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कोच सर के साथ प्लेग्राउंड में चुदाई का मजा - Koch Sar Ke Sath Playground Mein Chudai Ka Maja

कोच सर के साथ प्लेग्राउंड में चुदाई का मजा
कोच सर के साथ प्लेग्राउंड में चुदाई का मजा

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Read: - स्कूल मास्टर सेक्स कहानी में पढ़ें कि चढ़ती जवानी में मैंने अपने बड़े बड़े मम्मे उछाल कर अपने स्कूल के एक मास्टर को कैसे गर्म किया, फिर उसके लंड का मजा लिया.

नमस्ते दोस्तो!

कैसे हो आप?

आशा है कि आपको मेरी पिछली कहानी
कैम्प में मिले लड़के से चुद गयी गाँव में
पसंद आई होगी।
उम्मीद करती हूं कि आप लोग मेरे अनुभव सुनकर मजे लेते होंगे।

नयी कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूं।
मेरी उम्र 24 वर्ष है। मेरा बदन 40-34-42 का है। मेरा कद 5’5″ है और वजन थोड़ा ज्यादा होने के कारण मेरा जिस्म भरा पूरा दिखता है।

और दोस्तो, आपको यह भी बता दूं कि मैं एक बैडमिंटन खिलाड़ी हूं। मुझे शुरू से ही बैडमिंटन की कोचिंग मिली थी।

यह कहानी उस समय की है जब मैं 19 साल की थी, 12वीं कक्षा में पढ़ती थी।

हमारे स्कूल की तरफ से हमें हर साल टूर्नामेंट खेलने भेजा जाता था।
इस कहानी में आगे आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपने कोच को पटाकर उससे चुदवा लिया।

जब हमें टूर्नामेंट के लिए जाना होता था तो हमसे खूब कसरत करवाई जाती थी।
यह घटना उसी दौरान की है।

एक रात मैं प्रैक्टिस से घर लौटी तब मैं काफी थकी हुई थी और नहाकर खाना खाकर सो गई।

काफी थकी हुई होने के कारण सुबह मेरी नींद बहुत देर से खुली और पता चला कि मुझे प्रैक्टिस के लिए देर हो रही थी।
तो मैं वैसे ही हाथ मुंह धोकर चली गई और यहां तक कि मैं अपनी ब्रा भी पहनना भूल गई।
अब जब तक मुझे ध्यान आता, मैं प्रैक्टिस वाली जगह पर पहुंच चुकी थी।

दोस्तो आपको, यह बता दूं कि मैं भले ही तब उम्र में थोड़ी छोटी थी लेकिन मेरा शरीर बिलकुल वैसा ही था जैसा अभी है।

वहाँ जाने के बाद मैंने देखा कि कोई भी लड़की वहाँ आई नहीं है। मेरे अलावा वहाँ मेरे कोच ही आए हुए थे। कोच को हम उन दिनों मास्टर जी कहते थे.
उन्होंने मुझे वार्मअप करने के लिए कहा।

उतने में 3-4 लड़के और आ गए और हम सब मिलकर उस ग्राउंड के चक्कर लगाने लगे।

उस समय मेरे खरबूजे इतने उछल कूद कर रहे थे मानो शर्ट फाड़ कर अभी बाहर आ जायेंगे।
यह देखकर मैं थोड़ा धीरे भागने लगी ताकि किसी को पता न चले।

पर यह देखकर कोच को गुस्सा आ गया और उसने मुझे सजा के तौर पर skipping jumps मारने बोला।
मैं बिना कुछ बोले चुपचाप अपनी कूदें मारने लगी।

उधर मास्टर जी उन लड़कों की प्रैक्टिस ले रहे थे और मैं इधर अपनी सजा काट रही थी।
लेकिन मुझे मजा भी आ रहा था क्योंकि खेलते खेलते उन लड़कों की नजर मेरे मम्मों पर जा रही थी जो मेरी कूदों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.
और यह देखकर उनके पैंट में भी तंबू बन रहे थे।

और पसीने के कारण मेरा शर्ट गीला भी हुआ जा रहा था।
मैं जैसे ही रुकती, कोच मुझे डांट कर फिर कुदवाते।

ऐसा काफी देर तक चलता रहा।

मैं बहुत ज्यादा थक चुकी थी तो मैंने मास्टर जी को रिक्वेस्ट किया- सर प्लीज मुझे रुकने दें, मैं अब और नहीं कर पाऊंगी।
यह सुनकर वह मेरे पास आया और मेरे मम्मों को घूरते हुए कहा- ठीक है रुक जाओ!
और वैसे ही वापस चला गया।

मैं वही बैठकर अपनी सांसें गिनने लगी और पानी पीने लगी।

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इतने में मैंने देखा कि कोच सबको जाने के लिए बोल रहे हैं।

अभी प्रैक्टिस शुरू हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था तो सब मना करने लगे लेकिन कोच ने उनसे कुछ कहकर उन्हें मना लिया।
यह देखकर मुझे लगा कि मुझे भी जाना चाहिए तो मैं भी अपना सामान लेकर निकलने लगी.

