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मामा की बेटी रेखा की चूत बनी भोसड़ा - Mama Ki Beti Rekha Ki Chut Bani Bhosda

मामा की बेटी रेखा की चूत बनी भोसड़ा
मामा की बेटी रेखा की चूत बनी भोसड़ा

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Read: - अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

मेरा नाम ललित अरोरा है, मैं तीन साल से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रहा हूँ.. सोचा इस बार अपनी कहानी लिख कर आप सभी से शेयर करता हूँ।


बात दो साल पहले की है.. उस वक्त मैं 12वीं में था। एक दिन मुझे किसी फैमिली प्रोग्राम में जाना था.. तो मैंने अपनी क्लास सुबह कर ली थी।

मैं जाने के लिए तैयार हो गया था। प्रोग्राम मेरे मामा के घर पर था.. दोपहर के वक्त मैं वहाँ पर पहुँच गया.. उधर मैं सबसे मिला और काफी देर के बाद मेरी मुलाकात मेरी मामा जी की लड़की से हुई.. जिसका नाम रेखा था।

हम दोनों दोस्त की तरह हैं और काफी टाइम बाद मिल रहे थे.. तो एक-दूसरे से हाथ मिलाया.. और बातें करने लगे।
रेखा बहुत सुंदर है और उसकी उम्र 20 साल है.. उसका बदन 36 -24 -34 का है और हर कोई कॉलेज में उसका दीवाना है।

उसके बाद रात में प्रोग्राम शुरू हो गया।
मैंने खाना खाया और रेखा के पास पहुँच गया और बातें करने लगे।
जगह कम होने की वजह से हम दोनों को एक ही बिस्तर पर सोना था। मैं यह बात जान कर काफी खुश था.. पर मुझे क्या पता था कि रेखा मुझसे भी ज्यादा खुश होगी।

हम सोने की तैयारी करने लगे।
एक ही बिस्तर पर सोते-सोते हम बातें करने लगे, मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
तो उसने धीरे से बोला- हाँ है।
ऐसे ही इधर-उधर की बात करते रहे।

फिर एकदम से रेखा ने मेरे कान में बोला- मैं तुम्हें किस कर सकती हूँ क्या?
मैंने कुछ नहीं बोला और उसने किस करना शुरू कर दिया।
मुझे काफी मजा आ रहा था.. मैंने भी उसे जोर-जोर से किस करना शुरू कर दिया।

हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे और अचानक मेरा हाथ उसके चूचों पर चला गया। उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैंने धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
अब उसे भी मजा आने लगा था.. फिर हमने अपने कपड़े उतार दिए और 69 की पोजीशन में आ गए।

मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3. 5 इंच मोटा है.. जिसे देख कर रेखा एक बार तो डर सी गई थी.. पर उसे तो आज चुदना ही था.. तो उसने बिना किसी डर के मेरा लंड मुँह में ले लिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

हम दोनों 69 की पोजीशन में थे.. मैं उसकी रसीली चूत चाट रहा था.. जो काफी गीली हो गई थी।
उसकी चूत पर काफी बाल थे और एकदम गुलाबी चूत थी.. जिसे देख कर मजा आ गया था।
वो मेरा लंड चूसे जा रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली कर-करके चाट रहा था।

लगभग 15 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा.. रेखा दो बार झड़ चुकी थी और मेरा भी बस निकलने वाला था, मैंने उससे कहा- जल्दी करो.. निकलने वाला है..
तो उसने जोर-जोर से मेरा लंड चूसना चालू कर दिया.. थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया।
मेरे माल की पिचकारी उसके मुँह में निकल गई और वो सारा का सारा पानी पी गई।

फिर थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे। मैं उसके चूचों को मसल रहा था और वो मेरे लंड को हिला रही थी। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने मुस्करा कर एक बार फिर अपने मुँह में मेरा लंड डाल लिया।

थोड़ी देर लण्ड चुसाने के बाद मैंने उसको सीधा लिटा लिया और उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया। मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड पर और उसकी चूत पर लगाया..
उसने मुझसे बोला- धीरे डालना..
मैंने कहा- फ़िकर मत करो.. जरा सा भी दर्द नहीं होगा।

थोड़ी देर लंड उसकी चूत पर रगड़ने के बाद मैंने एक जोर का झटका मारा। वो चिल्लाने लगी- ऊई… ई… ई… माँ… आ… अह.. बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैं थोड़ी देर यूँ ही रुक गया और उसे किस करने लगा.. उसके चूचे दबाने लगा थोड़ी देर बाद वो दर्द भूल गई और उसे मजा आने लगा।

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फिर मैंने एक और झटका मारा.. इस बार मेरा आधे से जादा लंड उसकी चूत में घुस चुका था। इस बार उसे दर्द भी कम हो रहा था।
फिर मैंने धीरे-धीरे झटके मारने चालू कर दिए और पूरा लंड उसकी चूत में सैट कर दिया।

