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पड़ोसी की लौंडिया से चुत चुदाई की शुरूआत- 2 - Padosi Ki Laundiya Se Chut Chudai Ki Shuruat- 2

पड़ोसी की लौंडिया से चुत चुदाई की शुरूआत- 2
पड़ोसी की लौंडिया से चुत चुदाई की शुरूआत- 2

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Read: - फर्स्ट टाइम Xxx कहानी मेरे पड़ोस की लड़की की पहली चुदाई की है मेरे साथ! मैं भि पहली बार किसी लड़की को चोद रहा था. हम दोनों अनाड़ी थे.

दोस्तो, मैं अनन्त सिंह एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
कहानी के पहले भाग

मुठ मार कर अपनी वासना का हल किया

में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने बाजू वाले चाचा की लौंडिया फौजिया को चुदने के लिए राजी कर लिया था और वो मेरे घर के एक कमरे में नंगी पड़ी थी.

अब आगे फर्स्ट टाइम Xxx कहानी:

उस दिन की शुरुआत कुछ ऐसे हुई थी.
मैं घर पर खाना खाकर पहुंचा और अपने कमरे में सोने चला गया.

फौजिया से तय बात के अनुसार वो 2 घंटे बाद कमरे में आ गई.
उसने पीछे के रास्ते से मेरे कमरे का दरवाजा खोला और मुझे उसी रास्ते से अपने कमरे में लेकर आ गई.

कुछ मिनटों की खामोशी की बाद वो बोली- क्या हुआ आज भीगी बिल्ली क्यों बने हो … बताओ क्या करना है?

उसका इतना बोलना था कि मैं उस पर टूट पड़ा और उसकी शर्ट के ऊपर से ही उसके चूचों को मसलने लगा; अपना लंड उसकी लोअर के ऊपर से ही चूत में सटाने की कोशिश करने लगा.

कुछ मिनट बाद उसने कहा- सारी रात पड़ी है. तुम्हें जो करना है, आराम से करो. कपड़े क्यों खराब करते हो.
तब मैं थोड़ा होश में आया और रूक गया.

मैंने उससे कहा- चल मेरी गुलाम, सारे कपड़े उतार दे.
वो शर्माती हुई बोली- मुझसे नहीं हो पाएगा.

मैंने कहा- कोई बात नहीं.
मैं उस झट से उसके पास पहुंचा और उसकी टी-शर्ट ऊपर उठाने लगा.

उसने थोड़ा विरोध किया तो मैंने डांटते हुए कहा- कुछ नहीं करना था, तो बुलाया क्यों … अपना वादा भूल गयी क्या?
उसने कहा- ठीक है, अगर तुम यही चाहते हो, तो कर लो अपनी मर्जी पूरी.

मैं बोला- तू मुझे संजीदा मत कर … मेरी गुलाम है तू … भूल गयी क्या!
उसने अपने हाथ ऊपर कर दिए और 32 इंच के कड़क गोल आमों के दीदार हो गए.

मैं इतनी जल्दी में था कि उन्हें दबाने लगा और उसकी ब्रा खोलने लगा जिसमें मैं विफल रहा.
फिर ब्रा को ही ऊपर करके मैं उसके चूचों को चूसने लगा.

वो हंस कर बोली- साला ब्रा तक नहीं खोल सकता और चला है लड़की चोदने.
मुझे शर्म सी आयी और गुस्से में मैंने उसकी चूची के दाने को पकड़ कर मरोड़ दिया.

उसकी ‘आइ … मत कर …’ निकल गई.

मैंने कहा- अब मैं तुझे जो कहूंगा, तू वो करेगी और ‘जो हुक्म मेरे आका …’ करके करेगी. नहीं तो ऐसी ही तेरी चूचियां मरोड़ कर तुझे दर्द दूंगा.
वो तैयार हो गई.

मेरा अगला हुक्म था- सारे कपड़े निकाल कर खड़ी हो जा!
वो ‘जो हुक्म मेरे आका …’ कह कर कपड़े निकालने लगी.

इसी बीच मैं भी मादरजात नंगा हो गया.
कुछ मिनट तक उसके नग्न शरीर को देखने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और उसे उलटा घुमा कर पीछे से उससे लिपट गया.

मेरा लंड ऐसा फड़फड़ा रहा था, जैसे उसकी गांड में किसी सरिये की तरह घुस जाएगा.

सच बताऊं तो मेरी चाहत भी कुछ वैसी ही थी. लेकिन दोस्तों ये सब पहली बार होता ही है.

इधर अपना लंड उसकी गांड में डालने जैसी ताकत लगाते हुए हाथों को आगे ले जाकर उसके चूचों का मर्दन करने लगा.

