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बॉलीवुड अभिनेत्री को गाड़ी चलाना सिखाया- 2 - Bollywood Abhinetri Ko Gadi Chalana Sikhaya - 2

बॉलीवुड अभिनेत्री को गाड़ी चलाना सिखाया- 2
बॉलीवुड अभिनेत्री को गाड़ी चलाना सिखाया- 2

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Read: - हॉट एक्ट्रेस सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं बॉलीवुड अभिनेत्री दाइशा को कार चलाना सिखा रहा था तो कैसे मुझे उसकी नायाब चूत चोदने का मौक़ा मिला.

कहानी के पिछले भाग

बॉलीवुड अभिनेत्री की चुदाई की चाह

में आपने पढ़ा कि मैं बॉलीवुड अभिनेत्री दाइशा को कार चलाना सिखा रहा था. मैं उनका बहुत बड़ा फैन हूँ तो मैं उनकी चूत चुदाई की इच्छा रखता था.

अब आगे हॉट एक्ट्रेस सेक्स स्टोरी:

मैं अपने हाथ से दाइशा जी का हाथ पकड़कर स्टियरिंग को डाइरेक्ट कर रहा था और अपने एक हाथ से दाइशा जी के कंधों को अब ज़रा आराम से सहला रहा था।

मेरी आंखें दाइशा जी की ओर ही थी और कभी-कभी बाहर ग्राउंड पर भी उठ जाती थी.
पर दाइशा जी की ओर से कोई भी ना नुकर ना होने से अपने हाथ से दाइशा जी कंधों से लेकर बांहों तक छूने लगा था.
पर बड़े ही प्यार से और बड़े ही नाजुक तरीके से मैं उस स्पर्श का आनंद ले रहा था।

मैं अब अपना हाथ थोड़ा सा आगे करते हुए दाइशा की गर्दन और गले को छूता … पर फिर से कंधे पर पहुँच जाता।

मेरी सांसें अब दाइशा जी से भी तेज धौंकनी की तरह चल रही थी।
मैं थोड़ा सा झुक कर दाइशा जी के बालों की खुशबू भी अपने अंदर उतारने लगा।

अब मेरे हाथ दाइशा जी के कंधे से गले तक छू रहे थे।
मेरी हर छोटी हरकत दाइशा जी की आग को और भी भड़का रही थी.

दाइशा के पल्लू ने तो कब का साथ छोड़ दिया था, उनकी सांसें भी उखड़ उखड़ कर चल रही थी।

मेरा हाथ कंधे से फिसलकर अचानक लगे झटके से दाइशा के उभार पर आ गया.
इतने देर से अब तक रोकी हुई सिसकारी दाइशा जी के मुंह से एक लंबी सी आआह्ह बनकर बाहर निकल ही आई.

और उनका बायाँ हाथ स्टियरिंग से फिसल कर गियर रॉड पर आ गया।
अब चौंकने की बारी मेरी थी!

ठीक गियर रॉड के साथ ही मेरा लन्ड टिका हुआ था.
दाइशा की उंगलियां मेरे लन्ड पर पड़ते ही, मेरा हाथ दाइशा जी के ब्लाउज के अंदर उतर गया और मेरे हाथ में वो जन्नत का मजा या कहिए रूई का वो गोला आ गया था जिससे मैं बहुत देर से अपनी आँखे टिकाए देख रहा था।

मैंने थोड़ा आगे होकर अपने लिंग को दाइशा जी की उंगलियों को पूरा छुआ दिया और अपने हाथ से दाइशा की चूचियां को दबाने लगा।

दाइशा ने अपने हाथ को नीचे और नीचे ले जाते हुए मेरे मोटे रॉड को मेरे लोअर के ऊपर से कसकर पकड़ लिया।
वो गाड़ी चलाना भूल गई थी, ना ही उसे मालूम था कि गाड़ी कहाँ खड़ी थी.
उसे तो बस पता था कि उसके ब्लाउज के अंदर एक बलिष्ठ सा हाथ उसकी चूचियों को दबा दबाकर उसके शरीर की आग को बढ़ा रहा था और उसके हाथ में एक लिंग था जिसके आकार का उसे पता नहीं था जो उसे बस मिलने ही वाला था।

तभी मेरे मुंह से निकला- मैडम आप बहुत सुंदर हो।
और अपने हाथ से दाइशा की चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.
साथ ही अपने होंठों से दाइशा जी के गले और गालों को चूमने लगा।

