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गुजराती भाभी और उनकी ननद की चुदाई - Gujarati Bhabhi Aur Unki Nanad Ki Chudai

गुजराती भाभी और उनकी ननद की चुदाई
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Read: - हॉट इंडियन भाभी ननद सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरे पड़ोस वाली भाभी ने मुझे बहाने से अपने कमरे में बुलाकर बांहों में लेकर चूमने लगी. उसके बाद …

दोस्तो, मैं आपका दोस्त असलम हूं। उम्मीद करता हूं कि आप सब लोग ठीक होंगे।
मैं अपनी नयी कहानी के साथ आप सबके सामने हाजिर हूं।

जो लोग नए हैं, उनको मैं अपना परिचय देना चाहूंगा। मेरी उम्र 28 साल है और मैं सिंगल हूं। लेकिन मैंने चूत चुदाई बहुत की हुई है।

मैंने इतनी चूत चोदी हैं कि मुझे अब खुद भी याद नहीं है कि मेरा लौड़ा किन-किन चूतों में गया है।

मेरी पिछली कहानी थी: लॉकडाउन में पुलिस वाली की चुत चुदाई का मजा

आपका ज्यादा समय न लेते हुए अब मैं अपनी आज की हॉट इंडियन भाभी ननद सेक्स कहानी की शुरुआत करता हूं।
यह तब की बात है जब मैं गुजरात में नया नया रहने आया था।

गुजरात में मैं एक फैक्ट्री में काम करता था। मुझे वहां बड़े कॉमन हॉल में रहने के लिए कहा गया लेकिन फैक्ट्री वाले रूम में पहले से ही 5-6 बंदे रहते थे।
इसलिए मैंने अपना अलग से रूम लिया और बाहर रहने लगा।

मेरा रूम टॉप फ्लोर पर था जिसके साथ में एक और रूम था।
उसमें एक और फैमिली रहती थी।

आदमी का नाम राजीव था और वो अपनी बहन और पत्नी के साथ में रहता था।

शुरू में तो उनसे मेरी बहुत कम बात होती थी; फिर धीरे धीरे उनसे बातें बढ़ने लगीं।
राजीव से मेरी काफी अच्छी दोस्ती हो गई।
वो मेरी ही उम्र का था।

एक दिन वो मेरे रूम पर लेटा हुआ चुदाई की वीडियो देख रहा था।
हम दोनों साथ में पोर्न फिल्म का मजा ले रहे थे।

हमने रूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं किया था।
राजीव अपने लंड को सहला रहा था।
हम दोनों ही गर्म हो गए थे।

उसने अपना लंड निकाल लिया और मुठ मारने लगा।
मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो गया था; मैं भी उसके साथ में मुठ मारने लगा।

हम दोनों अपने ही मजे में थे कि एकदम से राजीव की पत्नी दरवाजे में आ धमकी।
उसकी नजर हमारे लंड पर पड़ी और हमारी नजर उसके चेहरे पर!
वो कुछ पल के लिए वहीं पर जम सी गई।

फिर एकदम से दरवाजे के पीछे हटकर बोली- चाय बनाई हुई है, आकर पी लीजिए।
इतना कहकर वो वापस चली गई।
राजीव ने मेरी तरफ देखा और मैंने राजीव की तरफ।

फिर दोनों ही सहमे से हुए थे लेकिन फिर एकदम से हंस पड़े।
लेकिन मुझे शर्मिंदगी भी हो रही थी कि भाभी ने मुझे ऐसा काम करते देख लिया।

राजीव ने लेकिन कुछ नहीं कहा।

उसके बाद से भाभी से जब भी मेरी नजर मिलती मैं नीचे आंखें कर लेता था।
लेकिन वो मुझे देखकर हल्के से मुस्करा जाती थी।
मैं सोचने लगता था कि उस दिन की बात लेकर भाभी मेरा मजाक बना रही है।

ऐसे ही दिन बीत रहे थे।

एक बार राजीव को किसी काम से अपने गांव जाना पड़ा।
वो 15-20 दिन के लिए जा रहा था।

उसकी बहन और पत्नी की जिम्मेदारी वो मुझे दे गया।

अगले दिन फैक्ट्री में काम की छुट्टी थी; मैं अपने रूम पर ही लेटा हुआ था।

उस दिन राजीव की बहन का एग्जाम था, भाभी घर पर अकेली थी।
दोपहर के वक्त भाभी मेरे रूम में आई और कहने लगी- सिलेंडर में रेग्युलेटर सही से फिट नहीं हो रहा है, एक बार आकर देख लो आप।

मैंने हाफ पैंट पहनी हुई थी और ऊपर बनियान था।
मैं उठकर भाभी के पीछे पीछे चल दिया।

मैंने किचन में जाकर देखा तो सिलेंडर ठीक से काम कर रहा था।
मैं बोला- ये तो ठीक है, भाभी दिक्कत कहां है?