मैं इतनी तेजी से गुब्बारे गूंथने लगा कि उसने तड़फ कर कह ही दिया- उखाड़ डालोगे क्या … गुलाम हूं पर इंसान ही हूं.
इस पर मुझे थोड़ी अपनी गलती का अहसास हुआ और अपनी पकड़ कुछ ढीली कर दी.

हम दोनों ही चुदाई के खेल में अनाड़ी थे.
बिस्तर पर लेट कर बहुत देर तक मैं उसके शरीर से खेलता रहा.

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फिर मैंने उससे कहा- चलो अब मेन काम करते हैं.
वो बोली- मेन का कौन सा?

मैंने कहा- चुदाई का.
उसने बोला- आपका हुक्म सर आंखों पर बताइए मेरे आका … मुझे क्या करना है!

मैंने कहा- पैर फैलाओ और अपनी कमर के नीचे तकिया रख लो, जिससे तुम्हारी चूत निकल कर सामने आ जाएगी.
उसने कहा- क्या कहा?

मैंने कहा- हां मैंने चूत ही कहा.
वो बोली- बड़े गंदे हो आका!

मैं हंस कर बोला- साली आका से सब सीख ले. अभी तो तेरी चूत कुँवारी है. जब महीने भर चुदवा लोगी, तो ये भोसड़ा बन जाएगी.
वो बोली- हट क्या गंदी बातें करते हो.

मैं उसकी चूत से लंड रगड़ते हुए चुम्मी ले रहा था.

मैंने उसके चूचे दबाते दबाते कहा- हां सीख लो जानेमन, कल को तुम भी चूत लंड बोलोगी, तो सेक्स में और ज्यादा मजा आएगा.

एक बार फिर से तैयार होकर मैं उसके पैर के बीच में बैठा.
मैंने शर्मिंदगी का गजब दौर झेला.
मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि चूत में घुसाना कहां है.
मैंने लंड चूत की फांकों में लगा कर दबा दी तो वो बोली- चूतिया नंदन गलत छेद टारगेट कर रहे हो.

मैंने उसे आदेश दिया- गुलाम, मेरे लंड को अपनी जन्नत ए जहां का रास्ता दिखाओ.
इस पर वो हंसने लगी.

मैंने उसे एक चमाट मारी और बोला- हुक्म की तामील हो.
इस पर उसने मुझे गुस्से से देखते हुए मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सैट कर दिया.

वो बोली- लो अब लगाओ दम!
मैंने जोर लगाया तो लंड फिसल गया.
ऐसा कई बार हुआ.
मगर मांबदौलत को चूत फाड़ना नसीब नहीं हुई.

चूंकि हम दोनों तैयारी के साथ नहीं थे. अब हम दोनों का प्लान बदला कि कल चूत का उद्घाटन किया जाए. आज बस ऊपरी तौर पर मजे लिए जाएं.

मैंने उससे कहा- चुदाई कल होगी. आज तुम मुझसे गंदी बातें करो और मेरे लंड की मुठ मारो.

इस तरह उस रात हम दोनों 4 घंटे आपस में नंगे सोए रहे.
मैंने उससे तीन बार लंड की मुठ मरवायी.

सुबह होने से पहले मैं अपने कमरे में आकर सो गया.

अगले दिन खजाने की खोज में गुफा में प्रवेश हुआ.

चूंकि एक्जाम भी थे तो तय यह हुआ कि सुबह से शाम तक हम लोग अपने घरों में पढ़ेंगे और शाम से सेक्स की शमा रोशन करेंगे.
दूसरे दिन शाम को ही मैंने उससे बोल दिया कि आज रात में दूध और सरसों के तेल की व्यवस्था अपने कमरे में करके रखना.

मैं कल के जैसे ही रात को उसके कमरे में पहुंचा.
आज कुछ काम आसान था.

थोड़ी देर उसके नंगे चूचों से खेल कर तकिया लगा दिया और उसकी चूत की फांकों को सहलाया.
मैंने उससे अपना लंड सहलाने को कहा जो उसने काफी बेदर्दी से किया.

शायद वो अपनी चूची पर दिखायी बेदर्दी का बदला ले रही थी.
फिर ढेर सारा सरसों का तेल चूत के छेद में डाला और मैं दो उंगली घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा.

वो- सी सी आह आह क्या कर रहे हो अनन्त!
ऐसा कह कर मदमस्त वो आंहे भरने लगी.

एक बार तो वो उठ कर मुझे जोर से पकड़कर चुम्बन करने लगी.

फिर मैंने तीन उंगलियां डालीं तो उसे दर्द होने लगा.
मैंने मन में कहा कि ठीक है, बहुत हो गया. अब लंड महाराज को गुफा के दर्शन कराए जाएं.

मैंने ढेर सारा तेल लगा कर उससे अपने लंड की अच्छी मालिश कराई और उससे लंड पर चुम्बन भी दिलवाया.