दाइशा के ऊपर भी सेक्स सवार हो गया था; वो मेरे लन्ड को कसकर दबाने लगी और अपने होंठों को घुमाकर मेरे होंठों से जोड़ने की कोशिश कर रही थी।

मैंने भी उन्हें निराश नहीं किया और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी प्यास बुझानी शुरू कर दी।

अब तो गाड़ी के अंदर जैसे तूफान सा आ गया था कि कौन सी चीज पकड़े या किस पर से हाथ हटाए या फिर कहाँ होंठों को रखे या फिर छोड़े, हम दोनों एक दूसरे से गुंथ से गये थे।
दाइशा की पकड़ मेरे लन्ड पर बहुत कस गई थी और वो उसे अपनी ओर खींचने लगी थी।

यह देखकर मैं अपने हाथ से अपनी लोअर को ढीला करके अपने अंडरवीयर को भी नीचे कर दिया और फिर से दाइशा जी के हाथों को पकड़कर अपने खड़े लन्ड पर रख दिया और फिर से दाइशा जी के होंठों का रसपान करने लगा।

मेरी हालत खराब होती जा रही थी।

दाइशा जी जैसी सुंदर हीरोइन के लन्ड सहलाने से मेरा लन्ड जवाब दे दिया और पिचकारी छोड़ने लगा।
मैंने तुरंत पास में पड़े नैपकिन को अपने लन्ड के टोपे पर रखा और सारा माल उसमें साफ कर लिया।

ये सब होने तक दाइशा को पता भी नहीं चला, उनके हाथ मेरे टी शर्ट के अंदर मेरे चूचुक दबाने में व्यस्त थे।

लन्ड झड़ते ही मुझे थोड़ा आराम मिला और मैंने बहुत ही धीरे धीरे दाइशा की साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसे ऊपर उठा दिया।

दाइशा की चिकनी और मुलायम ऊपरी जांघों पर मेरा हाथ पड़ते ही वो अपने मुख को आजाद करके सीट के हेड रेस्ट पर सिर रख कर जोर-जोर से साँसें लेने लगी।
मेरा लन्ड फिर से दाइशा को सलामी देने लगा।
अब मुझे किसी भी तरह इस हीरोइन को भोगना था।

मैं अचानक से अपनी सीट से अलग होकर जल्दी से बाहर निकला और घूमकर अपना लोअर और अंडरवीयर को संभालता हुआ, ड्राइविंग सीट की ओर लपका और एक झटके में ही कार का डोर खोलकर दाइशा को खींच कर, उनकी टांगों को बाहर निकल लिया और उनकी जांघों और टांगों को चूमने लगा।

कितनी सुंदर और सुडौल टाँगें थी दाइशा की! और कितनी चिकनी और नरम!
उफ …

मैं अपने हाथों को दाइशा जी के पेटीकोट के अंदर तक बिना किसी झिझक के ले जा रहा था.
और तभी मैंने एक झटके में दाइशा की पैंटी को खींचकर बाहर निकाल भी दिया.

देखते ही देखते उसकी जांघों को किस करते हुए दाइशा की योनि तक पहुँच गया।
दाइशा की योनि इतनी सुंदर थी … ऐसी सुन्दर चीज मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।
अब अगर मौत भी आ जाए तो हंसते हंसते मंजूर है।

धरती पर इससे खूबसूरत चीज और क्या हो सकती है।
डबल पावरोटी के आकार की फूली हुई, एक लंबा चीरा लेते हुए, हल्के हल्के बालों वाली दाइशा जी की चूत, गुलाब के नए खिले हुए फूल की तरह थी, जिसकी पंखुड़ियां अभी भी खिलने को बेचैन हों।
जैसे ही मैंने अपने होंठों से दाइशा के चूत को छुआ, उनके मुख से बहुत जोर से सिसकारी निकल गई।

मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी जीभ हिन्दुस्तान की सबसे खूबसूरत हीरोइन के चूत को चाट रहा था।

मैं अपने होंठों को दाइशा के योनि में लगाकर जीवन का अमृत पीने लगा.
मेरा पूरा चेहरा योनि से निकलने वाले रस से भर गया था और अब भी मैं अपने चेहरे को उस पर घिस रहा था।
मुझे बस यही पता था कि मैं एक ऐसे जन्नत के सफर पर हूं जिसका की कोई अंत नहीं है।

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मैं अपनी जीभ को दाइशा की योनि के अंदर आगे पीछे करते हुए अपनी जीब से अंदर से निकलते हुए रस को पीने लगा जैसे कोई अमृत मिल गया हो।
मेरे दोनों हाथ दाइशा की जांघों के चारों और कस के जकड़े हुए थे.