उसे काफी मजा आ रहा था.. उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी- आह आहा.. हहाहा..
उसकी आँखें बंद थीं.. मानो उसकी चूत को लौड़े की रगड़ाई का सुख मिल रहा हो।

फिर मैंने झटके तेज कर दिए.. उसकी सिसकारियाँ भी तेज होने लगीं और वो जोश में आकर बोलने लगी- आह्ह.. आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दो.. मुझे रंडी बना दो.. मेरी चूत फाड़ दो.. बहुत तड़पाती है साली.. आज मजा आया.. हाँ और जोर से.. अहह..
ये सब सुन कर मेरा भी जोश बढ़ रहा था।

मैंने कहा- ले साली.. मेरी रंडी.. तेरी चूत को भोसड़ा बना दूँगा.. पूरी रात चोदूँगा साली कुतिया.. ले..

हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। फिर मैंने अपनी पोजीशन बदली.. मैं बिस्तर पर लेट गया और उसे अपने ऊपर ले लिया।

मेरा लंड सीधे उसकी चूत में घुस गया। और वो ऊपर से झटके मारने लगी। फिर मैंने नीचे से झटके लगाने शुरू कर दिए उसे बहुत मजा आ रहा था।
वो बोल रही थी- और जोर से चोदो.. आह्ह!
मेरी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं थक गया और वो ऊपर से ही झटके मारने लगी।
फिर मैंने उसे कुतिया बनने के लिए कहा.. वो हँसने लगी और बिस्तर पर मम्मे झुलाते हुए झुक गई।

फिर मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया.. उसके मुँह से सिसकारी निकल गई।
मैं उसे बड़े मजे से चोदे जा रहा था.. काफी मजा आ रहा था।
रेखा अब तक कई बार झड़ चुकी थी मेरा भी निकलने वाला था।

हमारी चुदाई आधा घंटा चली होगी।
मेरे झटके तेज हो गए मैंने उससे कहा- मेरा आने वाला है..
तो उसने कहा- अन्दर ही डाल दो।

मैंने और तेजी से चुदाई चालू कर दी और दस-पंद्रह झटकों के बाद मेरी पिचकारी उसकी चूत को भिगोने लगी और मैं उसी के ऊपर लेट गया।

थोड़ी देर में मेरा लन्ड बाहर निकल आया और उसकी चूत से मेरा और उसका पानी निकल रहा था।

उसके बाद हम दोनों ने आराम किया। थोड़ी देर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। इस बार तो मंत्र लौड़ा और भी ज्यादा टाइट हो गया था।

रेखा देख कर हँसने लगी.. उसने लौड़े को अपने मुँह में डाल लिया और बोलने लगी- आज रात तो मेरी चूत का भोसड़ा बन कर ही रहेगा।
मैंने उसके दूध दबा कर कहा- हाँ आज चूत का भोसड़ा बना कर ही रहूँगा।
रेखा ने कहा- इस बार मेरी चुदाई तेल लगा कर करो।

मैंने अपने लंड पर काफी तेल लगा लिया.. बहुत चिकना हो गया था।

रेखा मेरे लंड पर हल्के-हल्के हाथ फेर रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने उसे लिटा लिया और उसकी चूत पर भी तेल लगाने लगा।

तेल उंगली पर लगा कर उसकी चूत में घुसा दी.. वो झटपटाने लगी।
मैंने फिर अपना लंड उसकी चूत पर रखा और जोर लगाया.. इस बार लंड आसानी से अन्दर चला गया।
फिर मैंने धीरे-धीरे झटके मारने शुरू कर दिए। इसी बीच रेखा बोल रही थी- आअह्ह्ह्ह.. डालो और जोर से आह आह्ह्ह्ह.. चोदो मुझे और जोर से..

अब कमरे में बस हमारी सांसें और चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। कमरे में केवल एक ही आवाज ज्यादा सुनाई दे रही थी ‘फ़च्च फ़्च्च फ़्च्च.. आह आआह्ह.. इइह्ह्ह्ह्म्म्म..’

फ़िर 15 मिनट बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने उसे उठा कर बिस्तर के नीचे बिठाया और खुद बिस्तर पर बैठ कर अपना लंड उसके मुँह पर रख दिया।
थोड़ी देर में मेरी सारी पिचकारी उसके मुँह में निकल गई और वो सारा पानी पी गई।

रात बहुत हो गई थी.. हमने अपने कपड़े पहने और एक-दूसरे से चिपक कर सो गए।
सुबह होते ही मैं वहाँ से अपने घर आ गया और रेखा को धन्यवाद किया। जब भी मैं इस पल को याद करता हूँ.. तो मेरा मन मुठ मारने का हो जाता है।

यह कहानी लिखते-लिखते भी मैंने दो बार मुठ्ठ मारी है।

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