हाथ फेर कर सहलाने लगी.

अब मैं उससे चुदना चाहती थी, मैं उसके लंड का अंतर अपने पति से करने लगी थी.
उसका लंड वास्तव में अब मुझे अपनी चुत में लेने का करने लगा था.

उस दिन के बाद से मैं फैसल से खुलने लगी थी.
वो भी मुझे हंसी मजाक में कुछ अडल्ट जोक सुनाने लगा था.

मैं देखती थी कि मेरा देवर मेरी चूचियों को देखने की कोशिश करता था.

फिर चार दिन बाद शाम का वक्त था.
हम सब डिनर के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे.

उस दिन मैंने जानबूझ कर उससे बात करने के लिए मन बना लिया.

मैं दस बजे के करीब उसके कमरे में एक बहुत ही पारदर्शी नाइटी पहन कर गई.

वो मुझे सेक्सी नजरों से देखने लगा.
हम दोनों ऐसे ही इधर इधर की बात करने लगे.

मैंने अचानक उससे पूछा- उस दिन जब तुम्हारा रिश्ता टूटा, तो कैसा लगा. क्या तुमको एक पार्टनर की जरूरत है?
वो अपनी शादी की बात सुन कर फिर से रोने लगा.

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसे अपनी बांहों में ले लिया.
इस बार वो बेकाबू हो गया और मुझे किस करने लगा.

मैंने भी उसके होंठों से होंठ लगा दिए.
वो मेरे होंठों का रस पीने लगा.

मैंने उसे नहीं रोका बल्कि मैं तो खुद पूरी तरह से गर्म थी.
वो मेरे होंठों को चूसते हुए ही आगे बढ़ा और उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी.
हम दोनों की जीभें एक दूसरे का रस पीने लगीं.

फिर धीरे धीरे मेरा देवर मेरे बूब्स दबाने लगा.
मैंने फिर भी उसे नहीं रोका.

अब उसने मेरे गाउन का फीता खोला और मेरे बदन से गाउन को खींच दिया, जिससे वो फट गया.
अब मैं अपने देवर के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.

फिर उसने मेरी ब्रा भी फाड़ कर मेरे मम्मों से हटा दी और मेरे स्तन चूमने चूसने लगा.

धीरे-धीरे वो मेरी पैंटी तक पहुंचा और उसने मेरी पैंटी भी उतार दी.
मैं अभी कुछ समझती कि उसने मेरी टांगें फैला दीं और मेरी चूत चाटने लगा.

मैं वासना से तड़प रही थी.
वो मुझे चूमता जा रहा था.

उसके बदन पर अब भी कपड़े वैसे ही थे.
मैंने उसके कपड़े उतारने की अभी सोची ही थी कि उसी समय दरवाजे पर किसी के खटखटने की आवाज आई.

मैं डर गई क्योंकि मैं पूरी नग्न थी.
मेरा लाड़ला देवर भी डर गया था कि अचानक से इस समय कौन होगा.

उसने मुझे अपने बाथरूम में जाने का इशारा किया और खुद दरवाजा खोलने चला गया.
दरवाजे पर मेरी सास आई हुई थीं.

फैसल ने उनसे पूछा- क्या हुआ चाची. आपको कुछ चाहिए क्या?
मेरी सास ने कहा- हां फैसल, मुझे तुम्हारे चाचा की दवाई नहीं मिल रही है और नाजिया न जाने किधर चली गई है. उनकी हालत कुछ ठीक नहीं लग रही है. मैंने उसे उसके कमरे में भी देखा, मगर वो उधर नहीं थी.

ये सुनकर मेरी गांड फट गई कि अब क्या होगा.

तभी फैसल ने कहा- चाची, भाभीजान शायद छत पर गई होंगी … और उन्हें आपकी आवाज नहीं सुनाई पड़ी होगी. चलिये मैं चाचा को देखता हूँ.
मेरी सास फैसल के साथ बाहर निकल गई.

मैंने झट से बाथरूम का दरवाजा खोला और अपने कपड़ों की तरफ देखा.
मेरे कपड़े फैसल के बेड के नीचे गिरे पड़े थे.

अब मैं बिना कपड़ों के अपने कमरे की तरफ भागी क्योंकि मेरे देवर ने जब मेरे कपड़े उतारे थे तो वो फट गए थे.

मैं जल्दी से अपने कमरे में गई और दूसरी नाइटी पहन कर सास के कमरे में आ गई.

वहां पर फैसल ने डॉक्टर को अब्बू के चैकअप के लिए बुलाया हुआ था.
वो मेरे ससुर को चैक कर रहे थे.
सब लोग परेशान थे.

