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अनजान आंटी की चूत की प्यास बुझाई - Anjan Aunty Ki Chut Ki Pyas Bujhai

अनजान आंटी की चूत की प्यास बुझाई
अनजान आंटी की चूत की प्यास बुझाई

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Read: - दोस्तो, मैं आपका अघोरी.. आज फिर आपके लिए एक नई कहानी ले कर आया हूँ।

मेरी पिछली कहानी आप सभी के द्वारा काफी पसंद की गई थी और उसके काफी ईमेल भी आए थे, उसके लिए आप सब का तहे-दिल से शुक्रिया।


आप जब मेरे बारे में सब जानते हैं तो मैं सीधे ही अपनी कहानी पर आता हूँ।

मैं अपने भाई को उसके स्कूल से लेकर आता हूँ, बात दिसम्बर की है, एक दिन जब मैं उसे स्कूल से लेने गया.. तो एक आंटी भी अपने बच्चे को लेने आई हुई थीं।
मैंने उनको देखा.. उन्होंने भी मुझे देखा।

मैंने सोचा किसी काम से आई होगीं.. क्योंकि मैंने पहले कभी उनको नहीं देखा था। वो लगभग 27-28 साल की औरत लग रही थी। भरी छाती.. उठी हुई गाण्ड और थोड़ा मोटा सा पेट..
वो साड़ी में एकदम आइटम बम्ब लग रही थी.. और लगती भी क्यों नहीं.. थी भी बहुत सुन्दर..

मैं अपने भाई को उसकी क्लास से लेने चला गया। जब आया तो वो आंटी वहीं बैठी थी और मेरी तरफ ही देख रही थी।
ियही सिलसिला 2-3 दिन तक चलता रहा वो रोज मेरी तरफ देखती और मैं भी उसको लालसा से देखता।

फिर एक दिन मैं थोड़ा जल्दी आया.. उस दिन मैं कॉलेज से जल्दी फ्री हो गया था। आज मैंने सोचा कि इस आंटी से कुछ बात करके देखते है.. अगर बात की तो कुछ समझ में आएगा.. क्योंकि वो किसी से बात भी नहीं करती थी।

मैं स्कूल गया.. तो वो आंटी वहाँ थी। मैंने पहले ऊपर वाले को ‘थैंक’ बोला फिर आंटी के पास जा कर बैठ गया।
आज भी वो मुझे देख रही थी.. मैंने सोचा कुछ बात की जाए..

अभी मैं कुछ पूछता.. उतने में ही आंटी ने पूछा- भाई को लेने आए हो?
मैं- हाँ और आप?
वो बोली- मैं बेटे को लेने आई हूँ।

वो बोली- कौन सी क्लास में है तुम्हारा भाई?
मैं- फिफ्थ में.. और आपका लड़का?
वो- फोर्थ में है।
फिर आंटी ने पूछा- क्या करते हो तुम?
मैं- आंटी मैं स्टडी करता हूँ!
आंटी- कॉलेज में?
मैं- हाँ आंटी, और आप?
आंटी- मैं एक हाउस वाइफ हूँ।

फिर मैं और आंटी एक-दो वीक तक यूँ ही मिलते और साधारण बातें करते रहे और कभी-कभी तो छुट्टी के बाद भी बातें करते रहते थे।

फिर एक दिन आंटी बोलीं- मैं अब कल से नहीं आऊँगी।
मैं बोला- क्यों?
वो बोलीं- अब कल से इसके पापा लेने आएंगे।

मैं कुछ उदास सा हो गया और कुछ नहीं बोला.. बस मुँह नीचे करके बैठ गया।

आंटी ने पूछा- क्या हुआ अघोरी?
मैं- कुछ नहीं..
आंटी- थोड़ा अपसेट सा क्यों हो गया?
मैं- नहीं..
‘अरे बात तो पूरी सुन पगले..’
मैं- हाँ बोलो..
आंटी- तू मुझे अपना मोबाइल नंबर दे।
मैं- क्यों??
आंटी- वॉट्सएप्प पर बात करेंगे ना बाबू।
मैं- ओके ओके..

फिर हमने नंबर एक्सचेंज कर लिए.. हम लोग रोज रात को बातें करने लगे।

एक दिन आंटी ने पूछा- अघोरी तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैं बोला- कहाँ आंटी.. सिंगल हूँ!
आंटी- झूठ मत बोल तू..
मैं- आंटी गर्लफ्रेंड होती.. तो आप से इतनी बात थोड़ी कर पाता।

आंटी- हाँ ये बात तो है.. एक बात बोलूँ अघोरी?
मैं- हाँ बोलो ना..
आंटी- आई लव यू अघोरी..
मैं- आंटी ऐसे मजाक पसन्द नहीं मेरे को..

आंटी- पगले.. मैं मजाक नहीं कर रही हूँ सच्ची.. आई लव यू..
मैं- अच्छा सच में..!
आंटी- हाँ..

