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गर्म चूत की चुदाई का चस्का- 4 - Garm Chut Ki Chudai Ka Chaska - 4

गर्म चूत की चुदाई का चस्का- 4
गर्म चूत की चुदाई का चस्का- 4
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Read: - कुकोल्ड वाइफ सेक्स कहानी में पढ़ें कि जब पति ने अपने दोस्त को घर बुलाकर अपनी बीवी को उसके लंड का मजा लेने को कहा तो गर्म बीवी ने क्या किया?

कहानी के पिछले भाग

हॉट बीवी को दोस्त के लंड से चुदवाने की तमन्ना

में आपने पढ़ा कि पति ने अपने दोस्त को घर बुलाकर अपनी बीवी के सामें दोस्त का नंगा लैंड पेश कर वदिया और चूसने को कहा.

रवि और विजय दोनों के लंड तने खड़े थे।

पिंकी उठकर बेडरूम में भाग गयी ये कहते हुए- विजय ये तुम दोनों ने मिलकर चीटिंग की है।

विजय ने रवि को आँख मारते हुए कहा- मामला गर्म है, चल दोनों मिलकर मजे देते हैं उसे!
रवि बोला- यार गड़बड़ न हो जाये।

विजय बोला- पहले मैं अंदर जाता हूँ, फिर तुम अपने आप आ जाना।

अब आगे कुकोल्ड वाइफ सेक्स कहानी:

जब विजय अंदर गया तो पिंकी उल्टी बेड पर पड़ी थी।
विजय ने अपने कपड़े उतारे और जाकर चिपट गया पिंकी से!

पिंकी भी पलटी और पागलों की तरह चूमने लगी विजय को!
उसके तन बदन में वासना की आग लगी हुई थी।

विजय ने पिंकी की स्कर्ट उतार दी।
पिंकी ने विजय का लंड अपने मुंह में ले लिया और लगी चूसने!

तभी रवि अंदर आ गया पूरा नंग धड़ंग।
अब तीनों नंगे थे।

रवि ने अपना लंड पिंकी के मुंह के पास कर दिया।
पिंकी ने विजय का लंड छोड़ा और रवि का लंड ले लिया अपने मुंह में!
वो पूरी शिद्दत से उसे निचोड़ रही थी।

पीछे से विजय उसके मम्मे मसल रहा था।

अब विजय ने पिंकी को बेड पर लिटाया और दोनों लड़के उसके बगल में लेट गए।
विजय उसकी दायीं ओर लेटा था तो उसने अपने होंठ पिंकी के होंठ से मिला दिये और एक हाथ से उसका दायाँ मम्मा पकड़ कर सहलाने लगा।

रवि बायीं ओर लेट कर पिंकी के बाएँ मम्मे को चूसने लगा और एक हाथ उसने पिंकी की चूत के ऊपर फिराते हुए उँगलियाँ उसकी मखमली गुलाबी फाँकों के अंदर कर दीं।
पिंकी कसमसा रही थी।

विजय ने उसके होंठ से अपने होंठ हटाये और अपनी ओर के मम्मे को मुंह में ले लिया।

पिंकी ने रवि की ओर मुंह करके रवि के होंठ से अपने होंठ भिड़ा दिये।
दोनों पागलों की तरह चूमा चाटी करने लगे।

पिंकी ने अपने को विजय से छुड़ाया और रवि की ओर मुंह करके चिपट गयी उसे।

रवि भी उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगा।

विजय ने पीछे से पिंकी की टांगें फैलाकर उसकी चूत में उंगली कर दी और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा।
पिंकी की चूत से फ़च फ़च की आवाज आने लगी।

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अब पिंकी के होंठों का दवाब रवि के होंठों पर और बढ़ गया।

विजय नीचे सरका और कुकोल्ड वाइफ पिंकी की टांगों को फैला कर उसने अपनी जीभ पिंकी की चूत में कर दी।
पिंकी की चूत से तो लावा बह रहा था।

विजय की जीभ की स्पीड बढ़ते ही पिंकी मचलने लगी।
रवि ने अपना लंड पिंकी के मुंह में कर दिया।

पिंकी ने दोनों हाथों से उसका लंड थमा और लगी चूसने!
रवि के हाथ उसकी गोलाइयाँ मसल रहे थे।

पिंकी के कसमसाते हुए विजय से कहा- अंदर आ जाओ।
विजय ने रवि को मौका देते हुए कहा- आज पहले तू आ जा!