डॉक्टर ने कहा- इन्हें तुरंत अस्पताल में एडमिट करना होगा.
हम दोनों उन्हें लेकर अस्पताल आ गए.

वहां पर उन्हें एडमिट किया तो पता चला कि अस्पताल में सिर्फ एक को रुकने की ही अनुमति है.

मैंने सपनी सास और फैसल से कहा- आप दोनों घर जाएं. मैं अब्बू के पास रुक जाती हूँ.

मगर मेरी सास ने कहा कि वो उनको छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगी.

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तब इसका हल ये निकला कि मेरी सास, ससुर के साथ हॉस्पिटल में ठहरेंगी और मेरा देवर मेरे साथ घर जाएगा.

डॉक्टर का कहना था कि अब्बू की हालत ठीक है. किसी तरह की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है. तुम लोग दोपहर में ही आना क्योंकि अस्पताल में ठहरने की कोई जरूरत नहीं है.

अब हम दोनों घर आ गए और अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.

मुझे तो पता नहीं क्यों रहा नहीं जा रहा था. मैं अपने बिस्तर पर करवटें बदल रही थी.

तभी अचानक से मेरा प्यारा देवर मेरे कमरे में आया और कहने लगा- भाभीजान, पता नहीं मुझे नींद नहीं आ रही है.
मैंने उसे अपने पास ही बिस्तर पर लिटा लिया, उससे कहा कि फैसल अब हमें सो जाना चाहिए.

हम दोनों सोने की कोशिश करने लगे लेकिन नींद हम दोनों से ही कोसों दूर थी.

मैंने उससे पूछा- आज तुम्हें क्या हुआ था … जो तुम मुझसे खेल रहे थे.
उसने कहा- मुझे पता नहीं भाभीजान, लेकिन जब आपने मुझे सहारा दिया तो मुझे लगा कि शायद आप ही वो शख्स हो, जो मेरी सच्ची दोस्त हो. आपने ही मेरे अरमानों को समझ पाया है. बस इसी लिए मुझसे गलती हुई … सॉरी.

मुझे लगा कि शायद मेरा बकरा अब मुझे नहीं मिलेगा.

तो मैंने उससे कहा- इसमें सॉरी की कोई बात नहीं है फैसल. जब हम दोनों दोस्त हैं तो ऐसी बात तो होगी ही ना.
मैंने उसे एक बार फिर से अपने गले से लगा लिया.

इस बार मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती थी, चाहे कुछ भी हो जाए.
मेरी चुत में आग लगी पड़ी थी और मुझे बार बार अपने देवर का मोटा लंड गर्म कर रहा था.

वो मेरे साथ चिपक गया और हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में कुछ मिनट पड़े रहे.

कुछ समय गुजरने के बाद उसने मुझे फिर से चुंबन करना शुरू कर दिया लेकिन इस बार वो कुछ सहमा हुआ था.

मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया.

उसने धीरे से मेरा गाउन उतारा और मैंने उसके कपड़े उतार दिए.
अब मैं उस पर टूट पड़ी और उसका लंड चूमने लगी.
मैंने उससे कहा- मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं फैसल … तुम ही मेरे चूत के राजकुमार हो.

वो भी गर्मा गया और मेरी चूत चाटने लगा.
अब मेरी चुदाई का सीन बन गया था.
हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार कर रहे थे. वो मेरी चुत का स्वाद चख रहा था.

मैंने अपने दोनों पैरों के बीच में उसे लेकर अपने ऊपर खींच लिया और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी.

वो भी मेरी चुत पर लंड की रगड़ का मजा लेने लगा था.
मैंने उससे लंड पेलने को कहा.
उसने धीरे से मेरी चुत में लंड पेलना शुरू कर दिया.

मुझे उसका लंड अपनी चुत को चीरता हुआ सा लग रहा था.
एक तो मैंने काफी दिनों से लंड लिया नहीं था और मेरे देवर का लंड भी काफी मोटा था.

खैर … किसी तरह से फैसल का लंड मेरी चुत में चलने लगा और मैं उससे चुदने का मजा लेने लगी.

अब वो मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगा था.
कुछ समय बाद हम दोनों डिस्चार्ज हो गए.

उस रात मैंने अपने देवर के साथ अपनी चूत की आग को बुझा लिया था.

दूसरे दिन से फैसल मेरा खाविन्द बन गया था.
वो मेरे शौहर के विदेश से आने तक मेरी चूत का बादशाह बना रहा.

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