बीच बीच मुझे दाइशा की जांघों को थोड़ा सा खोलकर सांस लेने की जगह बनाने की कोशिश करनी पड़ रही थी.
पर दाइशा ने अपनी जांघों से मेरे सिर को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी जांघों को अलग नहीं कर पा रहा था।

मुझे इससे इस बात अंदाजा लग गया कि दाइशा भी बहुत उत्तेजित हो गई हैं और मेरे सिर को अपने चूत के अन्दर और अंदर घुसा लेना चाहती हैं।

मेरी सांसें अटकने लगी, मैंने पूरे ताकत से अपने को अलग किया और बाहर आकर सांस लेने लगा।
बाहर आकर मेरी नज़र दाइशा जी पर पड़ी जो कि अब भी ड्राइविंग सीट पर लेटी हुई थी और जांघों तक नंगी थी उनकी सफेद और सुडौल सी जांघें और पैर बाहर कार से लटके हुए थे।
दूर से आ रही रोशनी उसके नंगे शरीर को चार चाँद लगा रहे थे।

मैं अपने हाथों से फिर से दाइशा की जांघों को और उसके पैरों को सहलाने लगा.
दाइशा का चेहरा मुझे नहीं दिख रहा था वो अंदर कही शायद गियर रोड के पास से नीचे की ओर था।

मैंने सहारा देकर दाइशा को थोड़ा सा बाहर खींचा ताकि उसका सिर किसी तरह से सीट पर आ जाए।
मुझे अपने ड्राइवर होने का अहसास अब भी था, मैं नहीं चाहता था कि दाइशा को जरा सा तकलीफ हो!
पर मैं अपनी वासना को भी नहीं रोक पा रहा था।

मैंने अपने हाथों से दाइशा को सहारा देकर बैठाया और पास में ही खड़ा हो गया।
मेरी नंगी कमर लगभग दाइशा के चेहरे तक आ रही थी।

उनके बैठते ही मैंने दाइशा को कंधे से जकड़कर अपने पेट से चिपका लिया.
मेरा लन्ड दाइशा जी के गले पर टकराने लगा.

दाइशा ने अपने चेहरे को नीचे करके मेरे लन्ड को अपने गले और ठोड़ी के बीच में फँसा लिया और हल्के से अपनी ठोड़ी को मेरे लन्ड के ऊपर घिसने लगी।
उनकी ये हरकत मैं झेल नहीं पाया और दाइशा जी को अपनी कमर पर कस कर जकड़ लिया और अपनी कमर को उसके गले और चेहरे पर घिसने लगा।

मैं अपने लिंग को दिखा देना चाहता था कि देख साले … तूने किस चीज पर आज हाथ साफ किया है. या कभी देखा है इतनी सुंदर हसीना को? या फिर तेरी जिंदगी का वो लम्हा शायद फिर कभी भी ना आए. इसलिए देख ले … आज देख ले इस हीरोइन को! जिसके साथ सेक्स करने का हिंदुस्तान का लगभग हर मर्द सपने देखते हैं, वो आज मेरे लन्ड से खेल रही थी।

दाइशा जी ने अपने दोनों हाथों को मेरे कमर में चारों ओर कस लिया और खुद ही अपने चेहरे को मेरे लन्ड पर घिसने लगी.
पहली बार जिंदगी में पहली बार मेरे साथ ये सब हो रहा था।
मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी ठंडी हवा मेरी नंगे बदन पर अब अच्छे से टकरा रही थी।

दाइशा जी के लब भी कई बार मेरे लिंग को छू कर दूर हो गए थे.
पर दाइशा जी के होंठों का मेरे लन्ड से सिर्फ़ टच होने से मेरे शरीर में दीवानेपन की एक लहर और दौड़ गयी।

अब मैं अपने लिंग को दाइशा जी के होंठों पर बार-बार छूने की कोशिश करने लगा, अपने दोनो हाथों से एक बार फिर दाइशा जी के पीठ और बालों को सहलाने के साथ उसकी चूची की ओर ले जाने की कोशिश करने लगा।
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही दाइशा की खूबसूरत चूचियों को दबाने लगा और उनके मुलायमपन का आनंद लेने लगा।

अब मैं पूरी तरह से जन्नत की सैर पर था।
एक तरफ मैं दाइशा जी के चूचियों से खेल रहा था और दूसरे तरफ वो अपने लिंग को उनके होंठों पर घिसने की कोशिश भी कर रहा था.

