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समय और संयोग: मस्ती सस्ती नहीं, कभी मंहगी भी पड़ती है - Samay aur Sanyog : Masti Sasti Nahi, Kabhi Mahngi bhi Padti hai

समय और संयोग: मस्ती सस्ती नहीं, कभी मंहगी भी पड़ती है
समय और संयोग: मस्ती सस्ती नहीं, कभी मंहगी भी पड़ती है

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अन्तर्वासना के पाठकों पाठिकाओं को नमस्कार.. आप सबको बहुत सारा धन्यवाद।

मेरी कहानी तो पढ़ी होगी आप सबने.. पर यह कहानी उसके बाद की नहीं उसके पहले की है, मैंने कहानी की शुरूआत बीच में से की थी..जैसे बाहुबली की स्क्रिप्ट की तरह.. अगर मैं साधारण तरीके से कहानी लिखता तो यह कहानी पहले आती.. पर उस कहानी का महत्व कम हो जाता।

अब कहानी पर आता हूँ।

मेरा नाम नील है, मैं मॉडलिंग से जुड़ा हुआ हूँ। मेरी पत्नी का नाम कीर्ति है। हम दोनों ही लंबे और ऊंचे कद के हैं.. मैं 6.5’ वो 6.1’ इसके साथ ही कीर्ति एक परफेक्ट फिगर की मालकिन है।
हम दोनों हमेशा खुश रहने वाले और मस्तीखोर हैं.. पर हमें क्या पता था कि एक दिन यह मस्ती सस्ती नहीं मंहगी पड़ने वाली है।

हम दोनों ने एक दिन मूवी देखने का प्लान बनाया.. वैसे तो अक्सर हम हॉलीवुड या बॉलीवुड मूवी ही देखने जाते हैं पर इस बार हमने तय किया कि हम लोकल गुजराती मूवी देखने जाएंगे।
हमने बालकनी की कोर्नर की टिकट बुक की।

उस थियेटर में बालकनी का भाग अलग होता है और उसका सोफा थोड़ा गहरा होता है।

मैं थियेटर का नाम तो नहीं लेना चाहूँगा.. पर जो लोग अलग-अलग थियेटरों में और ज्यादा मूवी देखने जाते हैं उससे पता चल ही गया होगा कि ये कौन सा थियेटर है। क्योंकि ये थियेटर जिस-जिस शहर में भी हैं सबमें बालकनी वाला भाग इसी तरह ही बना हुआ है।

हम कोर्नर में जाकर बैठ गए.. लोकल मूवी होने की वजह से ज्यादा लोग नहीं थे और उस पर बालकनी तो पूरी लगभग खाली थी.. क्योंकि गुजराती मूवी बालकनी का खर्चा करके कौन देखेगा.. हमारे जैसे पागल ही..

मूवी चालू हो गई और अंधेरा हो गया.. फिर क्या था.. हमने भी मस्ती चालू कर दी।
कीर्ति ने आगे बटन वाला टॉप पहना हुआ था, मैंने बटन खोलकर उसके मम्मों को बाहर निकाल लिया और दबाने और चूसने लगा।

कीर्ति की सिसकारियाँ निकलने लगीं और कीर्ति ने मेरे पैन्ट की जिप खोल दी और लंड निकाल कर मसलने लगी।
बड़ा मजा आ रहा था.. हम एक अलग ही आनन्द ले रहे थे।

तभी आगे के सोफे से एक आदमी खड़ा होकर हमारी तरफ मुड़ा और सोफे पर बैठ कर हमें देखने लगा।

हम उसे देख कर हक्के-बक्के रह गए.. हम अपने आपको ठीक भी न कर सके।
कीर्ति के मम्मे और मेरा लंड अभी भी बाहर थे और वो उसे देखे ही जा रहा था।

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सोफा ऐसा होने की वजह से वो हमें दिखा ही नहीं था। फिर वो उठ कर पीछे हमारे पास आकर तुरंत बैठ गया।
अब कीर्ति उसके और मेरे बीच में थी, वो बाजू में आकर बैठ गया था।

वो भी कीर्ति के मम्मों को टच करने लगा.. तब कीर्ति चौंकी और सब समेटने लगी।
उसने बोला- सबको बताऊँ?
हम दोनों चुप थे.. वो मम्मों को दबाने लगा, मेरी बीवी थोड़ी सहमी हुई थी।

वो मेरे ही सामने मेरी बीवी को किस करने लगा होंठों से होंठ मिलाकर.. और मैं देखता ही रहा।
फिर वो मम्मों को चूसने लगा।
उसने कीर्ति का हाथ पकड़ कर अपनी पैन्ट पर रखा और बोला- लंड निकाल..
पर कीर्ति ने नहीं निकाला.. तब उसने खुद निकाल कर हाथ में दे दिया।

वैसे वो आदमी हमारी तरह गोरा और जवान था.. इसी लिए उसका लंड भी थोड़ा गोरा था।

तभी उसने कीर्ति को झुकाकर लंड पर मुँह रख दिया.. तब मैं आपत्ति जताते हुए आक्रोश में आ गया।
तो उसने बोला- यहाँ लोगों का ध्यान खींचेगा तो इज्जत का फालूदा ही होगा.. इसलिए चुप हो कर बैठे रहो।
वो कीर्ति से बोला- चूस ले मेरी जान.. और खत्म कर बात को!

तब कीर्ति उसका लन्ड चूसने लगी। जब कीर्ति लण्ड चूस रही थी.. तब वो काफी कुछ बोले जा रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जब वो धीरे-धीरे चरम सीमा तक पहुँचने वाला था तो कीर्ति का सर पकड़ कर दबाने लगा और फिर मेरी बीवी के मुँह में झड़ने लगा और शांत हो गया।
कीर्ति उसका माल जो मुँह में था वो थूकने लगी और अपने आपको ठीक करने लगी।

फिर उस आदमी ने टॉप के बाहर से ही मम्मों को दबा दिए और होंठों पर किस किया।

तब तक इन्टरवल हो गया.. सारी लाइटें जल उठीं और हम सब सीधे होकर बैठ गए।
तब उसने बोला- इन्टरवल से पहले ऊपर का काम हो गया.. अब इन्टरवल के बाद नीचे का होगा।
हम सब चुप बैठे थे और कीर्ति मुँह साफ़ करने चली गई।

मैं उठ कर वाशरूम जाने लगा, बाहर देखा तो कीर्ति मेरा ही इंतजार कर रही थी।
तब उसने बोला- चलो अब हम निकल चलते हैं।
और आधी मूवी छोड़ कर हम निकल गए।

घर आकर हम चुप थे.. फिर मैंने बात की शुरूआत की- चलो बच गए झंझट से वरना चुदाई भी हो जाती हा हा हा हा..
कीर्ति फिर हँस पड़ी और बोली- वो हरामी हमारी राह देख रहा होगा कि ये दोनों अभी आएंगे.. पर उसे क्या पता हम तो निकल चुके हा हा हा हा हा..

फिर रात को बिस्तर पर हम बातें कर रहे थे। मैंने बोला- तुम उसका बड़े चाव से चूस रही थीं।
कीर्ति- हटिए ना.. मैंने कब चाव से चूसा.. आपको लगा होगा।
ऐसी ही बातें करने के बाद हमने जम के चुदाई की।

आप सबको आगे के भाग में बताऊँगा कि बदला ईर्ष्या और कसूर वाली कहानी.. जो आपके दिल को छू जाएगी.. क्योंकि आगे का भाग एडल्ट कहानी होते हुए भी सीरियस और रूला देने वाली कहानी है।

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