पर कोच ने मुझे रोक लिया, बोले- तू कहाँ जा रही है?
मैं- आपने सबको जाने के लिए कहा तो मैं भी जा रही हूं।
कोच- तुम्हारी सजा अब तक पूरी नहीं हुई है।

मैं- मास्टर जी, मैं बहुत थक गई हूं अब और जम्प मैं नहीं मार सकती।
कोच- नहीं, अब तुम्हें जम्प नहीं मारने हैं।

मैं डरी हुई बोली- तो अब क्या सजा है मेरी?
कोच मेरे उभारों को शर्ट के ऊपर से घूरते हुए- यह बहुत उछलते हैं, इन्हें हाथ से पकड़कर रखो और कोर्ट के चक्कर लगाओ।
मैं समझ गई कि भैय्या अभी चूदाई होगी। मास्टर सेक्स के लिए तैयार हो गया है.

और मैं कोर्ट के चक्कर लगाने लगी, साथ ही जानबूझकर मैं अपने मम्मे ऊपर नीचे करने लगी ताकि ऐसा लगे मानो खुद ही उछल रहे हो।
साथ ही अपने चूचुकों को उंगलियों से खींच रही थी।

यह नजारा देख कर कोच की पैंट में कुछ उभार आता हुआ नजर आया।
मैं और जोर जोर से अपने खरबूजों को ऊपर नीचे करने लगी पर कोच को ऐसे दिखाया कि मुझे कुछ पता ही नहीं।

थोड़ी देर यह नयन सुख लेने के बाद मास्टर जी मेरे पास आए और बोले- तुम्हें काफी पसीना आ रहा है, तुम्हारा शर्ट भी पूरा भीग चुका है, इसे सूखने डाल दो।
कहकर मेरा टीशर्ट उतारने लगे।

इसने बाद वे बोले- और तुम बिना शर्ट के अपने चक्कर चालू रखो।
अब कोच को देख कर और चुदाई का सोचकर मुझे भी मजा आने लगा था। मैं भी मास्टर जी के हर हुकुम का पालन कर रही थी।

लेकिन इस बार दौड़ते समय मैंने जान बूझ कर अपने हाथ अपने स्तनों पर न रखते हुए कमर पर रख दिए और दौड़ लगाने लगी।

यह देखकर कोच के पैंट में पूरा तंबू बन गया और उसे छुपाने के लिए वो उसे दूसरे बाजू होकर सहलाने लगे और मुझसे रुकने के लिए कहा।

मैं भी अब गर्म हो चुकी थी, चुदाई अब मेरे सिर चढ़ चुकी थी।
मास्टर सेक्स के जलदी से मेरे ऊपर चढ़ जाए, इसके लिए मेरे दिमाग में एक प्लान आया।
मैं अपना पेट पकड़ कर जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और जोर जोर से दर्द में कराहने की आवाजें निकालने लगी, मानो मेरे पेट में मरोड़ उठ रहे हों।

यह देख कोच मेरी तरफ भागते हुए आए और देखने लगे कि मुझे क्या हो रहा है।

तब मैंने देखा कि कोच की पैंट में बना तंबू काफी बड़ा लग रहा था।
मुझे उसे चूसने का मन होने लगा पर फिलहाल मैंने कुछ करना ठीक नहीं समझा।

मास्टर जी ने मुझे वहीं जमीन पर लिटाया और मेरे पेट की मसाज करने लगे।
मैंने कराहना जारी रखा।

मेरे पेट की मसाज करते करते मास्टर जी मेरे खरबूजों को छूने लगे।
मैं झट से इशारा समझ गई और “मास्टर जी, मुझे यहां भी काफी दर्द हो रहा है, इनकी भी मसाज कर दो.” यह कहकर अपने मम्मों को दबाने लगी।