मैं अपने हवस के आगे मजबूर हो गया था, मैंने अपने हाथों से दाइशा के ब्लाउज के बटन को खोला और एक ही झटके से ब्रा को भी आजाद कर लिया।

दाइशा की दोनों नंगी चूचियों, जो दूध से भी ज्यादा गोरी और रूई से भी कोमल थी, को अपने हाथों में लेकर तोलने लगा; उसके निप्पलों को भी अपनी उंगलियों के बीच में लेकर हल्के सा दबाने लगा।
नीचे दाइशा जी के मुख से एक हल्की सी सिसकारी निकली, जिसने मुझे और भी पागल कर दिया.

अब मैं अपनी उंगलियों के दबाव से उनके निप्पलों पर और भी ज्यादा जोर से मसलने लगा।

दाइशा की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगी, उनका चेहरा भी अब कुछ ज्यादा ही मेरे लिंग पर घिसने लगा था।
मैं अपने हाथों का दबाव खड़े-खड़े उसकी चूचियों पर बढ़ाने लगा था और कुछ देर बाद उन्हें जोर जोर से मसलने लगा।

दाइशा के मुख से निकलने वाली सिसकारी अब थोड़ी बहुत दर्द भी लिए हुए थी, पर वो मना नहीं कर रही थी.
बल्कि दाइशा जी की पकड़ मेरी कमर पर और भी ज्यादा होती जा रही थी।

दाइशा का चेहरा ठीक मेरे लिंग के ऊपर आ गया था और मेरे लिंग के चारों तरफ कुछ ज्यादा ही इधर-उधर होने लगा।

अब मेरी बर्दाश्त के बाहर था, मैंने एक बार नीचे दाइशा जी की ओर देखा और जोर से उसकी चूचियों को दबा दिया, दोनों हाथों से और जैसे ही उसके मुख से आआह निकली, मैंने झट से अपने लिंग को उसके सुंदर और साँस लेने की लिए खुले होंठों के बीच में रख दिया और एक झटका से अंदर गुलाबी होंठों में फँसा दिया।

दाइशा के तो होश ही गुम हो गये.
जैसे ही उनके मुख में मेरा लन्ड घुसा, उसे घिन सी आई और वो अपने आपको आजाद कराने की कोशिश करने लगी पर मैंने इतनी मजबूती से उन्हे पकड़ा हुआ था कि वो अपने आपको मेरे से अलग तो क्या हिला तक नहीं पाई।

मेरा एक हाथ अब उनके सिर के पीछे था और दूसरे हाथ से उनके कंधों को पकड़कर उसे अपने लिंग के पास और पास खींचने की कोशिश कर रहा था।
अब मेरा पूरा ध्यान अपने लिंग को दाइशा के मुख के अंदर घुसाने में लगा था और मैं उस परम आनंद को कहीं से भी जाने नहीं देना चाहता था।

मैंने धीरे धीरे अपने लिंग को उसके मुँह पर अंदर-बाहर करना शुरू किया।

दाइशा मेरे लिंग को अपने सुंदर मुख में, गुलाबी होंठों के बीच अंदर-बाहर होने दे रही थी। दाइशा जी के तरफ़ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं वहशी हो गया और जोर जोर का झटका देना शुरू किया. मेरा लिंग अब दाइशा के गले तक जा रहा था।

दाइशा को भी इस खेल में मजा आने लगा था, अब वो अपने होंठों को दबा कर धीरे धीरे मेरे लिंग को अपने मुख में ले रही थी।
अब तो वो अपनी जीभ को भी मेरे लिंग पर चलाने लग गई थी।

दाइशा जी को मजे लेते देख मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और प्यार से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
मैं अपना लंड दाइशा के छोटे से मुख में लाल होंठों से लिपटा हुआ देखकर और भी उत्तेजित होता जा रहा था.
अब किसी भी कीमत पर मैं दाइशा की योनि के अंदर अपने आपको उतार देना चाहता था।

मुझे ऐसा लगा कि अब ज्यादा देर तक अगर दाइशा जी के मुंह को चोदा, तो फिर से झड़ जाऊंगा और शायद उनकी योनि का मजा ना मिले।