पिंकी भी मुस्कुरा दी।
उसने रवि के लंड को एक चुम्मी दी और छोड़ दिया।

रवि ने पिंकी की टांगों को ऊपर फैलाकर अपना लंड चूत के मुहाने पर रखा और धीरे धीरे फिर एक झटके में पूरा अंदर कर दिया।
पिंकी चीखी, बोली- धीरे से, फट जाएगी।

अब रवि ने स्पीड बढ़ा दी।
रवि की ज़िंदगी में पिंकी दूसरी औरत थी।

एक बार वो किसी मसाज पार्लर में मस्ती कर चुका था।

रवि की स्पीड बढ़ते ही पिंकी ने मचलना शुरू कर दिया।
पिंकी ने अपने दोनों हाथों से अपनी गोलाइयाँ मसलनी शुरू कीं।

उधर विजय उसके गालों को सहलाता हुआ उसे चूम रहा था।

पूरा कमरा वासनामय हो गया था।
पिंकी और रवि दोनों की आहें निकल रही थीं। पिंकी उसे स्पीड बढ़ाने के लिए उकसा रही थी।
रवि पूरे दमखम से चुदाई को अंजाम दे रहा था।

पिंकी ने रवि को हटाया और नीचे लिटाकर चढ़ गयी उसके ऊपर और लगी उछलने!
अब रवि को भी तारे नज़र आ गए।
पिंकी गजब की चुदक्कड़ थी; उसने रवि का पूरा लंड अंदर ले लिया था।

पिंकी का पता नहीं क्या सूझा, उसने विजय से कहा- अपना लंड रवि के मुंह में दे दो।
हालांकि ये करना रवि को अच्छा नहीं लगा पर मजबूरी थी।

हराम की चूत मिल रही थी तो उसका हुक्म तो मानना ही था।
अब रवि विजय का लंड चूसने लगा।

थोड़ी देर की उछल-कूद में रवि तो मचल गया, उसने विजय का लंड निकाला और नीचे से लगा उछलने!
वो पिंकी से बोला- मेरा होने वाला है।
पिंकी भी हाँफ गयी थी, बोली- मेरा तो कब का हो चुका।
और कुकोल्ड वाइफ पिंकी एक झटके में रवि की छाती पर लुढ़क गयी।

रवि का माल पिंकी की चूत से होता हुआ नीचे बाहर गिर रहा था।

विजय ने पिंकी और रवि को एक-एक तौलिया दिया।
पिंकी उठ खड़ी हुई और तौलिये से पौंछती हुई वाशरूम में चली गयी।

रवि ने भी अपने लंड और जांघों को तौलिये से साफ किया।
पिंकी तौलिया लपेट कर बाहर आई और बोली- तुम लोग फटाफट डिनर टेबल पर आ जाओ। विजय, तुम्हारा हिस्सा तुम्हें डिनर के बाद मिलेगा।

विजय ने रवि को भी एक बरमुडा दिया और खुद भी पहना।
पिंकी तो डिनर पर तौलिया लपेट कर ही बैठी।

डिनर लेते लेते रात के ग्यारह बज गए।
पिंकी बोली- अब मैं तो थक गयी, विजय सॉरी … अब आज नहीं।
रवि को विदा करके पिंकी और विजय सोने चले गए।

अगले दिन सुबह पिंकी बहुत फ्रेश उठी, मुसकुराते हुए उसने विजय से कहा- बहुत बदमाश हो तुम … जो सोच लिया वो करवा के ही छोड़ा। सच बहुत मजा आया। पर अब फिर कभी नहीं।
विजय ने भी हाँ में हाँ तो मिला दी।

फिर पिंकी को अपनी ओर खींच कर रात की कसर पूरी की।

सुबह का सेक्स जोरदार था क्योंकि शरीर फ्रेश था।
पर इस ताबड़तोड़ सेक्स ने उसे फिर थका दिया।

उसने विजय से कहा- आज नाश्ता तुम बाहर से मंगा लेना। लंच किसी को ऑफिस से भेज कर मँगवा लेना।
विजय नहाकर ऑफिस चला गया।

दिन में पिंकी और रवि घंटों फोन पर लगे रहे।
पिंकी उसे ये समझाती रही कि रात जो हुआ, वो बस नशे की पिनक में हो गया, आगे कभी ऐसा नहीं होगा।
उधर रवि उसे यह समझता रहा कि सेक्स हो या न हो आगे कभी, पर उनकी दोस्ती हमेशा रहनी चाहिए।