वो एकदम से मेरे सीने से लग गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रखवा दिया और बोली- दिक्कत यहां है! मेरा दिल आ गया है तुम पर!

वो मेरे होंठों पर चूमने की कोशिश करने लगी।
मैं पीछे हटने लगा और बोला- ये क्या कर रही हो भाभी?

वो बोली- कुछ नहीं, जब से मैंने तुम्हारा औजार देखा है, मैं खुद को रोक नहीं पा रही हूं। राजीव के औजार में दम नहीं है, वो हिला हिलाकर कमजोर हो गया, अंदर डालते ही छूट जाता है। तुम मेरी प्यास बुझा दो!

भाभी कैफ्री के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगी।
न चाहते हुए भी मेरा लौड़ा तनाव में आने लगा।

भाभी मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाए हुए अपनी चूचियों को भिंचवा रही थी।

फिर उसने एकदम से मुझे छोड़ दिया और बोली- अब जाओ, रात को अच्छे से तैयारी करके आना।
मैं वहां से निकल आया लेकिन मेरा दिमाग घूम गया था। समझ नहीं पा रहा था कि पिछले पांच मिनटों में जो हुआ, वो सच था या सपना!

भाभी की हरकत के बारे में सोचकर मुझे हैरानी भी हो रही थी लेकिन साथ ही वासना भी उठने लगी थी।
मेरा लंड अभी भी तना हुआ था और बैठने का नाम नहीं ले रहा था।

मैंने भाभी के बारे में सोचते हुए उसे सहलाना शुरू किया और फिर मुठ मारने लगा।

एक बार लंड पर हाथ चलने लगा तो फिर वीर्य निकलने के बाद ही थमा।
मैं थोड़ा शांत हो गया।

अब मेरे दिमाग में रात की तैयारी की बात चलने लगी।
मैं भी भाभी की चुदाई करने के लिए रोमांचित हो रहा था।

उसका फिगर 36-30-34 का था। देखने में गजब की चोदू माल लगती थी वो!

उस दिन पता नहीं कैसे भाभी ने सविता को कहीं और भेज दिया।

रात को मैं 10 बजे के करीब उनके रूम पर गया तो रूम में भाभी के अलावा कोई भी नहीं था।
उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और मेरी बांहों में लिपटने लगी।

उसने मेरी गर्दन को नीचे की ओर खींचा और मेरे होंठों को चूमने लगी।
मैं भी भाभी का साथ देने लगा और दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
मेरे हाथ भाभी की गांड पर जाकर कस गए।

काफी देर तक हमारी किस चलती रही। भाभी ने साड़ी का पल्लू गिरा दिया और ब्लाउज में उसकी चूचियों की घाटी दिखने लगी।

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मैंने दोनों हाथों से भाभी के चूचों को भींचना शुरू कर दिया।

वो सिसकारने लगी और मेरे लंड को कैफ्री के ऊपर से ही सहलाने लगी।
कुछ ही देर में मेरा लंड मेरी हाफ पैंट को फाड़ने के लिए उछलने लगा।

भाभी ने जल्दी से मेरी हाफ पैंट को खोला और नीचे करते हुए अंडरवियर समेत उसे निकाल दिया।

अब मैं नीचे से नंगा था और बदन पर केवल एक टीशर्ट रह गई थी।

मेरा लौड़ा फुंफकारें मार रहा था।
लौड़े का साइज देखकर भाभी की आंखों में चमक आ गई।

बिना देरी किए वो नीचे मेरे घुटनों में बैठी और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
उसकी आंखें एकदम से बंद हो गईं और वो मेरी नंगी गांड भींचते हुए मेरे लौडे़ को चुसाई का मजा देने लगी।
मैं भी जैसे सातवें आसमान में सैर कर रहा था।

भाभी की जीभ टोपे पर आकर फिरती तो मेरे मुंह से आह्ह … करके सिसकारी निकल जाती थी।
वो मेरे लंड को जैसे कोई खाने की चीज समझ रही थी।