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फिर हम कुछ दिनों तक प्यार मुहब्बत की बातें करते रहे।
एक दिन आंटी ने बोला- डार्लिंग, छोटा अघोरी चाहिए।
मैं- मैं कुछ समझ नहीं जान..
आंटी- आई नीड अ बेबी बाई यू..

मैं- पर तुम तो शादीशुदा हो ना..
आंटी- हाँ.. तो क्या हुआ.. मुझे चाहिए चाहिए चाहिए..
मैं- अच्छा ठीक है बाबा..
आंटी- कल नून में मेरे घर आ जाना..
मैं- अच्छा ठीक है।

अगले दिन नून में मैं उसके घर चला गया।

उसने ब्लैक कलर की नेट की साड़ी पहनी हुई थी।
देख कर मैं बोला- जान आज तो एकदम आइटम बम्ब लग रही हो..
मैंने एक फ्लाइंग किस दिया..
वो बोली- डार्लिंग अभी बेडरूम में तो चलो..

मैं बोला- क्यों हस्बैंड से मार खिलाओगी?
वो बोली- नहीं यार.. हस्बैंड के साथ क्रिकेट मैच खेलूंगी।
‘हस्बैंड के साथ खेलना था.. तो मेरे को क्या दर्शक बनाया हुआ है।’
वो बोली- नहीं जानू.. आप ही तो मेरे हस्बैंड हो।
मैं बोला- अच्छा..!
वो बोली- हाँ अब चलो कमरे में..

फिर मैं कमरे में चला गया.. उसने मेरे को धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया। फिर मुझको किस करने लगी। कभी होंठों पर.. कभी सिर पर.. कभी गाल पर.. पागलों के जैसे मुझसे चिपटने लगी।

मैं बोला- जान क्या हुआ.. यूँ पागलों की तरह क्यों चूमे जा रही हो।
वो बोली- जान बहुत दिन से प्यासी हूँ आज इस बंजर जमीन को हरा-भरा कर दो प्लीज़..
मैं- हाँ जान जैसा तुम बोलो।

फिर वो 15 मिनट तक मुझको किस करती रही और इस बीच उसने कब मेरे सारे कपड़े उतार दिए.. पता भी नहीं चला।
फिर मैंने उससे बोला- जान जरा शांति रख.. आज तेरे को जन्नत की सैर करवाऊँगा।
वो बोली- ठीक है।

फिर मैंने उसकी साड़ी उतार दी.. ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया.. अब वो ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी और मैं पूरा नंगा था।
वो बोली- बाबू क्या देख रहे हो?
मैं बोला- जान.. देख रहा हूँ मेरी जान दिखती कैसी है।
वो अपने मम्मों को उभारते हुए बोली- कैसी देखती है आपकी जान?

मैं बोला- दिल करता है अभी खा जाऊँ तेरे को..
वो अपने चूचे मसलते हुए बोली- तो लो खा जाओ ना..
मैं बोला- पहले तेरे चूचे तो पी लूँ।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं ब्रा के ऊपर से उसके बड़े-बड़े मम्मों को चूसने लगा…
वो बोलने लगी- जान निप्पल को काटो जोर से.. और इनको खींच कर पियो न..
मैंने उसके निप्पल खूब चूसे-काटे.. तब तक उसकी पैन्टी पूरी गीली हो चुकी थी।
फिर मैं उसकी पैंटी को उतार कर उसकी क्लीन चूत चाटने लगा।

मैंने पूछा- जान चूत के बाल कब साफ़ किए?
वो बोली- जान आज ही.. आपके लिए किए थे।
मैं उसकी चूत से खेलने लगा.. वो पागलों की तरह सिसयाने लगी और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।

वो बोली- आह्ह.. जान पेल दो न.. जान लोगे क्या मेरी..
मैं बोला- जान मेरा नहीं चूसोगी क्या?
‘क्यों नहीं.. ला अपनी गाजर मुझे दे..’

फिर वो मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में था।

करीब 5 मिनट बाद वो बोली- जान बस अब डाल दो न.. प्लीज़ तेरे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़..
मैं बोला- जान चल सीधी लेट.. तेरे को जन्नत दिखाता हूँ।

फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक जोर का झटका मार कर उसकी चूत में डाल दिया.. वो चीख़ पड़ी और मैं लगातार उसकी चूत में धक्का मारने लगा। वो भी नीचे से गांड उठा उठा कर साथ देने लगी.. फिर वो झड़ गई।

यह धकापेल 25 मिनट तक चली.. फिर मेरा निकलने वाला था।

मैंने उससे बोला- जान आ रहा हूँ..
वो बोली- अन्दर ही निकाल दो।

फिर मैंने अपना रस उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।

उसने मुझे किस किया और बोली- जान तुमने आज बहुत मजा दिया.. मैं बता नहीं सकती.. मुझे कितना मजा आया।
मैं बोला- जान एक और मैच खेलना है..
वो बोली- ओके.. आ जा!

मैंने उसे 3 बार चोदा.. और एक बार उसकी गाण्ड भी मारी।

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