इसलिए जल्दी से मैंने दाइशा के कंधों को पकड़कर उठाया और अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया.
मैं उनके लाल लाल होंठों को अपने काले होंठों से पागलों की तरह चूसने लगा और अपनी जीभ से भी उसके मुख की गहराई को नाप रहा था।

उन्हें मैं पागलों की तरह से किस करने लगा और नीचे मेरा लिंग दाइशा की योनि से टकराने लगा।
योनि से रगड़ खाने का आभास होते ही एक ही झटके में मैंने अपना लन्ड दाइशा की चूत में दबा दिया.
पर मेरा लन्ड तुरंत फिसल कर बाहर आ गया।

फिल्म एक्ट्रेस होने के बावजूद भी दाइशा की सेक्स लाइफ मुझे ज्यादा एक्टिव नहीं लगी। ये तो उनकी सुपर टाइट चूत के कसाव से ही पता चल गया।
और अगर वो एक्टिव होती भी तो मेरे जैसे अनजान ड्राइवर को अपने हुस्न का मजा लेने का मौका नहीं देती।

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मैं अपने आप को पूरी तरह भूल कर पूरा वहशी हो गया था.
मैंने दाइशा जी को चित लिटा दिया और अपने लिंग को उसके योनि के द्वार पर रखकर पूरी मजबूती से एक जोरदार धक्के के साथ उसके अंदर घुसा दिया।

मेरे लिंग के अंदर घुसते ही दाइशा के मुख से एक मादक चीत्कार निकली जो उस सुनसान ग्राउंड के चारों ओर फैल गई पर शायद दूर गाड़ियों की आवाज में दब कर कहीं खो गई।

दुबारा धक्के के साथ ही मैं अपने होंठों को दाइशा जी के होंठों पर ले आया और किसी पिस्टन की भाँति अपनी कमर को धक्के पर धक्के लगाने लगा।
मुझे पता था कि मैं ज्यादा देर का मेहमान नहीं हूं, इस कामुक सुंदरी को ज्यादा देर नहीं झेल पाऊंगा तो अपने लिंग को पूरा बाहर तक निकाल कर जोर जोर से झटके मारने लगा।

नीचे दाइशा भी मेरे हर धक्के के साथ ही सिसकारती हुई अपने बड़े बड़े नाखूनों को मेरे पीठ से क़मर तक दबाये जा रही थी।
उनकी चूत बहुत ज्यादा कामरस छोड़ रही थी.
मेरा लन्ड फच फ़च की आवाज़ के साथ तेज़ी से अन्दर बाहर हो रहा था।

अब तो वो भी अपनी जीभ मेरी जीभ के साथ लड़ाने लग गई थी. वो भी अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ कर उन्हें चूमने लग गई थी.

अचानक दाइशा ने लंबी सिसकारी ली और कहा- आआ आआह्ह किशोर और जोर से, उम्मम्म उम्म!

और मेरे चारों ओर अपनी जांघों का घेरा बना कर मेरी बांहों में झूल गई, मेरे हर धक्के को अंदर अपने अंदर बहुत अंदर महसूस करने लगी।
उनकी योनि से एक बहुत ही तेज धार निकली और सीधा मेरे लिंग से टकराई और मैं भी अब झड़ने लगा।

मेरी गिरफ़्त दाइशा के चारों तरफ इतनी कस गई थी कि उनका सांस लेना भी दूभर हो गया था.
वो अपने मुख को खोलकर बुरी तरह से सांसें ले रही थी और हर सांस लेने से उसके मुख से एक लंबी सी सस्स शह्हह निकलती।

अब मैं भी अपना दम खो चुका था और धीरे धीरे मेरी पकड़ भी दाइशा जी से ढीली पड़ने लगी.
मैं अपने को अब भी दाइशा जी के बालों और कंधों के सहारे अपने चेहरे को ढके हुए था और अपनी सांसों को कंट्रोल कर रहा था।

हम दोनों शांत हो चुके थे पर एक दूसरे को कोई भी नहीं छोड़ रहा था।
पर धीरे धीरे हल्की सी ठंडक और तेज हवा का झोंका जब हमारे नंगे शरीर पर पड़ने लगा तो हमने जैसे जागते हुए अपनी पकड़ ढीली की।

मैंने बिना उनसे नजर मिलाए सहारा देकर दाइशा के पैर जमीन पर टिकाए और नीचे गर्दन नीची किए दूसरी तरफ पलट गया।

मैं दाइशा से नजर नहीं मिला पा रहा था और दाइशा की भी हालत ऐसी ही थी, वो किसी अनजान ड्राइवर के सामने ऊपर से बिलकुल नंगी थी नीचे खड़े होने से उसकी साड़ी ने उसके नीचे का नंगापन तो ढक लिया था पर ऊपर तो सब खुला हुआ था, वो भी एक सुनसान से ग्राउंड में!