बार बार टोपे पर जीभ फिराती, कभी टट्टों को चूसने लगती, कभी लंड पर ऊपर से नीचे तक जीभ फिराने लगती।

अब मैं भी बहुत गर्म हो गया।
मैंने उसे बेड पर गिरा लिया और जल्दी से उसकी साड़ी को खोलने लगा।

जब तक मैंने साड़ी और पेटीकोट उतारा, भाभी ने ब्लाउज खोलकर अलग कर दिया।

अब वह केवल लाल ब्रा और पैंटी में थी।
उसकी मोटी चूचियां उसकी ब्रा में जैसे समा नहीं रही थीं।
पैंटी भी गांड पर ऐसे कसी हुई थी कि बस फट ही जाएगी।

मैं उसके गोरे बदन को देखकर बेकाबू सा होने लगा।
कभी उसकी ब्रा पर हाथ मारता तो कभी उसकी चूत के पास से जांघों पर हाथ फिराने लगता।
पैंटी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था।

उससे भी ज्यादा देर रुका न गया और उसने मेरे हाथ को अपनी पैंटी पर रखवा दिया।
मेरे हाथ से ही वो चूत को सहलाने लगी।
चूत से निकला गीलापन अब पैंटी तक आ चुका था।

फिर मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया।

भाभी की चूत इतनी रसीली हो चुकी थी मुझसे उंगली दिए बिना रुका नहीं गया।
मैं भाभी की चूत में उंगली देने लगा।

वो मस्ती में भर गई और अपनी ब्रा को खोलने लगी।
नीचे से मेरा हाथ उसकी चूत को मजा दे रहा था और ऊपर से वो अपने बोबों को खुद ही दबा रही थी।
फिर मैंने उसकी पैंटी को पूरी तरह उतार दिया।

अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी होकर चूत खोले पड़ी थी और मुझे उसके ऊपर चढ़ने के लिए बुला रही थी।
मैं भी पूरा नंगा हो गया और भाभी पर कूद पड़ा।

एक बार फिर से हम दोनों के होंठ मिल गए।

नीचे से मेरा लंड भाभी की चूत पर ऊपर-नीचे रगड़ खा रहा था।
मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को दबा रहा था और दूसरे हाथ से लंड के टोपे को उसकी चूत पर रगड़ रहा था।
इस वजह से वो चुदने के लिए बुरी तरह से तड़प गई।

वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … बस चोद दे अब … तड़पा दिया है तुमने … अगर अब नहीं चोदा तो मैं तुम्हारे लंड को जड़ से उखाड़ फेंकूंगी।
भाभी अब आक्रामक हो चुकी थी इसलिए मैंने देर करना ठीक नहीं समझा।

मैंने उसकी टांगों को दोनों हाथों से खोला और लंड उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया।
नीचे की ओर जोर देते हुए मैंने लंड को उसकी चूत में उतार दिया।

टोपे से 2 इंच नीचे तक लंड उसकी चूत में उतर गया।

लंड का प्रवेश होते ही उसको जैसे स्वर्ग सा मिल गया।
उसने मेरी गर्दन को नीचे की ओर खींचते हुए मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी टांगों को मेरी नंगी गांड पर लपेटने लगी।

मैंने भी दूसरे धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया।

लंड घुसाने के बाद मैंने ऊपर नीचे होते हुए उसकी चूत में लंड को पेलना शुरू कर दिया।
उसको भी पूरा मजा आने लगा।

मैंने भी अब स्पीड तेज कर दी।
अब पच-पच करते हुए लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।

अगले पांच मिनट तक मैंने उसको ऐसे ही पड़े हुए चोदा।
फिर उसको उठकर घोड़ी बनने के लिए कहा।

मैंने उसे बेड के किनारे पर झुका लिया; खुद मैं नीचे खड़ा हो गया।
फर्श पर खड़े हुए मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।

अब मैं उसकी गांड को पकड़ कर तेजी से उसकी चूत को पेलने लगा।
वो भी आह्ह … आह्ह … करते हुए चुद रही थी।

मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊंगा इसलिए मैंने उसकी चूत से लंड को निकाल दिया।
मैंने थोड़ा विराम दिया और फिर से उसके मुंह में लंड दिया।

दो मिनट तक मैंने उसको लंड चुसवाया।
उसके बाद फिर से उसको झुका कर पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।

लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं भाभी की चूत में धक्के लगाता हुआ ही झड़ गया।

कुछ देर मुझे शांत होने में लगी।
भाभी भी शांत हो गई थी।
लेटे हुए हम दोनों एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे।

धीरे धीरे फिर से दोनों गर्म हो गए।
फिर से एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे।

दस मिनट के बाद मेरा लंड फिर से पूरे जोश में आ गया था।

अबकी बार मैंने उसकी गांड मारने की सोची।
मैंने उससे कहा तो उसने भी हां कर दी।

भाभी की गांड को मैंने चिकनी किया और लंड को उसके छेद पर सेट कर दिया।
उसकी गांड में लंड को धकेलते हुए मैंने अंदर घुसा दिया।

अब मैं भाभी की गांड चुदाई करने लगा।
भाभी की गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड दुखने लगा।

मैंने कुछ देर धक्के लगाने के बाद गांड से लंड निकाला और एक बार फिर से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।

भाभी की चूत चुदाई करते मैं फिर से अंदर ही खाली हो गया।

उस दिन के बाद से आरती भाभी के साथ रोज चुदाई का प्रोग्राम बनने लगा।
वो मौका देखकर मेरे रूम पर आ जाती थी और जल्दी से चूत चुदवाकर चली जाती थी।

एक दिन सविता कॉलेज गई हुई थी और भाभी मेरे रूम पर चूत मरवा रही थी।
हम दोनों को पता नहीं लगा कि वो कब कॉलेज से वापस आ गई; हम दोनों चुदाई में मस्त होकर लगे हुए थे।

सविता ने आरती भाभी को चुदते हुए देख लिया, मैंने भी सविता को देख लिया।
फिर मैंने भाभी को इशारा किया तो उसने भी सविता को देखा।

सविता भौंचक्की होकर रूम के दरवाजे पर खड़ी हमें देख रही थी।
चूंकि फ्लोर पर दो ही रूम थे तो हमने लापरवाही में अंदर से दरवाजे को बंद नहीं किया था।
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए।

तभी सविता अंदर आ गई और बोली- भाभी, आप तो बड़ी पहुंची हुईं निकलीं! भैया के जाते ही ये सब गुल खिला रही हो!
भाभी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

फिर वो बोली- देख सविता, मैं तुझे बाद में सारी चीजें समझा दूंगी। अभी तू चल। तुझे सारी बात बताती हूं।

भाभी सविता को लेकर वहां से चली गई।
उस दिन फिर भाभी से मेरी कोई बात नहीं हुई।

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रात को 11 बजे भाभी का कॉल आया कि हमारे रूम में आ जाओ।
मैं बोला- और सविता?
भाभी- तुम आ जाओ, उसकी चिंता मत करो।
फिर मैं भाभी के रूम में चला गया।

जाते ही वह हॉट इंडियन भाभी पहले की तरह मुझसे लिपटने लगी।
जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
हम अपनी मस्ती में मशगूल थे कि पीछे से सविता भी आ गई।

उसने केवल ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी।
हम दोनों को चूमा चाटती करते देख वो शायद पहले से ही गर्म हो चुकी थी।

मैं हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था लेकिन भाभी मुस्करा रही थी।
भाभी ने धीरे मेरे कान में कहा- सविता अब हमारी टीम में है।

मैं समझ गया कि भाभी ने सविता को भी चुदाई के लिए पटा लिया है। हॉट इंडियन भाभी ननद सेक्स में खुल गयी थी.
फिर सविता नंगी हो गई।

दोस्तो, वो जवान लड़की थी और उसकी जवानी अभी अभी फूटी थी।
मैंने उसको बेड पर लिटा लिया और उसके कमसिन बदन को चूमने लगा।
उसके अमरूद अभी पूरी तरह से पके नहीं थे लेकिन बहुत रसीले थे।

मैंने उसको चूसना शुरू कर दिया।

उसके बाद मैंने उसकी चूत को नंगी किया और बहुत देर तक चाटा।
उसकी छोटी सी कुंवारी चूत चूसने से काफी फूल गई और बहुत मस्त दिखने लगी थी।

फिर उन दोनों ने मुझे नीचे गिरा लिया और मेरे ऊपर आ गईं।
सविता मेरे मुंह पर बैठ गई और अपनी चूत मेरे मुंह पर लगा दी।