मास्टर जी झट से समझ गए कि मैं भी चुदने के लिए तैयार हूं और झट से मेरा एक तरबूज हाथ में लेकर चूसने लगे तो दूसरे को दूसरे हाथ से मसलने लगे।
मेरी चूची को दांतों के बीच पकड़ कर चबाने लगे, खींचने लगे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था; मैं हल्की हल्की सिसकारियां ले रही थी।

फिर उसने मेरे मुंह में अपना मुंह दे दिया और जोर जोर से चूमने लगा।
साथ ही हाथ से मेरी चूत सहलाने लगा।

जैसे ही मास्टर ने मेरी चूत पर उंगली लगाई मैं तो झड़ गई।
मैं गर्म जो इतनी हो चुकी थी।

कोच सर ने चूमना जारी रखा और मेरी चूत को साफ़ कर दिया।

फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और मेरे मुंह पर रख कर मेरा मुंह चोदने लगा।
मेरी तब तक के अनुभव के हिसाब से उस वक्त उसका लन्ड मुझे काफी बड़ा लगा।
हालांकि उसके बाद मैंने उससे बड़े लन्ड को भी चखा है लेकिन उस समय की बात अलग थी।

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उससे पहले मैंने अपनी उमर के लड़कों के ही लन्ड आजमाए थे, उनके लन्ड भी छोटे हुआ करते थे।

मैंने बड़े मजे से उनका लन्ड चूसना शुरू किया।
उन्हें मजा आने लगा और वो जोर जोर से मेरा मुंह चोदने लगे और अपने लन्ड को मेरे गले में उतारने लगे।

मुझे ऐसी आदत नहीं थी तो मेरी सांस अटकने लगी और मैं छटपटाने लगी।
फिर भी उन्होंने मेरा मुंह चोदना जारी रखा और मेरे मुंह में ही झड़ गए।

इसके बाद उन्होने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी चूत पर बैडमिंटन का बल्ला घिसने लगे।
मैं और गर्म होने लगी।
और वो रैकेट की मूठ को मेरी चूत में डालकर रैकेट से मुझे चोदने लगे।
मैं फिर थोड़ी देर में झड़ गई।

अब तक उनका लंड खडा हो गया था, वे मेरी चूत में से रैकेट निकालकर लन्ड डालने लगे और मुझे चोदने लगे।
कुछ देर वैसे ही घोड़ी बनाकर चोदने के बाद मैं फिर से झड़ गई।

अब 2 बार झड़ने के बाद मेरी हालत खराब हो चुकी थी, पर कोच का अभी मन नहीं भरा था।
उन्होंने मुझे वहाँ सीढ़ियों पर बिठाया और लन्ड मेरे मुंह में देकर उसे चूस चूस के खड़ा करने को कहा।

मैं उनका लन्ड मुंह में लेकर उसे मजे से चूसने लगी।
अब उनका लन्ड फिर खड़ा होने लगा।

अब उन्होंने मुझे वही सीढ़ियों पर लिटाया और वही मेरी चूत में उनका लन्ड डालकर जोर जोर से धक्के मारने लगे।
वो एक खिलाड़ी होने के कारण बहुत ताकतवर थे इसलिए उनका हर एक धक्का मेरी चूत को अन्दर तक खोले जा रहा था।

मैं उन धक्कों के कारण बहुत जल्द ही झड़ गई।
लेकिन उन्होंने अपने धक्के जारी रखे।

सर काफी ताकत के साथ मुझे चोद रहे थे।
इतनी ताकत से मेरी चुदाई उस समय पहली बार ही हो रही थी।
मुझे बहुत मजा भी आ रहा था और अब थोड़ा दर्द भी होने लगा था।

अब थोड़ी देर ऐसे ही ताकत से चोदने के बाद वो झड़ने को हुए तो उन्होंने लन्ड मेरे मुंह में दे दिया और मुंह फिर चोदने लगे.
और देखते ही देखते मेरे मुंह में जोर से गर्म गर्म पिचकारी मारते हुए झड़ गए और वहीं निढाल होकर बैठ गए।
मैं भी काफी थकी हुई थी तो मैं भी थोड़ी देर वैसे ही लेटी रही।

फिर थोड़ी देर के बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने और थोड़ी देर प्रैक्टिस करके मैं अपने घर लौट आई।

उस दिन के बाद करीब करीब रोज हम चुदाई का मजा लेते थे।

ऐसे ही एक दिन हमें एक दूसरे लड़के ने देख लिया जो कोचिंग में आया करता था।
मैंने उससे भी अपनी जवान चूत को चुदवा लिया था. यह घटना मैं फिर किसी कहानी में लिखूँगी।
आज के लिए इतना ही।

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