दाइशा को जैसे ही अपनी परिस्थिति का ज्ञान हुआ, वो दौड़कर पीछे की सीट पर आ गई और जल्दी से दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गई.
तभी वो अपने कंधे पर पड़े हुए ब्रा और ब्लाउज को ठीक करने लगी।

मैं भी अपना अंडरवीयर और लोअर ठीक करने के बाद ड्राइविंग सीट पर आ गया।
चुपके से मैंने रियर व्यू में देखा तो दाइशा उस समय अपने साड़ी को झटक कर ठीक कर रही थी।

मैंने गाड़ी का इग्निशन चालू कर गाड़ी को धीरे से ग्राउंड के बाहर की ओर दौड़ा दिया।

दाइशा जी के बिल्डिंग के बाहर पहुंचते ही वो तुरंत जल्दी से गाड़ी के बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई अपने अपार्टमेंट के अंदर चली गई.
लेकिन अचानक वो रुक कर वापस मेरे पास आई, गाड़ी के पास पहुंच कर अपनी नजरों को निचे किए हुए ही बोली- सुनो किशोर, ये राज हमारे और तुम्हारे बीच ही रहना चाहिए। मुझे तुम्हारे साथ समय बिताकर बहुत अच्छा लगा, तुम आगे भी मुझे ड्राइविंग सिखाने जरूर आना। पर ध्यान रखना, मुझे किसी तरह का कुछ बदनामी नहीं चाहिए।

मैं भी थोड़ा डरते हुए उनको बोला- आप मेरे मालिक को मत बताना, मेरी नौकरी चली जाएगी। आप जो भी कहेंगी मैं करने को तैयार हूं। बस मेरी नौकरी का सवाल है।

मेरी बचकानी बातें सुनकर उन्होंने मुझे एक प्यारा सा स्माइल दिया और फिर वापस चली गई।

उनके जाने के बाद मैं आज का पूरा घटनाक्रम सोचता हुआ अपने मालिक के घर जाने लगा।

आज सुबह तक मैं वर्जिन था और अभी सबसे खूबसूरत अदाकारा के साथ मैंने अपनी वर्जिनिटी तोड़ी।
ये सोचते सोचते मैं अपने मालिक के घर पहुंचा।
गाड़ी पार्क कर गाड़ी की चाभी देने के वास्ते मैं मालिक के फ्लैट पर गया।

वो मेरा ही इंतजार कर रहे थे।
फ्लैट के अन्दर घुसते ही मैंने देखा कि मलिक बहुत गुस्से में हैं; उन्होंने एक बंदूक निकाल रखी थी।

मुझे देखते ही उन्होंने वो बंदूक मेरे ऊपर तान दिया और मुझे गालियां देने लगे- साले हरमखोर … गटर के इंसान गंदी नाली के कीड़े, मैंने तुझे ड्राइविंग सिखाने के लिए बोला था, तूने मेरी दोस्त के साथ सेक्स किया।
वो इतने गुस्से में थे कि उन्होंने मेरे ऊपर गोली चला दी।

तभी मेरी नींद हड़बड़ाकर खुल गयी।
सामने देखा तो मेरा मोबाइल अलार्म पर अलार्म बजाए जा रहा था।

मेरे वर्क फ्रॉम होम का टाइम का हो गया था और मैं इस मदहोश सपने में खोया हुआ था।
मैं बस अफसोस करके रह गया कि काश ये सपना सच हो जाए।

मैंने तुरंत दाइशा पाटनी की हॉट क्लिप देखी और अपने सपने को याद करते हुए एक बार फारिग हो गया।

तो मित्रगण, कैसी लगी आपको मेरी ये फैंटेसी?
जी हां यह हॉट एक्ट्रेस सेक्स स्टोरी फैंटेसी ही है।

लॉकडाउन में 3 दिन तक लगातार दाइशा पाटनी की मूवीज देखने के बाद का ही मेरा ये हाल था।
मेरे सपने में दाइशा पाटनी आ गई।

अब पिछले एक सप्ताह से कृति खरबंदा के मूवीज देख रहा हूं।
जल्द ही एक और कहानी या मेरी फैंटेसी सुनाऊंगा।

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