उधर भाभी ने मेरे ऊपर बैठते हुए लंड को चूत में ले लिया और खुद ही चुदने लगी।

मैं सविता की चूत में मुंह देकर अंदर तक चोदने लगा।
कुछ देर में ही उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया जिससे मेरा मुंह पूरा भीग गया।
फिर सविता ने खुद मेरे मुंह को चाटते हुए रस को साफ कर दिया।

अब भाभी पूरी तेजी से मेरे लंड पर उछल रही थी।
दो मिनट के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

अब सविता से भी रहा नहीं जा रहा था।
वो जल्दी से भाभी को हटाकर मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।

मैंने उसे नीचे लिटा लिया और उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
उसकी कमसिन चूत बहुत ही प्यारी लग रही थी।

भाभी ने उसके हाथों को पकड़ लिया। भाभी जानती थी कि लंड जाएगा तो ये चीखेगी जरूर … इसलिए उसने सविता के मुंह पर भी हाथ रख लिया।

मैंने लंड को सविता की चूत में धकेलना शुरू किया।
वो छटपटाने लगी लेकिन भाभी ने उसको पकड़ा हुआ था।
फिर धीरे धीरे मैंने सविता की चूत में लंड को फंसा दिया।

उसकी चूत इतनी गर्म और टाइट थी कि बिना चोदे हुए ही चोदने का मजा आ रहा था।
मैंने धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया।

कुछ देर छटपटाने के बाद वो नॉर्मल होती चली गई।

लगभग पांच मिनट की मश्क्कत के बाद सविता अब आराम से मेरे लंड को लेने लगी।
अभी भी उसकी चूत में लंड जैसे रगड़ता हुआ जा रहा था।

मैं भी ज्यादा देर रुक नहीं पाया।
झटके देते हुए मैं उसकी चूत में खाली हो गया।

उसके बाद हम तीनों ही चैन से बेड पर लेट गए।
भाभी सविता से बोली- तुझे मैं आज एक बात बताने जा रही हूं, लेकिन तू वादा कर कि अपने भैया से नहीं कहेगी।
सविता- ठीक है, नहीं कहूंगी।

भाभी- तेरे भैया मुझे खुश नहीं कर पाते हैं। शादी को कई साल हो गए हैं लेकिन अभी तक बच्चा नहीं हुआ है। असलम से मैंने ये सब इसलिए करवाया ताकि मैं तेरे को भतीजा/भतीजी दे सकूं।

ये सुनकर सविता ने भाभी को गले से लगा लिया।
सविता बोली- ये बात है तो फिर आपका सपना जरूर पूरा होगा।

उसके बाद सविता मेरे दूसरी तरफ आ गई।
अब मैं उन दोनों के बीच में था।
जल्द ही सविता ने मेरा लंड चूस चूसकर खड़ा कर दिया।

लंड पूरा तन जाने के बाद सविता ने भाभी को नीचे लेटने को कहा।
भाभी नीचे लेट गई।

फिर सविता ने मुझे भाभी के ऊपर आने को कहा।
मैं भाभी के ऊपर आ गया तो सविता ने खुद अपने हाथ से लंड पकड़ा और भाभी की चूत में डाल दिया।

मैंने धक्के के साथ पूरा लौड़ा भाभी की चूत में घुसेड़ दिया।
अब मैं भाभी की चुदाई करने लगा और सविता भाभी की चूत के दाने को सहलाने लगी।
इससे आरती इतनी ज्यादा गर्म हो गई कि उसकी चूत ने 2 मिनट में ही पानी छोड़ दिया।

लगभग 15 मिनट मैंने भाभी की चुदाई की और इस बीच भाभी की चूत ने एक बार पानी छोड़ा।
वो थक कर चूर हो गई।

चुदाई देखने के बाद सविता की चूत भी गर्म हो चुकी थी।
वो फिर से मुझसे लिपटने लगी।

फिर उसने मुझे आधे घंटे में दोबारा गर्म किया और मैंने सविता की चूत और गांड दोनों चोद डाली।
उसके बाद हम सो गए।

यह सिलसिला काफी दिनों तक चला।
उसके बाद मुझे दूसरे एरिया में शिफ्ट होना पड़ गया।

भाभी मेरे सामने ही पेट से हो गई थीं।

जब उसने बच्चा पैदा किया तो मुझे भी बुलाया।
मैं उसको हॉस्पिटल में देखने गया था।
भाभी बहुत खुश थी।

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