रवि ने पिंकी से यह वादा किया कि वो एक अच्छे दोस्त की तरह उसकी भावनाओं का हमेशा ध्यान रखेगा और पिंकी को उसके रूप में एक हमदर्द, प्रशंसक और कद्र करने वाला दोस्त मिल गया है।

रात को विजय ने दोबारा रवि का लाप अलापा तो पिंकी ने उसे झिड़क दिया।
वो बोली- उसे ज्यादा मुंह लगाओगे तो फिर वो रोज आएगा।

विजय बोला- तो क्या हो गया, हम रोज़ ही तो करते हैं. बस फर्क इतना होगा कि तुम्हारे दुगने मजे आएंगे।
पिंकी बोली- नहीं लेने मुझे दुगने मजे। तुम अकेले तो झिलते नहीं हो मुझसे!

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विजय को रवि से लंड चुसवा कर अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब वो और उसका एक साथी पढ़ाई के कमरे में घर वालों से छिपकर एक दूसरे के लंड से खेलते थे, चूसते थे और गांड में भी करते थे।

तो विजय अब रोज रात को पिंकी के पीछे पड़ता।
पिंकी दिल से तो चाहती थी मजे लेने … पर डरती थी।

वो और रवि दिन में रोज काफी देर फोन पर बात करते पर विजय की बिना जानकारी के!

धीरे धीरे उनकी अंतरंगता बढ़ती जा रही थी।
बातचीत में वो अब ज्यादा खुलते जा रहे थे।

अब फिल्मी गानों, शायरियों के जरिये वो अपनी दोस्ती को नया नाम देने लग गए थे।
कुल मिला कर रवि ने पिंकी के दिल में अपनी एक मजबूत जगह बना ली और कहीं न कहीं पिंकी को यह विश्वास दिला दिया कि उस रात जो हुआ उसमें पिंकी और रवि की कोई गलती नहीं थी, विजय बहुत दिनों से चाहता था ऐसा हो तो हो गया, अब क्या पछताना।

रवि पिंकी से बार बार मिलने की या दोबारा सेक्स करने की इच्छा जाहिर करता पर पिंकी मना कर देती थी।

अब रवि उसे विजय के खिलाफ खूब भड़काने लग गया था और अब पिंकी विजय से दूर होती जा रही थी, रवि के नजदीक होती जा रही थी।
दोनों ने मैसेज के माध्यम से काफी कसमें वादे भी कर लिए थे।

एक दिन विजय के अपने माता पिता से मिलने एक रात के लिए गया था.
यह बात रवि को पिंकी ने बता दी।

विजय के जाने के बाद रवि का पिंकी के पास फोन आया- मेरा मिलने का बहुत मन है, मैं अभी आ रहा हूँ।
पिंकी बहुत घबराई, उसने मना किया- कोई आ गया तो? ऑफिस से ही कोई आ गया तो?

पर चुदास ऐसी चीज़ है जो बेवफाई को मजबूर कर देती है।

रवि ने पिंकी से यह वादा किया- बस आज आने दो, फिर ज़िंदगी भर नहीं कहूँगा।
पिंकी मना करती रही तो रवि बोला- मैं तुम्हारे घर के सामने ही पड़ा रहूँगा रात भर!

तो पिंकी मान गयी और उससे आने को कह दिया।
आधा घंटे बाद रवि विजय के घर आ गया।
पिंकी ने दरवाजा खुला छोड़ा था। रवि ने अंदर घुस कर दरवाजा बंद कर लिया।

रूम से पिंकी मुस्कुराती आई।
उसने एक स्लीवलेस फ्रॉक डाली थी।

पिंकी को रवि ने कस के भींच लिया अपने से … और दोनों के होंठ मिल गए।

रवि ने पिंकी की मचलती जवानी को पूरी हवा दे दी थी।
पिंकी भी उससे बेल की तरह चिपटी थी।

दोनों बहुत देर तक चूमा चाटी करते रहे।

पिंकी ने आज रवि के होंठ ऐसे चूसे कि शायद रवि ने ऐसा सुखद अनुभव कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।

रवि ने उसकी फ्रॉक ऊपर उठाकर उसकी पेंटी के अंदर हाथ डालना चाहा तो पिंकी घबराकर बोली- रवि, बस इससे ज्यादा नहीं, कोई आ जाएगा।


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