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जब उसकी सांसें मेरे लंड को छू रही थीं तो लंड में एक अजीब सी कसक उठ रही थी.
फिर मैंने झटके से लंड अन्दर को धकेला और अपनी टी-शर्ट मरोड़ कर उससे बोला कि ले इसे अपने दांतों से दबा ले.

साथ ही ये भी कहा कि मेरा लंड चूत के छेद में सैट कर ले.
उसने ऐसा किया.

मैंने उसे पकड़कर पूरी ताकत से लंड पेल दिया. मेरा लंड आधा से ज्यादा चूत में घुस गया.
उसने चादर को अपनी मुट्ठी से भींच लिया और टी-शर्ट को कसके दबाए रखा.

उस पर दर्द साफ झलक रहा था और इधर मेरे लंड में कसी हुई चूत की जकड़न के कारण दर्द हो रहा था.

मैंने हिम्मत करके पूरा लंड चूत में ठांस दिया और उसके ऊपर लेट गया.
उसने कराहते हुए कहा- आह मुझे बहुत दर्द हो रहा हो …. मार ही डालोगे क्या!

मैंने कहा- दर्द मुझे भी हो रहा है.
वो बोली- तो रहने दो.

पर मैंने अपने कमीने दोस्तों से सीखा था कि अगर पहली बार में रूक गए तो काम गड़बड़ है इसलिए जैसे तैसे मैंने फर्स्ट टाइम Xxx चुदाई को जारी रखा.

कुछ ही देर में मैंने चूत में पानी गिराया और उसके बगल में ढेर हो गया.
हम दोनों की हालत खराब थी.

कुछ देर बाद हम दोनों बाथरूम में जा कर साबुन से अच्छे से साफ हो गए.

उस रात दुबारा चुदाई नहीं हुई.
मगर मैंने एक नया खेल खेला; उसकी चूत की चुसाई शुरू कर दी.

दोस्तो, सच बताऊं तो मुझे चूत चुसाई का ये चस्का फौजिया की चूत चूसने के बाद ही लगा था.

चूत का खट्टा कसैला स्वाद और लड़की का अपने पैरों से मेरे सर को दबाना. अपनी गांड को उछाल उछाल कर बताना कि उसे कितना मजा आ रहा है. फिर उसके बाद चूत का झरझरा कर बहना … और उस लसलसे जूस से उंगलियों से खेलना.
ये अपने आप में एक अलग ही मजेदार खेल है.

उस रात मैंने सिर्फ उसे मजे कराए और चिपक कर बहुत सारी बातें की.
यहीं से उसकी गंदी बातों की ट्रेनिंग भी शुरू हो गई.

पहली बार चूत चुसाई का मजा देने उसकी चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा- और मेरी रंडी … मजा आया?
उसने बोला- यही बाकी रहा था भोसड़ी के … तुमने मुझे जान से रंडी बना दिया. मेरी कोई इज्जत ही नहीं बची. मैं तुम्हारे लिए खिलौना हो गई हूं.

इस पर मैंने उससे कहा- जान तुमने एक कहावत नहीं सुनी है. जैसी बुर रानी की, वैसी बुर कानी की … इस खेल में जान और रंडी कुछ भी बोलो, ये गेम ही है डर्टी प्लेजर का. तुम भी मुझसे गंदी बात करो.
वो मना करने लगी.

मैंने उससे कहा- आका का हुक्म मानो और जो बोलता हूं … उसे फिर से बोलो कि हां मैं तुम्हारी रंडी हूं, बना दो मेरी चूत का भोसड़ा, मेरी गांड चूत सब तुम्हारी लंड की प्यासी है. मैं जिंदगी भर तुम्हारी रखैल बन कर रहूंगी. मुझे हमेशा अपनी गुलाम रखैल की तरह रखना … और वैसा ही व्यवहार करना. मैं हमेशा तुम्हारे बिस्तर पर तुम्हारी हवश को पूरा करने के लिए बिछी रहूंगी. मेरे सारे छेद तुम्हारे लिए खुले हैं.

इस तरह मैंने उसे रात भर गंदी बातों की ट्रेनिंग दी और आगे के लिए मानसिक तौर पर तैयार करता चला गया.

उस रात उसने कहा- पता है हमें हमारा दिल मिलाने का तरीका पता चल चुका है. हम प्यार करने वाले कपल बन गए हैं. जब तुम मेरे नंगे चूचों से खेलते हो, तब चूत भी दिल के साथ धड़कती है. जब लंड चूत में समा जाता है, तो दो दिल मिल जाते हैं.

मैंने उसका दिल रखने को कह दिया- हां सही बात है.
इधर प्यार व्यार का भोसड़पन किस चूतिया को करना था. चूत मिली थी तो चोदचाद कर अगली चूत के लिए देखना था.

इस तरह से हमारी चुदाई का सिलसिला चल निकला.

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